श्रोत्रियकुलीन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

श्रोत्रियकुलीन पाणिनिकालीन भारतवर्ष में प्रचलित एक संज्ञा थी।

  • काशिका के अनुसार श्रोत्रिय कुल में उत्पन्न व्यक्ति की संज्ञा श्रोत्रियकुलीन थी। मनु ने बताया कि किस प्रकार विवाह, वेदाभ्यास, यज्ञ - इन 3 उपायों से कुलों की प्रतिष्ठा बढ़कर महाकुल जैसी हो जाती थी।[1][2]


इन्हें भी देखें: पाणिनि, अष्टाध्यायी एवं भारत का इतिहास


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मनु 3/ 63; 66; 184-185
  2. पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 109 |

संबंधित लेख