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सलमान रुश्दी

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सलमान रुश्दी

सलमान रुश्दी का (जन्म: 19 जून 1947) भारतीय मूल के विवादास्पद अंग्रेजी लेखक है। अब उनका निवास इंग्लैंड में है। उनका जन्म तो मुंबई में हुआ था परंतु वे अनेक वर्षों से विदेश में ही रह रहे है। हिमाचल प्रदेश में सोलन के पास उनका अनीश विला नाम से पैत्रिक आवास भी है। वे इस आवास को लेखकों के सैलानी दलों के विश्राम गृह के रूप में बदल देना चाहते हैं। ऐसी इच्छा उन्होंने प्रकट की है।

परिचय

सलमान रुश्दी के पिता 'अनीस अहमद रुश्दी' और माता 'नेगिन भट्ट' हैं।

शिक्षा

उनकी शिक्षा कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई, रग्बी स्कूल और किंग्स कॉलेज, केम्ब्रिज में हुई, जहाँ उन्होंने इतिहास का अध्ययन किया। एक पूर्णकालिक लेखक बनने से पहले उन्होंने दो विज्ञापन एजेंसियों 'ऑगिल्वी एंड माथेर और आयर बार्कर' के लिए काम किया।

रचनाएं

मुंबई और इंग्लैंड में शिक्षा लेने के बाद, रुश्दी शुरुआत में एक विज्ञापन कम्पनी में शामिल हो गए थे। सलमान रुश्दी का पहला उपन्यास ग्राइमस था, जिसका लोगों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा था। हालांकि, सलमान रुश्दी ने अपने अगले उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रेन के लिए काफी प्रसिद्धि हासिल की थी। 'बुकर पुरस्कार' के साथ-साथ इस उपन्यास ने वर्ष 1993 में ‘बुकर ऑफ बुकर्स’ पुरस्कार भी जीता था। सलमान रुश्दी की अगली कृति 'द जैगुअर स्माइल', उनकी निकारागुआ की यात्रा पर आधारित है। सलमान रुश्दी की अन्य प्रसिद्ध कृतियों में द मूर्स लास्ट साई, द ग्राउंड बिनीथ हर फीट और शालीमार द क्लाउन शामिल हैं।

विवादास्पद उपन्यास

उन्होंने अनेक उपन्यासों की रचना की है। उनका विवादास्पद उपन्यास तीसरा है जिसमें इस्लाम संबंधित कुछ प्रतीक कथाएं हैं। 1988 में 'सैटेनिक वर्सेज' नामक यह उपन्यास प्रकाशित हुआ। इसके कारण मुस्लिम समाज में जबरदस्त विवाद खड़ा हुआ और कहा गया कि इसमें पैगंबर मोहम्मद साहब के जीवन पर आक्षेप किए गए हैं। धर्म की निंदा के अपराध में ईरान के अयातुल्ला खुमैनी ने इनकी हत्या कर देने का फतवा जारी किया और यह कार्य करने वाले को 60 लाख डॉलर इनाम देने की घोषणा की। उसके बाद से वे रहस्मय ढंग से छुप कर अपना जीवन बिता रहे हैं।

छुप कर रहते हुए भी उनका लेखन कार्य चलता रहता है और उसके बाद भी उनकी कई कहानियां और व्यंगपरक पुस्तकें प्रकाशित हुई है। 'शेम', मिडनाइट्स चिल्ड्रन'(1981), और ईस्ट वेस्ट (1994), आदि उनकी कुछ अन्य प्रसिद्ध पुस्तकें है। उन्हें बीसवीं शताब्दी के प्रमुख लेखकों तथा अग्रणी भारतीयों से पृथक नहीं रखा जा सकता। वर्ष 2000 के आरंभिक दिनों में वे राष्ट्रमंडल देशों के लेखकों को प्रस्तुत करने के समारोह में नई दिल्ली में प्रकट हुए थे। सैटेनिक वर्सेज के प्रकाशन के बाद भारत सरकार ने इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने सरकार से अपील की है कि पुस्तक पर से प्रतिबंध हटा दिया जाए। [1]

पुरस्कार

सलमान रुश्दी जेम्स टैट ब्लैक मेमोरियल अवार्ड (फिक्शन), आर्ट्स काउंसिल राइटर्स अवार्ड, इंग्लिश स्पीकिंग यूनियन अवार्ड, प्रिक्स डु मेइल्यूर लिवर एट्रेंजर, व्हाइटब्रेड नॉवेल अवार्ड, राइटर्स गिल्ड अवार्ड [2] और साहित्य के लिए यूरोपीय संघ अरिस्टियन पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं। 16 जून 2007 को क्वींस बर्थडे ऑनर्स में साहित्य की सेवाओं के लिए रुश्दी को नाइटहुड से सम्मानित किया गया। सलमान रुश्दी स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति की वकालत करते हैं और विभिन्न सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं।

पुस्तकें

दूसरे उपन्यास "मिडनाइट चिल्ड्रेन" के साथ उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिल गयी। भारत की आजादी और विभाजन की पृष्ठभूमि में लिखे गये इस उपन्यास के लिए रुश्दी को 'बुकर पुरस्कार' मिला और क़िताब अमेरिका और ब्रिटेन में बेस्टरसेलर साबित हुई। इस बीच, सलमान रुश्दी ने 12 उपन्यास, बहुत सारे निबंध और आत्मकथा लिखी है। उनकी कई किताबें विश्व साहित्य की क्लासिक बन गयी हैं।[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 911 |
  2. चिल्ड्रेंस बुक
  3. 70 साल के सलमान रुश्दी, 28 साल डर के साये में (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 08 फ़रवरी, 2019।

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