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|'''अज्ञान'''
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==योग्यता, कौशल (Ability)==
* अज्ञान जैसा शत्रु दूसरा नहीं। - चाणक्य
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* केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है।  ~ प्रेमचंद
* अपने शत्रु से प्रेम करो, जो तुम्हे सताए उसके लिए प्रार्थना करो। - ईसा
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* कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है।  ~ प्रेमचंद
* अज्ञानी होना मनुष्य का असाधारण अधिकार नहीं है बल्कि स्वयं को अज्ञानी जानना ही उसका विशेषाधिकार है। - राधाकृष्णन
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* गुण छोटे लोगों में द्वेष और महान् व्यक्तियों में स्पर्धा पैदा करता है।  ~ फील्डिंग
* अशिक्षित रहने से पैदा ना होना अच्छा है क्योंकि अज्ञान ही सब विपत्ति का मूल है।
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* कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है।  ~ अज्ञात
* अज्ञानी के लिए ख़ामोशी से बढकर कोई चीज़ नहीं और यदि उसमे यह समझाने की बुद्धि हो तो वह अज्ञानी नहीं रहेगा। - शेख सादी
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* मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से।  ~ लाला लाजपतराय
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* यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी।  ~ स्वामी रामतीर्थ
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* महान् व्यक्ति न किसी का अपमान करता है ओर न उसको सहता है। ~ होम
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* नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है। ~ स्वामी रामदास
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* मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से महान् बनता है।  ~ आविद
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* ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे।  ~ विनोबा भावे
  
'''अतिथि'''
+
==सलाह, परामर्श, मशवरा (Advice)==
* अतिथि जिसका अन्न खता है उसके पाप धुल जाते हैं। - अथर्ववेद
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* बिना मांगे किसी को हरगिज नसीहत मत दो।  ~ जर्मन कहावत
* यदि किसी को भी भूख प्यास नहीं लगती तो अतिथि सत्कार का अवसर कैसे मिलता। - विनोबा
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* जब हम किसी नई परियोजना पर विचार करते हैं तो बड़े गौर से उसका अध्ययन करते हैं – महज सतही तौर पर नहीं, बल्कि उसके हर एक पहलू का। – वाल्ट डिज्नी
* आवत ही हर्षे नहीं, नयनन नहीं सनेह, तुलसी वहां ना जाइये, कंचन बरसे मेह। - तुलसीदास
 
  
'''अत्याचार'''
+
==क्रोध, ग़ुस्सा, ताव (Anger)==
* अत्याचारी से बढ़कर अभागा कोई दूसरा नहीं क्योंकि विपत्ति के समय उसका कोई मित्र नहीं होता। - शेख सादी
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* क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।  ~ महात्मा गांधी
* गुलामों की अपेक्षा उनपर अत्याचार करनेवाले की हालत ज्यादा ख़राब होती है। - महात्मा गाँधी
+
* मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है।  ~ बाइबिल
* अत्याचार करने वाला उतना ही दोषी होता है जितना उसे सहन करने वाला। - तिलक
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* क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की ग़लतियों कि सजा स्वयं को देना।
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* जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो।  ~ कन्फ्यूशियस
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* क्रोध से धनि व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का पात्र होता है।  ~ कहावत
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* क्रोध मूर्खता से प्रारम्भ और पश्चाताप पर खत्म होता है।  ~ पाईथागोरस
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* क्रोध के सिंहासनासीन होने पर बुद्धि वहां से खिसक जाती है।  ~ एम. हेनरी
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* जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है।  ~ रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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* क्रोध मस्तिष्क के दीपक को बुझा देता है। अतः हमें सदैव शांत व स्थिरचित्त रहना चाहिए।  ~ इंगरसोल
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* क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाती है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है और भ्द्धि नष्ट होने पर प्राणी स्वयं नष्ट हो जाता है।  ~ कृष्ण
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* क्रोध यमराज है।  ~ चाणक्य
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* क्रोध एक प्रकार का क्षणिक पागलपन है।  ~ महात्मा गाँधी
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* क्रोध में की गयी बातें अक्सर अंत में उलटी निकलती हैं।  ~ मीनेंदर
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* जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध नहीं करता और क्षमा करता है वह अपनी और क्रोध करनेवाले की महासंकट से रक्षा करता है। ~ वेदव्यास
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* सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिंता से पल भर में थक जाता है।  ~ जेम्स एलन
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* क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक गिनो, अगर ज़्यादा क्रोध में तो सौ तक।  ~ जेफरसन
  
'''अधिकार'''
+
==सौंदर्य, सुंदरता, शबाब (Beauty)==
* ईश्वर द्वारा निर्मित जल और वायु की तरह सभी चीजों पर सबका सामान अधिकार होना चाहिए। - महात्मा गाँधी
+
* सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है।  ~ सादी
* अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नहीं होता। - टैगोर
+
* वास्तविक सोन्दर्य हृदय की पवित्रता में है।  ~ महात्मा गांधी
* संसार में सबसे बड़ा अधिकार सेवा और त्याग से प्राप्त होता है। - प्रेमचंद
+
* सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो।  ~ भगवतीचरण वर्मा
 +
* सोंदर्य आकार और सममिति पर निर्भर होता है। चाहे कोई जीव छोटा हो या बेहद बड़ा वह ख़ूबसूरती को परिभाषित नहीं करता, क्योंकि उसको एक दृष्टि मात्र में देखने पर उसकी स्पष्ट नहीं होती है, इसलिए वे परिपूर्ण की श्रेणी में नहीं आते।  ~ अरस्तु
 +
* मेरी नजर में मेरा क़रीबी दोस्त कभी भी वृद्ध नहीं हो सकता। वह वैसा ही रहेगा जैसा मैंने उसे पहली बार देखा था, उसकी खुबसूरती वैसी ही दिखेगी जैसी मैंने पहली नजर में देखी थी।  ~ विलियम शेक्सपियर
 +
* अतिशय सुंदरता कभी-कभी हमें भयानक रूप से ठेस भी पहुंचा सकती है।  - एदुआर्दो गैलियानो
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* ख़ूबसूरती एक अनुभव है, इसके सिवा कुछ भी नही| इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नहीं हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफ़ी है।  ~ डी. एच. लॉरेंस़
 +
* ख़ूबसूरती चेहरे पर नहीं होती| ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड‍़ती है।  ~ खलील जिब्रान
 +
* जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह ज़रूरी भी नहीं कि हमारे भीतर से भी वही ख़ूबसूरती दिखाई दे।  ~ जॉर्ज सेंड
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* दुनिया की सबसे अच्छी और ख़ूबसूरत चीज़ें कभी देखी या छुई नहीं गई, वे बस दिल के साथ घुल – मिल गईं।  ~  हेलेन कलर
 +
* सुंदर चीजों पर यकीन बनाये रखिये| याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा।  ~ गिल्सन|
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* एक शख़्स हर दिन संगीत सुने, थोड़ी सी कविता पढ़े और अपने जीवन की सुंदर तस्वीर रोज देखे … उसे सुंदरता की परिभाषा तलाशने की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि भगवान ने सरे संसार का सौंदर्य उसकी झोली में डाल रखा है।  ~ गोयथे|
 +
* ख़ूबसूरती में मानव खुद को पूर्णता के स्तर पर देखता है, कुछ परिस्थितियों में वह खुद की पूजा करता है, मनुष्य यह मान लेता कि यह पूरा विश्व ख़ूबसूरती से भरा हुआ है यह भूल जाता है कि जो सुंदरता वह देख रहा है वह उसके ‌‍द्वारा बनाई हुई है। मानव ने अकेले ही इस जहान को ख़ूबसूरती अर्पित कि है।  ~ फ्रेडरिक नीत्शे
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* सुंदरता जब आपको आकर्षित कर रही होती है, व्यक्तित्व तब तक आपके दिल पर कब्ज़ा कर चुका होता है। ~  अज्ञात
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* हम सारी दुनिया घूमते और ख़ूबसूरती तलाशते रहते हैं.. कभी मुड़ के भी नहीं देखते.. अपने पास ही छुपी हुई ख़ूबसूरती की और।  ~ इमर्सन
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* कभी भी कुछ सुंदर देखने का मौक़ा मत छोडो, सच तो यह है कि ख़ूबसूरती भगवान की लिखावट है.. हर चेहरे पर, धुले-धुले आसमान में, हर फूल में उसकी लिखावट नज़र आएगी.. और हे भगवान, इस सौंदर्य के लिये हम आपके आभारी हैं।  ~  राल्फ वाल्डो इमर्सन|
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* सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो।  ~ जोन मुइर
  
'''अध्ययन'''
+
==पुस्तक, किताब, ग्रंथ (Book)==
* सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है।
+
* सभी अच्छी पुस्तकों को पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन व्यक्तियों के साथ संवाद करने जैसा है।  ~ रेने डकार्टेस
* हम जितना अध्ययन करते हैं उतना हमे अज्ञान का आभास होता है।
+
* जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं।  ~ जवाहरलाल नेहरू
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* किताबों में इतना ख़ज़ाना छुपा हैं, जितना कोई लुटेरा कभी लूट नहीं सकता।  ~ वाल्ट डिज्नी
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* लोगों को मारा जा सकता है। लेखकों को भी, लेकिन किताबों को मारना संभव नहीं।  ~ अमोस ओज
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* किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना।  ~ चाणक्य
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* बिना ग्रंथों का कक्ष, बिना आत्मा की देह है।  ~ शरण
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* पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं।  ~ महात्मा गांधी
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* विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं।  ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ
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* आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक।  ~ टसर
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* अच्छा ग्रंथ एक महान् आत्मा का अमूल्य जीवन रक्त है।  ~ मिल्टन
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==परिवर्तन, बदलना, अस्थिर (Change)==
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* बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब ग़लतियों से पूरी मुक्ति है, लेकिन यह तो अकेली सर्वज्ञता का विशेषाधिकार है।  ~ सी सी काल्टन
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* सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है।
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* हर चीज़ बदलती है, नष्ट कोई चीज़ नहीं होती।  ~ अरविन्द घोस
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* परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है और स्थिर होना मृत्यु।  ~ जयशंकर प्रसाद
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* स्वयं को बदल दो भाग्य बदल जायेगा।  ~ कहावत
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==चरित्र, स्वभाव, ख़ासियत (Character)==
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* तुम बर्फ़ के समान विशुद्ध रहो और हिम के समान स्थिर तो भी लोक निन्दा से नहीं बच पाओगे।
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* अच्छी आदतों से शक्ति की बचत होती है, अवगुण से बर्बादी।  ~ जेम्स एलन
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* हमारी दुनिया को सबसे ज़्यादा एक नए नैतिक ढांचे की दरकार है।  ~ ह्यूगो शावेज
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* चरित्र एक वृक्ष है, मान एक छाया। हम हमेशा छाया की सोचते हैं, लेकिन असलियत तो वृक्ष ही है।  - अब्राहम लिंकन
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* किसी व्यक्ति के चरित्र को उसके द्वारा प्रयुक्त विशेषणों से जाना जा सकता है।  ~ मार्क ट्वेन
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* बुद्धि के साथ सरलता, नम्रता तथा विनय के योग से ही सच्चा चरित्र बनता है।
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* आचरण अच्छा हो तो मन में अच्छे विचार ही आते हैं।
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* सुन्दर आचरण, सुन्दर देह से अच्छा है।  ~ इमर्सन
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* जैसे आचरण की तुम दूसरों से अपेक्षा रखते हो, वैसा ही आचरण तुम दूसरों के प्रति करो।  ~ ल्यूक
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* अपकीर्ति दण्ड में नहीं, अपितु अपराध में है।  ~ एलफिरी
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* दूसरों को क्षति पंहुचाकर अपनी भलाई कि आशा नहीं करनी चाहिए।
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* चरित्रवान व्यक्ति अपने पद और शक्ति का अनुचित लाभ नहीं उठाते।
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* चरित्र आत्मसम्मान की नींव है।
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* अपने चारित्रिक सुधार का आर्किटेक्ट खुद को बनना होगा।
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* जैसा अन्न, वैसा मन।
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* अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है।  ~ प्ल्यूटस
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* जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही महान् व्यक्ति बन सकता है।  ~ सुकरात
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* बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं।  ~ स्वामी विवेकानंद
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* आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है। ~ इमर्सन
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* वृक्ष, सरोवर, सज्जन और मेघ-ये चारों परमार्थ हेतु देह धारण करते हैं।  ~ महात्मा कबीर
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* चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए।  ~ महात्मा गांधी
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* संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं।  ~ रूसो
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* अच्छा स्वभाव, सोंदर्य के अभाव को पूरा कर देता है।  ~ एडीसन
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* व्यवहार वह दर्पण है, जिसमें प्रत्ये़क का प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है।  ~ गेटे
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* चरित्र वृक्ष है और प्रतिष्ठा उसकी छाया। - अब्राहम लिंकन
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* चरित्र के बिना ज्ञान बुराई की ताकत बन जाता है, जैसे कि दुनिया के कितने ही 'चालाक चोरों' और 'भले मानुष बदमाशों' के उदाहरण से स्पष्ट है। - महात्मा गाँधी
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* दुर्बल चरित्र का व्यक्ति उस सरकंडे जैसा है जो हवा के हर झौंके पर झुक जाता है। - माघ
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* चरित्र मनुष्य के अन्दर रहता है, यश उसके बाहर। - अज्ञात
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* स्वास की क्रिया के सामन हमारे चरित्र में एक ऐसी सहज क्षमता होनी चाहिए जिसके बल पर जो कुछ प्राप्य है वह अनायास ग्रहण कर लें और जो त्याज्य है वह बिना क्षोभ के त्याग सकें। - टैगोर
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* समाज के प्रचलित विधि विधानों के उल्लंघन केवल चरित्र-बल पर ही सहन किया जा सकता है। - शरतचंद्र
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* कठिनाइयों को जीतने, वासनाओ का दमन करने और दुखों को सहन करने से चरित्र उच्च सुदृढ़ और निर्मल होता है। - अज्ञात
  
'''अनुभव'''
+
==दया, सहानुभूति, मेहरबानी (Compassion)==
* बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अँधा है।
+
* दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है। ~ बेली
* दूसरों के अनुभव से जान लेना भी मनुष्य के लिए एक अनुभव है।
+
* मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं।  ~ हजरत मोहम्मद
* यदि कोई केवल अनुभव से ही बुद्धिमान हो जाता तो लन्दन के अजायबघर में रखे इतने समय के बाद संसार के बड़े से बड़े बुद्धिमान से अधिक बुद्धिमान होते। - बर्नार्ड
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* जो सचमुच दयालु है, वही सचमुच बुद्धिमान है, और जो दूसरों से प्रेम नहीं करता उस पर ईश्वर की कृपा नहीं होती।  ~ होम
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* दया के छोटे-छोटे से कार्य, प्रेम के जरा-जरा से शब्द हमारी पृथ्वी को स्वर्गोपम बना देते हैं।  ~ जूलिया कार्नी
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* न्याय करना ईश्वर का काम है, आदमी का काम तो दया करना है।  ~ फ्रांसिस
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* दयालुता हमें ईश्वर तुल्य बनती है।  ~ क्लाडियन
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* दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है।  ~ प्रेमचंद
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* दया सबसे बड़ा धर्म है।  ~ महाभारत
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* दया दोतरफी कृपा है। इसकी कृपा दाता पर भी होती है और पात्र पर भी।  ~ शेक्सपियर
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* जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं।  ~ शेख सादी
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* दयालुता दयालुता को जन्म देती है। ~ सोफोक्लीज
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* परोपकारियों का मार्ग न समुद्र रोक सकता है और न पर्वत।  ~ अज्ञात
 +
* दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोड़िये, जब लग घट में प्राण। ~ तुलसीदास
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* जिसमे दया नहीं उसमे कोई सद्गुण नहीं।  ~ हज़रत मोहम्मद
 +
* दया और सत्यता परस्पर मिलते हैं, धर्म और शांति एक दुसरे का साथ देतें हैं।  ~ बाइबल
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* हम सभी ईश्वर से दया कि प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमे दूसरों पर दया करना सिखाती है।  ~ शेक्सपियर
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* जो निर्बलों पर दया नहीं करता उसे बलवानों के अत्याचार सहने पड़ेंगे।  ~ शेख सादी
 +
* दया चरित्र को सुन्दर बनती है।  ~ जेम्स एलन
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* आत्मा के आनंद रूपी सामंजस्य का बाहरी रूप दया है।  ~ विलियम हैज़लित
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* सबपर दया करनी चाहिए क्योंकि ऐसा कोई नहीं है जिसने कभी अपराध नहीं किया हो।  ~ रामायण
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* कितने देव, कितने धर्म, कितने पंथ चल पड़े पर इस शोकग्रस्त संसार को केवल दयावानों कि आवश्यकता है।  ~ विलकास्य
  
'''अन्याय'''
+
==प्रतियोगिता, मुक़ाबला (Competition)==
* अन्याय सहने से अन्याय करना अच्छा है कोई भी इस सिधांत को स्वीकार नहीं करेगा। - अरस्तु
+
* स्पर्धा और प्रतिस्पर्धा से वातावरण दीप्त और उद्दीप्त रहता है।  ~ जैनेन्द्र कुमार
* अन्याय सहने वाला भी उतना ही अपराधी होता है जितना करने वाला क्योंकि अगर अन्याय न सहा जाये तो कोई भी अन्याय करने का साहस नहीं करेगा। - टैगोर
 
* अन्याय को मिटाओ लेकिन अपने आप को मिटाकर नहीं। - प्रेमचंद
 
  
'''अपमान'''
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==आत्मविश्वास, निर्भीकता, निश्चय (Confidence)==
* धुल स्वयं अपमान सह लेती है और बदले में फूलों कर उपहार देती है। - टैगोर
+
* आत्मविश्वास किसी भी कार्य के लिए आवश्यक तत्व है। क्योंकि एक बड़ी खाई को दो छोटी छलांगों में पार नहीं किया जा सकता।  ~ अज्ञात
* अपमान का दर कानून के दर से किसी तरह कम क्रियाशील नहीं होता। - प्रेमचंद
+
* आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं।  ~ जिम लोहर
* अपमान पूर्ण जीवन से मृत्यु अच्छी है। - कहावत
+
* पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी इसलिए नहीं डरता कि डाल हिल रही है, क्योंकि पंछी डाली में नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है।
 +
* आत्मविश्वास हमारे उत्साह को जगाकर हमें जीवन में महान् उपलब्धियों के मार्ग पर ले जाता है।
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* अनुभूतियों के सरोवर में, आत्म-विश्वास के कमाल खिलते हैं।  ~ अमृतलाल नागर
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* आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कार्य को पूरा करके ही छोड़ता है।  ~ स्वेट मार्डेन
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* आत्मविश्वास वह संबल है, जो रास्ते की हर बाधा को धराशायी कर सकता है।
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* आत्मविश्वास, वीरता का सार है।  ~ एमर्सन
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* आत्मविश्वास, सफलता का मुख्य रहस्य है।  ~ एमर्शन
 +
* आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो।  ~ डेल कार्नेगी
 +
* हास्यवृति, आत्मविश्वास (आने) से आती है।  ~ रीता माई ब्राउन
 +
* मुस्कराओ, क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है, और किसी दूसरी चीज़ की अपेक्षा मुस्कान उनको ज़्यादा आश्वस्त करती है।  ~ एन्ड्री मौरोइस
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* करने का कौशल आपके करने से ही आता है।
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* यह आत्मविश्वास रखो को तुम पृथ्वी के सबसे आवश्यक मनुष्य हो।  ~ गोर्की
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* जिसमे आत्मविश्वास नहीं उसमे अन्य चीजों के प्रति विश्वास कैसे उत्पन्न हो सकता ही।  ~ विवेकानंद
 +
* आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीन जीवन को परम शांति सम्पन्न बना देते हैं।  ~ टेनीसन
 +
* जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते।  ~ महात्मा बुद्ध
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* मनुष्य अपनी क्षमताओं  की कभी क़दर  नहीं करता, वह हमेश उस चीज़ की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है। ~ हेलेन कलर की किताब 'स्टोरी आफ लाइफ़'
  
'''अपराध'''
+
==साहस, हिम्मत, पराक्रम (Courage)==
* दूसरों के प्रति किये गए छोटे अपराध अपने प्रति किये गए बड़े अपराध हैं जिनका फक हमें भुगतना ही होता है। - अज्ञात
+
* निराश हुए बिना पराजय को सह लेना, पृथ्वी पर साहस की सबसे बड़ी मिसाल है।  ~ इंगरसोल
* अपराध मनुष्य के मुख पर लिखा होता है। - महात्मा गाँधी
+
* हमारी सुरक्षा, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे ग्रह के लिए बदलाव लाने का हममें साहस और प्रतिबद्धता होनी चाहिए।  ~ बराक ओबामा (अमेरिकी राष्ट्रपति)
* अपराधी मन संदेह का अड्डा है। - शेक्सपीयर
+
* मानव के सभी गुणों में साहस पहला गुण है, क्योंकि यह सभी गुणों की ज़िम्मेदारी लेता है।  ~ चर्चिल
 +
* प्रेरणा कि हर अभिव्यक्ति में पुरुषार्थ और पराक्रम कि आवश्यकता है।  ~ जैनेन्द्र कुमार
 +
* जो हर झाड़ी की जांच करता है, वह वन में क्या घुस पाएगा।  ~ जर्मन कहावत
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* यह संकल्प कर लें कि यह जोखिम लेने योग्य है, तो आपको तत्काल कर्म करने का साहस जुटा लेना चाहिए।
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* सच्चा साहसी वह है, जो बड़ी से बड़ी विपत्ति को बुद्धिमत्तापूर्वक सह सकता है।  ~ शेक्सपीयर
 +
* हर परिस्थिति में शांत रहने वाला निश्चित ही शिखर को छुता है।
 +
* साहस का अर्थ होता है यह पता होना कि किस बात से डरना नहीं चाहिए।  ~ प्लेटो
 +
* वह सच्चा साहसी है, जो कभी निराश नहीं होता।
 +
* साहसे खलु श्री वसति। (साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं)
 +
* ज़रूरी नहीं है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो, लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है।
 +
* बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है। ~ आर. जी. इंगरसोल
 +
* बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते। हम कृपालु, दयालु, सत्यवादी, उदार या इमानदार नहीं बन सकते।
 +
* जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है।
 +
* हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है। दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है।
  
'''अभिमान'''
+
==कायरता, कायर (Coward)==
* जरा रूप को, आशा धैर्य को, मृत्यु प्राण को, क्रोध श्री को, काम लज्जा को हरता है पर अभिमान सब को हरता है। - विदुर नीति
+
* कायर तभी धमकी देता है, जब सुरक्षित होता है।  ~ गेटे
* अभिमान नरक का मूल है। - महाभारत
+
* जो दूसरों की स्वाधीनता छीनते हैं, वास्तव में कायर हैं।  ~ अब्राहम लिंकन
* कोयल दिव्या आमरस पीकर भी अभिमान नहीं करती, लेकिन मेढक कीचर का पानी पीकर भी टर्राने लगता है। - प्रसंग रत्नावली
+
* कायरता से कहीं ज़्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना।  ~ महात्मा गांधी
* कबीरा जरब न कीजिये कबुहूँ न हासिये कोए अबहूँ नाव समुद्र में का जाने का होए। - कबीर
+
* कुरीति के अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है।  ~ महात्मा गांधी
* समस्त महान गलतियों की तह में अभिमान ही होता है। - रस्किन
+
* सौभाग्य वीर से डरता है और सिर्फ भीरु को भयभीत करता है। ~ सेनेका
* किसी भी हालत में अपनी शक्ति पर अभिमान मत कर, यह बहुरुपिया आसमान हर घडी हजारों रंग बदलता है। - हाफ़िज़
+
* कायर अपने जीवन काल में ही अनेक बार मरते है, परन्तु वीर पुरुष केवल एक ही बार मरते हैं।
* जिसे होश है वह कभी घमंड नहीं करता। - शेख सादी
+
* अत्याचार और भय दोनों कायरता के दो पहलू हैं।  ~ अज्ञात
 +
* घर का मोह कायरता का दूसरा नाम है। ~ अज्ञात
 +
* मैं कायरता तो किसी हाल में सहन नहीं कर सकता, आप कायरता से मरें इसकी बजाये बहादुरी से प्रहार करते हुए और प्रहार सहते हुए मैं कहीं बेहतर समझूंगा।  ~ महात्मा गाँधी
  
'''अभिलाषा'''
+
==सृजन, रचना, निर्माण (Creation)==
* हमारी अभिलाष जीवन रूपी भाप को इन्द्रधनुष के रंग देती है। - टैगोर
+
* एक बीज बढ़ते हुए कभी कोई आवाज़ नहीं करता, मगर एक पेड़ जब गिरता है तो जबरदस्त शोर और प्रचार के साथ, विनाश में शोर है, सृजन हमेशा मौन रहकर समृद्धि पाता है।
* अभिलाषा सब दुखों का मूल है। - बुद्ध
 
* अभिलाषाओं से ऊपर उठ जाओ वे पूरी हो जायंगी, मांगोगे तो उनकी पूर्ति तुमसे और दूर जा पड़ेंगी। - रामतीर्थ
 
* कोई अभिलाष यहाँ अपूर्ण नहीं रहती। - खलील जिज्ञान
 
* अभिलाषा ही घोडा बन सकती तो प्रत्येक मनुष्य घुड़सवार हो जाता। - शेक्सपीयर
 
  
'''अवसर'''
+
==मृत्यु, अंत, ख़तम, नाश (Death)==
* अवसर तुम्हारा दरवाज़ा एक ही बार खटखटाता है। - कहावत
+
* मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं। क्योंकि ये हमारे मित्र के रूप में नहीं शत्रु के रूप में आते हैं।  ~ भगवतीचरण वर्मा
* मनुष्य के लिए जीवन में सफलता का रहष्य आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है। - डिजरायली
+
* जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। ~ तिरुवल्लुवर
* अवसर पर दुश्मन को लगाया हुआ थप्पड़ अपने मुह पर लगता है। - फारसी कहावत
+
* नशे की हालत में क्रोध की भांति, ग्लानी का वेग भी सहज ही बढ़ जाता है। ~ प्रेमचंद
 +
* नशा करनेवाले मित्र से चले कोई कितना ही प्रेम क्यों ना करता हो पर जब निर्भर करने का अवसर आता है तो वह भरोषा उसपर करता है जो नशा करता हो।  ~ शरतचंद्र
  
'''अहिंसा'''
+
==अनुशासन, आत्मसंयम (Discipline)==
* उस जीवन को नष्ट करने का हमे कोई अधिकार नहीं जिसके बनाने की शक्ति हममे न हो। - महात्मा गाँधी
+
* हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते।  ~ महात्मा गांधी
* अपने शत्रु से प्रेम करो, जो तुम्हे सताए उसके लिए प्रार्थना करो। - ईसा
 
* जब को व्यक्ति अहिंसा की कसौटी पर पूरा उतर जाता है तो अन्य व्यक्ति स्वयं ही उसके पास आकर बैर भाव भूल जाता है। - पतंजलि
 
* हिंसा के मुकाबले में लाचारी का भाव आना अहिंसा नहीं कायरता है. अहिंसा को कायरता के साथ नहीं मिलाना चाहिए। - महात्मा गाँधी
 
  
'''आंसू'''
+
==दान, चंदा (Donation)==
* स्त्री ! तुने अपने अथाह आंसुओं से संसार के ह्रदय को ऐसे घेर रखा है जैसे समुद्र पृथ्वी को घेरे हुए है। - टैगोर
+
* दान से वस्तु घटती नहीं बल्कि बढ़ती है।  
* नारी के आंसू अपने एक एक बूँद में एक एक बाढ़ लिए होते हैं। - जयशंकर प्रसाद
+
* जब घर में धन और नाव में पानी आने लगे, तो उसे दोनों हाथों से निकालें, ऐसा करने में बुद्धिमानी है, हमें धन की अधिकता सुखी नहीं बनाती।  ~ संत कबीर
* मेरी एक प्रबल कामना है की मैं कम से कम एक आँख का आंसू पोछ दूं। - महात्मा गाँधी
+
* सैकड़ों हाथो से इकट्ठा करो और हजारों हाथों से बांटो।  ~ अथर्ववेद
* सात सागरों में जल की अपेक्छा मानव के नेत्रों से कहीं अधिक आंसू बह चुके हैं। - बुद्ध
+
* सज्जनों कि रीति यह है कि कोई अगर उनसे कुछ मांगे तो वे मुख से कुछ न कहकर, काम पूरा करके ही उत्तर देते हैं।  ~ कालिदास
 +
* जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम, दोउ हाथ उलीचिये, यही सयानों काम।  ~ कबीर
 +
* तुम्हारा बायाँ हाथ जो देता है उसे दायाँ हाथ ना जानने पाए।  ~ बाइबल
 +
* दान देकर तुम्हे खुश होना चाहिए क्योंकि मुसीबत दान की दीवार कभी नहीं फांदती।  ~ हज़रत मोहम्मद
 +
* सबसे उत्तम दान यह है कि आदमी को इतना योग्य बना दो कि वह बिना दान के काम चला सके।  ~ तालमुद
 +
* दान के लिए वर्तमान ही सबसे उचित समय है।
 +
* युधिस्तर के पास एक भिखारी आया। उन्होंने उसे अगले दिन आने के लिए कह दिया। इस पर भीम हर्षित हो उठे। उन्होंने सोचा कि उनके भाई ने कल तक के लिए मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है।  ~ महाभारत     
 +
* विनम्र भाव से ऐसे दान करना चाहिए जैसे उसके लेने से आप कृतज्ञ हुए।  ~ डॉ. के. के. अग्रवाल
  
'''आचरण'''
+
==सपना, ख़याल (Dream)==
* जैसा देश तैसा भेष। - कहावत
+
* हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं।  ~ क्रिस्टोफर रीव
* माता, पिता, गुरु, स्वामी, भ्राता, पुत्र और मित्र का कभी क्षण भर के लिए विरोध या अपकार नहीं करना चाहिए। - शुक्रनीति
+
* सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता, सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना।  ~ डॉ. अब्दुल कलाम
* मनुष्य जिस समय पशु तुल्य आचरण करता है, उस समय वह पशुओं से भी नीचे गिर जाता है। - टैगोर
+
* स्वप्न द्रष्टाऔर यथार्थ के स्रष्टा बनिए।  ~ अज्ञात
* शास्त्र पढ़कर भी लोग मूर्ख होते हैं किन्तु जो उसके अनुसार आचरण करता है वोही वस्तुतः विद्वान है। - अज्ञात
+
* अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ निश्चय में परिणित कर दे जाती है। ~ स्वेट मार्डेन
* रोगियों के लिए भली भांति सोचकर निश्चित की गयी औषधि नाम उच्चारण करने मात्र से किसी को निरोगी नहीं कर सकती। - हितोपदेश
+
* सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता। सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना।  ~ डॉ. अब्दुल कलाम
  
'''आत्म विश्वास'''
+
==कर्तव्य, धर्म, फर्ज़ (Duty)==
* आत्मविश्वास सफलता का मुख्य रहष्य है। - एमर्सन
+
* सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं।  ~ प्रेमचंद
* यह आत्मविश्वास रखो को तुम पृथ्वी के सबसे आवश्यक मनुष्य हो। - गोर्की
+
* कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता। कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है।  ~ प्रेमचंद
* जिसमे आत्मविश्वास नहीं उसमे अन्य चीजों के प्रति विश्वास कैसे उत्पन्न हो सकता ही। - विवेकानंद
+
* कृतज्ञता एक कर्तव्य है,जिसे पूरा करना चाहिए।  ~ रूसो
* आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीन जीवन को परम शांति सम्पन्न बना देते हैं। - टेनीसन
+
* विदेश में विद्या ,घर में पत्नी ,रोगी के लिए औषधि और मृतक का मित्र धर्म है। ~ अज्ञात
 +
* कर्तव्य एक चुम्बक है, जिसकी ओर आकर्षित हुआ अधिकार दौड़ा आता है।  ~ अज्ञात
 +
* मेरे दायें हाथ में कर्म है और बायें हाथ में जय ! - अथर्ववेद
 +
* फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। - गीता
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* कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। - कहावत
 +
* कर्म वह आईना है जो हमारा स्वरूप हमें दिखा देता है इसलिए हमें कर्म का एहसानमंद होना चाहिए। - विनोबा
 +
* मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। - डिकेंस
 +
* मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। - नेपोलियन
 +
* हमारी आनंदपूर्ण बदकारियाँ ही हमारी उत्पीड़क चाबुक बन जाती हैं। - शेक्सपियर
 +
* अपनी करनी कभी कभी निष्फल नहीं जाती। - कबीर
 +
* सनास्त कर्म का लक्ष्य आनंद की ओर है। - टैगोर 
  
'''आत्मा'''
+
==शिक्षा (Education)==
* आत्मा को न शाश्त्र काट सकता है, न आग जला सकती है, न जल भिगो सकता है और न हवा सुखा सकती है। - भगवत गीता
+
* शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन
* क्या तुम नहीं जानते ही तुम ही ईश्वर का मंदिर हो और ईश्वर की आत्मा तुममे रहती है। - इंजील
+
* बच्चों को शिक्षित करना तो ज़रूरी है ही, उन्हें अपने आप को शिक्षित करने के लिए छोड़ देना भी उतना ही ज़रूरी है।  ~ अर्नेस्ट डिमनेट
* अगर मेरे पास दो रोटियां हो तो मैं एक के फूल खरीदूंगा ताकि रूह को गिज़ा मिल सके। - हजरत मोहम्मद
+
* संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा सब से बढ़कर है। ~ सूर्यकांत त्रिपाठी
* सबकी आत्मा एक जैसी है, सबकी आत्मा की शक्ति एक सामान है। कुछ की शक्ति प्रकट हो गयी है और दूसरों की प्रकट होनी बाकी है। - महात्मा गाँधी
+
* शिक्षा जीवन की तैयारी का शिक्षण काल है। ~ विल्मट
* आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है। - उमर खैयाम
+
* युवकों की शिक्षा पर ही राज्य आधारित है। ~ अरस्तू
* आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। - गेटे
+
* विद्या अमूल्य और अनश्वर धन है। ~ ग्लैडस्टन
* अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित स्वरुप को आत्मा प्रकाशित करता है। - टैगोर
 
  
'''आनंद'''
+
==दुश्मन, शत्रु, विरोधी (Enemy)==
* आनंद वह ख़ुशी है जिसके भोगने पर पछताना नहीं पड़ता। - सुकरात
+
* अहिंसा अच्छी चीज़ है, लेकिन शत्रुहीन होना अच्छी बात है। ~ विमल मित्र
* केवल आत्मज्ञान ही आत्मा हृदय को सच्चा आनंद प्रदान करता है। - रामतीर्थ
+
* दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है। ~ सरदार पटेल
* क्षणभर भी काम के बिना रहना ईश्वर की चोरी समझो, मैं दूसरा कोई रास्ता भीतरी या भाहरी आनंद का नहीं जनता। - महात्मा गाँधी
 
* हम स्वयं आनंद की अनुभूति लेने के बजाये दूसरों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं की हम आनंद में हैं। - कन्फ्युशियाश
 
* जो वस्तु आनंद प्रदान नहीं कर सकती वह सुन्दर हो ही नहीं सकती। - प्रेमचंद
 
* आयु में आनंद है, समग्र शरीर के मंगल में, स्वाश्थ्य में आनंद है। इसी आनंद का भाग करने पर दो वस्तुएं प्राप्त होती हैं एक ज्ञान एंड दूसरा प्रेम। - टैगोर
 
  
'''आपत्ति'''
+
==बुराई, दुष्ट (Evil)==
* ईश्वर आपत्तियों का भला करे क्योंकि इन्ही से मित्र और शत्रु की पहचान होती है। - अज्ञात
+
* पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है। ~ विवेकानन्द
* मनुष्य को आपत्ति का सामना करने सहायता देने के लिए मुस्कान से बड़ी कोई चीज़ नहीं है। - तिरुवल्लुवर
+
* एक बुराई, दूसरी बुराई को जनम देती है। ~ शेक्सपियर
* आपत्ति 'मनुष्य' बनाती है और संपत्ति 'राक्षस'। - विक्टर ह्यूगो
+
* बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी, एक दिन नौका को डूबो देती है।  ~ कालिदास
* धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी, आपति काल परखिये चारी। - तुलसीदास
+
* अति अगर अच्छाई की हो तो वह भी अतंत: बुराई में तब्दील हो जाती है।  ~ विलियम शेक्सपियर
* आपत्ति काल में हमारी अजीब अजीब लोगों से पहचान हो जाती है जो अन्यथा संभव नहीं। - शेक्सपीयर
 
* रंज से खूगर (अभ्यस्त) हुआ इन्सान तो मिट जाता है रंज।
 
  
'''आशा'''
+
==डर, भय, ख़ौफ़ (Fear)==
* आशा एक नदी है, उसमे इच्छा रूपी जल है, तृष्णा उस नदी की तरंगे हैं, आसक्ति उसके मगर हैं, तर्क वितर्क उसकी पक्षी हैं, मोह रूपी भवरों के कारन वह सुकुमार तथा गहरी है, चिंता ही उसके ऊंचे नीचे किनारे हैं जो धैर्य के वृक्षों को नष्ट करते हैं, जो शुध्चित्त उसके पास चले जाते हैं वो बड़ा आनंद पते हैं। - कहावत
+
* जिसे भविष्य का भय नहीं रहता, वही वर्तमान का आनंद उठा सकता है।  ~ अज्ञात
* आशा अमर है उसकी आराधना कभी निष्फल नहीं होती। - महात्मा गाँधी
+
* भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है।  ~ स्वामी विवेकानंद
* आशा प्रयत्नशील मनुष्य का साथ कभी नहीं छोडती। - गेटे
+
* जैसे ही भय आपकी ओर बढ़े, उस पर आक्रमण करते हुए उसे नष्ट कर दो।  ~ चाणक्य
* जितनी अधिक आशा रखोगे उतनी अधिक निराशा होगी। - कहावत
+
* जो चुनौतियों का सामना करने से डरता है, उसका असफल होना तय है।  ~ अज्ञात
* स्मृति पीछे दृष्टि डालती है और आशा आगे। - रामचंद्र टंडन
+
* भय से ही दु:ख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं।  ~ [[विवेकानंद]]
* मेरी मानो अपनी नाक से आगे ना देखा करो। तुम्हे हमेशा मालूम होता रहेगा उसके आगे भी कुछ है और यह ज्ञान तुम्हे आशा और आनंद से मस्त रखेगा। - बर्नार्ड शा
+
* तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥
 +
* भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार करना चाहिये।  ~ पंचतंत्र
 +
* जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।  ~ पंचतंत्र
 +
* ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी माँ बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी माँ के चरणों में डाल जाते हैं।  ~ बर्ट्रेंड रसेल
 +
* डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है।  ~ एमर्सन
 +
* आदमी सिर्फ़ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ।  ~ नेपोलियन
  
'''इतिहास'''
+
==दोस्ती, मित्रता, मैत्री (Friendship)==
* पुरे यत्न से इतिहास की रक्षा करनी चाहिए इतिहास और अपना प्राचीन गौरव नष्ट कर देने से विनाश निश्चित है। - महाभारत
+
* मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो।  ~ अरस्तू
* इतिहास के तजुर्बों से हम सबक नहीं लेते इसीलिए इतिहास अपने आप को दोहराता है। - विनोबा
+
* दोस्त वह है, जो आपको अपनी तरह जीने की पूरी आज़ादी दे।  ~ जिम मॅारिसन
 +
* अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई उसका मित्र नहीं होता।
 +
* सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है।
 +
* ज्ञानी दोस्त ज़िंदगी का सबसे बड़ा वरदान है।  ~ यूरीपिडीज
 +
* कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है।  ~ फ्रेंकलिन
 +
* झूठे मित्र साये की तरह होते हैं। धूप में साथ चलते हैं और अंधेरे में साथ छोड़ देते हैं।  ~ अज्ञात
 +
* सच्चे मित्र के तीन लक्षण हैं- अहित को रोकना, हित की रक्षा करना और विपत्ति में साथ नहीं छोड़ना।
 +
* सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और हर्ष दुगुना प्रतीत होता है। ~ जानसन
  
'''इंद्रियां'''
+
==मज़ाकिया, अजीब (Funny)==
* जिसने इंद्रियों को अपने वश में कर लिया है, उसे स्त्री तिनके के जान पड़ती है। - चाणक्य
+
* कामयाब व्यक्ति की आधुनिक परिभाषा: जो पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल करता है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी।
* अविवेकी और चंचल आदमी की इंद्रियां बेखबर सारथी के दुष्ट घोड़ों की तरह बेकाबू हो जाती हैं। - कठोपनिषद
+
* एक सरकारी दफ़्तर के बोर्ड पर लिखा था कृप्या शोर न करें। किसी ने उसके नीचे लिख दिया। वरना हम जाग जायेंगे।
* जब मनुष्य अपनी इंद्रियों को विषयों से खींच लेता है तभी उसकी बुद्धि स्थिर होती है। - महाभारत
+
* हर विषय को मिनी स्कर्ट की तरह होना चाहिये। इतना छोटा कि लोगों का इन्ट्रस्ट बना रहे और ज़रूरी चीज़े भी कवर हो जाये।
* सब इंद्रियों को बश में रखकर सर्वत्र समत्व का पालन करके जो दृढ अचल और अचिन्त्य, सर्वव्यापी, स्वर्णीय, अविनाशी स्वरुप की उपसना करते हैं, वे सब प्राणियों के हित में लगे हुए मुझे ही पाते हैं। - भगवन कृष्ण
+
* किशोरावस्था :ऐसी आयु जिसमें लड़के लड़कियों को ताड़ने लगते हैं और लड़कियां ताड़ने लगती हैं कि लड़के उन्हें ताड़ने लगे हैं।
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* आदर्श पत्नी :जो बरतन, कपड़े, झाड़ू, पोंछा … कहने का मतलब घर के सभी काम, करने में पति की मदद करे।
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* गाली: क्रोध के समय मुख से निकले शब्द अथवा शब्दों का समूह, जिनके उच्चारण के पश्चात् व्यक्ति के हृदय को शान्ति का अनुभव होता है।
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* मनोचिकित्सक: जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूँ ही पूछती रहती है।
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* राय – वह इकलौती वस्तु जिसका देना अधिक सुखद है उसके लेने की अपेक्षा।
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* दृढ़ता – वह गुण जो हममें हो तो सत्याग्रह, दूसरे में हो तो दुराग्रह।
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* अधिकारी: वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफ़ी देर से आता है।
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* नेता: वह शख़्स जो अपने देश के लिये आपकी जान की कुर्बानी देने को हमेशा तैयार रहता है।
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* पड़ोसी: वह महानुभाव जो आपके मामलों को आपसे ज़्यादा समझते हैं।
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* शादी: यह मालूम करने का तरीका कि आपकी बीबी को कैसा पति पसन्द आता।
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* कान्फ्रेन्स रूम: वह स्थान जहां हर व्यक्ति बोलता है, कोई नहीं सुनता है और अंत में सब असहमत होते हैं।
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* श्रेष्ठ पुस्तक: जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता कोई नहीं है।
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* कार्यालय: वह स्थान जहां आप घर के तनावों से मुक्ति पाकर विश्राम कर सकते हैं।
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* मच्छर: इंजेक्शन की ऐसी सिरिंज जो उड़ सकती है।
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* एक आशावादी सोचता है कि गिलास आधा भरा है, निराशावादी का विचार होता है कि गिलास आधा ख़ाली है, पर एक यथार्थवादी जानता है कि वह आसपास बना रहा तो अंतत: गिलास उसे ही धोना पड़ेगा।
  
'''ईश्वर'''
+
==ईश्वर, भगवान, परमात्मा, खुदा, प्रभु, अल्लाह (God)==
 +
* ईश्वर को देखा नहीं जा सकता, इसीलिए तो वह हर जगह मौजूद है।  - यासुनारी कावाबाता
 +
* यदि ईश्वर का अस्तित्व न होता, तो उसके आविष्कार की आवश्यकता पड़ती।  ~ वाल्टेयर
 
* मैं ईश्वर से डरता हूँ और ईश्वर के बाद उससे डरता हूँ जो ईश्वर से नहीं डरता। - शेख सादी
 
* मैं ईश्वर से डरता हूँ और ईश्वर के बाद उससे डरता हूँ जो ईश्वर से नहीं डरता। - शेख सादी
 
* ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है। - हज़रत मोहम्मद
 
* ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है। - हज़रत मोहम्मद
 
* ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है। - महात्मा गाँधी
 
* ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है। - महात्मा गाँधी
* यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना जरूरी है। - वाल्टेयर
+
* यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना ज़रूरी है। - वाल्टेयर
 
* ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है। - अरविन्द
 
* ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है। - अरविन्द
 
* ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता। - टैगोर
 
* ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता। - टैगोर
 +
* ईश्वर निराकार है। मगर उनके गुण-कर्म-स्वभाव अनंत है। - दयानंद सरस्वती
 +
* ईश्वर एक ही है, भक्ति उसे अलग-अलग रूप में वर्णन करती है।  - उपनिषद्
 +
* जो प्रभु कृपा में सच्चा विशवास रखता है, उसके लिएँ अनंत कृपा बहती है। - माताजी
 +
* परमात्मा हमेशा दयालु है। जो शुद्ध हृदय से उसकी मदद मांगता है उसे वह अवश्य देता है। - स्वामी विवेकानंद
 +
* परमात्मा की शक्ति अमर्याद है, सिर्फ हमारी श्रद्दा अल्प होती है। - महावीर स्वामी
  
'''ईर्ष्या'''
+
==भलाई, साधुता, भद्रता, नेकी(Goodness)==
* ईर्ष्या करने वालों का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है। - तिरुवल्लुवर
+
* भलाई में आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि करता है।  ~ जरथुष्ट्र
* ईर्ष्यालु को मृत्यु के सामान दुःख भोगना पड़ता है। - वेदव्यास
+
* भलाई करना मानवता है, भला होना दिव्यता है।  ~ ला मार्टिन
 +
* भलाई अमरत्व की ओर ले जाती है, बुराई विनाश की ओर।  ~ व्हिटमैन
 +
* नेकी कर दरिया में डाल।  ~ कहावत
 +
* मधुमक्खियाँ केवल अँधेरे में काम करती है। विचार केवल मौन में काम आते हैं, नेक कार्य भी गुप्त रहकर ही कारगर होते हैं।  ~ कार्लाइल
 +
* नेकी का इरादा बदी की ख्वाहिश को दबा देता है। ~ हज़रत अली
 +
* जितने दिन ज़िन्दा हो, उसे ग़नीमत समझो और इससे पहले की लोग तुम्हे मुर्दा कहें नेकी कर जाओ।  ~ शेख़ सादी
  
'''उत्साह'''
+
==सुख, आनंद, ख़ुशी (Happiness)==
* उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का पैमाना है। - तिरुवल्लुवर
+
* आप अपनी आंख बंद करके ध्यान लगाएं और खुद से पूछे कि कौन सा काम करते समय आपको आनंद आता है। ऐसी कौन-सी दुनिया है, जो आपको बुलाती है। तभी तुम सही फैसला कर पाओगे।
* उत्साह से बढकर कोई दूसरा बल नहीं है, उत्साही मनुष्य के लिए संसार में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है। - वाल्मीकि
+
* प्रसन्नता आत्मा को शांति देती है।  ~ सैम्युअल स्माइल्स
* विश्व इतिहास में प्रत्येक महान और महत्त्वपूर्ण आन्दोलन उत्साह द्वारा ही सफल हो पाया है। - एमर्सन
+
* आनंद ही ब्रह्म है, आनंद से ही सब प्राणी उत्पन्न होते हैं. उत्पन्न होने पर आनंद से ही जीवित रहते हैं और मृत्यु  से आनंद में समा जाते हैं।  ~ उपनिषद
 +
* प्रसन्नता स्वास्थ्य देती है, विषाद रोग देते है।
 +
* मनुष्य अपने आनंद का निर्माता स्वयं है।  ~ थोरो
 +
* प्रसन्नचित्त मनुष्य अधिक जीते हैं।  ~ शेक्सपियर
 +
* प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना।
 +
* हर्ष के साथ शोक और भय इस प्रकार लगे हैं जैसे प्रकाश के संग छाया, सच्चा सुखी वही है जिसकी दृष्टि में दोनों समान हैं।  ~ धम्मपद
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* प्रसन्नता बसन्त की तरह, हृदय की सब कलियां खिला देती है।  ~ जीनपॉल
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* जो व्यक्ति सभी को खुश रखना चाहेगा, वह किसी को खुश नहीं रख सकता।
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* सुख सर्वत्र मौजूद है, उसका स्त्रोत हमारे हृदयों में है।  ~ रस्किन
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* सुख का रहस्य त्याग में है। ~ एण्ड्रयू कारनेगी
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* सुख बाहर से मिलने की चीज़ नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं।  ~ महात्मा गांधी
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* जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं।  ~ मुंशी प्रेमचंद
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* जीवन के प्रति जिस व्यक्ति कि कम से कम शिकायतें है, वही इस जगत् में अधिक से अधिक सुखी है।
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* मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।  ~ पुरुषोत्तमदास टंडन
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* चाहे राजा हो या किसान, वह सबसे ज़्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है।  ~ गेटे
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* आनंद वह ख़ुशी है जिसके भोगने पर पछताना नहीं पड़ता।  ~ सुकरात
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* केवल आत्मज्ञान ही आत्मा हृदय को सच्चा आनंद प्रदान करता है।  ~ रामतीर्थ
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* क्षणभर भी काम के बिना रहना ईश्वर की चोरी समझो, मैं दूसरा कोई रास्ता भीतरी या भाहरी आनंद का नहीं जनता।  ~ महात्मा गाँधी
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* हम स्वयं आनंद की अनुभूति लेने के बजाये दूसरों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं की हम आनंद में हैं।  ~ कन्फ्युशियाश
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* जो वस्तु आनंद प्रदान नहीं कर सकती वह सुन्दर हो ही नहीं सकती।  ~ प्रेमचंद
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* आयु में आनंद है, समग्र शरीर के मंगल में, स्वाश्थ्य में आनंद है। इसी आनंद का भाग करने पर दो वस्तुएं प्राप्त होती हैं एक ज्ञान एंड दूसरा प्रेम।  ~ टैगोर
  
'''उदारता'''
+
==घृणा, नफ़रत, ईर्ष्या, द्वेष (Hate)==
* उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का पैमाना है। - तिरुवल्लुवर
+
* घृणा पाप से करो, पापी से नहीं।  ~ महात्मा गाँधी
* यह मेरा है यह तेरा है ऐसा संकीर्ण हृदय वाले मानते हैं, उदार चित्त वाले तो सरे संसार को एक कुटुंब समझते हैं। - हितोपदेश
+
* जो सच्चाई पर निर्भर है वह किसी से घृणा नहीं करता।  ~ नेपोलियन
* उदार व्यक्ति दे-देकर अमीर बनता है, लोभी जोड़ जोड़ कर गरीब होता है। - जर्मन कहावत
+
* घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं। ~ कहावत
* चार तरह के लोग होते हैं- (1) मख्खिचूस - जो ना आप खाएं ना दूसरों को खाने दें, (2) कंजूस - जो आप खाएं पर दूसरों को ना दें, (3) उदार - जो आप भी खाएं और दूसरों को भी दें, (4) दाता - जो आप ना खाएं पर दूसरों को दें, सब लोग दाता नहीं तो कम से कम उदार तो बन ही सकते हैं। - अफलातून
+
* घृणा हृदय का पागलपन है। ~ बायरन
 +
* घृणा घृणा से कभी कम नहीं होती, प्रेम से ही होती है।  ~ बुद्ध
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* ईर्ष्या करने वालों का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है।  ~ तिरुवल्लुवर
 +
* ईर्ष्यालु को मृत्यु के सामान दुःख भोगना पड़ता है।  ~ वेदव्यास
  
'''उधार'''
+
==स्वास्थ्य, सेहत (Health)==
* ना उधार दो, ना लो क्योंकि उधार देने से अक्सर पैसा और मित्र दोनों ही खो जाते हैं। - शेक्सपीयर
+
* शीघ्र सोने और प्रात:काल जल्दी उठने वाला मानव अरोग्यवान, भाग्यवान और ज्ञानवान होता है।  ~ जयशंकर प्रसाद
* उधार मांगना भीख माँगने जैसा है। - अज्ञात
+
* जहां तक हो सके, निरन्तर हंसते रहो, यह सस्ती दवा है। ~ अज्ञात
* उधार वह मेहमान है जो एक बार आने के बाद जाने का नाम नहीं लेता। - प्रेमचंद
+
* अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ, जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं।  ~ साइरस
 +
* प्रतिदिन एक सेव खाने से डॉक्टर की आवश्यकता नहीं होती।  ~ अंग्रेजी कहावत
 +
* स्वास्थ्य परिश्रम में है और श्रम के अलावा वहां तक पहुंचने का कोई दूसरा राजमार्ग नहीं।  ~ वेन्डेल फिलप्स
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* अच्छा मजाक आत्मा का स्वास्थ्य है, चिंता उसका विष।  ~ स्टैनली
  
'''उन्नति'''
+
==दिल, हृदय (Heart)==
* ह्रदय की विशालता ही उन्नति की नीव है। - जवाहरलाल नेहरु
+
* एक टूटा हुआ दिल, टूटे हुए शीशे के समान होता है। इसको टूटा हुआ छोड़ देना ज़्यादा बेहतर होता, क्योंकि दोनों को जोड़ने में खुद को ज़्यादा दु:ख पहुंचता है।
* यदि एक मनुष्य की उन्नति होती है तो सारे संसार की उन्नति होती है और अगर एक व्यक्ति का पतन होता है तो सारे संसार का पतन होता है। - महात्मा गाँधी
+
* चेहरा हृदय का प्रतिबिम्ब है। ~ कहावत
* वही उन्नति कर सकता है जो अपने आप को उपदेश देता है। - रामतीर्थ
+
* सुन्दर हृदय का मूल्य सोने से भी बढ़कर है। ~ शेक्सपियर
* त्रुटियों के संशोधन का नाम ही उन्नति है। - लाला लाजपत रॉय
+
* भरे दिल में सबके लिए जगह होती है पर ख़ाली दिल में किसी के लिए नहीं।
  
'''उपकार'''
+
==इतिहास, प्राचीन (History)==
* वृक्ष खुद गर्मी सहन कर शरण में आये राहगीर को गर्मी से बचाता है। - कालिदास
+
* उचित रूप से देंखे तो कुछ भी इतिहास नहीं है, सब कुछ मात्र आत्मकथा है। ~ इमर्सन
* जो दूसरों पर उपकार जताने का इच्छुक है वह द्वार खटखटाता है। जिसके ह्रदय में प्रेम है उसके लिए द्वार खुले हैं। - टैगोर
+
* इतिहास, असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।  ~ नेपोलियन बोनापार्ट
* उपकार के लिए अगर कुछ जाल भी करना पड़े तो उससे आत्मा की हत्या नहीं होती। - प्रेमचंद
+
* इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है। ~ जेम्स के. फिंक
* उपकार करके जाताना इस बात का प्रतीक है की किया गया समर्थन या कार्य उपकार नहीं है। - अज्ञात
+
* ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले।  ~ मकियावेली 'द प्रिन्स' में
 
+
* इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नहीं सीखा।
'''उपदेश'''
+
* इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जाता है।
* बिना मांगे किसी को उपदेश ना दो। - जर्मन कहावत
+
* इतिहास स्वयं को दोहराता है, इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है।  ~ सी डैरो
* जो नसीहत नहीं सुनता उसे लानत-मलामत सुनने का शौक है। - शेख सादी
+
* इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है।
* पेट भरे पर उपवास का उपदेश देना सरल है। - कहावत
+
* संक्षेप में, मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है।  ~ एच जी वेल्स
* जिसने स्वयं को समझ लिया हो वह दूसरों सो समझाने नहीं जायेगा। - धम्मपद
+
* जो इतिहास को याद नहीं रखते, उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है।  ~ जार्ज सन्तायन
* लोगों की समझ शक्ति के मुताबिक उपदेश देना चाहिए। - हदीस
+
* सभ्यता की कहानी, सार रूप में, इंजिनीयरिंग की कहानी है – वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया।  ~ एस डीकैम्प
* उपदेश देना सरल है उपाय बताना कठिन है। - टैगोर
+
* पुरे यत्न से इतिहास की रक्षा करनी चाहिए इतिहास और अपना प्राचीन गौरव नष्ट कर देने से विनाश निश्चित है। - महाभारत
 
+
* इतिहास के तजुर्बों से हम सबक नहीं लेते इसीलिए इतिहास अपने आप को दोहराता है। - विनोबा
'''उपहार'''
 
* जिन उपहारों की बड़ी आस लगी रहती है वो भेंट नहीं किये जाते, अदा किये जाते हैं। - फ्रेंकलिन
 
* शत्रु को क्षमा, विरोधी को सहनशीलता, मित्र को अपना ह्रदय, बालक को उत्तम दृष्टान्त, पिता को आदर, माता को ऐसा आचरण जिससे वह तुम पर गर्व कर सके, अपने को प्रतिष्ठा और सबको उपहार। - बालफोर
 
 
 
'''उपेक्षा'''
 
* प्रेम सब कुछ सह लेता है लेकिन उपेक्षा नहीं सह सकता। - अज्ञात
 
* रोग, सर्प, आग और शत्रु को तुच्छ समझा कर कभी उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। - सुभाषित
 
 
 
'''एकता'''
 
* एकता चापलूसी से कायम नहीं की जा सकती। - महात्मा गाँधी
 
* यदि चिड़ियाँ एकता कर लें तो शेर की खल खींच सकती हैं। - शेख सादी
 
 
 
'''एकाग्रता'''
 
* जब तक आशा लगी है तब तक एकाग्रता नहीं हो सकती। - रामतीर्थ
 
* झूठ, कपट, चोरी, व्यभिचार आदि दुराचारों की वृत्तियों के नष्ट हुए बिना एकाग्र होना कठिन है और चाट एकाग्र हुए बिना ध्यान और समाधी नहीं हो सकती। - मनु
 
* मन की एकाग्रता मनुष्य की विजय शक्ति है, यह मनुष्य जीवन की समस्त शक्तियों को समेटकर मानसिक क्रांति उत्पन्न करती है। - अज्ञात
 
 
 
'''एकांत'''
 
* जो एकांत में खुश रहता है वो या तो पशु है या देवता। - अज्ञात
 
* एकांत मूर्ख के लिए कैदखाना है और ज्ञानी के लिए स्वर्ग। - अज्ञात
 
* मुझे एकांत से बढकर योग्य साथी कभी नहीं मिला। - थोरो
 
* एकांतवास शोक-ज्वाला के लिए समीर के सामान हैं। - प्रेमचंद
 
 
 
'''ऐश्वर्य'''
 
* कदम पीछे ना हटाने वाला ही ऐश्वर्य को जीतता है। - ऋग्वेद
 
* स्वयं को हीन मानने वाले को उत्तम प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त नहीं होते। - महाभारत
 
* धन ना भी हो तो आरोग्य, विद्वता सज्जन-मैत्री तथा स्वाधीनता मनुष्य के महान ऐश्वर्य हैं। - अज्ञात
 
* ऐश्वर्य उपाधि में नहीं बल्कि इस चेतना में है की हम उसके योग्य हैं। - अरस्तु
 
  
'''कर्त्तव्य'''
+
==घर, कुटुंब, निवास (Home)==
* मेरे दायें हाथ में कर्म है और बायें हाथ में जय ! - अथर्ववेद
+
* घर के समान कोई स्कूल नहीं, न ईमानदारी व सदाचारी माता-पिता के समान कोई अध्यापक है।
* फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। - गीता
+
* जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए। ~ तिरुवल्लुवर
* कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। - कहावत
 
* कर्म वह आईना है जो हमारा स्वरुप हमें दिखा देता है इसलिए हमें कर्म का एहसानमंद होना चाहिए। - विनोबा
 
* मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। - डिकेंस
 
* मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। - नेपोलियन
 
* हमारी आनंदपूर्ण बदकारियाँ ही हमारी उत्पीड़क चाबुक बन जाती हैं। - शेक्सपियर
 
* अपनी करनी कभी कभी निष्फल नहीं जाती। - कबीर
 
* सनास्त कर्म का लक्ष्य आनंद की ओर है। - टैगोर  
 
  
'''कल्पना'''
+
==ईमानदारी, सच्चाई (Honesty)==
* मन जिस रूप की कल्पना करता है वैसा हो जाता है, आज जैसा वह है वैसे उसने कल कल्पना की थी। - योगवशिष्ठ
+
* मनुष्य की प्रतिष्ठा ईमानदारी पर ही निर्भर है। ~ अज्ञात
* कल्पना विश्व पर शासन करती है। - नेपोलियन
+
* ईमानदार मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति है।  ~ अज्ञात
* पागल, प्रेमी और कवि की कल्पनाएँ एक सी होती हैं। - शेक्सपियर
 
  
'''कंजूसी'''
+
==मनुष्य, मानव (Human)==
* कंजूसी मैं तुझे जनता हूँ! तू विनाश करने वाली और व्यथा देने वाली है। - अथर्ववेद
+
* किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के हृदय और आत्मा में बसती है।  ~ महात्मा गांधी
* संसार में सबसे दयनीय कौन है? जो धवन होकर भी कंजूस है। - विद्यापति
+
* अकृतज्ञता मनुष्यत्व का विष है।  ~ सर पी. सिडनी
* हमारे कफ़न में जेब नहीं लगायी जाती। - इतालियन कहावत
+
* मानव द्वारा अपनाया जाने वाला विवेक व माधुर्य समाज को प्रसन्नता प्रदान करता है।  ~ अज्ञात
 +
* जिन पापों को मनुष्य करना पसंद करते हैं, उन्हें सुनना पसंद नहीं करते।
 +
* मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना है।  ~ अग्नि पुराण
 +
* वह मनुष्य बड़ा भाग्यवान है जिसकी कीर्ति उसकी सत्यता से अधिक प्रकाशमान नहीं है। ~ रविन्द्र
 +
* बड़े भाग्य मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सद्ग्रंथन गावा॥ साधन धाम मोक्ष कर द्वारा। पाय न जेहि परलोक संवारा॥  ~ रामचरितमानस
 +
* अपनी औकात कभी मत भूलो।  ~ अरस्तु
 +
* उदारता मनुष्य का श्रेष्ठ गुन है।  ~ चार्वाक
 +
* आठ चक्रों और नौ द्वारों से युक्त हमारी यह देहपुरी एक अपराजेय देवनगरी है। इसमे एक हिरण्यमय कोष है, जो ज्योति और आनंद से परिपूर्ण है। ~ अथर्ववेद
 +
* आप कुछ भी कर पाने में सक्षम हैं चाहे वह आपकी सोच हो, आपका जीवन हो या आपके सपने हों, सब सच हो सकते हैं। आप जो चाहें वह कर सकते हैं। आप इस अनंत ब्रह्माण्ड की तरह ही अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण हैं।  ~ शेड हेल्म्स्तेटर
  
'''कला'''
+
==अन्याय, बेइंसाफी (Injustice)==
* जो कला आत्मा को आत्मदर्शन करने की शिक्षा नहीं देती वह कला नहीं है। - महात्मा गाँधी
+
* अन्याय का राज्य बालू की भीत है। ~ जयशंकर प्रसाद
* कला ईश्वर की परपौत्री है। - दांते
+
* अधर्म पर स्थापित राज्य कभी नहीं टिकता।  ~ सेनेका
* प्रकृति ईश्वर का प्रकट रूप है, कला मानुषय का। - लांगफैलो
+
* अन्याय सहने से अन्याय करना अच्छा है कोई भी इस सिधांत को स्वीकार नहीं करेगा।  ~ अरस्तु
* कला का अंतिम और सर्वोच्च ध्येय सौंदर्य है। - गेटे
+
* अन्याय सहने वाला भी उतना ही अपराधी होता है जितना करने वाला क्योंकि अगर अन्याय न सहा जाये तो कोई भी अन्याय करने का साहस नहीं करेगा।  ~ टैगोर
* मानव की बहुमुखी भावनाओं का प्रबल प्रवाह जब रोके नहीं रुकता, तभी वह कला के रूप में फूट पड़ता है। - रस्किन
+
* अन्याय को मिटाओ लेकिन अपने आप को मिटाकर नहीं।  ~ प्रेमचंद
* कलाकार प्रकृति का प्रेमी होता है अर्ताथ वह उसका दास भी है और स्वामी भी। - अज्ञात
 
  
'''कवि - कविता'''
+
==प्रेरणादायक (Inspirational)==
* कवि लिखने के लिए तब तक तैयार नहीं होता जब तक उसकी स्याही प्रेम की आहों से सराबोर नहीं हो जाती। - शेक्सपियर
+
* प्यार कभी निष्फल नहीं होता, चरित्र कभी नहीं हारता, धैर्य और दृढ़ता से सपने अवश्य सच हो जाते हैं।  ~ पीट मेराविच
* इतिहास की अपेक्षा कविता सत्य के अधिक निकट होती है। - प्लेटो
+
* मानव जीवन की दिशा बदलने में, एक छोटी सी बात भी अद्भुत प्रभाव रखती है।  ~ स्वेट मार्डेन
* कवि वह सपेरा है जिसकी पिटारी में सापों के स्थान पर ह्रदय बंद होते हैं। - प्रेमचंद
+
* किनारे पर खड़ा जहाज़ सबसे सुरक्षित होता है। लेकिन क्या जहाज़ इसलिए बनाए जाते हैं। जीवन में चुनौतियां लेने की ताकत ही आपकी क्षमताओं को तय करती है।
 +
* आप कुछ भी कर पाने में सक्षम हैं चाहे वह आपकी सोच हो, आपका जीवन हो या आपके सपने हों, सब सच हो सकते हैं। आप जो चाहें वह कर सकते हैं। आप इस अनंत ब्रह्मांड की तरह ही अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण हैं।  ~ शेड हेल्मस्टेटर
 +
* अगर हम अपनी क्षमता के अनुसार कर्म करें तो हम अपने-आप को ही अचंभित कर डालेंगे।  ~ थॉमस एडीसन
 +
* संकल्प ही मनुष्य का बल है।
 +
* संपूर्ण लेखन जैसी कोई चीज़ नहीं होती। ठीक वैसे ही जैसे संपूर्ण निराशा नहीं होती।  – हारुकि मुराकामी
 +
* अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नहीं होता।
 +
* वह सच्चा साहसी है जो कभी भी निराश नहीं होता।
 +
* मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते।
 +
* वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है।
 +
* जिसने निश्चय कर लिया, उसके लिए केवल करना शेष रह जाता है।  ~ इटालियन कहावत
 +
* प्रचंड वायु मे भी पहाड़ विचलित नहीं होते।
 +
* हर परिस्थिति एक सौगात है और हर अनुभव ख़ज़ाना।
 +
* मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है।
 +
* विवेक बहादुरी का उत्तम अंश है।
 +
* कोई भी पूर्ण नहीं होता और कोई भी हर समय नहीं जीतता।
 +
* बिना उत्साह के कभी किसी उच्च लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती।  ~ इमर्सन
 +
* सतह की ‘चमक’ कभी उतनी महत्त्वपूर्ण नहीं होती है, जितनी कि इसके नीचे कि ‘नीवं’ होती है।  
 +
* ऊँची जगहों पर जाने का एकमात्र मार्ग घुमावदार सीढियां हैं।
 +
* अगर आप इस बात की परवाह नहीं करें कि श्रेय किसे मिलेगा, तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं।
 +
* ऐसे असंख्य लोग हैं, जो बार-बार असफल हुए, तब कहीं जाकर वे ‘अचानक सामने’ आए।
 +
* अग्नि से सोना परखा जाता है और विपत्ति से वीर पुरुष।  ~ सेनेका
 +
* गुण स्वयं ही सामने आ जाते हैं, क्योंकि कस्तूरी को अपनी उपस्थिति प्रमाणित नहीं करनी पड़ती।  ~ शेस्टन
 +
* संभव की सीमाओं को जानने का एक ही तरीका है। उनसे थोड़ा आगे असंभव के दायरे में निकल जाइए।  ~ आर्थर सी क्लार्क
 +
* खुश रहिए। रचनात्मक बनिए। इंसान अपने अस्तित्व का अर्थ जानकर ही विश्वास से भर उठता है और यही विचार उसकी मज़बूती बढ़ाता है।  ~ स्टीफन ज्विग
 +
* अगर हम गिरते हैं, तो अधिक अच्छी तरह चलने का रहस्य सीख जाते हैं।  ~ महर्षि अरविन्द घोष
 +
* जो यह सोचते हैं कि वे किसी प्रकार की सेवा करने योग्य नहीं है, वे शायद पशुओं और वृक्षों को भूल जाते हैं।
 +
* लगन को कांटों कि परवाह नहीं होती।  ~ प्रेमचंद
  
'''कष्ट'''
+
==अपमान, तिरस्कार (Insult)==
* आज के कष्ट का सामना करने वाले के पास आगामी कल के कष्ट आने से घबराते हैं। - अज्ञात
+
* तलवार का घाव भर जाता है, पर अपमान का नहीं।  ~ एक कहावत
* ईश्वर जिसे प्यार करते हैं उन्हें रगड़कर साफ करतें हैं। - इंजील
+
* धुल स्वयं अपमान सह लेती है और बदले में फूलों कर उपहार देती है।  ~ टैगोर
* हमारे कष्ट पापों का प्रायश्चित हैं। - हज़रत मोहम्मद
+
* अपमान का दर क़ानून के दर से किसी तरह कम क्रियाशील नहीं होता।  ~ प्रेमचंद
 +
* अपमान पूर्ण जीवन से मृत्यु अच्छी है।  ~ कहावत
 +
* अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं।  ~ वक्रमुख
 +
* धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।  ~ माघकाव्य
  
'''काम'''
+
==बुद्धिमान, मनीषी, जीनियस(Intelligent)==
* काम से शोक उत्पन्न होता है। - धम्मपद
+
* ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार से समझे और परिस्थितियों के अनुसार आचरण करे।  ~ अज्ञात
* काम क्रोध और लोभ ये तीनो नरक के द्वार हैं। - गीता
+
* अगर तुम पढ़ना जानते हो, तो हर व्यक्ति स्वयं में एक पुस्तक है।  ~ चैनिंग
* सहकामी दीपक दसा, सोखे तेल निवास, कबीरा हीरा संतजन, सहजे सदा प्रकास। - कबीर
+
* बुद्धि की शक्ति उसके उपयोग में है, विश्राम में नहीं।  ~ अज्ञात
 +
* यदि आप अपने बच्चे को जीनियस बनाना चाहते हैं तो उसे परियों की कहानियां सुनाइए, और अगर और अधिक जीनियस बनाना चाहें तो उसे और अधिक परियों की कहानियां सुनाइए।  ~ अल्बर्ट आइन्स्टाइन
  
'''कार्य'''
+
==यात्रा, सैर (Journey)==
* दौड़ना काफी नहीं है समय पर चल पड़ना चाहिए। - फ़्रांसिसी कहावत
+
* न जल्दी करो, न परेशान हो| क्योंकि आप यहां एक छोटी-सी यात्रा पर हैं इसलिए आराम से रुकिए और फूलों की खुशबु का आनंद उठाइए।  ~ वाल्टर हेगन
* जिसने निश्चय कर लिया उसके लिए बस करना बाकि रह जाता है। - इटैलियन कहावत
+
* सही मार्ग पर चलना ‘यात्रा’ है और बिना लक्ष्य के ग़लत राह पर चलना ‘भटकना’ है।
* वाही काम करना ठीक है जिसके लिए बाद में पछताना ना पड़े, और जिसके फल को प्रसन्ना मन से भोग सके। - बुद्ध
 
* यदि कोई काम नहीं करता तो उसे खाना भी नहीं चाहिए। - बाइबल
 
* किसी भी काम को ख़ूबसूरती से करने के लिए उसे मन से करना चाहिए। - नेपोलियन
 
* बिना काम के सिधांत दिमागी एय्याशी है, बिना सिधांत के कार्य अंधे की टटोल हैं। - जवाहरलाल नेहरु
 
  
'''कायरता'''
+
==न्याय, इंसाफ (Justice)==
* अत्याचार और भय दोनों कायरता के दो पहलू हैं। - अज्ञात
+
* बहुमत की आवाज़ न्याय का द्योतक नहीं है।
* घर का मोह कायरता का दूसरा नाम है। - अज्ञात
+
* अन्याय मे सहयोग देना, अन्याय के ही समान है।
* मैं कायरता तो किसी हाल में सहन नहीं कर सकता, आप कायरता से मरें इसकी बजाये बहादुरी से प्रहार करते हुए और प्रहार सहते हुए मैं कहीं बेहतर समझूंगा। - महात्मा गाँधी
+
* अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नहीं होता।
 +
* अहिंसा सर्वोत्तम धर्म है।
 +
* इंसाफ, सच और ख़ूबसूरती जैसे शब्द एक – दूसरे के दोस्त हैं| जहां ये तीनों लफ्ज़ हों, वहाँ किसी और की ज़रूरत ही नहीं है।  ~ साइमन वेल
 +
* अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है।  ~ प्रेमचन्द
 +
* न्याय का मोती दया के हृदय में मिलता है।  ~ जर्मन कहावत
 +
* मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदास बनने से पूर्व त्यागी बने।  ~ डिकेंस
 +
* जब से मुझे पता चला है की मखमल के गद्दे पर सोनेवालों के सपने ज़मीन पर सोनेवालों के सपने से मधुर नहीं होते, तब से मुझे न्यायप्रभु के न्याय में श्रद्धा हो गयी है।  ~ खलील जिब्रान
 +
* न्याय की बात कहने के लिए हर समय ठीक है। ~ सोफोक्लिज़
 +
* न्याय में देर करना न्याय को अस्वीकार करना है, ईश्वर की चक्की धीरे चलती है पर बारीक पीसती है।  ~ कहावत
  
'''कुरूपता'''
+
==ज्ञान, विद्या, बोध (Knowledge)==
* मेरे दोस्त किसी चीज़ को कुरूप ना कहो सिवाय उस भय के जिसकी मारी कोई आत्मा स्वयं अपनी स्मृतियों से डरने लगे। - खलील जिब्रान
+
* अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बड़ा क़दम है।
* कुरूपता मनुष्य की सौंदर्य विद्या है। - चाणक्य
+
* विद्या नम्रता से, प्रश्न पर प्रश्न, खोज पर खोज करने ओर दूसरों की सेवा करते रहने से आती है।
 +
* जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता। दुःख के बिना सुख नहीं होता।  ~ महात्मा गांधी
 +
* बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता।
 +
* बिना अनुभव के कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है।
 +
* अल्प ज्ञान खतरनाक होता है।
 +
* उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन।
 +
* जो दूसरों को जानता है, वह विद्वान् है। जो स्वयं को जानता है वह ज्ञानी।  - लाओत्से
 +
* सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है।  ~ मनुस्मृति
 +
* प्रतिभावान का गुण यह है कि वह मान्यताओं को हिला देता है।  ~ गेटे
 +
* विद्या का वैभव, धन से कहीं अधिक मूल्यवान और विशिष्ट है।  ~ भर्तृहरि
 +
* बुद्धिमान वह नहीं, जो बहुत-सी बातें जानता है, अपितु वह है, जो काम की बातें जानता है।  ~ अज्ञात
 +
* बुद्धिमान व्यक्ति ही अधिक बलशाली होता है।  ~ हितोपदेश
 +
* इस विश्व में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण
 +
* ज्ञान तीन तरह से प्राप्त किया जा सकता है- पहला मनन से जो सर्वश्रेष्ठ है। दूसरा अनुसरण से जो सबसे आसान है। तीसरा अनुभव से जो कि कड़वा है।
  
'''क्रोध'''
+
==भाषा, स्वभाषा, बोली (Language)==
* क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाती है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है और भ्द्धि नष्ट होने पर प्राणी स्वयं नष्ट हो जाता है। - कृष्ण
+
* हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोत है। ~ सुमित्रानंदन पंत
* क्रोध यमराज है। - चाणक्य
+
* राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है। ~ महात्मा गांधी
* क्रोध एक प्रकार का क्षणिक पागलपन है। - महात्मा गाँधी
+
* भाषा एक नगर है, जिसके निर्माण के लिए प्रत्ये़क व्यक्ति एक-एक पत्थर लाया है। ~ एमर्सन
* क्रोध में की गयी बातें अक्सर अंत में उलटी निकलती हैं। - मीनेंदर
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* निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल । बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥  ~ [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]]
* जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध नहीं करता और क्षमा करता है वह अपनी और क्रोध करनेवाले की महासंकट से रक्षा करता है। - वेदव्यास
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* जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता, वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नहीं जानता।  ~ गोथे
* सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिंता से पल भर में थक जाता है। - जेम्स एलन
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* भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।  ~ बेन्जामिन होर्फ
* क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक गिनो, अगर ज्यादा क्रोध में तो सौ तक। - जेफरसन
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* मेरी भाषा की सीमा, मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।  ~ लुडविग विटगेंस्टाइन
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* आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है, उसकी मुद्रा को खोटा कर देना। (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना। (लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है। ~ जार्ज ओर्वेल
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* शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है। ~ लिली टॉमलिन
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* श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।  ~ शिशुपाल वध
  
'''ख्याति'''
+
==आलस्य, आलस (Laziness)==
* ख्याति की अभिलाषा वह पोषक है जिसे ज्ञानी भी सवसे अंत में उतारते हैं। - कहावत
+
* आलस्य जीवित मनुष्य की क़ब्र है।  ~ कूपर
* ख्याति वह प्यास है जो कभी नहीं बुझती अगस्त्य ऋषि की तरह वह सागर को पीकर भी शांत नहीं होती। - प्रेमचंद
+
* आलस्य दरिद्रता की कुंजी ओर सारे अवगुणों की जड़ है।  ~ कार्लाइल
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* जो बार बार की ठोकरों से नहीं चेतता, वह अनिष्ट को आमंत्रण देता है।
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* आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है।  ~ सुकरात
  
'''गरीबी'''
+
==नेतृत्व, अगुआई, संचालन (Leadership)==
* गरीबी लज्जा नहीं है, लेकिन गरीबी से लज्जित होना लज्जा की बात है। - कहावत
+
* अगर अंधा अंधे का नेतृत्व करे तो दोनों खाई में गिरेंगे।
गरीबी मेरा अभिमान है। - हज़रत मोहम्मद
+
* नेतृत्व का महत्त्वपूर्ण नियम है – सीखने के आनंद की फिर से खोज करना ताकि हम अपनी क्षमताओं और उत्पादकता को बढ़ा सकें।
* जो गरीबों पर दया करता है वह अपने कार्य से ईश्वर को ऋणी बनाता है। - बाइबल
+
* वास्तविक नेता सर्वसम्मति की तलाश नहीं करता, उसे निमिर्त करता है। ~ मार्टिन लूथर किंग
* गरीबी दैवीय अभिशाप नहीं मानवीय सृष्टि है। - महात्मा गाँधी
+
* तर्क और निर्णय नेता के गुण हैं।  ~ टेसीटस
* उस मनुष्य के गरीब कोई नहीं जिसके पास केवल धन है। - कहावत
+
* निर्णय करने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है- अनुभव, ज्ञान और व्यक्त करने की क्षमता।
  
'''गलती'''
+
==सीखना, जानना, प्राप्त करना (Learn)==
* गलती करना मनुष्य का स्वाभाव है, की हुई गलती को मान लेना और इस प्रकार आचरण करना कि फिर गलती न हो, मर्दानगी है। - महात्मा गाँधी
+
* व्यथा और वेदना कि पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों तथा विश्वविधालयों में नहीं मिलते।
* जो मान गया कि उससे गलती हुई और उसे ठीक नहीं करता, वह एक और गलती कर रहा है। - कन्फुस्यियस
+
* विष से भी अमृत तथा बालक से भी सुभाषित ग्रहण करें।  ~ मनु
* बहुत सी तथा बड़ी गलती किये बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान नहीं बनता। - ग्लेड स्टोन
+
* यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है। ~ महात्मा गांधी
* अगर तुम गलतियों को रोकने के लिए दरवाजे बंद कर दोगे तो सत्य भी बाहर आ जायेगा। - टैगोर
+
* नई चीज़ सिखने कि जिसने आशा छोड़ दे, वह बुढा है। ~ विनोबा भावे
* किसी पूर्वतन ख्याति का उत्तराधिकार प्राप्त करना एक संकट मोल लेना है। - टैगोर
+
* मनुष्य सफलता से कुछ नहीं सीखता, विफलता से बहुत कुछ सीखता है। ~ अरबी लोकोक्ति
 
 
'''गुण'''
 
* गुणों से ही मनुष्य महान होता है, ऊँचे आसन पर बैठने से नहीं, महल के ऊँचे शिखर पर बैठने मात्र से कौवा गरुड़ नहीं हो सकता। - चाणक्य
 
* सद्गुनशील, मुंसिफ मिजाज़ और अक्लमंद आदमी तब तक नहीं बोलता जब तक ख़ामोशी नहीं हो जाती। - शेख सादी
 
* कस्तूरी को अपनी मौजूदगी कसम खाकर सिद्ध नहीं करनी पड़ती; गुण स्वयं ही सामने आ जाते हैं। - अज्ञात
 
* रूप कि पहुँच आँखों तक है, गुण आत्मा को जीतते हैं। - पोप
 
* बड़े बड़ाई न करें, बड़े न बोलें बोल, रहिमन हीरा कब कहैं, लाख टका मेरो मोल। - रहीम
 
 
 
'''गुरु'''
 
* शिष्य के ज्ञान पर सही करना यही गुरु का काम है, बाकी के लिए शिष्य स्वावलंबी है। - विनोबा
 
* सच्चा गुरु अनुभव है। - स्वामी विवेकानंद
 
* कबीरा ते नर अंध हैं, गुरु को मानत और हरी रुठै गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर। - कबीर
 
 
 
'''घृणा'''
 
* घृणा पाप से करो पापी से नहीं। - महात्मा गाँधी
 
* जो सच्चाई पर निर्भर है वह किसी से घृणा नहीं करता। - नेपोलियन
 
* घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं। - कहावत
 
* घृणा ह्रदय का पागलपन है। - बायरन
 
* घृणा घृणा से कभी कम नहीं होती, प्रेम से ही होती है। - बुद्ध
 
 
 
'''क्षमा'''
 
* क्षमा ब्रम्ह है, क्षमा सत्य है, क्षमा भूत है, क्षमा भविष्य है, क्षमा तप है, क्षमा पवित्रता है, कहमा में ही संपूर्ण जगत को धारण कर रखा है। - वेदव्यास
 
* वृक्ष अपने काटने वाले को भी छाया देता है। - चैतन्य
 
* क्षमा कर देना दुश्मन पर विजय पा लेना है। - हज़रत अली
 
* दुसरे का अपराध सहनकर अपराधी पर उपकार करना, यह क्षमा का गुण पृथ्वी से सीखना और पृथ्वी पर सदा परोपकार रत रहने वाले पर्वत और वृक्षों से परोपकार की दक्षता लेना। - कृष्ण
 
* मागने से पूर्व अपने आप गले पड़कर क्षमा करने का मतलब है मनुष्य का अपमान करना। - शरतचंद्र
 
 
 
'''चतुराई'''
 
* चतुराई दरबारियों के लिए गुण है, साधुओं के लिए दोष। - शेख सादी
 
* सब से बड़ी चतुराई ये है कि कोई चतुराई न की जाये। - फ़्रांसिसी कहावत
 
 
 
'''चरित्र'''
 
* चरित्र वृक्ष है और प्रतिष्ठा उसकी छाया। - अब्राहम लिंकन
 
* चरित्र के बिना ज्ञान बुराई की ताकत बन जाता है, जैसे कि दुनिया के कितने ही 'चालाक चोरों' और 'भले मानुष बदमाशों' के उदाहरण से स्पष्ट है। - महात्मा गाँधी
 
* दुर्बल चरित्र का व्यक्ति उस सरकंडे जैसा है जो हवा के हर झौंके पर झुक जाता है। - माघ
 
* चरित्र मनुष्य के अन्दर रहता है, यश उसके बाहर। - अज्ञात
 
* स्वास की क्रिया के सामन हमारे चरित्र में एक ऐसी सहज क्षमता होनी चाहिए जिसके बल पर जो कुछ प्राप्य है वह अनायास ग्रहण कर लें और जो त्याज्य है वह बिना क्षोभ के त्याग सकें। - टैगोर
 
* समाज के प्रचलित विधि विधानों के उल्लंघन केवल चरित्र-बल पर ही सहन किया जा सकता है। - शरतचंद्र
 
* कठिनाइयों को जीतने, वासनाओ का दमन करने और दुखों को सहन करने से चरित्र उच्च सुदृढ़ और निर्मल होता है। - अज्ञात
 
  
'''चापलूसी'''
+
==झूठ, असत्य, चालबाज़ी (Lie)==
* चापलूस आपको हनी पहुंचा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहता है। - हरिऔध
+
* जो बात सिद्धांतः ग़लत है, वह व्यवहार में भी उचित नहीं है।  ~ डॉ. राजेंद्र प्रसाद
* चापलूसी तीन घृणित दुर्गुणों से बही है, असत्य , दासत्व और विश्वासघात। - अज्ञात
+
* थोडा सा झूठ भी मनुष्य का नाश कर सकता है। ~ महात्मा गाँधी
* चापलूस आपकी चापलूसी इसीलिए करता है क्योंकि वह खुद को अयोग्य समझता है, लेकिन आप उसके मुंह से अपनी प्रशंसा सुनकर फूले नहीं समाते। - टालस्टाय
+
* झूठ कि सजा यह नहीं कि उसका विश्वास नहीं किया जाता बलिक वह किसी का विश्वास नहीं कर सकता।  ~ शेक्सपियर
* रहिमन जो रहिबो चहै कहै वाही के दांव, जो वासर को निसी कहै तो कचपची दिखाव। - रहीम
+
* दो अर्थोंवाले शब्द बोलकर, किसी विशेष शब्द पर ज़ोर देकर, या आँख के इशारे से भी झूठ बोला जाता है, इस प्रकार का झूठ स्पष्ट शब्दों में बोले गए झूठ से कही बुरा है।  ~ रस्किन
 +
* एक झूठ को छिपाने के लिए अनेक (दस) झूठ बोलने पड़ते हैं।  ~ कहावत
 +
* यदि झूठ बोलने से किसी कि जान बचाती है तो बह झूठ पाप नहीं पुण्य है।  ~ प्रेमचंद
  
'''चिंता'''
+
==जीवन, प्राण (Life)==
* चिंता चिता सामान है। - अज्ञात
+
* आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान् नहीं बन सकता है। ~ स्वामी विवेकानंद
* निश्चंत मन, भरी थैली से अच्छा है। - अरबी कहावत  
+
* हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं।  ~ जैक्सन ब्राऊन
* अगर इंसान सुख दुःख कि चिंताओं से ऊपर उठ जाये तो आसमान कि उंचाई भी उसके पैरों टेल आ जाये। - शेख सादी
+
* आत्मज्ञान, आत्मसम्मान, आत्मसंयम यह तीनों ही जीवन को परम सम्पन्न बनाते हैं।  ~ टेनीसन
* कुटुंब कि चिंता से परेशां व्यक्ति कि कुलीनता, शील और गुण कच्चे घड़े में रखे पानी की तरह है। - संस्कृत सूक्ति
+
* साझा की गई खुशी दुगनी होती है, साझा किया गया दु:ख आधा होता है। ~ स्वीडन की कहावत
* चिंता वहां तक तो वांछनीय है जहाँ तक वह रचनात्मक ध्येय की पूर्ति के लिए विविध उपायों का मनन करने तक सीमित हो, परन्तु जब चिंता इतनी बढ़ जाये कि वह शरीर को खाने लगे तो वह अवांछनीय हो जाती है क्योंकि फिर तो वह अपने ध्येय को ही हरा बैठती है। - महात्मा गाँधी
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* ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है! पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो! दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो!
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* ज़िंदगी की जड़ें जब स्पष्ट जीवनमूल्यों, उद्देश्य और समर्पण में होती हैं, वह दृढ और अडिग होती है।
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* जब से मैंने जाना कि जीवन क्षणभंगुर है, में करुणा में डूब गया।  ~ जेरेक्स
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* मरते तो सभी हैं लेकिन महत्त्वपूर्ण यह हैं कि आपने अपनी ज़िंदगी किस प्रकार गुजारी हैं।
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* जीवन में आनन्द को कर्तव्य बनाने की अपेक्षा कर्तव्य को आनन्द बनाना अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
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* जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि, झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है।
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* जीवन का सबसे बड़ा उपयोग इसे किसी ऐसी चीज़ में लगाने में है, जो इसके बाद भी रहे।  ~ विलियम जेम्स
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* जीवन एक आग है, जो खुद को भी झुलसा देती है, लेकिन जब एक शिशु जन्म लेता है, ये आग फिर भड़क उठती है।  ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
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* किसी चीज़ की कीमत यह है कि आप उसके बदले में अपनी कितनी ज़िंदगी लगा देते हैं।  ~ हेनरी डेविड थोर
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* ज़िंदगी लोगों से प्रेम करने,उनकी सेवा करने,उन्हें सशक्त बनाने और उन्हें प्रोत्साहित करने का नाम है।
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* सार्थक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं, परन्तु उसमें कोई पश्चाताप नहीं होना चाहिए।
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* जीवन छोटा है, पर सुंदर है।  ~ सोफोक्लेस
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* ज़िंदगी एक उबाऊ कहानी की तरह है, जिसे दो बार सुना गया हो, लेकिन एक उंघते हुए इंसान के कानों की सफाई कर देने के लिए ये बेहतरीन साधन है। ~ विलियम शेक्सपीयर
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* जीवन विकास का सिद्धान्त है, स्थिर रहने का नहीं।  ~ जवाहरलाल नेहरू
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* ज़िंदगी में खुश रहना है तो हँसने का बहाना तलाशें।
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* ज़िंदगी का हर पल कुछ न कुछ सिखाता है।
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* जीवन एक नाटक है, यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते हैं।
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* जीने के लिए तो एक पल ही काफ़ी है, बशर्ते आपने उसे किस तरह जिया।
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* जिस जीवन कि समीक्षा व परख न की गई हो, वह जीने योग्य ही नहीं है।
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* जीवन का एक क्षण करोड़ स्वर्ण मुद्राएं देने पर भी नहीं मिलता।  ~ चाणक्य
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* मूर्ति के सामन मनुष्य का जीवन सभी ओर से सुन्दर होना चाहिए।  ~ सुकरात
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* यदि तुम्हारे पास दो पैसे हों तो एक से रोटी और दुसरे से फूल, रोटी तुम्हे जीवन देगी और फूल तुम्हे जीवल जीने कि कला सिखाएगा।  ~ चीनी कहावत
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* जियो और जीने दो।  ~ स्काच कहावत
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* जो अच्छी तरह जीता है वह दो बार जीता है।  ~ लैटिन कहावत
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* मैं ही आग हूँ, मैं ही कूड़ा करकट, अगर मेरी आग कूड़ा करकट जलाकर भस्म करदे तो मैं अच्छा जीवन पाउँगा।  ~ खलील जिब्रान
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* अपना जीवन लेने के लिए नहीं देने के लिए है।  ~ स्वामी विवेकानंद
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* जीवन किसी तो स्थायी संपत्ति के रूप में नहीं मिला है वह तो केवल प्रयोग के लिए है।  ~ लुकीटस
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* मनुष्य जीवन अनुभव का शास्त्र है।  ~ विनोबा भावे
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* जीवन एक फूल है और प्रेम उसका मधु।  ~ ह्यूगो
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* इस जीवन का हर दिन एक कोरा काग़ज़ है। इस काग़ज़ पर श्वास रूपी स्याही और समझ रूपी कलम से आप जो चाहे लिख सकते हैं।  ~ प्रेम रावत
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* अपने जीवन को सेवा, संतोष, स्वाध्याय, सिमरन, सत्यता, पुरुषार्थ और सहृदयता के आभूषणों से सजा लीजिये।
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* जीवन का सच्चा आनंद पाने के लिए उसे समय के किनारे पत्ते पर पड़ी ओस की भांति हलके-हलके नाचने दो।
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* जीवन एक इन्द्रधनुष की तरह है। आपको इसके रंगों को प्रस्तुत करने के लिए सूर्य और बारिश दोनों की जरुरत है।
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* तैरते हुए बादल जब मेरे जीवन में प्रवेश करते हैं तो उनका उद्देश्य बारिश या तूफ़ान नहीं होता बल्कि मेरे सूरज ढले हुए आसमान में रंग भरना होता है।  ~ रविन्द्रनाथ टैगोर
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* जीवन एक विदेशी भाषा की तरह है जिसे सब लोग नहीं समझ पाते हैं।  ~ क्रिस्टोफ़र मिरले
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* जीवन दो चीजों का नाम है, एक जमी हुई नदी और दूसरी धधकती हुई ज्वाला। धधकती हुई ज्वाला ही प्रेम है। ~ खलील जिब्रान
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* बूंद की सार्थकता इसी में है कि उसका अस्तित्व नदी में विलीन हो जाए।  ~ अल गजाली
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* जीवन निकुंज में तुम्हारी रागिनी बजती रहे, सदा बजती रहे। हृदय कमल में तुम्हारा आसन विराजित रहे, सदा विराजित रहे।  ~ रविन्द्र नाथ टैगोर
 +
* खाने और सोने का नाम जीवन नहीं। जीवन नाम है सदैव आगे बढ़ने का।  ~ प्रेमचंद
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* जीना भी एक कला है, बल्कि कला ही नहीं तपस्या है।  ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
 +
* जीवन विकास का सिद्धांत है, स्थिर रहने का नहीं।  ~ जवाहरलाल नेहरू
 +
* मौत जब तक नजर नहीं आती। ज़िन्दगी राह पर नहीं आती।।  ~ जिगर
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* जीवन एक बाज़ी की तरह है। हार-जीत तो हमारे हाथ में नहीं है, पर बाज़ी का खेलना हमारे हाथ में है।  ~ जेरेमी टेलर
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* जीवन का रहस्य भोग में नहीं, पर अनुभव के द्वारा शिक्षा-प्राप्ति में है।  ~ विवेकानंद
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* जो दूसरों के जीवन के अंधकार में सुख का प्रकाश पहुंचाते हैं, उनका इस संसार से कभी नाश न होगा, वे अमर हैं।  ~ स्वेट मार्डेन
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* जीवन की लम्बी यात्रा में, खोये भी हैं मिल जाते, जीवन है तो कभी मिलन है, कट जाती दुःख की रातें।  ~ जयशंकर प्रसाद
 +
* आश्चर्य की बात है कि लोग जीवन को बढ़ाना चाहते हैं, सुधारना नहीं।  ~ सुकरात
 +
* आज ऐसे जियो जैसे यह अन्तिम दिन हो।  ~ बिशप कैर
 +
* जीवन अपनी इच्छा अनुकूल चलना नहीं, ईश्वर की इच्छा के अनुकूल चलने में है।  ~ ताल्सतॉय
 +
* कहीं ऐसा न हो कि ज़िन्दगी कि अच्छी चीज़ें, ज़िंदगी की सबसे अच्छी चीजों को ख़तम कर दें।  ~ वाल्तैयेर
 +
* जब तक जीवन है, तब तक जीवन कला सीखते रहो।  ~ सेनेका
 +
* जहाज़ समंदर के किनारे सर्वाधिक सुरक्षित रहता है। मगर क्या आप नहीं जानते कि उसे किनारे के लिए नहीं, बल्कि समंदर के बीच में जाने के लिए बनाया गया है ?
  
'''चेहरा'''
+
==सुनना, श्रवण, ध्यान देना (Listen)==
* चेहरा मस्तिष्क का प्रतिबिम्ब है और आँखें बिना कहे दिल के राज़ खोल देती हैं।  - सैंट जेरोमे
+
* सुनना एक कला है। इस कला के लिए कान और ध्यान दोनों चाहिए।
* भोली भाली सूरत वाले होते हैं जल्लाद भी। - उर्दू कहावत
+
* व्यर्थ की बातों से खुद को बचाना भी एक कला है।
* सुन्दर चेहरा सबसे अच्छा प्रशंसापात्र है। - रानी एलिज़ाबेथ
+
* वाणी चांदी है तो मौन सोना है।
 +
* बीती बातों को भूलने का सर्वोत्तम तरीका है हमेश नई और रचनात्मक बातें सुनना व उनको रमण करना।
 +
* मौन से मतलब वाणीविहीन बनना नहीं हैं। सही समय पर सही बात कहना।
 +
* बडबोलेपन से बचना भी मौन है। ~ कानन झिंगन
  
'''चिकित्सा'''
+
==प्यार, प्रेम, मुहब्बत (Love)==
* संयम और परिश्रम मनुष्य के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं, परिश्रम के भूख तेज़ होती है और संयम अतिभोग से रोकता है। - रूसो
+
* प्रेम के बिना जीवन एक ऐसे वृक्ष के समान है, जिस पर न कोई फूल हो, न फल।  ~ खलील जिब्रान
* समय सबसे बड़ा चिकित्सक है, वक़्त हर घाव का मरहम है। - कहावत
+
* एक व्यक्ति दूसरे के मन की बात जान सकता है, तो केवल सहानुभूति और प्यार से, उम्र और बुद्धि से नहीं।
* मन की प्रशन्नता से समस्त मानसिक और शारीरिक रोग दूर हो जाते हैं। - रामदास
+
* अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम नहीं किया जा सकता।
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* दूसरो से प्रेम करना अपने आप से प्रेम करना है।
 +
* प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं।  ~ मदर टेरेसा
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* हर सच्चा क्रांतिकारी वास्तव में गहन प्रेम की भावना से संचालित होता है।  ~ चे ग्वेरा
 +
* मुहब्बत त्याग की माँ है, जहां जाती है, बेटे को साथ ले जाती है।  ~ सुदर्शन
 +
* हम जब तक स्वयं माता-पिता नहीं बन जाएं, माता-पिता का प्यार कभी नहीं जान पाते।  ~ हेनरी वार्ड बीचर
 +
* अपने स्नेह का पूर्ण प्रदर्शन किए बिना आप अपना स्नेह-भाव दूसरों तक नहीं पहुंचा सकते।  ~ स्वेट मार्डन
 +
* प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हज़ार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है।  ~ महात्मा गांधी
 +
* वही समाज सदैव सुखी रहकर तरक़्क़ी कर सकता है, जिसमें लोगों ने आपसी प्रेम को आत्मसात कर लिया।
  
'''चोरी'''
+
==भाग्य, तक़दीर, मुकद्द (Luck)==
* आवश्यकता से अधिक एकत्र करने वाला प्रत्येक व्यक्ति चोर है। - भगवत गीता
+
* सारा उत्तरदायित्व अपने कन्धों पर लो। याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता चाहो, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है।
* ईश्वर ने आदमी को मेहनत करके खाने के लिए बनाया है और कहा है कि जो मेहनत किये बगैर खाते हैं बे चोर हैं। - महात्मा गाँधी
+
* उत्साह आदमी की भाग्यशिलता का पैमाना है।  ~ तिरुवल्लुवर
* जो मेरा धन चुराता है वह मेरी सबसे तुच्छ वस्तु ले जाता है। - शेक्सपियर
+
* भाग्य साहसी का साथ देता है।
 +
* मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है।
 +
* भाग्य साहसी का मित्र है।  ~  अज्ञात
 +
* मानव अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है।  ~ स्वामी रामतीर्थ
 +
* भाग्य भी निडर का ही साथ देता है। ~ वर्जल
 +
* हम स्वयं अपने भविष्य का निर्माण करते हैं, फिर इसे भाग्य का नाम दे देते हैं।
  
'''जनता'''
+
==स्मृति, याद, स्मरणशक्ति (Memory)==
* जनता कि आवाज़ ईश्वर की आवाज़ है। - कहावत
+
* स्मृति एक अद्भुत उपकरण हैं। वह अमिट नहीं हैं। लेकिन वह क्षणभगुंर भी नहीं हैं।  ~ प्राइमो लेवी
* राजमहलों की चालबाजियां, सभाभवानों की राजनीती, समझौते और लेन-देन का जमाना उसी दिन खत्म हो जाता है जब जनता राजनीति में प्रवेश करती है। - जवाहरलाल नेहरु
 
  
'''जीविका'''
+
==ग़लती, भूल, त्रुटि, दोष (Mistake)==
* व्यवसाय समय का यन्त्र है। - नेपोलियन
+
* उत्साह तथा रुचिपूर्वक दूसरों के दोष देखने से तुम्हारा मन भी बुरे विचारों से भर जायेगा। वह एक ऐसा कूड़ादान बन जाएगा, जिसमें दूसरों के कचरे भरे रहेंगे।
* व्यस्त मनुष्य को आंसू बहाने का अवकाश नहीं। - बायरन
+
* यदि शान्ति चाहते हो तो दूसरों के दोष मत देखो, बल्कि अपने ही दोष देखो।
* वह जीविका श्रेष्ठ है जिसमे ओने धर्म कि नहीं नहीं और वाही देश उत्तम है जिससे कुटुंब का पालन हो। - शुक्रनीति
+
* जब हम अपनी भूल पर लज्जित होते हैं, तो यथार्थ बात अपने आप ही मुंह से निकल पड़ती है।  ~ प्रेमचंद
 +
* अपराध स्वीकार कर लेने से, वह आधा हो जाता है।  ~ पुर्तग़ाली कहावत
 +
* ज्ञानी मनुष्य दूसरों की भूलों से अपनी भूलें सुधारता है।  ~ पबलिस साइरस
 +
* अपनी भूल अपने ही हाथ सुधर जाए तो,यह उससे कहीं अच्छा है कि दूसरा उसे सुधारे।  ~ प्रेमचंद
 +
* विवेकशील पुरुष दूसरे की ग़लतीयों से अपनी ग़लती सुधारते हैं।  ~ साइरस
 +
* ग़लतियों के लिए दूसरों को दोष देने की अपेक्षा उनसे सबक लो।  ~ स्पेनिश कहावत
 +
* स्वार्थवश मनुष्य दोषों को नहीं देखता।  ~ चाणक्य
 +
* त्रुटियां उसी से नहीं होंगी, जो कोई काम करें ही नहीं।  ~ लेनिन
 +
* ग़लतियां किए बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान् नहीं बनता है।  ~ ग्लेडस्टन
 +
* दूसरों कि ग़लतियों से सीखिए क्योंकि आपको ग़लती करने का मौक़ा नहीं मिलेगा।
 +
* स्वयं के दोषों का निरीक्षण और दुसरों के गुणों का पर्यावलोकन करना उज्ज्वल व्यक्तित्व की पहचान है।
 +
* एक गुण समस्त दोषो को ढ़क लेता है।
 +
* अपने आपको दोष देना सबसे बड़ा पाप हैं।
 +
* ग़लती करने में कोई ग़लती नहीं है। ग़लती करने से डरना सबसे बडी ग़लती है।  ~ एल्बर्ट हब्बार्ड
 +
* ग़लती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेज़ीसे सीख रहे हैं।
 +
* बहुत सी तथा बदी ग़लतियाँ किये बिना कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता।  ~ ग्लेडस्टन
 +
* मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज़्यादा ग़लतियाँ की जिनका मानना था कि ग़लती करना बुरा था, या ग़लती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे।  ~ राबर्ट कियोसाकी
 +
* सीधे तौर पर अपनी ग़लतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं।  ~ आस्कर वाइल्ड
 +
* ग़लती तो हर मनुष्य कर सकता है, पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं।  ~ सिसरो
 +
* अपनी ग़लती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है। इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं।  ~ अलेक्जेन्डर पोप
 +
* दोष निकालना सुगम है, उसे ठीक करना कठिन।  ~ प्लूटार्क
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* त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है।  ~ सिगमंड फ्रायड
 +
* ग़लतियों से भरी ज़िंदगी न सिर्फ़ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नहीं गया।
 +
* ग़लती करना मनुष्य का स्वाभाव है, की हुई ग़लती को मान लेना और इस प्रकार आचरण करना कि फिर ग़लती न हो, मर्दानगी है।  ~ महात्मा गाँधी
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* जो मान गया कि उससे ग़लती हुई और उसे ठीक नहीं करता, वह एक और ग़लती कर रहा है।  ~ कन्फुस्यियस
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* बहुत सी तथा बड़ी ग़लती किये बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान् नहीं बनता।  ~ ग्लेड स्टोन
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* अगर तुम ग़लतियों को रोकने के लिए दरवाज़े बंद कर दोगे तो सत्य भी बाहर आ जायेगा।  ~ टैगोर
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* किसी पूर्वतन ख्याति का उत्तराधिकार प्राप्त करना एक संकट मोल लेना है।  ~ टैगोर
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* दोष पराये देखकर चालत हसंत हसंत, अपने याद ना आवई जिनका आदि ना अंत।  ~ कबीर
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* तू दुसरे आँख का तिनका क्यों देखता है अपनी आँख का शहतीर तो निकाल।  ~ बाइबल
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* साधारण लोग अपनी हर बुराई का दोषी कि और को ठहराते हैं, अल्पज्ञानी स्वयं को पर ज्ञानी किसी को नहीं।  ~ इपिक्टेतस
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* मूर्ख आदमी अपने बड़े से बड़े दोष अनदेखा करता है किन्तु दुसरे के छोटे से छोटे दोष को देखता है।  ~ संस्कृत सूक्ति
  
'''जीवन'''
+
==नम्रता, विनयशीलता (Modesty)==
* जीवन का एक क्षण करोड़ स्वर्ण मुद्राएं देने पर भी नहीं मिलता। - चाणक्य
+
* नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है।  ~ प्रेमचंद
* मूर्ति के सामन मनुष्य का जीवन सभी ओर से सुन्दर होना चाहिए। - सुकरात
+
* महान् मनुष्य की पहली पहचान उसकी नम्रता है।
* यदि तुम्हारे पास दो पैसे हों तो एक से रोटी और दुसरे से फूल, रोटी तुम्हे जीवन देगी और फूल तुम्हे जीवल जीने कि कला सिखाएगा। - चीनी कहावत
+
* नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के सोभा बढती है।  ~ कालिदास
* जियो और जीने दो। - स्काच कहावत
+
* बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। ~ ईसा
* जो अच्छी तरह जीता है वह दो बार जीता है। - लैटिन कहावत
+
* नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और ज़िन्दगी मिलती है।  ~ सुलेमान
* मैं ही आग हूँ, मैं ही कूड़ा करकट, अगर मेरी आग कूड़ा करकट जलाकर भस्म करदे तो मैं अच्छा जीवन पाउँगा। - खलील जिब्रान
+
* संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की ज़रूरत नहीं है, ईसा दुनिया के ख़िलाफ़ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के ख़िलाफ़ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे, अकेले खड़े रहने की शक्ति नम्रता के बिना असंभव है। ~ महात्मा गाँधी
* अपना जीवन लेने के लिए नहीं देने के लिए है। - स्वामी विवेकानंद
+
* मेरा विश्वास है की वास्तविक महान् पुरुष की पहचान उसकी नम्रता है। ~ रस्किन
* जीवन किसी तो स्थायी संपत्ति के रूप में नहीं मिला है वह तो केवल प्रयोग के लिए है। - लुकीटस
+
* नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। ~ विनोबा  
* मनुष्य जीवन अनुभव का शास्त्र है। - विनोबा
+
* ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय।  ~ कबीर
* जीवन एक फूल है और प्रेम उसका मधु। - ह्यूगो
 
  
'''झगड़ा'''
+
==धन, मुद्रा, स्र्पये, माल (Money)==
* लोग फल के बजाये छिलके पर अधिक झगड़ते हैं।
+
* एक बार सिकंदर से पूछा गया कि तुम धन क्यों एकत्र नहीं करते ? तब उसका जवाब था कि इस डर से कि उसका रक्षक बनकर कहीं भ्रष्ट न हो जाऊं।
* झगड़े में शामिल दोनों पक्ष गलत होते हैं।
+
* धन अपना पराया नहीं देखता।
 +
* धन अच्छा सेवक है, परन्तु ख़राब स्वामी भी है।
 +
* कुबेर भी अगर आय से ज़्यादा व्यय करे, तो कंगाल हो जाता है।  ~ चाणक्य
 +
* पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।
 +
* उस मनुष्य से ग़रीब कोई नहीं जिसके पास केवल धन है।  ~ कहावत
 +
* दान, भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं। जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति (नाश) होती है।  ~ भर्तृहरि
 +
* हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । (सोना (धन) ही कमाओ, कलाएँ निष्फल है)  ~ महाकवि माघ
 +
* सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । (सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं)  ~ भर्तृहरि
 +
* संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है। अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये।  ~ [[शुक्राचार्य]]
 +
* आर्थस्य मूलं राज्यम् । (राज्य धन की जड है)  ~ चाणक्य
 +
* मनुष्य मनुष्य का दास नहीं होता, हे राजा, वह तो धन का दास होता है।  ~ पंचतंत्र
 +
* अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । (संसार में धन ही आदमी का भाई है)  ~ चाणक्य
 +
* जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना।  ~ गो. तुलसीदास
 +
* क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।  (क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये।)
 +
* रुपए ने कहा, मेरी फ़िक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर।  ~ चेस्टर फ़ील्ड
 +
* बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय। घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।।
 +
* जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है।  ~ अथर्ववेद
  
'''झूठ'''
+
==मां, जननी, माता (Mother)==
* थोडा सा झूठ भी मनुष्य का नाश कर सकता है। - महात्मा गाँधी
+
* जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। ~ वाल्मीकि रामायण
* झूठ कि सजा यह नहीं कि उसका विश्वास नहीं किया जाता बलिक वह किसी का विश्वास नहीं कर सकता। - शेक्सपियर
+
* माता का हृदय, शिशु कि पाठशाला है। ~ बीचर
* दो अर्थोंवाले शब्द बोलकर, किसी विशेष शब्द पर जोर देकर, या आँख के इशारे से भी झूठ बोला जाता है, इस प्रकार का झूठ स्पष्ट शब्दों में बोले गए झूठ से कही बुरा है। - रस्किन
 
* एक झूठ को छिपाने के लिए अनेक झूठ बोलने पड़ते हैं। - कहावत
 
* यदि झूठ बोलने से किसी कि जान बचाती है तो बह झूठ पाप नहीं पुण्य है। - प्रेमचंद
 
  
'''ठोकर'''
+
==प्रेरक, उत्तेजित करना (Motivational)==
* ठोकर लगे और दर्द हो तभी मैं सीख पाटा हूँ। - महात्मा गाँधी
+
* इच्छा हमेशा योग्यता को हरा देती है।
* दूसरों के अनुभव से होशियारी सीखने की मनुष्य को इच्छा नहीं होती, उसको स्वतंत्र ठोकर चाहिए। - विनोबा
+
* सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता।  ~ विल्सन एडवर्ड
* ठोकरें केवल धुल ही उड़ाती हैं फसलें नहीं उगती। - टैगोर
+
* जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते है, परिस्थितियों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
 +
* रत्न मिट्टी से ही निकलते हैं, स्वर्ण मंजुषाओं ने तो कभी एक भी रत्न उत्पन्न नहीं किया।  ~ जयशंकर प्रसाद
 +
* असम्भव शब्द, मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है।  ~ नेपोलियन
  
'''तर्क'''
+
==प्रकृति, क़ुदरत (Nature)==
* जो तर्क नहीं सुने वह कट्टर है, जो तर्क न कर सके वह मूर्ख है और जो तर्क करने का सके वह गुलाम है। - ड्रमंड
+
* खिले हुए फूल और कुछ नहीं, बल्कि धरती की मुस्कराहट हैं।  ~ ईई कमिंग्स
* तर्क केवल बुद्धि का विषय है ह्रदय कि सिद्धि तक बुद्धि नहीं पहुँच सकती।
+
* प्रकृति की गहराई में देखें, और आप हर चीज़ को बेहतर समझा पाएंगे।  ~ अल्बर्ट आइंस्टीन
* जिसे बुद्धि मने मगर ह्रदय ना माने वह तजने योग्य है। - महात्मा गाँधी
+
* धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर
  
'''त्याग'''
+
==नव वर्ष, नया साल (New Year)==
* प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग है। - भगवान कृष्ण
+
* नव वर्ष मे आपकी सभी मनोकामनाये पूरी हो।
* त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से ब्याज। - विनोबा
+
* नव वर्ष मे हर क़दम पर आपको सफलता मिले।
* पर-स्त्री, पर-धन, पर-निंदा, परिहास और बड़ों के सामने चंचलता का त्याग करना चाहिए। - संस्कृत सूक्ति
+
* नव वर्ष मे भाग्य सदैव आपका साथ दे।
* त्याग यह नहीं कि मोटे और खुरदरे वस्त्र पहन लिए जायें और सूखी रोटी खायी जाये, त्याग तो यह है कि अपनी इच्छा अभिलाषा और तृष्णा को जीता जाये। - सुफियान सौरी
+
* नव वर्ष आपके जीवन मे उमंग लाये।
 +
* नव वर्ष के आगमन पर हार्दिक बधाई।
 +
* नव वर्ष मे आपकी दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक़्क़ी हो।
 +
* नया साल आपके लिये लाभदायक हो।
 +
* नव वर्ष आपके लिये हितकारी हो।
 +
* नया साल आपको नया अनुभव दे।
 +
* नव वर्ष सुख- सम्रध्धि से भरपूर हो।
 +
* नव वर्ष मे आप फले, फूले।
 +
* नया साल आपके लिये नयी खुशिया लाये।
 +
* नव वर्ष शुभ हो।
 +
* नया साल आपको नया उत्साह प्रदान करे।
  
'''दंड'''
+
==अवसर, मौक़ा, सुता, सुयोग (Opportunity)==
* दंड अन्यायी के लिए न्याय है। - अगस्तियन
+
* जो हानि हो चुकी है, उसके लिए शोक करना अधिक हानि को आमंत्रित करना है।
* अपराधी को दंड से नहीं रोका जा सकता। - रस्किन
+
* अवसर तुम्हारा दरवाज़ा एक ही बार खटखटाता है।  ~ कहावत
* अपराधी के दंड में उपयोगिता होनी चाहिए। - वाल्टेयर
+
* अवसर पर दुश्मन को न लगाया हुआ थप्पड़ अपने मुह पर लगता है।  ~ फारसी कहावत
 +
* समय और सागर की लहर किसी की प्रतीक्षा नहीं करती।  ~ रिचर्ड ब्रेथकेट
 +
* मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना।  ~ डिजरायली
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* ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा दरवाज़ा दोबारा खटखटाएगा।  ~ शैम्फोर्ट
 +
* कोई महान् व्यक्ति अवसर की कमी की शिकायत कभी नहीं करता।
 +
* मुझे रास्ता मिलेगा नहीं, तो मैं बना लूँगा।  ~ सर फिलिप सिडनी
 +
* यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के  बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है।
 +
* अवसर उनकी सहायता कभी नहीं करता, जो अपनी सहायता नहीं करते।  ~ सफोक्लिज
 +
* अवसर बुद्धिमान के पक्ष में लड़ता है।  ~ युरिपिडीज
 +
* यदि अवसर का लाभ न उठाया जाए, तो योग्यता का कोई मूल्य नहीं होता है।
 +
* बुद्धिमान व्यक्ति को जितने अवसर मिलते हैं, उनसे अधिक वह पैदा करता है। ~ बेकन
 +
* बाज़ार में आपाधापी - मतलब, अवसर। धरती पर कोई निश्चितता नहीं है, बस अवसर हैं।  ~ डगलस मैकआर्थर
 +
* आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर में ख़तरा।  ~ विन्स्टन चर्चिल
 +
* अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है।  ~ अलबर्ट आइन्स्टाइन
 +
* हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है, जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं।  ~ ली लोकोक्का
 +
* अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख । दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि पाख ॥  ~ गोस्वामी तुलसीदास
 +
* कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है|  ~ गोस्वामी तुलसीदास
 +
* का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।  ~ गोस्वामी तुलसीदास
 +
* जो प्रमादी है, वह सुयोग गँवा देगा।  ~ श्रीराम शर्मा, आचार्य
 +
* संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं।
 +
* रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥
 +
* न इतराइये, देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए ||
 +
* वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात् सब समय उत्तम है।  ~ सामवेद
  
'''दया'''
+
==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)==
* दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोड़िये, जब लग घट में प्राण। - तुलसीदास
+
* धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है।  ~ डिजराइली
* जिसमे दया नहीं उसमे कोई सद्गुण नहीं। - हज़रत मोहम्मद
+
* वह व्यक्ति महान् है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है।  ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
* दया और सत्यता परस्पर मिलते हैं, धर्म और शांति एक दुसरे का साथ देतें हैं। - बाइबल
+
* धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते।  ~ ला फाण्टेन
* हम सभी ईश्वर से दया कि प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमे दूसरों पर दया करना सिखाती है। - शेक्सपियर
+
* जैसे सोना अग्नि में चमकता है, वैसे ही धैर्यवान आपदा में दमकता है।
* जो निर्बलों पर दया नहीं करता उसे बलवानों के अत्याचार सहने पड़ेंगे। - शेख सादी
+
* संयम और परिश्रम मनुष्य के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं।
* दया चरित्र को सुन्दर बनती है। - जेम्स एलन
+
* जिसके पास धैर्य है उसे उसका फल अवश्य मिलता है। ~ फ्रैंकलिन
* आत्मा के आनंद रूपी सामंजस्य का बाहरी रूप दया है। - विलियम हैज़लित
+
* धीर गंभीर कभी उबाल नहीं खाते।  ~ चाणक्य
* सबपर दया करनी चाहिए क्योंकि ऐसा कोई नहीं है जिसने कभी अपराध नहीं किया हो। - रामायण
+
* कबिरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय। टूक एक के कारने, स्वान घरै घर जाय॥  ~ कबीर
* कितने देव, कितने धर्म, कितने पंथ चल पड़े पर इस शोकग्रस्त संसार को केवल दयावानों कि आवश्यकता है। - विलकास्य
+
* नीति निपुण निंदा करें या प्रशंसा करें, लक्ष्मी आए चाहे चली जाय, मृत्यु चाहे आज ही हो जाए, चाहे एक युग के बाद, परन्तु धीर पुरुष न्यायमार्ग से एक पग भी विचलित नहीं होते।  ~ भर्तृहरी
 +
* विकार हेतो सति विक्रियन्ते येषां न चेतांसि त एव धीराः। (वास्तव में वे ही पुरुष धीर हैं जिनका मन विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थिति में भी विकृत नहीं होता।)  ~ कालिदास
 +
* जिसे धीरज है और जो श्रम से नहीं घबराता है, सफलता उसकी दासी है।
 +
* धीरज सारे आनंदों और शक्तियों का मूल है। ~ जॉन रस्किन
  
'''दर्शन'''
+
==शांति, अमन, चैन (Peace)==
* दर्शन का उद्देश्य जीवन कि व्याख्या करना नहीं उसे बदलना है। - सर्वपल्ली राधाकृष्णन
+
* शांति, बौद्धिक क्षमता में कई गुना इजाफ़ा करती है। ~ अज्ञात
* जब जिन्दगी को अपने दिल के गीत सुनाने का मौका नहीं मिलता तब वह अपने मन के विचार सुनाने के लिए दार्शनिक पैदा कर देती है। - खलील जिब्रान
+
* यदि शांति पाना चाहते हो, तो लोकप्रियता से बचो।  ~ अब्राहम लिंकन
* दार्शनिक होने का अर्थ केवल सूक्ष्म विचारक होना या केवल किसी दर्शन प्रणाली को चला देना नहीं है बल्कि यह है कि हम ज्ञान के ऐसे प्रेमी बन जायें कि उसके इशारों पर चलते हुए विश्वास, सादगी, स्वतंत्रता और उदारता का जीवन व्यतीत करने लगें। - थोरो
+
* शांति, प्रगति के लिये आवश्यक है।  ~ डा॰ राजेन्द्र प्रसाद
 +
* बारह फ़कीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।  ~ शम्स-ए-तबरेज़
 +
* शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति।  ~ स्वामी ज्ञानानन्द
  
'''दान'''
+
==व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)==
* सैकड़ों हाथो से इकट्ठा करो और हजारों हाथों से बांटो। - अथर्ववेद
+
* मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस चीज़ की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है।  ~ हेलेन केलर
* सज्जनों कि रीति यह है कि कोई अगर उनसे कुछ मांगे तो वे मुख से कुछ न कहकर, काम पूरा करके ही उत्तर देते हैं। - कालिदास
+
* कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं।  ~ बालगंगाधर तिलक
* जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम, दोउ हाथ उलीचिये, यही सयानों काम। - कबीर
+
* जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते।  ~  महात्मा बुद्ध
* तुम्हारा बायाँ हाथ जो देता है उसे दायाँ हाथ ना जानने पाए। - बाइबल
+
* मन की दुर्बलता से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है।  - स्वामी विवेकानंद
* दान देकर तुम्हे खुश होना चाहिए क्योंकि मुसीबत दान की दीवार कभी नहीं फांदती। - हज़रत मोहम्मद
+
* अपने विचारों पर नजर रखिए।
* सबसे उत्तम दान यह है कि आदमी को इतना योग्य बना दो कि वह बिना दान के काम चला सके। - तालमुद
+
* किसी से यह अपेक्षा मत कीजिए की वह आपकी सहायता करेगा।
 +
* आपका जन्म किसी अन्य की सनक को पूरा करने के लिए नहीं हुआ हैं।  
 +
* अपने विचारो और बातों मैं तालमेल रखें।
 +
* हम हमेशा खुद को खोजते हुए दूसरों की कहानियों में प्रवेश कर जाते हैं।  ~ एमरे करतेश
 +
* सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों।  ~ जॉन एडम्स
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* मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे।
 +
* कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है।  – डॉ. राधाकृष्ण
  
'''दुर्बलता'''
+
==राजनीति, राजनीतिक, सियासी (Political)==
* स्वयं को भेंड बना लोगे तो भेड़िये आकर तुम्हे खा जायेंगे। - जर्मन कहावत
+
* चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविधालय है।  ~ जवाहरलाल नेहरू
* मन कि दुर्बलता से भयंकर और कोई पाप नहीं। - विवेकानंद
+
* यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है।  ~ हेनरी एडम
* दुर्बल को ना सताइए, जाको मोती हाय, मुई खल कि सांस सों, सार भसम हो जाय। - कबीर
+
* विपत्तियों को खोजने, उसे सर्वत्र प्राप्त करने, ग़लत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है।  ~ सर अर्नेस्ट वेम
 +
* मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है।  ~ हेनरी एडम
 +
* राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो।  ~ ओटो वान बिस्मार्क
 +
* सफल क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ होता है; असफल अपराधी।  ~ एरिक फ्रॉम
  
'''दुर्भावना'''
+
==गरीब, ग़रीबी, निर्धन, निर्धनता, तंगी (Poverty)==
* दुर्भावना को मैं मनुष्य का कलंक समझता हूँ। - महात्मा गाँधी  
+
* कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है।  ~ चाणक्य
* दुर्भावना अपने विष का आधा भगा स्वयं पीती है। - सैनेका
+
* ग़रीबों के बहुत से बच्चे होते हैं, अमीरों के सम्बन्धी।  ~ एनॉन
* आदमी की दुर्भावना उसके दुश्मन के बजाय उसे ही अधिक दुःख देती है। - चार्ल बक्सटन
+
* ग़रीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है।  ~ महात्मा गाँधी
 +
* ग़रीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं।  ~ डेनियल
 +
* निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है। लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है। निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है। तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है। जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है। ~ वासवदत्ता, मृच्छकटिकम में
 +
* ग़रीबी लज्जा नहीं है, लेकिन ग़रीबी से लज्जित होना लज्जा की बात है।  ~ कहावत
 +
* ग़रीबी मेरा अभिमान है।  ~ हज़रत मोहम्मद
 +
* जो ग़रीबों पर दया करता है वह अपने कार्य से ईश्वर को ऋणी बनाता है। ~ बाइबल
  
'''दुर्वचन'''
+
==प्रशंसा, प्रोत्साहन, बड़ाई (Praise)==
* दुर्वचन पशुओं तक को अप्रिय होते हैं। - बुद्ध
+
* आत्म-प्रशंसा ओछेपन का चिह्न है।  ~ वैस्कल
* दुर्वचन कहने वाला तिरस्कृत नहीं करता बल्कि दुर्वचन के प्रति ह्रदय में उठी हुई भावना तिरस्कार करती है, इसीलिए जब कोई तुम्हे उत्तेजित करता है तो यह तुम्हारे अन्दर की भावना ही है जो तुम्हे उत्तेजित करती है। - एपिक्टेतस
+
* जिन्हें कहीं से प्रशंसा नहीं मिलती, वे आत्म-प्रशंसा करते हैं।  ~ अज्ञात
* दुर्वचन का सामना हमें सहनशीलता से करना चाहिए। - महात्मा गाँधी
+
* अपनी प्रशंसा के गीत गाना स्वयं को हीन साबित करना है।
 +
* सच्ची बड़ाई उसी की है, जिसकी शत्रु भी प्रशंसा करे।  ~ अज्ञात
 +
* जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है।  ~ महात्मा गांधी
 +
* उष्ट्राणां विवाहेषु, गीतं गायन्ति गर्दभाः । परस्परं प्रशंसन्ति, अहो रूपं अहो ध्वनिः । (ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं। एक-दूसरे की प्रशंसा कर रहे हैं, अहा! क्या रूप है? अहा! क्या आवाज़ है?)
 +
* मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है। ~ चार्ल्स श्वेव
 +
* आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है।  ~ सेनेका
 +
* मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है।  ~ विलियम जेम्स
 +
* अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो।  ~ फ्रंकलिन
 +
* चापलूसी करना सरल है, प्रशंसा करना कठिन।
 +
* मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा। मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा। मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा।  ~ विलियम ऑर्थर वार्ड
 +
* हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं|  ~ नॉर्मन विंसेंट पील
  
'''दुःख'''
+
==समस्या, मसला (Problem)==
* संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है, उससे दुखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना हो, इन दोनों से अधिक दुखी वह है जो सदा रोगी रहता हो और सबसे दुखी वह है जिसकी पत्नी दुष्टा हो। - विदुरनीति
+
* विपत्ति मनुष्य को विचित्र साथियों से मिलाती है।
* विचित्र  बात है कि सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का एक अंश है। - खलील जिब्रान
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* मैं अति प्रतिभाशाली व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन में निचित तौर पर अधिक जिज्ञासु हूं और किसी भी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूं।  ~ अल्बर्ट आइंस्टीन
* एक बात जो मैं दिन की तरह स्पष्ट देखता हूँ यह है कि दुःख का कारण अज्ञान है और कुछ नहीं। - स्वामी विवेकानंद
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* आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं, ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं।  ~ जवाहरलाल नेहरु
* पाप का संचय ही दुखों का मूल है। - बुद्ध
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* आपदा ही एक ऐसी स्थिति है, जो हमारे जीवन कि गहराइयों में अन्तर्दृष्टि पैदा करती है।  ~ विवेकानन्द
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* हमारी अधिकतर बाधाएं पिघल जाएंगी, अगर उनके सामने दुबकने की बजाय हम उनसे निडरतापूर्वक निपटने का मानस बनाएं।  ~ ओरिसन स्वेट मार्डन
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* हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ नहीं सुलझा सकतें, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया था।  ~ अल्बर्ट आइंस्टीन
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* इस दुनिया की असली समस्या यह है कि मूर्ख और अड़ियल लोग तो अपने बारे में हमेशा पक्के होते हैं (कि वे सही हैं) किंतु बुद्धिमान लोग हमेशा संदेह में रहते हैं (कि मैं ग़लत तो नहीं हूं)।
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* विकट परिस्थितियां ही महापुरुषों का विधालय है।  ~ अरस्तू
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* आनंद विनोद के सामने कठिनाईयां पिघल जाती है।  ~ स्वेट मार्डेन
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* आपात स्थिति में, मन को डांवाडोल नहीं होने देना चाहिए।  ~ महावीर स्वामी
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* मुसीबतों से दुखी न् हो, क्योंकि दुखी होना मूर्खों का काम है।  ~ हजरत अली
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* विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला।  ~ मुंशी प्रेमचंद
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* जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते हैं, परिस्थितियों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है।
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* बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करना चाहिए। तभी आप में ‘स्किल’ आते हैं। परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने कि आदत न पाले तो बेहतर है।
  
'''देश'''
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==विकास, प्रगति, उन्नति (Progress)==
* दुरात्मा के लिए देश-भक्ति अंतिम शरण है। - जॉन्सन
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* बीज आधारभूत कारण है, पेड उसका प्रगति परिणाम। विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं।  ~  श्रीराम शर्मा, आचार्य
* यदि देश-भक्ति का मतलब व्यापक मानव मात्र का हित चिंतन नहीं है तो उसका कोई अर्थ ही नहीं है। - महात्मा गाँधी  
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* विकास की कोई सीमा नहीं होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नहीं है। ~ रोनाल्ड रीगन
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* अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि।
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* नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है।
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* भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।  ~ जवाहरलाल नेहरू
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* सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?  ~ डॉ. राधाकृष्णन
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* हृदय की विशालता ही उन्नति की नीव है।  ~ जवाहरलाल नेहरु
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* यदि एक मनुष्य की उन्नति होती है तो सारे संसार की उन्नति होती है और अगर एक व्यक्ति का पतन होता है तो सारे संसार का पतन होता है। ~ महात्मा गाँधी
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* वही उन्नति कर सकता है जो अपने आप को उपदेश देता है।  ~ रामतीर्थ
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* त्रुटियों के संशोधन का नाम ही उन्नति है।  ~ लाला लाजपत रॉय
  
'''देह'''
+
==वादा, वचन, प्रतिज्ञा (Promise)==
* देह आत्मा के रहने की जगह होने के कारण तीर्थ जैसी पवित्र है। - महात्मा गाँधी
+
* शाशक के पास वचन तोड़ने के हमेशा वैधानिक कारण होते हैं।  ~ मैकियावेली
* देह एक रथ है, इन्द्रिय उसमे घोड़े, बुद्धि सारथी और मन लगाम है, केवल देह पोषण करना आत्मघात है। - ज्ञानेश्वरी
 
  
'''दोष'''
+
==अभिमान, घमंडी, अहंकार, दंभी, गर्व (Proud)==
* दोष पराये देखकर चालत हसंत हसंत, अपने याद ना आवई जिनका आदि ना अंत। - कबीर
+
* वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है।  ~ अज्ञात
* तू दुसरे आँख का तिनका क्यों देखता है अपनी आँख का शहतीर तो निकाल। - बाइबल
+
* आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है।  ~ प्रेमचन्द
* साधारण लोग अपनी हर बुराई का दोषी कि और को ठहराते हैं, अल्पज्ञानी स्वयं को पर ज्ञानी किसी को नहीं। - इपिक्टेतस
+
* जिसने गर्व किया, उसका पतन अवश्य हुआ है। ~ स्वामी दयानन्द सरस्वती
* मूर्ख आदमी अपने बड़े से बड़े दोष अनदेखा करता है किन्तु दुसरे के छोटे से छोटे दोष को देखता है। - संस्कृत सूक्ति
+
* मनुष्य जितना छोटा होता है, उसका अंहकार उतना ही बड़ा होता है।  ~ वाल्टेयर
 +
* ज्यों-ज्यों अभिमान कम होता है, कीर्ति बढ़ती है।  ~ यंग
 +
* जो अहंकारपूर्वक प्रातः जलपान करता है, उसको सायंकाल का भोजन तिरस्कार से मिलता है। ~ फ्रेंकलिन
 +
* जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मै नाहि । सब अँधियारा मिट गया दीपक देख्या माँहि ॥  ~ कबीर
  
'''धर्म'''
+
==सज़ा, दंड (Punishment)==
* शांति से बढकर कोई ताप नहीं, संतोष से बढकर कोई सुख नहीं, तृष्णा से बढकर कोई व्याधि नहीं और दया के सामान कोई धर्म नहीं। - चाणक्य
+
* दंड द्वारा प्रजा की रक्षा की जानी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए। ~ रामायण
* हर अवसर और हर अवस्था में जो अपना कर्त्तव्य दिखाई दे उसी को धर्म समझ कर पूरा करना चाहिए। - गीता
+
* दंड अन्यायी के लिए न्याय है।  ~ अगस्तियन
* धर्म एक भ्रमात्मक सूर्य है जो मनुष्य के गिर्द धूमता रहता है जब तक मनुष्य मनुष्यता के गिर्द नहीं घूमता। - कार्ल मार्क्स
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* अपराधी को दंड से नहीं रोका जा सकता।  ~ रस्किन
* दो धर्मो का कभी झगड़ा नहीं होता, सब धर्मो का अधर्म से ही झगड़ा होता है। - विनोबा
+
* अपराधी के दंड में उपयोगिता होनी चाहिए।  ~ वाल्टेयर
* धर्म परमेश्वर कि कल्पना कर मनुष्य को दुर्बल बना देता है, उसमे आत्मविश्वास उत्पन्न नहीं होने देता और उसकी स्वतंत्रता का अपरहण करता है। - नरेन्द्र देव
 
  
'''धीरज'''
+
==धर्म, मज़हब (Religion)==
* कबीरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय, टूक एक के कारने, स्वान घरे घर जाय। - कबीर
+
* जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है।  ~ वाल्मीकि
* शोक में, आर्थिक संकट में या प्रानान्त्कारी भय उत्पन्न होने पर जो अपनी बुद्धि से दुःख निवारण के उपाय का विचार करते हुए दीराज धारण करता है उसे कष्ट नहीं उठाना पड़ता। - वाल्मीकि
+
* प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है| लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती।  ~ आचार्य तुलसी
* जितनी जल्दी करोगे उतनी देर लगेगी। - चर्चिल
+
* मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है।  ~ आचार्य तुलसी
* सब्र जिन्दगी के मकसद का दरवाज़ा खोलता है क्योंकि सिवाय सब्र के उस दरवाज़े कि कोई और चाबी नहीं है। - शेख सादी
+
* धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है।  ~ आचार्य तुलसी
 +
* धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता।  ~ आचार्य तुलसी
 +
* अहिंसा ही धर्म है, वही ज़िंदगी का एक रास्ता है।  ~ महात्मा गांधी
 +
* अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है। ~ जयशंकर प्रसाद
  
'''धोका'''
+
==संकल्प, प्रण (Resolution)==
* अगर कोई व्यक्ति मुझे दोखा देता है तो धित्कार है उसपर और अगर कोई दूसरी बार मुझे धोका देता है तो लानत है मुझपर। - कहावत
+
* इस संसार में प्रत्येक वस्तु संकल्प शक्ति पर निर्भर है।  ~ डिजरायली
* धूर्त को धोका देना धूर्तता नहीं है। - कहावत
 
* हेत प्रति से जो मिले, ताको मिलिए धाय, अंतर राखे जो मिले, तासौं मिलै बलाय। - कबीर
 
* सब धोकों में प्रथम और ख़राब अपने आप को धोखा देना है। - बेली
 
* स्पष्टभाषी दोखेबाज़ नहीं होता। - चाणक्य
 
* मुंह में राम बगल में छुरी। - कहावत
 
* मुझे जितनी जहन्नुम से फाटकों से घृणा है उतनी ही उस व्यक्ति से घृणा है जो दिल में एक बात छुपाकर दूसरी कहता है। - होमर
 
* ज्यादा मधुर बानी धोकेबाज़ी की निशानी। - कहावत  
 
  
'''ध्येय, लक्ष्य'''
+
==सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर (Respect)==
* ध्येय जितना महान होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता है।  
+
* आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है। ~ प्रेमचन्द
* यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो। - तिरुवल्लुवर
+
* यदि सम्मान खोकर आय बढती हो, तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है।  ~ शेख सादी
* अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे। - बर्नार्ड शा
+
* दूसरों का सम्मान करो, लोग तुम्हारा भी सम्मान करेंगे।  ~ कन्फ्यूशियस
* लक्ष्य रखना काफी नहीं है उसे प्राप्त करना चाहिए। - इतालियन कहावत
+
* इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।  ~ कल्विन कूलिज
* अपने जीवन का लक्ष्य बनाओ और अपनी साडी शारीरिक और मानसिक शक्ति उसे पाने में लगा दो। - कार्लाइल
+
* अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान|  ~ रहीम
  
'''नक़ल'''
+
==क्रांति (Revolution)==
* किसी को अपना व्यक्तित्व छोड़कर दुसरे का व्यक्तित्व नहीं अपनाना चाहिए। - चैनिंग
+
* क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय एवं त्रस्त व्यक्तियों के अन्तःकरण में हुआ करता है।  ~ अज्ञात
* नक़ल के लिए भी कुछ अकल चाहिए। - फारसी कहावत
+
* क्रांति का अर्थ होता है अतीत और भविष्य के बीच एक जबर्दस्त संघर्ष।  ~ फिदेल कास्त्रो
* मानव नक़ल करने वाला प्राणी है और जो सबसे आगे रहता है वो नेत्रित्व करता है। - शिलर
+
* कुशासन के प्रति विद्रोह करना, ईश्वर की आज्ञा मानना है। ~ फ्रेंकलिन
* उपदेश के बजाय कहीं ज्यादा हम हम करके सीखते हैं। - बर्क
+
* जहां कहीं अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहां अंततः विद्रोह का ज्वालामुखी फूटता है।  ~ अज्ञात
* जहाँ नक़ल है वहां खाली दिखावत होगी, जहाँ खाली दिखावत है वहां मूर्खता होगी। - जॉन्सन
+
* 'घूस का च्यवनप्राश खा कर न दीर्घायु बनो, ईमान की मिसाल अब मशाल बनके जल उठी'।  ~ राजीव चतुर्वेदी
  
'''नम्रता'''
+
==त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)==
* बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। - ईसा
+
* प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद
* नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और जिन्दगी मिलती है। - सुलेमान
+
* महान् त्याग से ही महान् कार्य सम्भव है। ~ स्वामी विवेकानंद
* संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की जरूरत नहीं है, ईसा दुनिया के खिलाफ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के खिलाफ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे, अकेले खड़े रहने की शक्ति नम्रता के बिना असंभव है। - महात्मा गाँधी
+
* यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं।  ~ प्रेमचन्द
* मेरा विश्वास है की वास्तविक महान पुरुष की पहचान उसकी नम्रता है। - रस्किन
+
* अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है।  ~ एमर्सन
* नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। - विनोबा
+
* प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग है। ~ भगवान कृष्ण
* ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय। - कबीर
+
* त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से ब्याज।  ~ विनोबा
 +
* पर-स्त्री, पर-धन, पर-निंदा, परिहास और बड़ों के सामने चंचलता का त्याग करना चाहिए।  ~ संस्कृत सूक्ति
 +
* त्याग यह नहीं कि मोटे और खुरदरे वस्त्र पहन लिए जायें और सूखी रोटी खायी जाये, त्याग तो यह है कि अपनी इच्छा अभिलाषा और तृष्णा को जीता जाये।  ~ सुफियान सौरी
  
'''नरक'''
+
==दुःख, कष्ट, उदास, म्लान, व्याधि (Sad)==
* संसार में छल, प्रवंचना और हत्याओं को देखकर कभी कभी मान लेना पड़ता है की यह जगत ही नरक है। - जयशंकर प्रसाद
+
* दुःख की उपेक्षा करो, वह कम हो जाएगा।  ~ सद्गुरु श्रीब्रह्मचेतन्य
* काम, क्रोध, मद, लोभ सब, नाथ नरक के पंथ। - तुलसीदास
+
* अन्याय सहने वाले से ज़्यादा दुःखी, अन्याय करने वाला होता है।  ~ प्लेटो
* अति क्रोध, कटु वाणी, दरिद्रता, स्वजनों से बैर, नीचों का संग और अकुलीन की सेवा, ये नरक में रहाहे वालों के लक्षण हैं। - चाणक्य नीति
+
* किसी दुःखी व्यक्ति के लिए थोड़ी सहायता, ढेरों उपदेशों से कहीं ज़्यादा अच्छी है।  ~ बुलवर
 +
* आज के कष्ट का सामना करने वाले के पास आगामी कल के कष्ट आने से घबराते हैं।  ~ अज्ञात
 +
* ईश्वर जिसे प्यार करते हैं उन्हें रगड़कर साफ़ करतें हैं।  ~ इंजील
 +
* हमारे कष्ट पापों का प्रायश्चित हैं।  ~ हज़रत मोहम्मद
 +
* संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। ~ खलील जिब्रान
 +
* संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है, उससे दुखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना हो, इन दोनों से अधिक दुखी वह है जो सदा रोगी रहता हो और सबसे दुखी वह है जिसकी पत्नी दुष्टा हो।  ~ विदुरनीति
 +
* रहिमन बिपदा हुँ भली, जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा जगत् में, जानि परत सब कोय ॥  ~ रहीम
 +
* तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दु:ख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।  ~  लहरीदशक
 +
* मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।  ~ बर्नार्ड शॉ
 +
* विचित्र बात है कि सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का एक अंश है।  ~ खलील जिब्रान
 +
* एक बात जो मैं दिन की तरह स्पष्ट देखता हूँ यह है कि दुःख का कारण अज्ञान है और कुछ नहीं।  ~ स्वामी विवेकानंद
 +
* पाप का संचय ही दुखों का मूल है।  ~ बुद्ध
 +
* संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं। ~ मृच्छकटिक
 +
* व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।  ~ चाणक्यसूत्राणि-223
 +
* विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।  ~ रावणार्जुनीयम्-5।8
 +
* मानव जीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।  ~ सर विंस्टन चर्चिल
 +
* अरहर की दाल औ जड़हन का भात, गागल निंबुआ औ घिउ तात, सहरसखंड दहिउ जो होय, बाँके नयन परोसैं जोय, कहै घाघ तब सबही झूठा, उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा|  ~ घाघ
  
'''नशा'''
+
==विज्ञान (Science)==
* जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। - तिरुवल्लुवर
+
* धर्म, कला और विज्ञान वास्तव में एक ही वृक्ष की शाखा – प्रशाखाएं हैं।  ~ अल्बर्ट आइंस्टीन
* नशे की हालत में क्रोध की भांति, ग्लानी का वेग भी सहज ही बढ़ जाता है। - प्रेमचंद
+
* विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है। ~ विल्ल डुरान्ट
* नशा करनेवाले मित्र से चले कोई कितना ही प्रेम क्यों ना करता हो पर जब निर्भर करने का अवसर आता है तो वह भरोषा उसपर करता है जो नशा न करता हो। - शरतचंद्र
+
* विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त, प्रयोग और सिमुलेशन।
 +
* विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ ग़लत हैं; यह पूरी तरह ठीक है। ये (ग़लत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं।
 +
* हम किसी भी चीज़ को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते। अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं।  ~ रिचर्ड फ़ेनिमैन
  
'''नाम'''
+
==शांत, चुप, ख़ामोश (Silent)==
* नाम में क्या रखा है जिसे हम गुलाब खाहते हैं वह किसी और नाम से भी सुगंध ही देगा। - शेक्सपियर
+
* प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं।
* अपना नाम सदा कायम रखने के लिए मनुष्य बड़े से बड़ा जोखिम उठाने, धन खर्च करने, हर तरह के कष्ट सहने यहाँ तक की मरने के लिए भी तैयार हो जाता है। - सुकरात
+
* वाणी का वर्चस्व रजत है किंतु मौन का मूल्य स्वर्ण के समान है।
* अपने नाम को कमल की तरह निष्कलंक बनाओ। - लांग फैलो
+
* कभी-कभी मौन रह जाना, सबसे तीखी आलोचना होती है।  ~ अज्ञात
* आदि नाम परस अहै, मन है मैला लोह, परसत ही कंचन भया, छूता बंधन मोह। - कबीर
+
* धनुष से छूटा हुआ तीर ओर मुख से निकला हुआ शब्द कभी वापस नहीं लौटता।  ~ अज्ञात
 +
* इसका खेद अनेक बार हुआ कि में बोल क्यों पड़ा।  ~ पाइथोगोरस
 +
* बोलने में समझदारी से काम लेना, वाक्पटुता से अच्छा है। ~ बेकन
 +
* थोड़ा पढ़ना और अधिक सोचना, कम बोलना और अधिक सुनना, यही बुद्धिमान बनने का उपाय है।
 +
* जो झुकना जानता है, दुनिया उसे उठाती है, जो केवल अकड़ना जानता है, दुनिया उसे उखाड़ फेंकती है।
 +
* खामोश रहो या ऐसी बात कहो जो ख़ामोशी से बेहतर हो।  ~ पाइथोगोरस
 +
* मौन बातचीत की एक महान् कला है।  ~ हैजलिट
 +
* तुम्हे प्रत्येक का उपदेश सुनना चाहिए जबकि अपना उपदेश कुछ ही व्यक्तियों को दो।
 +
* जितना दिखाते हो उससे ज़्यादा तुम्हारे पास होना चाहिए, जितना जानते हो उससे कम तुम्हें बोलना चाहिए।
  
'''नारी'''
+
==मुसकान, मुसकुराहट (Smile)==
* सुन्दर नारी या तो मूर्ख होती नहीं या अभिमानी। - स्पेनी कहावत
+
* मुस्कान प्रेम की भाषा है। ~ हेवर
* पुरुष का नारी के सामान कोई बंधू नहीं। - महाभारत
+
* मुस्कान एक शक्तिशाली हथियार हैं आप इस से फोलाद भी तोड़ सकते हैं।
* यह लौकिक पुरुष के अत्याचार का बहुत निर्बल बहाना है कि नारी का सद्गुण सच्चरित्रता और आज्ञाकारिता है। - राधाकृष्णन
+
* हंसी प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत है। ~ डॉ. लक्ष्मणपति वार्ष्णेय
* नारी की उन्नति पर ही रास्ट्र की उन्नति या अवनति निर्धारित है। - अरस्तु
+
* हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है। ~ महात्मा गांधी
* बदला लेने और प्रेम करने में नारी पुरुष से आगे होती है। - नित्शे
 
* सौन्दर्य से नारी अभिमानी बनती है, उत्तम गुणों से उसकी प्रशंसा होती है और लज्जाशील होकर वह देवी बन जाती है। - शेक्सपियर
 
* नारी को अबला कहाँ उसका अपमान है। - महात्मा गाँधी
 
* नारी सब कुछ सह सकती है पर अपने इच्छा के विरुद्ध प्रेम नहीं कर सकती। - सुदर्शन
 
* नारी सब कुछ सह सकती है, दारुण से दारुण दुःख, बड़े से बड़ा संकट, नहीं सह सकती तो अपनी उमंगो का कुचलाजाना। - प्रेमचंद 
 
  
'''निंदा'''
+
==आत्मा, रूह (Soul)==
* यदि तुम्हारी कोई निंदा करे तो भीतर ही भीतर प्रशन्न हो क्योंकि तुम्हारी निंदा करके वह तुम्हारे पाप अपने ऊपर ले रहा है। - ब्रह्मानंद सरस्वती
+
* सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए।  ~ अवतार सिंह पाश
* ऐ ईमान वालों, दुसरे पर शक मत करो | दूसरों पर शक करना कभी कभी गुनाह हो जाता है। - कुरान
+
* अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व मित्र की भांति चेतावनी देती है।  ~ अज्ञात
* निंदक नियरे रखिये, आँगन कुटी छाबाये, बिन पानी बिन साबुना, निर्मल करे सुहाए। - कबीर
+
* आवेश कोई भावनात्मक ऊर्जा नहीं, बल्कि आत्मा और बाहरी दुनिया का टकराव है। ~ आंद्रेई तारकोव्स्की
* हर किसी की निंदा सुन लो लेकिन अपना निर्णय गुप्त रखो। - शेक्सपियर
+
* हमेशा अपनी आत्मा की आवाज़ सुनो।
* जो तेरे सामने और की निंदा है वो और के सामने तेरी निंदा करेगा। - कहावत
+
* शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के संदर्भ में आंसू का है।  ~ यहूदी कहावत
 +
* जो अवगुण तुम्हे दूसरों में दृष्टिगत होते हैं, उसे अपने भीतर न रहने दो।  ~ स्प्रैट
 +
* कोई अभियोक्ता इतना शक्तिशाली नहीं है, जितना कि अपना अन्तःकरण।  ~ सोफोक्लीज
 +
* अन्तःकरण आत्मा की वाणी है।  ~ जे. जे. रूसो
 +
* सबसे उत्तम तीर्थ निश्चल मन है। ~ शंकराचार्य
 +
* हमें लोहे के पुट्ठे और इस्पात के स्नायु चाहिए, जिनमें वज्र सा मन निवास करे।  ~ स्वामी विवेकानंद
 +
* आत्मा को न शाश्त्र काट सकता है, न आग जला सकती है, न जल भिगो सकता है और न हवा सुखा सकती है।  ~ भगवत गीता
 +
* क्या तुम नहीं जानते ही तुम ही ईश्वर का मंदिर हो और ईश्वर की आत्मा तुममे रहती है।  ~ इंजील
 +
* अगर मेरे पास दो रोटियां हो तो मैं एक के फूल ख़रीदूंगा ताकि रूह को गिज़ा मिल सके।  ~ हजरत मोहम्मद
 +
* सबकी आत्मा एक जैसी है, सबकी आत्मा की शक्ति एक सामान है। कुछ की शक्ति प्रकट हो गयी है और दूसरों की प्रकट होनी बाकी है।  ~ महात्मा गाँधी
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* आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है।  ~ उमर खैयाम
 +
* आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है।  ~ गेटे
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* अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित स्वरूप को आत्मा प्रकाशित करता है।  ~ टैगोर
  
'''तीन बातें'''
+
==अध्ययन, पढ़ना (Study)==
* तीन बातें कभी न भूलें- (1) प्रतिज्ञा करके (2) क़र्ज़ लेकर (3) विश्वास देकर। - महावीर
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* दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही ज़रूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि।  ~ जोसफ एडिसन
* तीन बातें करो- (1) उत्तम के साथ संगीत (2) विद्वान् के साथ वार्तालाप (3) सहृदय के साथ मैत्री। - विनोबा
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* इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है।  ~ बेकन
* तीन अनमोल वचन- (1) धन गया तो कुछ नहीं गया (2) स्वास्थ्य गया तो कुछ गया (3) चरित्र गया तो सब गया। - अंग्रेजी कहावत
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* चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं।  ~ सत्य साईंबाबा
* तीन से घृणा न करो- (1) रोगी से (2) दुखी से (3) निम्न जाती से। - मुहम्मद साहब
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* अध्ययन से सरल कोई मनोरंजन नहीं, न कोई आनन्द इतना चिरस्थायी है।  ~ लेडी मौण्टेग्यू
* तीन के आंसू पवित्र होते हैं- (1) प्रेम के (2) करुना के(3) सहानुभूति के। - बुद्ध
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* सरस्वती से बढ़कर कोई वैध नहीं और उसकी साधना से बढ़कर कोई औषध नहीं।  ~ अज्ञात
* तीन बातें सुखी जीवन के लिए- (1) अतीत की चिंता मत करो (2) भविष्य का विश्वास न करो (3) वर्तमान को व्यर्थ मत जाने दो।
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* वस्तुएं बल से छीनी या धन से ख़रीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है।
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* जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है।  ~ स्वामी विवेकानंद
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* प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान् बने हैं।  ~ सिसरो
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* भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो। ~ कन्फ्यूशियस
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* सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है।
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* हम जितना अध्ययन करते हैं उतना हमे अज्ञान का आभास होता है।
  
'''स्त्री'''
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==सफलता, विजय, जीत (Success)==
* किसी स्त्री के सलाह लीजिये और जो कुछ भी वह कहे उसका उल्टा कीजिये निश्चित रूप से आप बुद्धिमान बन जायेंगे। - टॉमस मूर
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* जीतता वह है जिसमें शौर्य, धैर्य, साहस, सत्व और धर्म होता है।  ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
* औरत के बाल आमतौर पर लम्बे होते हैं पर उसकी जुबान और भी ज्यादा लम्बी होती है। - शेक्सपियर
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* समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं।  ~ एंथनी रॉबिन्स
* जब लड़की शरमाना बंद कर देती है तो वह अपनी सुन्दरता का सबसे शक्तिशाली आकर्षण खो देती है। - ग्रेगरी
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* जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते।  ~ गौत्तम बुद्ध
* एक आकर्षक स्त्री रत्नजडित आभूषण है एवं एक अच्छी स्त्री कोषाध्यक्ष। - अज्ञात
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* जो अकले चलते हैं, वे शीघ्रता से बढ़ते हैं।  ~ नेपोलियन
* स्त्री अवं संगीत को कभी समय से सम्बंधित नहीं करना चाहिए। - अज्ञात
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* सफलता का कोई रहस्य नहीं है, वह केवल अत्यधिक परिश्रम चाहती है।  ~ हेनरी
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* जिस व्यक्ति में सफलता के लिए आशा और आत्मविश्वास है, वही व्यक्ति उच्च शिखर पर पहुंचते हैं।
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* लगातार प्रयत्न करने वाले लोगों की गोद में सफलता स्वयं आकर बैठ जाती हैं।  ~ भारवि
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* कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं।  ~ महात्मा गांधी
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* सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता।  ~ विल्सन
 +
* वही सफल होता है, जिसका काम उसे निरन्तर आनन्द देता है।  ~ थोरो
 +
* ध्येय की सफलता के लिए पूर्ण एकाग्रता और समर्पण आवश्यक है।  ~ ब्राउन
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* सफलता में दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है।  ~ प्रेमचन्द
 +
* अपने ऊपर विजय प्राप्त करना, सबसे बड़ी विजय है।  ~ अज्ञात
 +
* एक सफ़ल मनुष्य होने के लिये सुदृढ़ व्यक्तित्व की आवश्यकता है।  ~ अज्ञात
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* असफलता का मतलब यह नहीं कि आप असफल हैं, इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आप अब तक सफल नहीं हो पाए हैं।  ~ रॉबर्ट शुलर
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* हमें अपनी असफलताओं पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज़्यादा अच्छा होता है। लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है।  ~ बोमन ईरानी
 +
* ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है।
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* महान् संकल्प ही महान् फल का जनक होता है।  ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
 +
* एकाग्रता से ही विजय मिलती है।
 +
* सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है।
 +
* जीवन में सफलता का रहस्य, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है।  ~ डिजरायली
 +
* आत्मविश्वास सफलता का प्रमुख रहस्य है।  ~ इमर्सन
 +
* असफलता केवल यह सिद्ध करती है कि प्रयत्न पूरे मन से नहीं हुआ।  ~ श्रीराम शर्मा आचार्य
 +
* जो पढ़ते हो, उसे अमल में लाना सीखो, यही उन्नति का मार्ग है।  ~ स्वामी रामतीर्थ
 +
* सिर्फ सपनों से कुछ नहीं होता, सफलता प्रयासों से हासिल होती है।  ~ अज्ञात
 +
* पारस्परिक व्यवहार प्रगति का सार है।  ~ बक्टन
 +
* यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो अपना ध्यान समस्या खोजने में नहीं समाधान खोजने में लगाइए।
 +
* सफलता कर्म करने से मिलती है।
 +
* अपनी असफलताओं को खुद पर हावी मत होने दो, बल्कि असफलताओं को ही अपनी सफलता की सीढी के रूप में इस्तेमाल करो।
 +
* दुनिया आपको मुफ़्त में कुछ नहीं देती। सफलता जैसी बेशकीमती चीज़ तो बिलकुल नहीं। अतः सफलता का पकवान चखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
 +
* सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है।
 +
* सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता, साहस और कोशिश।
 +
* मैं नहीं जानता कि सफलता की सीढी क्या है; असफला की सीढी है, हर किसी को प्रसन्न करने की चाह।  ~ बिल कोस्बी
 +
* सफलता के लिये कोई लिफ्‍ट नहीं जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा।
 +
* हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नहीं।  ~ हेनरी डेविड
 +
* मैं सफलता के लिए इंतज़ार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला।  ~ जोनाथन विंटर्स
 +
* सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता। क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो।  ~ किन हबार्ड
 +
* प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं।  ~ जान मैकनरो
 +
* किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो।  ~ हरिशंकर परसाई
 +
* सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं।
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* एकाग्र रहने वाला सदा सफलता का वरण करता है।  ~ अत्रि मुनि
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* कोई भी काम एक दिन में नहीं सफल होता। काम एक पेड़ की तरह होता है। पहले उसकी आत्मा में एक बीज बोया जाता है, हिम्मत की खाद से उसे पोषित किया जाता है और मेहनत के पानी से उसे सींचा जाता है, तब जाकर सालों बाद वह फल देने के लायक़ होता है।  ~ स्टीवन स्पीलबर्ग
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* सफलता के लिए इन्तजार करना आना चाहिए। पौधे से फल की इच्छा रखना मूर्खता से अधिक कुछ भी नहीं है।  ~ स्टीवन स्पीलबर्ग
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* असफलता सफलता प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
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* अपने मस्तिष्क को अपना रास्ता स्वयं खोजने की शक्ति दीजिये।
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* मेहनत कीजिये लेकिन बिना योजना के नहीं। एक-एक क़दम उठाइए। जब एक क़दम उठा चुके हों तब तैयारी करें।
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* आकांक्षा क्षणिक नहीं होती, न ही उन्मादी होती है।  
 +
* आवेग कहता है,- रुको मत, चलते रहो। ढ्लो मत, निखरते रहो।
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* हर सुबह मैं अपनी आँखे खोलता हूँ उस भविष्य को सँवारने के लिए जो मेरे लिए ख़ास है। हर रात मैं अपनी आँखे बंद कर लेता हूँ और देखता हूँ कि मेरा लक्ष्य थोड़ा और मेरे पास है।
 +
* प्रयासरत रहिये, सुख संजोइए
 +
* सफल लोग अपने मस्तिष्क को इस तरह का बना लेते हैं कि उन्हें हर चीज़ सकारात्मक व ख़ूबसूरत लगती है।
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* असल में सफल लोग अपने निरंतर विश्वास से जीतते हैं लेकिन वे असफलताओं का मुकाबला भी उसी विश्वास से करते हैं।
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* सफलता के लिए विश्वास पैदा कीजिये। असफल होने पर भी उस विश्वास को क़ायम रखिये।
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* सफलता सार्वजनिक उत्सव है, जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक। -थामस जेफरसन
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* सफल व्यक्ति सकारात्मक ढंग से प्रशंसा करते हैं और हँसी मजाक पर बुरा नहीं मानते। वे उत्साह फैलाते हैं। उनकी सकारात्मकता चारो तरफ़ फैलती है और उसकी खुशबु हर जगह बिखरती रहती है।
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* सफल लोग सबकी परवाह करते हैं। उनका यह लिहाज़ भी उन्हें दूसरों से अलग बनाता है।
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* प्रयासों को प्रोत्साहित कीजिये।
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* तुम मुझे प्रोत्साहित करो, में तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा।  ~ विलियम आर्थर बार्ड
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* अपनी सृजनात्मकता को तराशते रहिये।
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* बदलती मनः स्थिति ही एक स्वस्थ व रचनाशील व्यक्तित्त्व की निशानी है।
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* नकल नहीं, सृजन करिए।
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* प्रयास करें अपनी आत्मा के छिद्रों को पहचान कर उन्हें सिलने का।
 +
* सोचें और लिखें : मेरी विशेषताएँ, बदलाव की आवश्यकता, मैं कैसे बदलाव करना चाहता हूँ।
 +
* हम जो भी हैं, जो कुछ भी करते हैं, वह तभी होता है जब हम उसे वास्तव में करना चाहते हैं।  ~ पाओले कोएले
 +
* जहाज़ समंदर के किनारे सर्वाधिक सुरक्षित रहता है। मगर क्या आप नहीं जानते कि उसे किनारे के लिए नहीं, बल्कि समंदर के बीच में जाने के लिए बनाया गया है?
 +
* हमारी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम अपने जीवन का प्रतिक्षन, प्रतिघंटा और प्रतिदिन कैसे बिताते हैं।
  
'''निद्रा'''
+
==प्रतिभा, योग्यता, कौशल (Talent)==
* निद्रावस्था जागृतावस्था की स्तिथि का आईना है। - महात्मा गाँधी
+
* जब जादू के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह कला बन जाता हैं।  ~ बेन ओकरी
* निद्रा रोगी की माता, भोगी की प्रियतमा और आलसी की बेटी है। - अज्ञात
+
* एश्वर्य उपाधि में नहीं वरन् इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं।  ~ अरस्तू
* निद्रा एक ऐसा अथाह सागर है जिसमे हम सब अपने दुखों को डुबो देते है। - प्रेमचंद
+
* वास्तव में बड़ा वह है जो, उदार है।
* सोता साथ जगाइए, करै नाम का जाप, यह तीनों सोते भले, साकत सिंह और सांप। - कबीर
 
  
'''निराशा'''
+
==लक्ष्य, ध्येय, योजना, गंतव्य (Target)==
* निराशा दुर्बलता का चिन्ह है। - रामतीर्थ
+
* लक्ष्य प्राप्ति के लिये सहज प्रव‌्त्तियों को होम कर देना होता है।  ~ सम्पूर्णानन्द
* निराशा में प्रतीक्षा अंधे की लाठी है। - प्रेमचंद
+
* सब मनुष्यों के कर्मों का लक्ष्य उन्नति कि चरम सीमा को प्राप्त करना है।  ~ सत्य साईं बाबा
* निराशा स्वर्ग का सीलन है जैसे प्रशन्नता स्वर्ग की शांति। - डाने
+
* अपने लक्ष्यों को पूरा होते देखने का सिद्धान्त जीवन के सभी क्षेत्रों में काम करता है।  
 +
* जब भी लक्ष्य तय करो, उसके लिए जुनूनी होना होगा। नाकामियों का आप पर नकारात्मक असर नहीं होना चाहिए। लक्ष्य को हासिल करने में कितना समय लग रहा है, उससे विचलित होने की जरुरत नहीं है।  
 +
* सार्थकता हासिल करने के लिए स्पष्ट तस्वीर बिल्कुल अनिवार्य है।
 +
* जहां संकल्प बड़ा होता हैं, वहां विपदा और संकट बड़े नहीं हो सकते।  ~ मैकियावेली
 +
* लक्ष्य जितना बड़ा होता है, उसका रास्ता भी उतना ही लंबा और बीहड़ होता है।  ~ साने गुरुजी
 +
* सबकी सुनने और मानने वाला किसी नतीजे पर नहीं पहुंचता।
 +
* अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है।
 +
* हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो।
 +
* ध्येय जितना महान् होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता है।
 +
* यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो।  ~ तिरुवल्लुवर
 +
* अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे।  ~ बर्नार्ड शा
 +
* लक्ष्य रखना काफ़ी नहीं है उसे प्राप्त करना चाहिए।  ~ इतालियन कहावत
 +
* अपने जीवन का लक्ष्य बनाओ और अपनी साडी शारीरिक और मानसिक शक्ति उसे पाने में लगा दो।  ~ कार्लाइल
  
'''नियम'''
+
==शिक्षक, अध्यापक, उस्ताद, गुरु (Teacher)==
* नियम यदि एक क्षण के लिए टूट जाये तो सारा सूर्यमंडल अस्त-व्यस्त हो जाए। - महात्मा गाँधी
+
* माता-पिता जीवन देते हैं, लेकिन जीने की कला तो शिक्षक ही सिखाते हैं।  ~ अरस्तु
* जो अपने लिए नियम नहीं बनाता उसे दूसरों के नियमों पर चलना पड़ता है। - हरिभाऊ उपाध्याय
+
* गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है।  ~ शेख सादी
* प्रकृति का यह साधारण नियम है जो कभी नहीं बदलेगा ही योग्य अयोग्यों पर शासन करते रहेंगे। - दायोनीसियस
+
* अपने विवेक को अपना शिक्षक बनाओ।
 +
* शिष्य के ज्ञान पर सही करना यही गुरु का काम है, बाकी के लिए शिष्य स्वावलंबी है।  ~ विनोबा
 +
* सच्चा गुरु अनुभव है। ~ स्वामी विवेकानंद
 +
* कबीरा ते नर अंध हैं, गुरु को मानत और हरी रुठै गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर।  ~ कबीर
  
'''निश्चय'''
+
==सोच, ख़याल, विचार, मत (Thinking)==
* अनुभव बताता है की आवश्यकता कल में द्रिड निश्हय पूरी सहायता करता है। - शेक्सपियर
+
* उस विचार को रोक पाना नामुमकिन है, जिसका वक्त आ गया हो।  ~ विक्टर ह्यूगो
* जिसका निश्चय द्रिड और अटल है बह दुनिया को अपनी सोच में ढाल सकता है। - गेटे
+
* संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है न शत्रु। तुम्हारा अपना विचार ही, इसके लिए उत्तरदायी है।  ~ चाणक्य
* हम अपने अच्छे से अच्छे कर्मो पर भी लज्जित हो सकते हैं यदि लोग केवल उस निश्चय को देख सकें जिसकी प्रेरणा से वो किये गए हैं। - रोची
+
* व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतने ही कम शब्दों में वह उनको अभिव्यक्त कर देता है।
* सच्ची से सच्ची और अच्छी से अच्छी चतुराई निश्चय है। - नेपोलियन
+
* अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है। ~ स्वामी रामतीर्थ
* जो व्यक्ति निश्चय कर सकता है उसके लिए कुछ असंभव नहीं है। - एमर्सन
+
* मनुष्य अपने हृदय में जैसा विचारता है, वैसा ही बन जाता है।  ~ बाइबिल
 +
* महान् विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान् कृतियां बन जाते हैं।  ~ हेजलिट
 +
* अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है।
 +
* कंजूस : वह व्यक्ति जो ज़िंदगी भर ग़रीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके।
 +
* अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो ग़लती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे।
 +
* अनुभव : भूतकाल में की गई ग़लतियों का दूसरा नाम।
 +
* कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं।
 +
* दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय।
 +
* मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी ख़ूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है।
 +
* नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है।
 +
* आशावादी : वह शख़्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले।
 +
* राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और ग़रीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा।
 +
* आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके।
 +
* सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना।
 +
* ज्ञानी : वह शख़्स जिसे प्रभावी ढंग से, सीधी बात को उलझाना आता है।
 +
* मनोचिकित्सक : जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूं ही पूछती रहती है।
 +
* समिति : वह व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, लेकिन यह निर्णय मिलकर करते है की साथ-साथ कुछ नहीं किया जा सकता।
 +
* ईमानदार नेता : वह जिसे एक बार ख़रीद लिया जाए तो फिर जाए तो फिर वह ख़रीदा हुआ ही रहे।
 +
* जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता।  ~ स्वामी विवेकानंद
 +
* हम दुनिया को नहीं बदल सकते, मगर दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण तो बदल सकते हैं।  ~ स्वामी रामदास
  
'''नीचता'''
+
==समय, काल, वक़्त (Time)==
* स्वाभाव की नीचता बर्षों में भी मालूम नहीं होती। - शेख सादी
+
* समय पर कार्य नहीं करने से व्यक्ति लाभ और उन्नति से कोसों दूर हो जाता है।  ~ बाबा फरीद
* कुछ कही नीच छेडिये, भलो न वाको संग, पाथर दारे कीच में, उछारे बिगारे अंग। - वृन्द
+
* भविष्य वर्तमान के द्वारा क्रय किया जाता है।  ~ जॉनसन
* नीच मनुष्य के साथ मैत्री और प्रेम कुछ भी नहीं करना चाहिए, कोयला अगर जल रहा है तो छूने से जला देता है और अगर ठंडा है तो हाथ काले कर देता है। - हितोपदेश
+
* जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है।  ~ महात्मा गांधी
* दाग जो काला नील का, सौ मन साबुन धोय, कोटि जतन पर बोधिये, कागा हंस न होय। - कबीर
+
* जो समय का ज़्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज़्यादा शिकायत करते हैं।  ~ ब्रूयर
* जो उपकार करनेवाले को नीच मनाता है उससे अधिक नीच कोई दूसरा नहीं। - विनोबा
+
* समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य उपकारी होता है।  ~ योगवशिष्ठ
* शक्तियों का एक नियम है जिसके कारण चीजें समुद्र में एक खास गहराई से नीचे नहीं जा सकती लेकिन नीचता के समुद्र में हम जितने जहरे जाये डूबना उतना ही आसान होता है। - लाबैल
+
* बिता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते।  ~ कहावत
* नीच को देखने और उसकी बातें सुनाने से ही हमारी नीचता का आरम्भ होता है। - कन्फ्युसियास
+
* जो अपने समय का सबसे ज़्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज़्यादा शिकायत करते हैं।  - ब्रूयर
 +
* जीवन छोटा ही क्यों हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है।  ~ जॉनसन
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* वर्तमान परिस्थिति में हम क्या करते, सोचते और विश्वास करते हैं, उसी से हमारा भविष्य तय होता है।
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* सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं हैं।
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* सोने का प्रत्येक धागा मूल्यवान होता है, इसी प्रकार समय का प्रत्येक क्षण भी मूल्यवान होता है।  - मेसन
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* समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता।
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* बीता हुआ समय और कहे हुए शब्द कदापि वापस नहीं आ सकते।  - कहावत
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* प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है।
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* समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है।  - बेकन
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* समय महान् चिकित्सक है।
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* एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है।  - सेनेका
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* हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है।
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* राजा: कुछ ऐसा लिखो जिसे पढ़ कर ख़ुशी में गम हो और गम में पढ़ो तो ख़ुशी हो? वजीर: यह समय बीत जायेगा।
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* दौड़ना काफ़ी नहीं है, समय पर चल पड़ना चाहिए।  ~ फ़्रान्सीसी कहावत
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* समय पर थोड़ा सा प्रयत्न भी आगे की बहुत-से परेशानियों को बचाता है। - कहावत
 +
* बुद्धिमान लोग अतीत की घटनाओं पर नहीं पछताते, वे भविष्य की चिन्ता नहीं करते, केवल वर्तमान जगत् में पूर्णतया कर्म करते हैं।
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* सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता हैं।  – मार्टिन लूथर किंग जूनीयर
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* जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी प्रकार रात और दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते।  – महाभारत
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* मैंने समय को नष्ट किया है। अब समय मुझको नष्ट कर रहा है।  - शेक्सपीयर
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* समय फिरने पर मित्र भी शत्रु हो जाते हैं।  - गोस्वामी तुलसीदास
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* हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य।  ~ ऑस्कर वाइल्ड
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* सही टाइमिंग पर लगभग हर बात सकारात्मक तरीके से कही जा सकती है।
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* हम आज अच्छे हैं, ये भी एक किस्म का पागलपन है।  ~ एडवर्ड यंग
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* वक्त को बर्बाद न् करो, क्योंकि ज़िन्दगी इसी से बनी है।  ~ फ्रेंकलिन
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* आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः । स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥
 +
* करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता।
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* वह (क्षण) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है, ऐसे नर-पशु को नमस्कार।
 +
* समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज़ है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है।  ~ बेन्जामिन फ्रैंकलिन
 +
* समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतज़ार नहीं करतीं।  ~ अज्ञात्
 +
* किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा। यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा।
 +
* क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत। (क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये)
 +
* काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब । पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥  ~ [[कबीरदास]]
 +
* समय-लाभ सम लाभ नहिं, समय-चूक सम चूक । चतुरन चित रहिमन लगी, समय-चूक की हूक ॥
 +
* अपने काम पर मै सदा समय से 15 मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है।
 +
* हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये। यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है।
 +
* दीर्घसूत्री विनश्यति। (काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है)
 +
* समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है। ~ एनॉन
 +
* ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे।  ~ [[प्रेमचन्द]]
  
'''नेकी'''
+
==विश्वास, यक़ीन, भरोसा (Trust)==
* नेकी कर दरिया में डाल। - कहावत
+
* विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है।
* मधुमक्खियाँ केवल अँधेरे में काम करती है। विचार केवल मौन में काम आते हैं, नेक कार्य भी गुप्त रहकर ही कारगर होते हैं। - कार्लाइल
+
* विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है।  ~ महात्मा गांधी
* नेकी का इरादा बदी की ख्वाहिश को दबा देता है। - हज़रत अली
+
* असन्तोष अपने ऊपर अविश्वास का फल है, यह कमज़ोर इच्छा का रूप है। ~ एमर्सन
* जितने दिन ज़िन्दा हो, उसे ग़नीमत समझो और इससे पहले की लोग तुम्हे मुर्दा कहें नेकी कर जाओ। - शेख़ सादी
+
* वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता।  ~ स्वामी विवेकानंद
 +
* वे ही विजयी हो सकते है, जिन्हें विश्वास है कि वे विजयी होंगे।  ~ वर्जिल
 +
* विश्वास का अभाव अज्ञान है। ~ स्वामी रामतीर्थ
 +
* विश्वास जीवन कि शक्ति है।  ~ टालस्टाय
  
'''न्याय'''
+
==सच, सत्य, साँच (Truth)==
* न्याय का मोती दया के ह्रदय में मिलता है। - जर्मन कहावत
+
* अगर आप सच बोलते हैं, तो आपको ज़्यादा कुछ याद रखने की जरुरत नहीं है।  ~ मार्क ट्वेन
* मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदास बनने से पूर्व त्यागी बने। - डिकेंस
+
* सत्य स्वयं सिद्ध नहीं है, उसे सिद्ध करना पड़ता है।
* जब से मुझे पता चला है की मखमल के गद्दे पर सोनेवालों के सपने ज़मीन पर सोनेवालों के सपने से मधुर नहीं होते, तब से मुझे न्यायप्रभु के न्याय में श्रद्धा हो गयी है। - खलील जिब्रान
+
* वस्तुगत यथार्थ वास्तव में स्वप्न के भीतर एक और स्वप्न की तरह है।  ~ एडगर एलन पो
* न्याय की बात कहने के लिए हर समय ठीक है। - सोफोक्लिज़
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* डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है। ~ प्रेमचंद
* न्याय में देर करना न्याय को अस्वीकार करना है, ईश्वर की चक्की धीरे चलती है पर बारीक पीसती है। - कहावत
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* असत् का अस्तित्व नहीं है और सत् का नाश नहीं है।  ~ योगीराज श्रीकृष्ण
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==समझना, सुबोध (Understanding)==
 +
* ईश्वर ने समझ की कोई सीमा नहीं रखी है। - बेकन
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* संघर्ष और उथल-पुथल के बिना जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। इसलिए जीवन में आने वाली विषमताओं को सह लेना ही समझदारी है।  – विनोबा भावे
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* समझ मस्तिष्क का प्रकाश है। – विल्स
  
'''पछतावा, पश्चाताप'''
+
==एकता, योग, मेल (Unity)==
* अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत। - कहावत
+
* एकता से हमारा अस्तित्व क़ायम रहता है, विभाजन से हमारा पतन होता है। ~ जॉन डिकिन्सन
* करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताए, बोवे पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाए। - कबीर
+
* एकता चापलूसी से क़ायम नहीं की जा सकती।  ~ महात्मा गाँधी
* पछतावा ह्रदय की वेदना है और निर्मल जीवन का उदय। - शेक्सपियर
+
* यदि चिड़ियाँ एकता कर लें तो शेर की खल खींच सकती हैं।  ~ शेख सादी
* सुधार के बिना पश्चाताप ऐसा है जैसे सुराख़ बंद किये बिना जहाज में से पानी निकलना। - पामर
+
* एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है।  ~ अज्ञात
* मुझे कोई पछतावा नहीं क्योंकि मैंने किसी का बुरा नहीं किया। - महात्मा गाँधी
+
* संघे शक्तिः (एकता में शक्ति है)
  
'''पड़ौसी'''
+
==अक़्लमंद, चतुर, होशियार (Wise)==
* कोई भी इतना धनी नहीं कि पड़ौसी के बिना काम चला सके। - डेनिस कहावत
+
* सतर्कता तभी सार्थक होती है, जब सदैव बरती जाए।
* जब तुम्हारे पड़ौसी के घर में आग लगी तो तुम्हारी संपत्ति पर भी खतरा है। - होरेस
+
* उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन।  ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर
* सच्चा पड़ौसी वह नहीं जो तुम्हारे साथ उसी गली में रहता है बल्कि वह है जो तुम्हारे विचार स्तर पर रहता है। - रामतीर्थ
+
* दुसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है।  ~ जवाहरलाल नेहरू
 +
* रोग, शत्रु और कर्ज़ अपने आप बढ़ते हैं। इन्हें तुंरत जड़ से ख़त्म कर देना चाहिए।
 +
* आदत को अगर नहीं रोका जाय तो शीघ्र ही वे लत बन जाती हैं।
 +
* प्रतिष्ठा बनाने में कई वर्ष लग जाते हैं, कलंक एक क्षण में लग जाता है।  ~ अज्ञात
 +
* गुस्सा आपको छोटा बनाता है, क्षमा आपको विस्तार देती है।
 +
* परामर्श तो अनेक प्राप्त करते है,किन्तु उससे लाभ उठाना बुद्धिमानों को ही आता है।  ~ साइरस
 +
* सावधानी बुद्धिमानी की सबसे बड़ी संतान है।  ~ विक्टर ह्यूगो
 +
* निन्दा से बचने का अचूक एवं शीघ्र उपचार स्वयं को सुधार लेना ही है।  ~ डिमास्थनीज
 +
* किसी मित्र को अपना ऐसा भेद मत बताओ, जिसके ज़ाहिर हो जाने पर बदनामी हो।  ~ थेल्स
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* नीतिसम्मत है कि स्वार्थवश भी दुर्जन व्यक्ति को साथ नहीं लेना चाहिए।  ~ अज्ञात
 +
* चतुर मनुष्य अपना ज्ञान छिपाकर रखता है, पर मूर्ख अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करता है। ~ बाइबिल
 +
* ना तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे और ना ही इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये।  ~ टॉल्स्टॉय
 +
* प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, बुरा किसी का मत करो।
  
'''पति-पत्नी'''
+
==महिला, नारी, औरत, स्त्री (Woman)==
* योग्य पति अपनी पत्नी को सम्मान की अधिकारिणी बना देता है। - मनु
+
* जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है।
* जिसे पति बनाना है उसके लिए पुरुष बनाना ज़रूरी है। - टैगोर
+
* स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है। ~ अरस्तू
* पति को कभी-कभी अँधा और कभी-कभी बहरा होना चाहिए। - कहावत  
+
* सुयोग्य स्त्री परिवार की शोभा तथा गृह की लक्ष्मी है।  ~ मनु
* कर्मेशु मंत्री; कार्येशु दासी ; रुपेशु लक्ष्मी; क्षमाया धरित्री; भोज्येशु माता; शयनेशु रम्भा; सत्कर्म नारी  कुलधर्मपत्नी। - पति के किये कार्य में मंत्री के समान सलाह देने वाली, सेवा में दासी के सामान काम करने वाली, माता के समान स्वादिष्ट भोजन करने वाली, शयन के समय रम्भा के सामान सुख देने वाली, धर्म के अनुकूल और क्षमादी गुण धारण करने में पृथ्वी के सामान स्थिर रहनेवाली होती है। - संस्कृत सूक्ति
+
* स्त्रियों की मान-हानि साक्षात् लक्ष्मी और सरस्वती की मान हानि है।  ~ सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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* किसी स्त्री के सलाह लीजिये और जो कुछ भी वह कहे उसका उल्टा कीजिये निश्चित रूप से आप बुद्धिमान बन जायेंगे।  ~ टॉमस मूर
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* औरत के बाल आमतौर पर लम्बे होते हैं पर उसकी जुबान और भी ज़्यादा लम्बी होती है।  ~ शेक्सपियर
 +
* जब लड़की शरमाना बंद कर देती है तो वह अपनी सुन्दरता का सबसे शक्तिशाली आकर्षण खो देती है। ~ ग्रेगरी
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* एक आकर्षक स्त्री रत्नजडित आभूषण है एवं एक अच्छी स्त्री कोषाध्यक्ष।  ~ अज्ञात
 +
* स्त्री अवं संगीत को कभी समय से सम्बंधित नहीं करना चाहिए। ~ अज्ञात
 +
* सुन्दर नारी या तो मूर्ख होती नहीं या अभिमानी।  ~ स्पेनी कहावत
 +
* पुरुष का नारी के सामान कोई बंधू नहीं। ~ महाभारत
 +
* यह लौकिक पुरुष के अत्याचार का बहुत निर्बल बहाना है कि नारी का सद्गुण सच्चरित्रता और आज्ञाकारिता है। ~ राधाकृष्णन
 +
* नारी की उन्नति पर ही रास्ट्र की उन्नति या अवनति निर्धारित है। ~ अरस्तु
 +
* बदला लेने और प्रेम करने में नारी पुरुष से आगे होती है। ~ नित्शे
 +
* सौन्दर्य से नारी अभिमानी बनती है, उत्तम गुणों से उसकी प्रशंसा होती है और लज्जाशील होकर वह देवी बन जाती है। ~ शेक्सपियर
 +
* नारी को अबला कहाँ उसका अपमान है। ~ महात्मा गाँधी
 +
* नारी सब कुछ सह सकती है पर अपने इच्छा के विरुद्ध प्रेम नहीं कर सकती।  ~ सुदर्शन
 +
* नारी सब कुछ सह सकती है, दारुण से दारुण दुःख, बड़े से बड़ा संकट, नहीं सह सकती तो अपनी उमंगो का कुचलाजाना।  ~ प्रेमचंद
  
'''पराधीनता'''
+
==काम, कार्य, कर्म, कृत्य (Work)==
* पराधीन को ज़िन्दा कहें तो मुर्दा कौन है? - हितोपदेश
+
* परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाज़ा खोल देती है।  ~ चाणक्य
* कोई ईमानदार आदमी हड्डी की ख़ातिर अपने को कुत्ता नहीं बना सकता, और अगर वह ऐसा करता है तो वह ईमानदार नहीं है। - डेनिस कहावत  
+
* किसी कार्य को ख़ूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए।  ~ नेपोलियन
* नौकर रखना बुरा है लेकिन मालिक रखना और भी बुरा है। - पुर्तग़ाली कहावत
+
* ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता।  ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
* पराधीनता समाज के समस्त मौलिक नियमों के विरुद्ध है। - मान्तेस्क्यु
+
* मनुष्य जन्म से नहीं बल्कि कर्म से शूद्र या ब्राह्मण होता है।  ~ गौतम बुद्ध
* जिन्हें हम हीन या नीच बनाये रखते है वो भी क्रमशः हमें हेय और दीन बना देता हैं। - टैगोर
+
* जो श्रम से लजाता है, वह सदैव परतंत्र रहता है।  ~ शरण
* गुलामी में रखना इंसान के शान के खिलाफ है, जिस गुलाम को अपनी दशा का मान है और फिर भी जंजीरों को तोड़ने का प्रयास नहीं करता वह पशु से हीन है, अन्तः करण से प्रार्थना करनेवाला कभी गुलामी को बर्दास्त नहीं कर सकता। - महात्मा गाँधी
+
* कार्य की अधिकता से उकताने वाला व्यक्ति, कभी कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता।  ~ अब्राहम लिंकन
 +
* अपने से हो सके, वह काम दूसरे से न कराना।  ~ महात्मा गांधी
 +
* सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता।  ~ स्वामी रामतीर्थ
 +
* काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है।  ~ महात्मा गांधी
 +
* महान् कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं।  ~ जॉनसन
 +
* पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है।  ~ अज्ञात
 +
* कमज़ोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण।  ~ मदनमोहन मालवीय
 +
* प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत श्रम है।  ~ एडीसन
 +
* अच्छे कार्य करने के लिए कभी शुभ मुहूर्त मत पूछो।  ~ अज्ञात
 +
* बड़े कार्य, छोटे कार्यों से आरम्भ करना चाहिए।  ~ शेक्सपियर
 +
* स्वतंत्र वही है, जो अपना काम स्वयं कर लेता है।  ~ विनोबा भावे
 +
* योग्यता से बिताए हुए जीवन को,हमें वर्षों से नहीं बल्कि कर्मों के पैमाने से तौलना चाहिए।  ~ शेरिडेन
 +
* जागरण का अर्थ है कर्म में अवतीर्ण करना।  ~ जयशंकर प्रसाद
 +
* जो काम आ पड़े, साधना समझ कर पूरा करो।  ~ स्वामी रामदास
 +
* कहने की प्रकृति छोडो, करने का अभ्यास करो।  ~ अज्ञात
 +
* प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है।
 +
* जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है।  ~ ब्राह्मण ग्रन्थ
 +
* कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही।
 +
* ग़लत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं।
 +
* जीवन में सबसे ज़्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो।
 +
* आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है।
 +
* कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है।
 +
* जीवन में ऐसा काम करो कि परिवार, गुरु और परमात्मा तीनों तुमसे खुश रहें।  ~ स्वामी ज्योतिनंद
 +
* कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही।
 +
* कर्म सरल है, विचार कठिन।
 +
* अपने काम में सुन्दरता तलाशो| उससे सुंदर और कुछ हों ही नहीं सकता।  ~ रूमी
 +
* हमारे लिए चींटी से बढ़कर और कोई उपदेशक नहीं है। वह काम करती है और खामोश रहती है।
 +
* अगर कुछ महत्व रखता है तो वह है कर्म और प्रेम।  ~ सिगमंड फ्रोयड
 +
* दौड़ना काफ़ी नहीं है समय पर चल पड़ना चाहिए।  ~ फ़्रांसिसी कहावत
 +
* जिसने निश्चय कर लिया उसके लिए बस करना बाकि रह जाता है। ~ इटैलियन कहावत  
 +
* वाही काम करना ठीक है जिसके लिए बाद में पछताना ना पड़े, और जिसके फल को प्रसन्ना मन से भोग सके।  ~ बुद्ध
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* यदि कोई काम नहीं करता तो उसे खाना भी नहीं चाहिए।  ~ बाइबल
 +
* किसी भी काम को ख़ूबसूरती से करने के लिए उसे मन से करना चाहिए।  ~ नेपोलियन
 +
* बिना काम के सिधांत दिमागी एय्याशी है, बिना सिधांत के कार्य अंधे की टटोल हैं।  ~ जवाहरलाल नेहरु
 +
* कर्म तो कामधेनु है, उसे दुहना आएं तो आनंदरूप दूध मिलेगा।  ~ श्री वल्लभाचार्य
 +
* रूप या जन्म गौरव के कारण नहीं बनाते, इन्सान अपने कर्म से ही शोभा बढ़ा सकता है।  ~ पंचतंत्र
 +
* जिसकी जीभ (ज़बान) छोटी, उसका कार्य बड़ा; जिसकी जीभ बड़ी, उसका कार्य छोटा।  ~ गुजराती कहावत
 +
* कर्म का ध्वनी शब्द से भी ऊंचा है।  ~ जापानी कहावत
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* कर्म के स्वरूप का विचार करने से नम्रता आती है और धर्म का विचार करने से निर्भयता आती है।  ~ हितोपदेश
  
'''परिवर्तन'''
+
==चिंता, आकुलता (Worry)==
* हर चीज़ बदलती है, नष्ट कोई चीज़ नहीं होती। - अरविन्द घोस
+
* कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है।  ~ स्वेट मार्डेन
* परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है और स्थिर होना मृत्यु। - जयशंकर प्रसाद
+
* अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय।  ~ शेख सादी
* स्वयं को बदल दो भाग्य बदल जायेगा। - कहावत
+
* चिंताएं, परेशानियां, दुःख और तकलीफें परिस्थितियों से लड़ने से नहीं दूर हो सकतीं, वे दूर होंगी अपनी अंदरूनी कमज़ोरी दूर करने से जिसके कारण ही वे सचमुच पैदा हुईं है।  ~ स्वामी रामतीर्थ
 +
* प्राणियों के लिए चिंता ही ज्वर है।  ~ शंकराचार्य
 +
* बिस्तर पर चिंताओं को ले जाना, पीठ पर गट्ठर बाँध कर सोना है।  ~ हैली बर्टन
 +
* चिंता रोग का मूल है।  ~ प्रेमचंद
 +
* चिंता करता हूँ मैं जितनी उस अतीत की, उस सुख की, उतनी ही अनंत में बनती  जातीं रेखाएं दुःख की।  ~ जयशंकर प्रसाद
 +
* चिंता एक काली दिवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती।  ~ प्रेमचंद
 +
* चिंता चिता सामान है।  ~ अज्ञात
 +
* निश्चंत मन, भरी थैली से अच्छा है।  ~ अरबी कहावत
 +
* कुटुंब कि चिंता से परेशां व्यक्ति कि कुलीनता, शील और गुण कच्चे घड़े में रखे पानी की तरह है।  ~ संस्कृत सूक्ति
 +
* चिंता वहां तक तो वांछनीय है जहाँ तक वह रचनात्मक ध्येय की पूर्ति के लिए विविध उपायों का मनन करने तक सीमित हो, परन्तु जब चिंता इतनी बढ़ जाये कि वह शरीर को खाने लगे तो वह अवांछनीय हो जाती है क्योंकि फिर तो वह अपने ध्येय को ही हरा बैठती है।  ~ महात्मा गाँधी
  
'''परिश्रम'''
+
==युवा, जवानी (Youth)==
* परिश्रम करने से ही कार्य सिद्ध होते है, केवल इच्छा करने से नहीं। - हितोपदेश
+
* युवा होने का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि भावनाओं का पुंज और उत्साह का स्त्रोत हो | ~ गणेश शंकर
* मरते दम तक तू अपने पसीने की कमाई की रोटी खाना। - बाइबल
 
* मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र उसकी दस उंगलियाँ हैं। - राबर्ट कोलियर
 
* मानव सुख जीवन में है और जीवन परिश्रम में है। - अज्ञात
 
  
 +
==Other Quotes==
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* स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है।  ~ गुरु गोविन्द सिंह
 +
* स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है।  ~ प्रेमचंद
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* ग़रीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।  ~ सरदार वल्लभभाई पटेल
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* महान् वह है जो दृढतम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है।  ~ सेनेका
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* महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो।  ~ थॉमसन
 +
* जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है।
 +
* क्षमा से बढ़कर ओर किसी बात में पाप को पुण्य बनाने की शक्ति नहीं है।  ~ जयशंकर प्रसाद
 +
* ईर्ष्या अपनी हीनता के बोध से जन्म लेती है। वह उसे दूर नहीं करती, सिर्फ दबाती है।  ~ जैनेन्द्र
 +
* अपराध करने के बाद भय उत्पन्न होता है ओर यही उसका दण्ड है।  ~ वाल्टेयर
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* किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ। शांतिपूर्वक जियो ओर दूसरों को भी जीने दो।  ~ महावीर स्वामी
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* आपके पास जो है, उसके लिए कृतज्ञ रहने का विकल्प चुने……… आज ही, अभी।
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* दुर्भाग्य घोड़े पर सवार होकर आता है और पैदल वापस जाता है।  ~ फ़्रांसीसी लोकोक्ति
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* आवश्यकता आविष्कार की जननी है।  ~ कहावत
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* संतुलित व्यक्ति दूसरों के गुणों को स्वीकार करते हैं, परंतु अपने महत्व को भी कम नहीं आंकते।
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* संकल्प और सकारात्मक आत्म-चर्चा तभी तक उपयोगी है, जब तक कि हम अपनी अराधना ही न करने लगें।
 +
* पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने के बजाय तारीफ़ करना ज़्यादा अच्छा होता है।
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* सच तो यह है कि आशावाद और अपेक्षा के एहसास से भरे लोग शायद ही कभी निराश होते हैं।
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* हमारी रुचि हमारे जीवन कि परख और हमारे मनुष्यत्व की पहचान है।  ~ रस्किन
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* अधिकारों का उपयोग नहीं करना, खुद के शोषण को आमंत्रण देना है।  ~ विलियम पिट
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* उपहार और विरोध तो सुधारक के पुरस्कार हैं।  ~ प्रेमचंद
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* प्रेम के बाद सहानुभूति मानव हृदय की पवित्रतम भावना है।  ~ बर्क
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* पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने की बजाए तारीफ करना ज़्यादा अच्छा होता है।
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* जो दान अपनी कीर्ति-गाथा गाने को उतावला हो उठता है, वह अहंकार एवं आडम्बर मात्र रह जाता है।  ~ हुट्टन
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* उड़ान भरने की अपेक्षा, जब हम झुकते हैं, तब विवेक के अधिक निकट होते हैं।  ~ वर्ड्सवर्थ
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* बातचीत प्रिय हो, पर ओछी न हो, आश्चर्यजनक हो, पर असत्य न हो।  ~ शेक्सपियर
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* विश्व, रेखागणित के लिए भारत का ऋणी है, यूनान का नहीं।  ~ डॉ. थिवो
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* स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है।  ~ हर्बर्ट स्पेन्सर
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* विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को।  ~ कालिदास
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* महान् लेखक, अपने पाठक का मित्र और शुभचिन्तक होता है।  ~ मेकाले
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* सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं।  ~ एनन
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* शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए।  ~ अज्ञात
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* शब्द की शक्ति, हमारी सारी उन्नति का आधार है।  ~ जैनेन्द्र कुमार
  
 
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{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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{{अनमोल वचन}}
 
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[[Category:अनमोल वचन]]
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08:25, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन 1, अनमोल वचन 2, अनमोल वचन 3, अनमोल वचन 4, अनमोल वचन 5, अनमोल वचन 7, अनमोल वचन 8, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत

अनमोल वचन

योग्यता, कौशल (Ability)

  • केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। ~ प्रेमचंद
  • कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। ~ प्रेमचंद
  • गुण छोटे लोगों में द्वेष और महान् व्यक्तियों में स्पर्धा पैदा करता है। ~ फील्डिंग
  • कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है। ~ अज्ञात
  • मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से। ~ लाला लाजपतराय
  • यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी। ~ स्वामी रामतीर्थ
  • महान् व्यक्ति न किसी का अपमान करता है ओर न उसको सहता है। ~ होम
  • नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है। ~ स्वामी रामदास
  • मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से महान् बनता है। ~ आविद
  • ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। ~ विनोबा भावे

सलाह, परामर्श, मशवरा (Advice)

  • बिना मांगे किसी को हरगिज नसीहत मत दो। ~ जर्मन कहावत
  • जब हम किसी नई परियोजना पर विचार करते हैं तो बड़े गौर से उसका अध्ययन करते हैं – महज सतही तौर पर नहीं, बल्कि उसके हर एक पहलू का। – वाल्ट डिज्नी

क्रोध, ग़ुस्सा, ताव (Anger)

  • क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है। ~ महात्मा गांधी
  • मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है। ~ बाइबिल
  • क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की ग़लतियों कि सजा स्वयं को देना।
  • जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो। ~ कन्फ्यूशियस
  • क्रोध से धनि व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का पात्र होता है। ~ कहावत
  • क्रोध मूर्खता से प्रारम्भ और पश्चाताप पर खत्म होता है। ~ पाईथागोरस
  • क्रोध के सिंहासनासीन होने पर बुद्धि वहां से खिसक जाती है। ~ एम. हेनरी
  • जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है। ~ रवीन्द्रनाथ ठाकुर
  • क्रोध मस्तिष्क के दीपक को बुझा देता है। अतः हमें सदैव शांत व स्थिरचित्त रहना चाहिए। ~ इंगरसोल
  • क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाती है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है और भ्द्धि नष्ट होने पर प्राणी स्वयं नष्ट हो जाता है। ~ कृष्ण
  • क्रोध यमराज है। ~ चाणक्य
  • क्रोध एक प्रकार का क्षणिक पागलपन है। ~ महात्मा गाँधी
  • क्रोध में की गयी बातें अक्सर अंत में उलटी निकलती हैं। ~ मीनेंदर
  • जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध नहीं करता और क्षमा करता है वह अपनी और क्रोध करनेवाले की महासंकट से रक्षा करता है। ~ वेदव्यास
  • सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिंता से पल भर में थक जाता है। ~ जेम्स एलन
  • क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक गिनो, अगर ज़्यादा क्रोध में तो सौ तक। ~ जेफरसन

सौंदर्य, सुंदरता, शबाब (Beauty)

  • सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। ~ सादी
  • वास्तविक सोन्दर्य हृदय की पवित्रता में है। ~ महात्मा गांधी
  • सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। ~ भगवतीचरण वर्मा
  • सोंदर्य आकार और सममिति पर निर्भर होता है। चाहे कोई जीव छोटा हो या बेहद बड़ा वह ख़ूबसूरती को परिभाषित नहीं करता, क्योंकि उसको एक दृष्टि मात्र में देखने पर उसकी स्पष्ट नहीं होती है, इसलिए वे परिपूर्ण की श्रेणी में नहीं आते। ~ अरस्तु
  • मेरी नजर में मेरा क़रीबी दोस्त कभी भी वृद्ध नहीं हो सकता। वह वैसा ही रहेगा जैसा मैंने उसे पहली बार देखा था, उसकी खुबसूरती वैसी ही दिखेगी जैसी मैंने पहली नजर में देखी थी। ~ विलियम शेक्सपियर
  • अतिशय सुंदरता कभी-कभी हमें भयानक रूप से ठेस भी पहुंचा सकती है। - एदुआर्दो गैलियानो
  • ख़ूबसूरती एक अनुभव है, इसके सिवा कुछ भी नही| इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नहीं हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफ़ी है। ~ डी. एच. लॉरेंस़
  • ख़ूबसूरती चेहरे पर नहीं होती| ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड‍़ती है। ~ खलील जिब्रान
  • जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह ज़रूरी भी नहीं कि हमारे भीतर से भी वही ख़ूबसूरती दिखाई दे। ~ जॉर्ज सेंड
  • दुनिया की सबसे अच्छी और ख़ूबसूरत चीज़ें कभी देखी या छुई नहीं गई, वे बस दिल के साथ घुल – मिल गईं। ~ हेलेन कलर
  • सुंदर चीजों पर यकीन बनाये रखिये| याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा। ~ गिल्सन|
  • एक शख़्स हर दिन संगीत सुने, थोड़ी सी कविता पढ़े और अपने जीवन की सुंदर तस्वीर रोज देखे … उसे सुंदरता की परिभाषा तलाशने की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि भगवान ने सरे संसार का सौंदर्य उसकी झोली में डाल रखा है। ~ गोयथे|
  • ख़ूबसूरती में मानव खुद को पूर्णता के स्तर पर देखता है, कुछ परिस्थितियों में वह खुद की पूजा करता है, मनुष्य यह मान लेता कि यह पूरा विश्व ख़ूबसूरती से भरा हुआ है यह भूल जाता है कि जो सुंदरता वह देख रहा है वह उसके ‌‍द्वारा बनाई हुई है। मानव ने अकेले ही इस जहान को ख़ूबसूरती अर्पित कि है। ~ फ्रेडरिक नीत्शे
  • सुंदरता जब आपको आकर्षित कर रही होती है, व्यक्तित्व तब तक आपके दिल पर कब्ज़ा कर चुका होता है। ~ अज्ञात
  • हम सारी दुनिया घूमते और ख़ूबसूरती तलाशते रहते हैं.. कभी मुड़ के भी नहीं देखते.. अपने पास ही छुपी हुई ख़ूबसूरती की और। ~ इमर्सन
  • कभी भी कुछ सुंदर देखने का मौक़ा मत छोडो, सच तो यह है कि ख़ूबसूरती भगवान की लिखावट है.. हर चेहरे पर, धुले-धुले आसमान में, हर फूल में उसकी लिखावट नज़र आएगी.. और हे भगवान, इस सौंदर्य के लिये हम आपके आभारी हैं। ~ राल्फ वाल्डो इमर्सन|
  • सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो। ~ जोन मुइर

पुस्तक, किताब, ग्रंथ (Book)

  • सभी अच्छी पुस्तकों को पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन व्यक्तियों के साथ संवाद करने जैसा है। ~ रेने डकार्टेस
  • जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं। ~ जवाहरलाल नेहरू
  • किताबों में इतना ख़ज़ाना छुपा हैं, जितना कोई लुटेरा कभी लूट नहीं सकता। ~ वाल्ट डिज्नी
  • लोगों को मारा जा सकता है। लेखकों को भी, लेकिन किताबों को मारना संभव नहीं। ~ अमोस ओज
  • किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना। ~ चाणक्य
  • बिना ग्रंथों का कक्ष, बिना आत्मा की देह है। ~ शरण
  • पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं। ~ महात्मा गांधी
  • विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं। ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ
  • आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। ~ टसर
  • अच्छा ग्रंथ एक महान् आत्मा का अमूल्य जीवन रक्त है। ~ मिल्टन

परिवर्तन, बदलना, अस्थिर (Change)

  • बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब ग़लतियों से पूरी मुक्ति है, लेकिन यह तो अकेली सर्वज्ञता का विशेषाधिकार है। ~ सी सी काल्टन
  • सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है।
  • हर चीज़ बदलती है, नष्ट कोई चीज़ नहीं होती। ~ अरविन्द घोस
  • परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है और स्थिर होना मृत्यु। ~ जयशंकर प्रसाद
  • स्वयं को बदल दो भाग्य बदल जायेगा। ~ कहावत

चरित्र, स्वभाव, ख़ासियत (Character)

  • तुम बर्फ़ के समान विशुद्ध रहो और हिम के समान स्थिर तो भी लोक निन्दा से नहीं बच पाओगे।
  • अच्छी आदतों से शक्ति की बचत होती है, अवगुण से बर्बादी। ~ जेम्स एलन
  • हमारी दुनिया को सबसे ज़्यादा एक नए नैतिक ढांचे की दरकार है। ~ ह्यूगो शावेज
  • चरित्र एक वृक्ष है, मान एक छाया। हम हमेशा छाया की सोचते हैं, लेकिन असलियत तो वृक्ष ही है। - अब्राहम लिंकन
  • किसी व्यक्ति के चरित्र को उसके द्वारा प्रयुक्त विशेषणों से जाना जा सकता है। ~ मार्क ट्वेन
  • बुद्धि के साथ सरलता, नम्रता तथा विनय के योग से ही सच्चा चरित्र बनता है।
  • आचरण अच्छा हो तो मन में अच्छे विचार ही आते हैं।
  • सुन्दर आचरण, सुन्दर देह से अच्छा है। ~ इमर्सन
  • जैसे आचरण की तुम दूसरों से अपेक्षा रखते हो, वैसा ही आचरण तुम दूसरों के प्रति करो। ~ ल्यूक
  • अपकीर्ति दण्ड में नहीं, अपितु अपराध में है। ~ एलफिरी
  • दूसरों को क्षति पंहुचाकर अपनी भलाई कि आशा नहीं करनी चाहिए।
  • चरित्रवान व्यक्ति अपने पद और शक्ति का अनुचित लाभ नहीं उठाते।
  • चरित्र आत्मसम्मान की नींव है।
  • अपने चारित्रिक सुधार का आर्किटेक्ट खुद को बनना होगा।
  • जैसा अन्न, वैसा मन।
  • अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है। ~ प्ल्यूटस
  • जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही महान् व्यक्ति बन सकता है। ~ सुकरात
  • बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं। ~ स्वामी विवेकानंद
  • आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है। ~ इमर्सन
  • वृक्ष, सरोवर, सज्जन और मेघ-ये चारों परमार्थ हेतु देह धारण करते हैं। ~ महात्मा कबीर
  • चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए। ~ महात्मा गांधी
  • संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं। ~ रूसो
  • अच्छा स्वभाव, सोंदर्य के अभाव को पूरा कर देता है। ~ एडीसन
  • व्यवहार वह दर्पण है, जिसमें प्रत्ये़क का प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है। ~ गेटे
  • चरित्र वृक्ष है और प्रतिष्ठा उसकी छाया। - अब्राहम लिंकन
  • चरित्र के बिना ज्ञान बुराई की ताकत बन जाता है, जैसे कि दुनिया के कितने ही 'चालाक चोरों' और 'भले मानुष बदमाशों' के उदाहरण से स्पष्ट है। - महात्मा गाँधी
  • दुर्बल चरित्र का व्यक्ति उस सरकंडे जैसा है जो हवा के हर झौंके पर झुक जाता है। - माघ
  • चरित्र मनुष्य के अन्दर रहता है, यश उसके बाहर। - अज्ञात
  • स्वास की क्रिया के सामन हमारे चरित्र में एक ऐसी सहज क्षमता होनी चाहिए जिसके बल पर जो कुछ प्राप्य है वह अनायास ग्रहण कर लें और जो त्याज्य है वह बिना क्षोभ के त्याग सकें। - टैगोर
  • समाज के प्रचलित विधि विधानों के उल्लंघन केवल चरित्र-बल पर ही सहन किया जा सकता है। - शरतचंद्र
  • कठिनाइयों को जीतने, वासनाओ का दमन करने और दुखों को सहन करने से चरित्र उच्च सुदृढ़ और निर्मल होता है। - अज्ञात

दया, सहानुभूति, मेहरबानी (Compassion)

  • दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है। ~ बेली
  • मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं। ~ हजरत मोहम्मद
  • जो सचमुच दयालु है, वही सचमुच बुद्धिमान है, और जो दूसरों से प्रेम नहीं करता उस पर ईश्वर की कृपा नहीं होती। ~ होम
  • दया के छोटे-छोटे से कार्य, प्रेम के जरा-जरा से शब्द हमारी पृथ्वी को स्वर्गोपम बना देते हैं। ~ जूलिया कार्नी
  • न्याय करना ईश्वर का काम है, आदमी का काम तो दया करना है। ~ फ्रांसिस
  • दयालुता हमें ईश्वर तुल्य बनती है। ~ क्लाडियन
  • दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। ~ प्रेमचंद
  • दया सबसे बड़ा धर्म है। ~ महाभारत
  • दया दोतरफी कृपा है। इसकी कृपा दाता पर भी होती है और पात्र पर भी। ~ शेक्सपियर
  • जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं। ~ शेख सादी
  • दयालुता दयालुता को जन्म देती है। ~ सोफोक्लीज
  • परोपकारियों का मार्ग न समुद्र रोक सकता है और न पर्वत। ~ अज्ञात
  • दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोड़िये, जब लग घट में प्राण। ~ तुलसीदास
  • जिसमे दया नहीं उसमे कोई सद्गुण नहीं। ~ हज़रत मोहम्मद
  • दया और सत्यता परस्पर मिलते हैं, धर्म और शांति एक दुसरे का साथ देतें हैं। ~ बाइबल
  • हम सभी ईश्वर से दया कि प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमे दूसरों पर दया करना सिखाती है। ~ शेक्सपियर
  • जो निर्बलों पर दया नहीं करता उसे बलवानों के अत्याचार सहने पड़ेंगे। ~ शेख सादी
  • दया चरित्र को सुन्दर बनती है। ~ जेम्स एलन
  • आत्मा के आनंद रूपी सामंजस्य का बाहरी रूप दया है। ~ विलियम हैज़लित
  • सबपर दया करनी चाहिए क्योंकि ऐसा कोई नहीं है जिसने कभी अपराध नहीं किया हो। ~ रामायण
  • कितने देव, कितने धर्म, कितने पंथ चल पड़े पर इस शोकग्रस्त संसार को केवल दयावानों कि आवश्यकता है। ~ विलकास्य

प्रतियोगिता, मुक़ाबला (Competition)

  • स्पर्धा और प्रतिस्पर्धा से वातावरण दीप्त और उद्दीप्त रहता है। ~ जैनेन्द्र कुमार

आत्मविश्वास, निर्भीकता, निश्चय (Confidence)

  • आत्मविश्वास किसी भी कार्य के लिए आवश्यक तत्व है। क्योंकि एक बड़ी खाई को दो छोटी छलांगों में पार नहीं किया जा सकता। ~ अज्ञात
  • आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं। ~ जिम लोहर
  • पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी इसलिए नहीं डरता कि डाल हिल रही है, क्योंकि पंछी डाली में नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है।
  • आत्मविश्वास हमारे उत्साह को जगाकर हमें जीवन में महान् उपलब्धियों के मार्ग पर ले जाता है।
  • अनुभूतियों के सरोवर में, आत्म-विश्वास के कमाल खिलते हैं। ~ अमृतलाल नागर
  • आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कार्य को पूरा करके ही छोड़ता है। ~ स्वेट मार्डेन
  • आत्मविश्वास वह संबल है, जो रास्ते की हर बाधा को धराशायी कर सकता है।
  • आत्मविश्वास, वीरता का सार है। ~ एमर्सन
  • आत्मविश्वास, सफलता का मुख्य रहस्य है। ~ एमर्शन
  • आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो। ~ डेल कार्नेगी
  • हास्यवृति, आत्मविश्वास (आने) से आती है। ~ रीता माई ब्राउन
  • मुस्कराओ, क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है, और किसी दूसरी चीज़ की अपेक्षा मुस्कान उनको ज़्यादा आश्वस्त करती है। ~ एन्ड्री मौरोइस
  • करने का कौशल आपके करने से ही आता है।
  • यह आत्मविश्वास रखो को तुम पृथ्वी के सबसे आवश्यक मनुष्य हो। ~ गोर्की
  • जिसमे आत्मविश्वास नहीं उसमे अन्य चीजों के प्रति विश्वास कैसे उत्पन्न हो सकता ही। ~ विवेकानंद
  • आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीन जीवन को परम शांति सम्पन्न बना देते हैं। ~ टेनीसन
  • जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध
  • मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस चीज़ की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है। ~ हेलेन कलर की किताब 'स्टोरी आफ लाइफ़'

साहस, हिम्मत, पराक्रम (Courage)

  • निराश हुए बिना पराजय को सह लेना, पृथ्वी पर साहस की सबसे बड़ी मिसाल है। ~ इंगरसोल
  • हमारी सुरक्षा, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे ग्रह के लिए बदलाव लाने का हममें साहस और प्रतिबद्धता होनी चाहिए। ~ बराक ओबामा (अमेरिकी राष्ट्रपति)
  • मानव के सभी गुणों में साहस पहला गुण है, क्योंकि यह सभी गुणों की ज़िम्मेदारी लेता है। ~ चर्चिल
  • प्रेरणा कि हर अभिव्यक्ति में पुरुषार्थ और पराक्रम कि आवश्यकता है। ~ जैनेन्द्र कुमार
  • जो हर झाड़ी की जांच करता है, वह वन में क्या घुस पाएगा। ~ जर्मन कहावत
  • यह संकल्प कर लें कि यह जोखिम लेने योग्य है, तो आपको तत्काल कर्म करने का साहस जुटा लेना चाहिए।
  • सच्चा साहसी वह है, जो बड़ी से बड़ी विपत्ति को बुद्धिमत्तापूर्वक सह सकता है। ~ शेक्सपीयर
  • हर परिस्थिति में शांत रहने वाला निश्चित ही शिखर को छुता है।
  • साहस का अर्थ होता है यह पता होना कि किस बात से डरना नहीं चाहिए। ~ प्लेटो
  • वह सच्चा साहसी है, जो कभी निराश नहीं होता।
  • साहसे खलु श्री वसति। (साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं)
  • ज़रूरी नहीं है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो, लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है।
  • बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है। ~ आर. जी. इंगरसोल
  • बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते। हम कृपालु, दयालु, सत्यवादी, उदार या इमानदार नहीं बन सकते।
  • जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है।
  • हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है। दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है।

कायरता, कायर (Coward)

  • कायर तभी धमकी देता है, जब सुरक्षित होता है। ~ गेटे
  • जो दूसरों की स्वाधीनता छीनते हैं, वास्तव में कायर हैं। ~ अब्राहम लिंकन
  • कायरता से कहीं ज़्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना। ~ महात्मा गांधी
  • कुरीति के अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है। ~ महात्मा गांधी
  • सौभाग्य वीर से डरता है और सिर्फ भीरु को भयभीत करता है। ~ सेनेका
  • कायर अपने जीवन काल में ही अनेक बार मरते है, परन्तु वीर पुरुष केवल एक ही बार मरते हैं।
  • अत्याचार और भय दोनों कायरता के दो पहलू हैं। ~ अज्ञात
  • घर का मोह कायरता का दूसरा नाम है। ~ अज्ञात
  • मैं कायरता तो किसी हाल में सहन नहीं कर सकता, आप कायरता से मरें इसकी बजाये बहादुरी से प्रहार करते हुए और प्रहार सहते हुए मैं कहीं बेहतर समझूंगा। ~ महात्मा गाँधी

सृजन, रचना, निर्माण (Creation)

  • एक बीज बढ़ते हुए कभी कोई आवाज़ नहीं करता, मगर एक पेड़ जब गिरता है तो जबरदस्त शोर और प्रचार के साथ, विनाश में शोर है, सृजन हमेशा मौन रहकर समृद्धि पाता है।

मृत्यु, अंत, ख़तम, नाश (Death)

  • मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं। क्योंकि ये हमारे मित्र के रूप में नहीं शत्रु के रूप में आते हैं। ~ भगवतीचरण वर्मा
  • जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। ~ तिरुवल्लुवर
  • नशे की हालत में क्रोध की भांति, ग्लानी का वेग भी सहज ही बढ़ जाता है। ~ प्रेमचंद
  • नशा करनेवाले मित्र से चले कोई कितना ही प्रेम क्यों ना करता हो पर जब निर्भर करने का अवसर आता है तो वह भरोषा उसपर करता है जो नशा न करता हो। ~ शरतचंद्र

अनुशासन, आत्मसंयम (Discipline)

  • हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते। ~ महात्मा गांधी

दान, चंदा (Donation)

  • दान से वस्तु घटती नहीं बल्कि बढ़ती है।
  • जब घर में धन और नाव में पानी आने लगे, तो उसे दोनों हाथों से निकालें, ऐसा करने में बुद्धिमानी है, हमें धन की अधिकता सुखी नहीं बनाती। ~ संत कबीर
  • सैकड़ों हाथो से इकट्ठा करो और हजारों हाथों से बांटो। ~ अथर्ववेद
  • सज्जनों कि रीति यह है कि कोई अगर उनसे कुछ मांगे तो वे मुख से कुछ न कहकर, काम पूरा करके ही उत्तर देते हैं। ~ कालिदास
  • जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम, दोउ हाथ उलीचिये, यही सयानों काम। ~ कबीर
  • तुम्हारा बायाँ हाथ जो देता है उसे दायाँ हाथ ना जानने पाए। ~ बाइबल
  • दान देकर तुम्हे खुश होना चाहिए क्योंकि मुसीबत दान की दीवार कभी नहीं फांदती। ~ हज़रत मोहम्मद
  • सबसे उत्तम दान यह है कि आदमी को इतना योग्य बना दो कि वह बिना दान के काम चला सके। ~ तालमुद
  • दान के लिए वर्तमान ही सबसे उचित समय है।
  • युधिस्तर के पास एक भिखारी आया। उन्होंने उसे अगले दिन आने के लिए कह दिया। इस पर भीम हर्षित हो उठे। उन्होंने सोचा कि उनके भाई ने कल तक के लिए मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है। ~ महाभारत
  • विनम्र भाव से ऐसे दान करना चाहिए जैसे उसके लेने से आप कृतज्ञ हुए। ~ डॉ. के. के. अग्रवाल

सपना, ख़याल (Dream)

  • हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव
  • सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता, सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डॉ. अब्दुल कलाम
  • स्वप्न द्रष्टाऔर यथार्थ के स्रष्टा बनिए। ~ अज्ञात
  • अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ निश्चय में परिणित कर दे जाती है। ~ स्वेट मार्डेन
  • सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता। सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डॉ. अब्दुल कलाम

कर्तव्य, धर्म, फर्ज़ (Duty)

  • सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं। ~ प्रेमचंद
  • कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता। कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है। ~ प्रेमचंद
  • कृतज्ञता एक कर्तव्य है,जिसे पूरा करना चाहिए। ~ रूसो
  • विदेश में विद्या ,घर में पत्नी ,रोगी के लिए औषधि और मृतक का मित्र धर्म है। ~ अज्ञात
  • कर्तव्य एक चुम्बक है, जिसकी ओर आकर्षित हुआ अधिकार दौड़ा आता है। ~ अज्ञात
  • मेरे दायें हाथ में कर्म है और बायें हाथ में जय ! - अथर्ववेद
  • फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। - गीता
  • कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। - कहावत
  • कर्म वह आईना है जो हमारा स्वरूप हमें दिखा देता है इसलिए हमें कर्म का एहसानमंद होना चाहिए। - विनोबा
  • मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। - डिकेंस
  • मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। - नेपोलियन
  • हमारी आनंदपूर्ण बदकारियाँ ही हमारी उत्पीड़क चाबुक बन जाती हैं। - शेक्सपियर
  • अपनी करनी कभी कभी निष्फल नहीं जाती। - कबीर
  • सनास्त कर्म का लक्ष्य आनंद की ओर है। - टैगोर

शिक्षा (Education)

  • शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन
  • बच्चों को शिक्षित करना तो ज़रूरी है ही, उन्हें अपने आप को शिक्षित करने के लिए छोड़ देना भी उतना ही ज़रूरी है। ~ अर्नेस्ट डिमनेट
  • संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा सब से बढ़कर है। ~ सूर्यकांत त्रिपाठी
  • शिक्षा जीवन की तैयारी का शिक्षण काल है। ~ विल्मट
  • युवकों की शिक्षा पर ही राज्य आधारित है। ~ अरस्तू
  • विद्या अमूल्य और अनश्वर धन है। ~ ग्लैडस्टन

दुश्मन, शत्रु, विरोधी (Enemy)

  • अहिंसा अच्छी चीज़ है, लेकिन शत्रुहीन होना अच्छी बात है। ~ विमल मित्र
  • दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है। ~ सरदार पटेल

बुराई, दुष्ट (Evil)

  • पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है। ~ विवेकानन्द
  • एक बुराई, दूसरी बुराई को जनम देती है। ~ शेक्सपियर
  • बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी, एक दिन नौका को डूबो देती है। ~ कालिदास
  • अति अगर अच्छाई की हो तो वह भी अतंत: बुराई में तब्दील हो जाती है। ~ विलियम शेक्सपियर

डर, भय, ख़ौफ़ (Fear)

  • जिसे भविष्य का भय नहीं रहता, वही वर्तमान का आनंद उठा सकता है। ~ अज्ञात
  • भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है। ~ स्वामी विवेकानंद
  • जैसे ही भय आपकी ओर बढ़े, उस पर आक्रमण करते हुए उसे नष्ट कर दो। ~ चाणक्य
  • जो चुनौतियों का सामना करने से डरता है, उसका असफल होना तय है। ~ अज्ञात
  • भय से ही दु:ख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। ~ विवेकानंद
  • तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥
  • भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार करना चाहिये। ~ पंचतंत्र
  • जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। ~ पंचतंत्र
  • ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी माँ बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी माँ के चरणों में डाल जाते हैं। ~ बर्ट्रेंड रसेल
  • डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है। ~ एमर्सन
  • आदमी सिर्फ़ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ। ~ नेपोलियन

दोस्ती, मित्रता, मैत्री (Friendship)

  • मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो। ~ अरस्तू
  • दोस्त वह है, जो आपको अपनी तरह जीने की पूरी आज़ादी दे। ~ जिम मॅारिसन
  • अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई उसका मित्र नहीं होता।
  • सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है।
  • ज्ञानी दोस्त ज़िंदगी का सबसे बड़ा वरदान है। ~ यूरीपिडीज
  • कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है। ~ फ्रेंकलिन
  • झूठे मित्र साये की तरह होते हैं। धूप में साथ चलते हैं और अंधेरे में साथ छोड़ देते हैं। ~ अज्ञात
  • सच्चे मित्र के तीन लक्षण हैं- अहित को रोकना, हित की रक्षा करना और विपत्ति में साथ नहीं छोड़ना।
  • सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और हर्ष दुगुना प्रतीत होता है। ~ जानसन

मज़ाकिया, अजीब (Funny)

  • कामयाब व्यक्ति की आधुनिक परिभाषा: जो पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल करता है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी।
  • एक सरकारी दफ़्तर के बोर्ड पर लिखा था कृप्या शोर न करें। किसी ने उसके नीचे लिख दिया। वरना हम जाग जायेंगे।
  • हर विषय को मिनी स्कर्ट की तरह होना चाहिये। इतना छोटा कि लोगों का इन्ट्रस्ट बना रहे और ज़रूरी चीज़े भी कवर हो जाये।
  • किशोरावस्था :ऐसी आयु जिसमें लड़के लड़कियों को ताड़ने लगते हैं और लड़कियां ताड़ने लगती हैं कि लड़के उन्हें ताड़ने लगे हैं।
  • आदर्श पत्नी :जो बरतन, कपड़े, झाड़ू, पोंछा … कहने का मतलब घर के सभी काम, करने में पति की मदद करे।
  • गाली: क्रोध के समय मुख से निकले शब्द अथवा शब्दों का समूह, जिनके उच्चारण के पश्चात् व्यक्ति के हृदय को शान्ति का अनुभव होता है।
  • मनोचिकित्सक: जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूँ ही पूछती रहती है।
  • राय – वह इकलौती वस्तु जिसका देना अधिक सुखद है उसके लेने की अपेक्षा।
  • दृढ़ता – वह गुण जो हममें हो तो सत्याग्रह, दूसरे में हो तो दुराग्रह।
  • अधिकारी: वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफ़ी देर से आता है।
  • नेता: वह शख़्स जो अपने देश के लिये आपकी जान की कुर्बानी देने को हमेशा तैयार रहता है।
  • पड़ोसी: वह महानुभाव जो आपके मामलों को आपसे ज़्यादा समझते हैं।
  • शादी: यह मालूम करने का तरीका कि आपकी बीबी को कैसा पति पसन्द आता।
  • कान्फ्रेन्स रूम: वह स्थान जहां हर व्यक्ति बोलता है, कोई नहीं सुनता है और अंत में सब असहमत होते हैं।
  • श्रेष्ठ पुस्तक: जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता कोई नहीं है।
  • कार्यालय: वह स्थान जहां आप घर के तनावों से मुक्ति पाकर विश्राम कर सकते हैं।
  • मच्छर: इंजेक्शन की ऐसी सिरिंज जो उड़ सकती है।
  • एक आशावादी सोचता है कि गिलास आधा भरा है, निराशावादी का विचार होता है कि गिलास आधा ख़ाली है, पर एक यथार्थवादी जानता है कि वह आसपास बना रहा तो अंतत: गिलास उसे ही धोना पड़ेगा।

ईश्वर, भगवान, परमात्मा, खुदा, प्रभु, अल्लाह (God)

  • ईश्वर को देखा नहीं जा सकता, इसीलिए तो वह हर जगह मौजूद है। - यासुनारी कावाबाता
  • यदि ईश्वर का अस्तित्व न होता, तो उसके आविष्कार की आवश्यकता पड़ती। ~ वाल्टेयर
  • मैं ईश्वर से डरता हूँ और ईश्वर के बाद उससे डरता हूँ जो ईश्वर से नहीं डरता। - शेख सादी
  • ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है। - हज़रत मोहम्मद
  • ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है। - महात्मा गाँधी
  • यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना ज़रूरी है। - वाल्टेयर
  • ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है। - अरविन्द
  • ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता। - टैगोर
  • ईश्वर निराकार है। मगर उनके गुण-कर्म-स्वभाव अनंत है। - दयानंद सरस्वती
  • ईश्वर एक ही है, भक्ति उसे अलग-अलग रूप में वर्णन करती है। - उपनिषद्
  • जो प्रभु कृपा में सच्चा विशवास रखता है, उसके लिएँ अनंत कृपा बहती है। - माताजी
  • परमात्मा हमेशा दयालु है। जो शुद्ध हृदय से उसकी मदद मांगता है उसे वह अवश्य देता है। - स्वामी विवेकानंद
  • परमात्मा की शक्ति अमर्याद है, सिर्फ हमारी श्रद्दा अल्प होती है। - महावीर स्वामी

भलाई, साधुता, भद्रता, नेकी(Goodness)

  • भलाई में आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि करता है। ~ जरथुष्ट्र
  • भलाई करना मानवता है, भला होना दिव्यता है। ~ ला मार्टिन
  • भलाई अमरत्व की ओर ले जाती है, बुराई विनाश की ओर। ~ व्हिटमैन
  • नेकी कर दरिया में डाल। ~ कहावत
  • मधुमक्खियाँ केवल अँधेरे में काम करती है। विचार केवल मौन में काम आते हैं, नेक कार्य भी गुप्त रहकर ही कारगर होते हैं। ~ कार्लाइल
  • नेकी का इरादा बदी की ख्वाहिश को दबा देता है। ~ हज़रत अली
  • जितने दिन ज़िन्दा हो, उसे ग़नीमत समझो और इससे पहले की लोग तुम्हे मुर्दा कहें नेकी कर जाओ। ~ शेख़ सादी

सुख, आनंद, ख़ुशी (Happiness)

  • आप अपनी आंख बंद करके ध्यान लगाएं और खुद से पूछे कि कौन सा काम करते समय आपको आनंद आता है। ऐसी कौन-सी दुनिया है, जो आपको बुलाती है। तभी तुम सही फैसला कर पाओगे।
  • प्रसन्नता आत्मा को शांति देती है। ~ सैम्युअल स्माइल्स
  • आनंद ही ब्रह्म है, आनंद से ही सब प्राणी उत्पन्न होते हैं. उत्पन्न होने पर आनंद से ही जीवित रहते हैं और मृत्यु से आनंद में समा जाते हैं। ~ उपनिषद
  • प्रसन्नता स्वास्थ्य देती है, विषाद रोग देते है।
  • मनुष्य अपने आनंद का निर्माता स्वयं है। ~ थोरो
  • प्रसन्नचित्त मनुष्य अधिक जीते हैं। ~ शेक्सपियर
  • प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना।
  • हर्ष के साथ शोक और भय इस प्रकार लगे हैं जैसे प्रकाश के संग छाया, सच्चा सुखी वही है जिसकी दृष्टि में दोनों समान हैं। ~ धम्मपद
  • प्रसन्नता बसन्त की तरह, हृदय की सब कलियां खिला देती है। ~ जीनपॉल
  • जो व्यक्ति सभी को खुश रखना चाहेगा, वह किसी को खुश नहीं रख सकता।
  • सुख सर्वत्र मौजूद है, उसका स्त्रोत हमारे हृदयों में है। ~ रस्किन
  • सुख का रहस्य त्याग में है। ~ एण्ड्रयू कारनेगी
  • सुख बाहर से मिलने की चीज़ नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं। ~ महात्मा गांधी
  • जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं। ~ मुंशी प्रेमचंद
  • जीवन के प्रति जिस व्यक्ति कि कम से कम शिकायतें है, वही इस जगत् में अधिक से अधिक सुखी है।
  • मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। ~ पुरुषोत्तमदास टंडन
  • चाहे राजा हो या किसान, वह सबसे ज़्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है। ~ गेटे
  • आनंद वह ख़ुशी है जिसके भोगने पर पछताना नहीं पड़ता। ~ सुकरात
  • केवल आत्मज्ञान ही आत्मा हृदय को सच्चा आनंद प्रदान करता है। ~ रामतीर्थ
  • क्षणभर भी काम के बिना रहना ईश्वर की चोरी समझो, मैं दूसरा कोई रास्ता भीतरी या भाहरी आनंद का नहीं जनता। ~ महात्मा गाँधी
  • हम स्वयं आनंद की अनुभूति लेने के बजाये दूसरों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं की हम आनंद में हैं। ~ कन्फ्युशियाश
  • जो वस्तु आनंद प्रदान नहीं कर सकती वह सुन्दर हो ही नहीं सकती। ~ प्रेमचंद
  • आयु में आनंद है, समग्र शरीर के मंगल में, स्वाश्थ्य में आनंद है। इसी आनंद का भाग करने पर दो वस्तुएं प्राप्त होती हैं एक ज्ञान एंड दूसरा प्रेम। ~ टैगोर

घृणा, नफ़रत, ईर्ष्या, द्वेष (Hate)

  • घृणा पाप से करो, पापी से नहीं। ~ महात्मा गाँधी
  • जो सच्चाई पर निर्भर है वह किसी से घृणा नहीं करता। ~ नेपोलियन
  • घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं। ~ कहावत
  • घृणा हृदय का पागलपन है। ~ बायरन
  • घृणा घृणा से कभी कम नहीं होती, प्रेम से ही होती है। ~ बुद्ध
  • ईर्ष्या करने वालों का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है। ~ तिरुवल्लुवर
  • ईर्ष्यालु को मृत्यु के सामान दुःख भोगना पड़ता है। ~ वेदव्यास

स्वास्थ्य, सेहत (Health)

  • शीघ्र सोने और प्रात:काल जल्दी उठने वाला मानव अरोग्यवान, भाग्यवान और ज्ञानवान होता है। ~ जयशंकर प्रसाद
  • जहां तक हो सके, निरन्तर हंसते रहो, यह सस्ती दवा है। ~ अज्ञात
  • अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ, जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं। ~ साइरस
  • प्रतिदिन एक सेव खाने से डॉक्टर की आवश्यकता नहीं होती। ~ अंग्रेजी कहावत
  • स्वास्थ्य परिश्रम में है और श्रम के अलावा वहां तक पहुंचने का कोई दूसरा राजमार्ग नहीं। ~ वेन्डेल फिलप्स
  • अच्छा मजाक आत्मा का स्वास्थ्य है, चिंता उसका विष। ~ स्टैनली

दिल, हृदय (Heart)

  • एक टूटा हुआ दिल, टूटे हुए शीशे के समान होता है। इसको टूटा हुआ छोड़ देना ज़्यादा बेहतर होता, क्योंकि दोनों को जोड़ने में खुद को ज़्यादा दु:ख पहुंचता है।
  • चेहरा हृदय का प्रतिबिम्ब है। ~ कहावत
  • सुन्दर हृदय का मूल्य सोने से भी बढ़कर है। ~ शेक्सपियर
  • भरे दिल में सबके लिए जगह होती है पर ख़ाली दिल में किसी के लिए नहीं।

इतिहास, प्राचीन (History)

  • उचित रूप से देंखे तो कुछ भी इतिहास नहीं है, सब कुछ मात्र आत्मकथा है। ~ इमर्सन
  • इतिहास, असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है। ~ नेपोलियन बोनापार्ट
  • इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है। ~ जेम्स के. फिंक
  • ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले। ~ मकियावेली 'द प्रिन्स' में
  • इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नहीं सीखा।
  • इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जाता है।
  • इतिहास स्वयं को दोहराता है, इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है। ~ सी डैरो
  • इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है।
  • संक्षेप में, मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है। ~ एच जी वेल्स
  • जो इतिहास को याद नहीं रखते, उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है। ~ जार्ज सन्तायन
  • सभ्यता की कहानी, सार रूप में, इंजिनीयरिंग की कहानी है – वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया। ~ एस डीकैम्प
  • पुरे यत्न से इतिहास की रक्षा करनी चाहिए इतिहास और अपना प्राचीन गौरव नष्ट कर देने से विनाश निश्चित है। - महाभारत
  • इतिहास के तजुर्बों से हम सबक नहीं लेते इसीलिए इतिहास अपने आप को दोहराता है। - विनोबा

घर, कुटुंब, निवास (Home)

  • घर के समान कोई स्कूल नहीं, न ईमानदारी व सदाचारी माता-पिता के समान कोई अध्यापक है।
  • जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए। ~ तिरुवल्लुवर

ईमानदारी, सच्चाई (Honesty)

  • मनुष्य की प्रतिष्ठा ईमानदारी पर ही निर्भर है। ~ अज्ञात
  • ईमानदार मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति है। ~ अज्ञात

मनुष्य, मानव (Human)

  • किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के हृदय और आत्मा में बसती है। ~ महात्मा गांधी
  • अकृतज्ञता मनुष्यत्व का विष है। ~ सर पी. सिडनी
  • मानव द्वारा अपनाया जाने वाला विवेक व माधुर्य समाज को प्रसन्नता प्रदान करता है। ~ अज्ञात
  • जिन पापों को मनुष्य करना पसंद करते हैं, उन्हें सुनना पसंद नहीं करते।
  • मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना है। ~ अग्नि पुराण
  • वह मनुष्य बड़ा भाग्यवान है जिसकी कीर्ति उसकी सत्यता से अधिक प्रकाशमान नहीं है। ~ रविन्द्र
  • बड़े भाग्य मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सद्ग्रंथन गावा॥ साधन धाम मोक्ष कर द्वारा। पाय न जेहि परलोक संवारा॥ ~ रामचरितमानस
  • अपनी औकात कभी मत भूलो। ~ अरस्तु
  • उदारता मनुष्य का श्रेष्ठ गुन है। ~ चार्वाक
  • आठ चक्रों और नौ द्वारों से युक्त हमारी यह देहपुरी एक अपराजेय देवनगरी है। इसमे एक हिरण्यमय कोष है, जो ज्योति और आनंद से परिपूर्ण है। ~ अथर्ववेद
  • आप कुछ भी कर पाने में सक्षम हैं चाहे वह आपकी सोच हो, आपका जीवन हो या आपके सपने हों, सब सच हो सकते हैं। आप जो चाहें वह कर सकते हैं। आप इस अनंत ब्रह्माण्ड की तरह ही अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण हैं। ~ शेड हेल्म्स्तेटर

अन्याय, बेइंसाफी (Injustice)

  • अन्याय का राज्य बालू की भीत है। ~ जयशंकर प्रसाद
  • अधर्म पर स्थापित राज्य कभी नहीं टिकता। ~ सेनेका
  • अन्याय सहने से अन्याय करना अच्छा है कोई भी इस सिधांत को स्वीकार नहीं करेगा। ~ अरस्तु
  • अन्याय सहने वाला भी उतना ही अपराधी होता है जितना करने वाला क्योंकि अगर अन्याय न सहा जाये तो कोई भी अन्याय करने का साहस नहीं करेगा। ~ टैगोर
  • अन्याय को मिटाओ लेकिन अपने आप को मिटाकर नहीं। ~ प्रेमचंद

प्रेरणादायक (Inspirational)

  • प्यार कभी निष्फल नहीं होता, चरित्र कभी नहीं हारता, धैर्य और दृढ़ता से सपने अवश्य सच हो जाते हैं। ~ पीट मेराविच
  • मानव जीवन की दिशा बदलने में, एक छोटी सी बात भी अद्भुत प्रभाव रखती है। ~ स्वेट मार्डेन
  • किनारे पर खड़ा जहाज़ सबसे सुरक्षित होता है। लेकिन क्या जहाज़ इसलिए बनाए जाते हैं। जीवन में चुनौतियां लेने की ताकत ही आपकी क्षमताओं को तय करती है।
  • आप कुछ भी कर पाने में सक्षम हैं चाहे वह आपकी सोच हो, आपका जीवन हो या आपके सपने हों, सब सच हो सकते हैं। आप जो चाहें वह कर सकते हैं। आप इस अनंत ब्रह्मांड की तरह ही अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण हैं। ~ शेड हेल्मस्टेटर
  • अगर हम अपनी क्षमता के अनुसार कर्म करें तो हम अपने-आप को ही अचंभित कर डालेंगे। ~ थॉमस एडीसन
  • संकल्प ही मनुष्य का बल है।
  • संपूर्ण लेखन जैसी कोई चीज़ नहीं होती। ठीक वैसे ही जैसे संपूर्ण निराशा नहीं होती। – हारुकि मुराकामी
  • अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नहीं होता।
  • वह सच्चा साहसी है जो कभी भी निराश नहीं होता।
  • मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते।
  • वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है।
  • जिसने निश्चय कर लिया, उसके लिए केवल करना शेष रह जाता है। ~ इटालियन कहावत
  • प्रचंड वायु मे भी पहाड़ विचलित नहीं होते।
  • हर परिस्थिति एक सौगात है और हर अनुभव ख़ज़ाना।
  • मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है।
  • विवेक बहादुरी का उत्तम अंश है।
  • कोई भी पूर्ण नहीं होता और कोई भी हर समय नहीं जीतता।
  • बिना उत्साह के कभी किसी उच्च लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती। ~ इमर्सन
  • सतह की ‘चमक’ कभी उतनी महत्त्वपूर्ण नहीं होती है, जितनी कि इसके नीचे कि ‘नीवं’ होती है।
  • ऊँची जगहों पर जाने का एकमात्र मार्ग घुमावदार सीढियां हैं।
  • अगर आप इस बात की परवाह नहीं करें कि श्रेय किसे मिलेगा, तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं।
  • ऐसे असंख्य लोग हैं, जो बार-बार असफल हुए, तब कहीं जाकर वे ‘अचानक सामने’ आए।
  • अग्नि से सोना परखा जाता है और विपत्ति से वीर पुरुष। ~ सेनेका
  • गुण स्वयं ही सामने आ जाते हैं, क्योंकि कस्तूरी को अपनी उपस्थिति प्रमाणित नहीं करनी पड़ती। ~ शेस्टन
  • संभव की सीमाओं को जानने का एक ही तरीका है। उनसे थोड़ा आगे असंभव के दायरे में निकल जाइए। ~ आर्थर सी क्लार्क
  • खुश रहिए। रचनात्मक बनिए। इंसान अपने अस्तित्व का अर्थ जानकर ही विश्वास से भर उठता है और यही विचार उसकी मज़बूती बढ़ाता है। ~ स्टीफन ज्विग
  • अगर हम गिरते हैं, तो अधिक अच्छी तरह चलने का रहस्य सीख जाते हैं। ~ महर्षि अरविन्द घोष
  • जो यह सोचते हैं कि वे किसी प्रकार की सेवा करने योग्य नहीं है, वे शायद पशुओं और वृक्षों को भूल जाते हैं।
  • लगन को कांटों कि परवाह नहीं होती। ~ प्रेमचंद

अपमान, तिरस्कार (Insult)

  • तलवार का घाव भर जाता है, पर अपमान का नहीं। ~ एक कहावत
  • धुल स्वयं अपमान सह लेती है और बदले में फूलों कर उपहार देती है। ~ टैगोर
  • अपमान का दर क़ानून के दर से किसी तरह कम क्रियाशील नहीं होता। ~ प्रेमचंद
  • अपमान पूर्ण जीवन से मृत्यु अच्छी है। ~ कहावत
  • अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं। ~ वक्रमुख
  • धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी। ~ माघकाव्य

बुद्धिमान, मनीषी, जीनियस(Intelligent)

  • ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार से समझे और परिस्थितियों के अनुसार आचरण करे। ~ अज्ञात
  • अगर तुम पढ़ना जानते हो, तो हर व्यक्ति स्वयं में एक पुस्तक है। ~ चैनिंग
  • बुद्धि की शक्ति उसके उपयोग में है, विश्राम में नहीं। ~ अज्ञात
  • यदि आप अपने बच्चे को जीनियस बनाना चाहते हैं तो उसे परियों की कहानियां सुनाइए, और अगर और अधिक जीनियस बनाना चाहें तो उसे और अधिक परियों की कहानियां सुनाइए। ~ अल्बर्ट आइन्स्टाइन

यात्रा, सैर (Journey)

  • न जल्दी करो, न परेशान हो| क्योंकि आप यहां एक छोटी-सी यात्रा पर हैं इसलिए आराम से रुकिए और फूलों की खुशबु का आनंद उठाइए। ~ वाल्टर हेगन
  • सही मार्ग पर चलना ‘यात्रा’ है और बिना लक्ष्य के ग़लत राह पर चलना ‘भटकना’ है।

न्याय, इंसाफ (Justice)

  • बहुमत की आवाज़ न्याय का द्योतक नहीं है।
  • अन्याय मे सहयोग देना, अन्याय के ही समान है।
  • अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नहीं होता।
  • अहिंसा सर्वोत्तम धर्म है।
  • इंसाफ, सच और ख़ूबसूरती जैसे शब्द एक – दूसरे के दोस्त हैं| जहां ये तीनों लफ्ज़ हों, वहाँ किसी और की ज़रूरत ही नहीं है। ~ साइमन वेल
  • अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है। ~ प्रेमचन्द
  • न्याय का मोती दया के हृदय में मिलता है। ~ जर्मन कहावत
  • मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदास बनने से पूर्व त्यागी बने। ~ डिकेंस
  • जब से मुझे पता चला है की मखमल के गद्दे पर सोनेवालों के सपने ज़मीन पर सोनेवालों के सपने से मधुर नहीं होते, तब से मुझे न्यायप्रभु के न्याय में श्रद्धा हो गयी है। ~ खलील जिब्रान
  • न्याय की बात कहने के लिए हर समय ठीक है। ~ सोफोक्लिज़
  • न्याय में देर करना न्याय को अस्वीकार करना है, ईश्वर की चक्की धीरे चलती है पर बारीक पीसती है। ~ कहावत

ज्ञान, विद्या, बोध (Knowledge)

  • अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बड़ा क़दम है।
  • विद्या नम्रता से, प्रश्न पर प्रश्न, खोज पर खोज करने ओर दूसरों की सेवा करते रहने से आती है।
  • जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता। दुःख के बिना सुख नहीं होता। ~ महात्मा गांधी
  • बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता।
  • बिना अनुभव के कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है।
  • अल्प ज्ञान खतरनाक होता है।
  • उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन।
  • जो दूसरों को जानता है, वह विद्वान् है। जो स्वयं को जानता है वह ज्ञानी। - लाओत्से
  • सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है। ~ मनुस्मृति
  • प्रतिभावान का गुण यह है कि वह मान्यताओं को हिला देता है। ~ गेटे
  • विद्या का वैभव, धन से कहीं अधिक मूल्यवान और विशिष्ट है। ~ भर्तृहरि
  • बुद्धिमान वह नहीं, जो बहुत-सी बातें जानता है, अपितु वह है, जो काम की बातें जानता है। ~ अज्ञात
  • बुद्धिमान व्यक्ति ही अधिक बलशाली होता है। ~ हितोपदेश
  • इस विश्व में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण
  • ज्ञान तीन तरह से प्राप्त किया जा सकता है- पहला मनन से जो सर्वश्रेष्ठ है। दूसरा अनुसरण से जो सबसे आसान है। तीसरा अनुभव से जो कि कड़वा है।

भाषा, स्वभाषा, बोली (Language)

  • हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोत है। ~ सुमित्रानंदन पंत
  • राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है। ~ महात्मा गांधी
  • भाषा एक नगर है, जिसके निर्माण के लिए प्रत्ये़क व्यक्ति एक-एक पत्थर लाया है। ~ एमर्सन
  • निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल । बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥ ~ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
  • जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता, वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नहीं जानता। ~ गोथे
  • भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं । ~ बेन्जामिन होर्फ
  • मेरी भाषा की सीमा, मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है। ~ लुडविग विटगेंस्टाइन
  • आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है, उसकी मुद्रा को खोटा कर देना। (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना। (लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है। ~ जार्ज ओर्वेल
  • शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है। ~ लिली टॉमलिन
  • श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं। ~ शिशुपाल वध

आलस्य, आलस (Laziness)

  • आलस्य जीवित मनुष्य की क़ब्र है। ~ कूपर
  • आलस्य दरिद्रता की कुंजी ओर सारे अवगुणों की जड़ है। ~ कार्लाइल
  • जो बार बार की ठोकरों से नहीं चेतता, वह अनिष्ट को आमंत्रण देता है।
  • आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है। ~ सुकरात

नेतृत्व, अगुआई, संचालन (Leadership)

  • अगर अंधा अंधे का नेतृत्व करे तो दोनों खाई में गिरेंगे।
  • नेतृत्व का महत्त्वपूर्ण नियम है – सीखने के आनंद की फिर से खोज करना ताकि हम अपनी क्षमताओं और उत्पादकता को बढ़ा सकें।
  • वास्तविक नेता सर्वसम्मति की तलाश नहीं करता, उसे निमिर्त करता है। ~ मार्टिन लूथर किंग
  • तर्क और निर्णय नेता के गुण हैं। ~ टेसीटस
  • निर्णय करने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है- अनुभव, ज्ञान और व्यक्त करने की क्षमता।

सीखना, जानना, प्राप्त करना (Learn)

  • व्यथा और वेदना कि पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों तथा विश्वविधालयों में नहीं मिलते।
  • विष से भी अमृत तथा बालक से भी सुभाषित ग्रहण करें। ~ मनु
  • यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है। ~ महात्मा गांधी
  • नई चीज़ सिखने कि जिसने आशा छोड़ दे, वह बुढा है। ~ विनोबा भावे
  • मनुष्य सफलता से कुछ नहीं सीखता, विफलता से बहुत कुछ सीखता है। ~ अरबी लोकोक्ति

झूठ, असत्य, चालबाज़ी (Lie)

  • जो बात सिद्धांतः ग़लत है, वह व्यवहार में भी उचित नहीं है। ~ डॉ. राजेंद्र प्रसाद
  • थोडा सा झूठ भी मनुष्य का नाश कर सकता है। ~ महात्मा गाँधी
  • झूठ कि सजा यह नहीं कि उसका विश्वास नहीं किया जाता बलिक वह किसी का विश्वास नहीं कर सकता। ~ शेक्सपियर
  • दो अर्थोंवाले शब्द बोलकर, किसी विशेष शब्द पर ज़ोर देकर, या आँख के इशारे से भी झूठ बोला जाता है, इस प्रकार का झूठ स्पष्ट शब्दों में बोले गए झूठ से कही बुरा है। ~ रस्किन
  • एक झूठ को छिपाने के लिए अनेक (दस) झूठ बोलने पड़ते हैं। ~ कहावत
  • यदि झूठ बोलने से किसी कि जान बचाती है तो बह झूठ पाप नहीं पुण्य है। ~ प्रेमचंद

जीवन, प्राण (Life)

  • आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान् नहीं बन सकता है। ~ स्वामी विवेकानंद
  • हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं। ~ जैक्सन ब्राऊन
  • आत्मज्ञान, आत्मसम्मान, आत्मसंयम यह तीनों ही जीवन को परम सम्पन्न बनाते हैं। ~ टेनीसन
  • साझा की गई खुशी दुगनी होती है, साझा किया गया दु:ख आधा होता है। ~ स्वीडन की कहावत
  • ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है! पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो! दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो!
  • ज़िंदगी की जड़ें जब स्पष्ट जीवनमूल्यों, उद्देश्य और समर्पण में होती हैं, वह दृढ और अडिग होती है।
  • जब से मैंने जाना कि जीवन क्षणभंगुर है, में करुणा में डूब गया। ~ जेरेक्स
  • मरते तो सभी हैं लेकिन महत्त्वपूर्ण यह हैं कि आपने अपनी ज़िंदगी किस प्रकार गुजारी हैं।
  • जीवन में आनन्द को कर्तव्य बनाने की अपेक्षा कर्तव्य को आनन्द बनाना अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
  • जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि, झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है।
  • जीवन का सबसे बड़ा उपयोग इसे किसी ऐसी चीज़ में लगाने में है, जो इसके बाद भी रहे। ~ विलियम जेम्स
  • जीवन एक आग है, जो खुद को भी झुलसा देती है, लेकिन जब एक शिशु जन्म लेता है, ये आग फिर भड़क उठती है। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
  • किसी चीज़ की कीमत यह है कि आप उसके बदले में अपनी कितनी ज़िंदगी लगा देते हैं। ~ हेनरी डेविड थोर
  • ज़िंदगी लोगों से प्रेम करने,उनकी सेवा करने,उन्हें सशक्त बनाने और उन्हें प्रोत्साहित करने का नाम है।
  • सार्थक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं, परन्तु उसमें कोई पश्चाताप नहीं होना चाहिए।
  • जीवन छोटा है, पर सुंदर है। ~ सोफोक्लेस
  • ज़िंदगी एक उबाऊ कहानी की तरह है, जिसे दो बार सुना गया हो, लेकिन एक उंघते हुए इंसान के कानों की सफाई कर देने के लिए ये बेहतरीन साधन है। ~ विलियम शेक्सपीयर
  • जीवन विकास का सिद्धान्त है, स्थिर रहने का नहीं। ~ जवाहरलाल नेहरू
  • ज़िंदगी में खुश रहना है तो हँसने का बहाना तलाशें।
  • ज़िंदगी का हर पल कुछ न कुछ सिखाता है।
  • जीवन एक नाटक है, यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते हैं।
  • जीने के लिए तो एक पल ही काफ़ी है, बशर्ते आपने उसे किस तरह जिया।
  • जिस जीवन कि समीक्षा व परख न की गई हो, वह जीने योग्य ही नहीं है।
  • जीवन का एक क्षण करोड़ स्वर्ण मुद्राएं देने पर भी नहीं मिलता। ~ चाणक्य
  • मूर्ति के सामन मनुष्य का जीवन सभी ओर से सुन्दर होना चाहिए। ~ सुकरात
  • यदि तुम्हारे पास दो पैसे हों तो एक से रोटी और दुसरे से फूल, रोटी तुम्हे जीवन देगी और फूल तुम्हे जीवल जीने कि कला सिखाएगा। ~ चीनी कहावत
  • जियो और जीने दो। ~ स्काच कहावत
  • जो अच्छी तरह जीता है वह दो बार जीता है। ~ लैटिन कहावत
  • मैं ही आग हूँ, मैं ही कूड़ा करकट, अगर मेरी आग कूड़ा करकट जलाकर भस्म करदे तो मैं अच्छा जीवन पाउँगा। ~ खलील जिब्रान
  • अपना जीवन लेने के लिए नहीं देने के लिए है। ~ स्वामी विवेकानंद
  • जीवन किसी तो स्थायी संपत्ति के रूप में नहीं मिला है वह तो केवल प्रयोग के लिए है। ~ लुकीटस
  • मनुष्य जीवन अनुभव का शास्त्र है। ~ विनोबा भावे
  • जीवन एक फूल है और प्रेम उसका मधु। ~ ह्यूगो
  • इस जीवन का हर दिन एक कोरा काग़ज़ है। इस काग़ज़ पर श्वास रूपी स्याही और समझ रूपी कलम से आप जो चाहे लिख सकते हैं। ~ प्रेम रावत
  • अपने जीवन को सेवा, संतोष, स्वाध्याय, सिमरन, सत्यता, पुरुषार्थ और सहृदयता के आभूषणों से सजा लीजिये।
  • जीवन का सच्चा आनंद पाने के लिए उसे समय के किनारे पत्ते पर पड़ी ओस की भांति हलके-हलके नाचने दो।
  • जीवन एक इन्द्रधनुष की तरह है। आपको इसके रंगों को प्रस्तुत करने के लिए सूर्य और बारिश दोनों की जरुरत है।
  • तैरते हुए बादल जब मेरे जीवन में प्रवेश करते हैं तो उनका उद्देश्य बारिश या तूफ़ान नहीं होता बल्कि मेरे सूरज ढले हुए आसमान में रंग भरना होता है। ~ रविन्द्रनाथ टैगोर
  • जीवन एक विदेशी भाषा की तरह है जिसे सब लोग नहीं समझ पाते हैं। ~ क्रिस्टोफ़र मिरले
  • जीवन दो चीजों का नाम है, एक जमी हुई नदी और दूसरी धधकती हुई ज्वाला। धधकती हुई ज्वाला ही प्रेम है। ~ खलील जिब्रान
  • बूंद की सार्थकता इसी में है कि उसका अस्तित्व नदी में विलीन हो जाए। ~ अल गजाली
  • जीवन निकुंज में तुम्हारी रागिनी बजती रहे, सदा बजती रहे। हृदय कमल में तुम्हारा आसन विराजित रहे, सदा विराजित रहे। ~ रविन्द्र नाथ टैगोर
  • खाने और सोने का नाम जीवन नहीं। जीवन नाम है सदैव आगे बढ़ने का। ~ प्रेमचंद
  • जीना भी एक कला है, बल्कि कला ही नहीं तपस्या है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
  • जीवन विकास का सिद्धांत है, स्थिर रहने का नहीं। ~ जवाहरलाल नेहरू
  • मौत जब तक नजर नहीं आती। ज़िन्दगी राह पर नहीं आती।। ~ जिगर
  • जीवन एक बाज़ी की तरह है। हार-जीत तो हमारे हाथ में नहीं है, पर बाज़ी का खेलना हमारे हाथ में है। ~ जेरेमी टेलर
  • जीवन का रहस्य भोग में नहीं, पर अनुभव के द्वारा शिक्षा-प्राप्ति में है। ~ विवेकानंद
  • जो दूसरों के जीवन के अंधकार में सुख का प्रकाश पहुंचाते हैं, उनका इस संसार से कभी नाश न होगा, वे अमर हैं। ~ स्वेट मार्डेन
  • जीवन की लम्बी यात्रा में, खोये भी हैं मिल जाते, जीवन है तो कभी मिलन है, कट जाती दुःख की रातें। ~ जयशंकर प्रसाद
  • आश्चर्य की बात है कि लोग जीवन को बढ़ाना चाहते हैं, सुधारना नहीं। ~ सुकरात
  • आज ऐसे जियो जैसे यह अन्तिम दिन हो। ~ बिशप कैर
  • जीवन अपनी इच्छा अनुकूल चलना नहीं, ईश्वर की इच्छा के अनुकूल चलने में है। ~ ताल्सतॉय
  • कहीं ऐसा न हो कि ज़िन्दगी कि अच्छी चीज़ें, ज़िंदगी की सबसे अच्छी चीजों को ख़तम कर दें। ~ वाल्तैयेर
  • जब तक जीवन है, तब तक जीवन कला सीखते रहो। ~ सेनेका
  • जहाज़ समंदर के किनारे सर्वाधिक सुरक्षित रहता है। मगर क्या आप नहीं जानते कि उसे किनारे के लिए नहीं, बल्कि समंदर के बीच में जाने के लिए बनाया गया है ?

सुनना, श्रवण, ध्यान देना (Listen)

  • सुनना एक कला है। इस कला के लिए कान और ध्यान दोनों चाहिए।
  • व्यर्थ की बातों से खुद को बचाना भी एक कला है।
  • वाणी चांदी है तो मौन सोना है।
  • बीती बातों को भूलने का सर्वोत्तम तरीका है हमेश नई और रचनात्मक बातें सुनना व उनको रमण करना।
  • मौन से मतलब वाणीविहीन बनना नहीं हैं। सही समय पर सही बात कहना।
  • बडबोलेपन से बचना भी मौन है। ~ कानन झिंगन

प्यार, प्रेम, मुहब्बत (Love)

  • प्रेम के बिना जीवन एक ऐसे वृक्ष के समान है, जिस पर न कोई फूल हो, न फल। ~ खलील जिब्रान
  • एक व्यक्ति दूसरे के मन की बात जान सकता है, तो केवल सहानुभूति और प्यार से, उम्र और बुद्धि से नहीं।
  • अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम नहीं किया जा सकता।
  • दूसरो से प्रेम करना अपने आप से प्रेम करना है।
  • प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं। ~ मदर टेरेसा
  • हर सच्चा क्रांतिकारी वास्तव में गहन प्रेम की भावना से संचालित होता है। ~ चे ग्वेरा
  • मुहब्बत त्याग की माँ है, जहां जाती है, बेटे को साथ ले जाती है। ~ सुदर्शन
  • हम जब तक स्वयं माता-पिता नहीं बन जाएं, माता-पिता का प्यार कभी नहीं जान पाते। ~ हेनरी वार्ड बीचर
  • अपने स्नेह का पूर्ण प्रदर्शन किए बिना आप अपना स्नेह-भाव दूसरों तक नहीं पहुंचा सकते। ~ स्वेट मार्डन
  • प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हज़ार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। ~ महात्मा गांधी
  • वही समाज सदैव सुखी रहकर तरक़्क़ी कर सकता है, जिसमें लोगों ने आपसी प्रेम को आत्मसात कर लिया।

भाग्य, तक़दीर, मुकद्द (Luck)

  • सारा उत्तरदायित्व अपने कन्धों पर लो। याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता चाहो, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है।
  • उत्साह आदमी की भाग्यशिलता का पैमाना है। ~ तिरुवल्लुवर
  • भाग्य साहसी का साथ देता है।
  • मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है।
  • भाग्य साहसी का मित्र है। ~ अज्ञात
  • मानव अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है। ~ स्वामी रामतीर्थ
  • भाग्य भी निडर का ही साथ देता है। ~ वर्जल
  • हम स्वयं अपने भविष्य का निर्माण करते हैं, फिर इसे भाग्य का नाम दे देते हैं।

स्मृति, याद, स्मरणशक्ति (Memory)

  • स्मृति एक अद्भुत उपकरण हैं। वह अमिट नहीं हैं। लेकिन वह क्षणभगुंर भी नहीं हैं। ~ प्राइमो लेवी

ग़लती, भूल, त्रुटि, दोष (Mistake)

  • उत्साह तथा रुचिपूर्वक दूसरों के दोष देखने से तुम्हारा मन भी बुरे विचारों से भर जायेगा। वह एक ऐसा कूड़ादान बन जाएगा, जिसमें दूसरों के कचरे भरे रहेंगे।
  • यदि शान्ति चाहते हो तो दूसरों के दोष मत देखो, बल्कि अपने ही दोष देखो।
  • जब हम अपनी भूल पर लज्जित होते हैं, तो यथार्थ बात अपने आप ही मुंह से निकल पड़ती है। ~ प्रेमचंद
  • अपराध स्वीकार कर लेने से, वह आधा हो जाता है। ~ पुर्तग़ाली कहावत
  • ज्ञानी मनुष्य दूसरों की भूलों से अपनी भूलें सुधारता है। ~ पबलिस साइरस
  • अपनी भूल अपने ही हाथ सुधर जाए तो,यह उससे कहीं अच्छा है कि दूसरा उसे सुधारे। ~ प्रेमचंद
  • विवेकशील पुरुष दूसरे की ग़लतीयों से अपनी ग़लती सुधारते हैं। ~ साइरस
  • ग़लतियों के लिए दूसरों को दोष देने की अपेक्षा उनसे सबक लो। ~ स्पेनिश कहावत
  • स्वार्थवश मनुष्य दोषों को नहीं देखता। ~ चाणक्य
  • त्रुटियां उसी से नहीं होंगी, जो कोई काम करें ही नहीं। ~ लेनिन
  • ग़लतियां किए बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान् नहीं बनता है। ~ ग्लेडस्टन
  • दूसरों कि ग़लतियों से सीखिए क्योंकि आपको ग़लती करने का मौक़ा नहीं मिलेगा।
  • स्वयं के दोषों का निरीक्षण और दुसरों के गुणों का पर्यावलोकन करना उज्ज्वल व्यक्तित्व की पहचान है।
  • एक गुण समस्त दोषो को ढ़क लेता है।
  • अपने आपको दोष देना सबसे बड़ा पाप हैं।
  • ग़लती करने में कोई ग़लती नहीं है। ग़लती करने से डरना सबसे बडी ग़लती है। ~ एल्बर्ट हब्बार्ड
  • ग़लती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेज़ीसे सीख रहे हैं।
  • बहुत सी तथा बदी ग़लतियाँ किये बिना कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता। ~ ग्लेडस्टन
  • मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज़्यादा ग़लतियाँ की जिनका मानना था कि ग़लती करना बुरा था, या ग़लती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे। ~ राबर्ट कियोसाकी
  • सीधे तौर पर अपनी ग़लतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं। ~ आस्कर वाइल्ड
  • ग़लती तो हर मनुष्य कर सकता है, पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं। ~ सिसरो
  • अपनी ग़लती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है। इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं। ~ अलेक्जेन्डर पोप
  • दोष निकालना सुगम है, उसे ठीक करना कठिन। ~ प्लूटार्क
  • त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है। ~ सिगमंड फ्रायड
  • ग़लतियों से भरी ज़िंदगी न सिर्फ़ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नहीं गया।
  • ग़लती करना मनुष्य का स्वाभाव है, की हुई ग़लती को मान लेना और इस प्रकार आचरण करना कि फिर ग़लती न हो, मर्दानगी है। ~ महात्मा गाँधी
  • जो मान गया कि उससे ग़लती हुई और उसे ठीक नहीं करता, वह एक और ग़लती कर रहा है। ~ कन्फुस्यियस
  • बहुत सी तथा बड़ी ग़लती किये बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान् नहीं बनता। ~ ग्लेड स्टोन
  • अगर तुम ग़लतियों को रोकने के लिए दरवाज़े बंद कर दोगे तो सत्य भी बाहर आ जायेगा। ~ टैगोर
  • किसी पूर्वतन ख्याति का उत्तराधिकार प्राप्त करना एक संकट मोल लेना है। ~ टैगोर
  • दोष पराये देखकर चालत हसंत हसंत, अपने याद ना आवई जिनका आदि ना अंत। ~ कबीर
  • तू दुसरे आँख का तिनका क्यों देखता है अपनी आँख का शहतीर तो निकाल। ~ बाइबल
  • साधारण लोग अपनी हर बुराई का दोषी कि और को ठहराते हैं, अल्पज्ञानी स्वयं को पर ज्ञानी किसी को नहीं। ~ इपिक्टेतस
  • मूर्ख आदमी अपने बड़े से बड़े दोष अनदेखा करता है किन्तु दुसरे के छोटे से छोटे दोष को देखता है। ~ संस्कृत सूक्ति

नम्रता, विनयशीलता (Modesty)

  • नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। ~ प्रेमचंद
  • महान् मनुष्य की पहली पहचान उसकी नम्रता है।
  • नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के सोभा बढती है। ~ कालिदास
  • बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। ~ ईसा
  • नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और ज़िन्दगी मिलती है। ~ सुलेमान
  • संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की ज़रूरत नहीं है, ईसा दुनिया के ख़िलाफ़ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के ख़िलाफ़ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे, अकेले खड़े रहने की शक्ति नम्रता के बिना असंभव है। ~ महात्मा गाँधी
  • मेरा विश्वास है की वास्तविक महान् पुरुष की पहचान उसकी नम्रता है। ~ रस्किन
  • नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। ~ विनोबा
  • ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय। ~ कबीर

धन, मुद्रा, स्र्पये, माल (Money)

  • एक बार सिकंदर से पूछा गया कि तुम धन क्यों एकत्र नहीं करते ? तब उसका जवाब था कि इस डर से कि उसका रक्षक बनकर कहीं भ्रष्ट न हो जाऊं।
  • धन अपना पराया नहीं देखता।
  • धन अच्छा सेवक है, परन्तु ख़राब स्वामी भी है।
  • कुबेर भी अगर आय से ज़्यादा व्यय करे, तो कंगाल हो जाता है। ~ चाणक्य
  • पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।
  • उस मनुष्य से ग़रीब कोई नहीं जिसके पास केवल धन है। ~ कहावत
  • दान, भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं। जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति (नाश) होती है। ~ भर्तृहरि
  • हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । (सोना (धन) ही कमाओ, कलाएँ निष्फल है) ~ महाकवि माघ
  • सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । (सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं) ~ भर्तृहरि
  • संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है। अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये। ~ शुक्राचार्य
  • आर्थस्य मूलं राज्यम् । (राज्य धन की जड है) ~ चाणक्य
  • मनुष्य मनुष्य का दास नहीं होता, हे राजा, वह तो धन का दास होता है। ~ पंचतंत्र
  • अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । (संसार में धन ही आदमी का भाई है) ~ चाणक्य
  • जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना। ~ गो. तुलसीदास
  • क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत । (क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये।)
  • रुपए ने कहा, मेरी फ़िक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर। ~ चेस्टर फ़ील्ड
  • बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय। घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।।
  • जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है। ~ अथर्ववेद

मां, जननी, माता (Mother)

  • जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। ~ वाल्मीकि रामायण
  • माता का हृदय, शिशु कि पाठशाला है। ~ बीचर

प्रेरक, उत्तेजित करना (Motivational)

  • इच्छा हमेशा योग्यता को हरा देती है।
  • सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता। ~ विल्सन एडवर्ड
  • जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते है, परिस्थितियों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
  • रत्न मिट्टी से ही निकलते हैं, स्वर्ण मंजुषाओं ने तो कभी एक भी रत्न उत्पन्न नहीं किया। ~ जयशंकर प्रसाद
  • असम्भव शब्द, मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है। ~ नेपोलियन

प्रकृति, क़ुदरत (Nature)

  • खिले हुए फूल और कुछ नहीं, बल्कि धरती की मुस्कराहट हैं। ~ ईई कमिंग्स
  • प्रकृति की गहराई में देखें, और आप हर चीज़ को बेहतर समझा पाएंगे। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन
  • धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर

नव वर्ष, नया साल (New Year)

  • नव वर्ष मे आपकी सभी मनोकामनाये पूरी हो।
  • नव वर्ष मे हर क़दम पर आपको सफलता मिले।
  • नव वर्ष मे भाग्य सदैव आपका साथ दे।
  • नव वर्ष आपके जीवन मे उमंग लाये।
  • नव वर्ष के आगमन पर हार्दिक बधाई।
  • नव वर्ष मे आपकी दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक़्क़ी हो।
  • नया साल आपके लिये लाभदायक हो।
  • नव वर्ष आपके लिये हितकारी हो।
  • नया साल आपको नया अनुभव दे।
  • नव वर्ष सुख- सम्रध्धि से भरपूर हो।
  • नव वर्ष मे आप फले, फूले।
  • नया साल आपके लिये नयी खुशिया लाये।
  • नव वर्ष शुभ हो।
  • नया साल आपको नया उत्साह प्रदान करे।

अवसर, मौक़ा, सुता, सुयोग (Opportunity)

  • जो हानि हो चुकी है, उसके लिए शोक करना अधिक हानि को आमंत्रित करना है।
  • अवसर तुम्हारा दरवाज़ा एक ही बार खटखटाता है। ~ कहावत
  • अवसर पर दुश्मन को न लगाया हुआ थप्पड़ अपने मुह पर लगता है। ~ फारसी कहावत
  • समय और सागर की लहर किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। ~ रिचर्ड ब्रेथकेट
  • मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना। ~ डिजरायली
  • ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा दरवाज़ा दोबारा खटखटाएगा। ~ शैम्फोर्ट
  • कोई महान् व्यक्ति अवसर की कमी की शिकायत कभी नहीं करता।
  • मुझे रास्ता मिलेगा नहीं, तो मैं बना लूँगा। ~ सर फिलिप सिडनी
  • यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है।
  • अवसर उनकी सहायता कभी नहीं करता, जो अपनी सहायता नहीं करते। ~ सफोक्लिज
  • अवसर बुद्धिमान के पक्ष में लड़ता है। ~ युरिपिडीज
  • यदि अवसर का लाभ न उठाया जाए, तो योग्यता का कोई मूल्य नहीं होता है।
  • बुद्धिमान व्यक्ति को जितने अवसर मिलते हैं, उनसे अधिक वह पैदा करता है। ~ बेकन
  • बाज़ार में आपाधापी - मतलब, अवसर। धरती पर कोई निश्चितता नहीं है, बस अवसर हैं। ~ डगलस मैकआर्थर
  • आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर में ख़तरा। ~ विन्स्टन चर्चिल
  • अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है। ~ अलबर्ट आइन्स्टाइन
  • हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है, जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं। ~ ली लोकोक्का
  • अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख । दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि पाख ॥ ~ गोस्वामी तुलसीदास
  • कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है| ~ गोस्वामी तुलसीदास
  • का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।। ~ गोस्वामी तुलसीदास
  • जो प्रमादी है, वह सुयोग गँवा देगा। ~ श्रीराम शर्मा, आचार्य
  • संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं।
  • रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥
  • न इतराइये, देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए ||
  • वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात् सब समय उत्तम है। ~ सामवेद

धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)

  • धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजराइली
  • वह व्यक्ति महान् है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है। ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
  • धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते। ~ ला फाण्टेन
  • जैसे सोना अग्नि में चमकता है, वैसे ही धैर्यवान आपदा में दमकता है।
  • संयम और परिश्रम मनुष्य के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं।
  • जिसके पास धैर्य है उसे उसका फल अवश्य मिलता है। ~ फ्रैंकलिन
  • धीर गंभीर कभी उबाल नहीं खाते। ~ चाणक्य
  • कबिरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय। टूक एक के कारने, स्वान घरै घर जाय॥ ~ कबीर
  • नीति निपुण निंदा करें या प्रशंसा करें, लक्ष्मी आए चाहे चली जाय, मृत्यु चाहे आज ही हो जाए, चाहे एक युग के बाद, परन्तु धीर पुरुष न्यायमार्ग से एक पग भी विचलित नहीं होते। ~ भर्तृहरी
  • विकार हेतो सति विक्रियन्ते येषां न चेतांसि त एव धीराः। (वास्तव में वे ही पुरुष धीर हैं जिनका मन विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थिति में भी विकृत नहीं होता।) ~ कालिदास
  • जिसे धीरज है और जो श्रम से नहीं घबराता है, सफलता उसकी दासी है।
  • धीरज सारे आनंदों और शक्तियों का मूल है। ~ जॉन रस्किन

शांति, अमन, चैन (Peace)

  • शांति, बौद्धिक क्षमता में कई गुना इजाफ़ा करती है। ~ अज्ञात
  • यदि शांति पाना चाहते हो, तो लोकप्रियता से बचो। ~ अब्राहम लिंकन
  • शांति, प्रगति के लिये आवश्यक है। ~ डा॰ राजेन्द्र प्रसाद
  • बारह फ़कीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते। ~ शम्स-ए-तबरेज़
  • शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति। ~ स्वामी ज्ञानानन्द

व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)

  • मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस चीज़ की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है। ~ हेलेन केलर
  • कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। ~ बालगंगाधर तिलक
  • जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध
  • मन की दुर्बलता से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है। - स्वामी विवेकानंद
  • अपने विचारों पर नजर रखिए।
  • किसी से यह अपेक्षा मत कीजिए की वह आपकी सहायता करेगा।
  • आपका जन्म किसी अन्य की सनक को पूरा करने के लिए नहीं हुआ हैं।
  • अपने विचारो और बातों मैं तालमेल रखें।
  • हम हमेशा खुद को खोजते हुए दूसरों की कहानियों में प्रवेश कर जाते हैं। ~ एमरे करतेश
  • सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों। ~ जॉन एडम्स
  • मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे।
  • कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – डॉ. राधाकृष्ण

राजनीति, राजनीतिक, सियासी (Political)

  • चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविधालय है। ~ जवाहरलाल नेहरू
  • यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है। ~ हेनरी एडम
  • विपत्तियों को खोजने, उसे सर्वत्र प्राप्त करने, ग़लत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है। ~ सर अर्नेस्ट वेम
  • मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है। ~ हेनरी एडम
  • राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो। ~ ओटो वान बिस्मार्क
  • सफल क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ होता है; असफल अपराधी। ~ एरिक फ्रॉम

गरीब, ग़रीबी, निर्धन, निर्धनता, तंगी (Poverty)

  • कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। ~ चाणक्य
  • ग़रीबों के बहुत से बच्चे होते हैं, अमीरों के सम्बन्धी। ~ एनॉन
  • ग़रीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है। ~ महात्मा गाँधी
  • ग़रीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं। ~ डेनियल
  • निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है। लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है। निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है। तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है। जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है। ~ वासवदत्ता, मृच्छकटिकम में
  • ग़रीबी लज्जा नहीं है, लेकिन ग़रीबी से लज्जित होना लज्जा की बात है। ~ कहावत
  • ग़रीबी मेरा अभिमान है। ~ हज़रत मोहम्मद
  • जो ग़रीबों पर दया करता है वह अपने कार्य से ईश्वर को ऋणी बनाता है। ~ बाइबल

प्रशंसा, प्रोत्साहन, बड़ाई (Praise)

  • आत्म-प्रशंसा ओछेपन का चिह्न है। ~ वैस्कल
  • जिन्हें कहीं से प्रशंसा नहीं मिलती, वे आत्म-प्रशंसा करते हैं। ~ अज्ञात
  • अपनी प्रशंसा के गीत गाना स्वयं को हीन साबित करना है।
  • सच्ची बड़ाई उसी की है, जिसकी शत्रु भी प्रशंसा करे। ~ अज्ञात
  • जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है। ~ महात्मा गांधी
  • उष्ट्राणां विवाहेषु, गीतं गायन्ति गर्दभाः । परस्परं प्रशंसन्ति, अहो रूपं अहो ध्वनिः । (ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं। एक-दूसरे की प्रशंसा कर रहे हैं, अहा! क्या रूप है? अहा! क्या आवाज़ है?)
  • मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है। ~ चार्ल्स श्वेव
  • आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है। ~ सेनेका
  • मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है। ~ विलियम जेम्स
  • अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो। ~ फ्रंकलिन
  • चापलूसी करना सरल है, प्रशंसा करना कठिन।
  • मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा। मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा। मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा। ~ विलियम ऑर्थर वार्ड
  • हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं| ~ नॉर्मन विंसेंट पील

समस्या, मसला (Problem)

  • विपत्ति मनुष्य को विचित्र साथियों से मिलाती है।
  • मैं अति प्रतिभाशाली व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन में निचित तौर पर अधिक जिज्ञासु हूं और किसी भी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन
  • आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं, ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं। ~ जवाहरलाल नेहरु
  • आपदा ही एक ऐसी स्थिति है, जो हमारे जीवन कि गहराइयों में अन्तर्दृष्टि पैदा करती है। ~ विवेकानन्द
  • हमारी अधिकतर बाधाएं पिघल जाएंगी, अगर उनके सामने दुबकने की बजाय हम उनसे निडरतापूर्वक निपटने का मानस बनाएं। ~ ओरिसन स्वेट मार्डन
  • हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ नहीं सुलझा सकतें, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया था। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन
  • इस दुनिया की असली समस्या यह है कि मूर्ख और अड़ियल लोग तो अपने बारे में हमेशा पक्के होते हैं (कि वे सही हैं) किंतु बुद्धिमान लोग हमेशा संदेह में रहते हैं (कि मैं ग़लत तो नहीं हूं)।
  • विकट परिस्थितियां ही महापुरुषों का विधालय है। ~ अरस्तू
  • आनंद विनोद के सामने कठिनाईयां पिघल जाती है। ~ स्वेट मार्डेन
  • आपात स्थिति में, मन को डांवाडोल नहीं होने देना चाहिए। ~ महावीर स्वामी
  • मुसीबतों से दुखी न् हो, क्योंकि दुखी होना मूर्खों का काम है। ~ हजरत अली
  • विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला। ~ मुंशी प्रेमचंद
  • जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते हैं, परिस्थितियों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है।
  • बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करना चाहिए। तभी आप में ‘स्किल’ आते हैं। परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने कि आदत न पाले तो बेहतर है।

विकास, प्रगति, उन्नति (Progress)

  • बीज आधारभूत कारण है, पेड उसका प्रगति परिणाम। विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं। ~ श्रीराम शर्मा, आचार्य
  • विकास की कोई सीमा नहीं होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नहीं है। ~ रोनाल्ड रीगन
  • अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि।
  • नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है।
  • भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया। ~ जवाहरलाल नेहरू
  • सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? ~ डॉ. राधाकृष्णन
  • हृदय की विशालता ही उन्नति की नीव है। ~ जवाहरलाल नेहरु
  • यदि एक मनुष्य की उन्नति होती है तो सारे संसार की उन्नति होती है और अगर एक व्यक्ति का पतन होता है तो सारे संसार का पतन होता है। ~ महात्मा गाँधी
  • वही उन्नति कर सकता है जो अपने आप को उपदेश देता है। ~ रामतीर्थ
  • त्रुटियों के संशोधन का नाम ही उन्नति है। ~ लाला लाजपत रॉय

वादा, वचन, प्रतिज्ञा (Promise)

  • शाशक के पास वचन तोड़ने के हमेशा वैधानिक कारण होते हैं। ~ मैकियावेली

अभिमान, घमंडी, अहंकार, दंभी, गर्व (Proud)

  • वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है। ~ अज्ञात
  • आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है। ~ प्रेमचन्द
  • जिसने गर्व किया, उसका पतन अवश्य हुआ है। ~ स्वामी दयानन्द सरस्वती
  • मनुष्य जितना छोटा होता है, उसका अंहकार उतना ही बड़ा होता है। ~ वाल्टेयर
  • ज्यों-ज्यों अभिमान कम होता है, कीर्ति बढ़ती है। ~ यंग
  • जो अहंकारपूर्वक प्रातः जलपान करता है, उसको सायंकाल का भोजन तिरस्कार से मिलता है। ~ फ्रेंकलिन
  • जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मै नाहि । सब अँधियारा मिट गया दीपक देख्या माँहि ॥ ~ कबीर

सज़ा, दंड (Punishment)

  • दंड द्वारा प्रजा की रक्षा की जानी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए। ~ रामायण
  • दंड अन्यायी के लिए न्याय है। ~ अगस्तियन
  • अपराधी को दंड से नहीं रोका जा सकता। ~ रस्किन
  • अपराधी के दंड में उपयोगिता होनी चाहिए। ~ वाल्टेयर

धर्म, मज़हब (Religion)

  • जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है। ~ वाल्मीकि
  • प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है| लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती। ~ आचार्य तुलसी
  • मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है। ~ आचार्य तुलसी
  • धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। ~ आचार्य तुलसी
  • धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। ~ आचार्य तुलसी
  • अहिंसा ही धर्म है, वही ज़िंदगी का एक रास्ता है। ~ महात्मा गांधी
  • अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है। ~ जयशंकर प्रसाद

संकल्प, प्रण (Resolution)

  • इस संसार में प्रत्येक वस्तु संकल्प शक्ति पर निर्भर है। ~ डिजरायली

सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर (Respect)

  • आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है। ~ प्रेमचन्द
  • यदि सम्मान खोकर आय बढती हो, तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है। ~ शेख सादी
  • दूसरों का सम्मान करो, लोग तुम्हारा भी सम्मान करेंगे। ~ कन्फ्यूशियस
  • इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है। ~ कल्विन कूलिज
  • अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान| ~ रहीम

क्रांति (Revolution)

  • क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय एवं त्रस्त व्यक्तियों के अन्तःकरण में हुआ करता है। ~ अज्ञात
  • क्रांति का अर्थ होता है अतीत और भविष्य के बीच एक जबर्दस्त संघर्ष। ~ फिदेल कास्त्रो
  • कुशासन के प्रति विद्रोह करना, ईश्वर की आज्ञा मानना है। ~ फ्रेंकलिन
  • जहां कहीं अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहां अंततः विद्रोह का ज्वालामुखी फूटता है। ~ अज्ञात
  • 'घूस का च्यवनप्राश खा कर न दीर्घायु बनो, ईमान की मिसाल अब मशाल बनके जल उठी'। ~ राजीव चतुर्वेदी

त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)

  • प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद
  • महान् त्याग से ही महान् कार्य सम्भव है। ~ स्वामी विवेकानंद
  • यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। ~ प्रेमचन्द
  • अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है। ~ एमर्सन
  • प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग है। ~ भगवान कृष्ण
  • त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से ब्याज। ~ विनोबा
  • पर-स्त्री, पर-धन, पर-निंदा, परिहास और बड़ों के सामने चंचलता का त्याग करना चाहिए। ~ संस्कृत सूक्ति
  • त्याग यह नहीं कि मोटे और खुरदरे वस्त्र पहन लिए जायें और सूखी रोटी खायी जाये, त्याग तो यह है कि अपनी इच्छा अभिलाषा और तृष्णा को जीता जाये। ~ सुफियान सौरी

दुःख, कष्ट, उदास, म्लान, व्याधि (Sad)

  • दुःख की उपेक्षा करो, वह कम हो जाएगा। ~ सद्गुरु श्रीब्रह्मचेतन्य
  • अन्याय सहने वाले से ज़्यादा दुःखी, अन्याय करने वाला होता है। ~ प्लेटो
  • किसी दुःखी व्यक्ति के लिए थोड़ी सहायता, ढेरों उपदेशों से कहीं ज़्यादा अच्छी है। ~ बुलवर
  • आज के कष्ट का सामना करने वाले के पास आगामी कल के कष्ट आने से घबराते हैं। ~ अज्ञात
  • ईश्वर जिसे प्यार करते हैं उन्हें रगड़कर साफ़ करतें हैं। ~ इंजील
  • हमारे कष्ट पापों का प्रायश्चित हैं। ~ हज़रत मोहम्मद
  • संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। ~ खलील जिब्रान
  • संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है, उससे दुखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना हो, इन दोनों से अधिक दुखी वह है जो सदा रोगी रहता हो और सबसे दुखी वह है जिसकी पत्नी दुष्टा हो। ~ विदुरनीति
  • रहिमन बिपदा हुँ भली, जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा जगत् में, जानि परत सब कोय ॥ ~ रहीम
  • तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दु:ख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं। ~ लहरीदशक
  • मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। ~ बर्नार्ड शॉ
  • विचित्र बात है कि सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का एक अंश है। ~ खलील जिब्रान
  • एक बात जो मैं दिन की तरह स्पष्ट देखता हूँ यह है कि दुःख का कारण अज्ञान है और कुछ नहीं। ~ स्वामी विवेकानंद
  • पाप का संचय ही दुखों का मूल है। ~ बुद्ध
  • संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं। ~ मृच्छकटिक
  • व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है। ~ चाणक्यसूत्राणि-223
  • विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है। ~ रावणार्जुनीयम्-5।8
  • मानव जीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है। ~ सर विंस्टन चर्चिल
  • अरहर की दाल औ जड़हन का भात, गागल निंबुआ औ घिउ तात, सहरसखंड दहिउ जो होय, बाँके नयन परोसैं जोय, कहै घाघ तब सबही झूठा, उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा| ~ घाघ

विज्ञान (Science)

  • धर्म, कला और विज्ञान वास्तव में एक ही वृक्ष की शाखा – प्रशाखाएं हैं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन
  • विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है। ~ विल्ल डुरान्ट
  • विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त, प्रयोग और सिमुलेशन।
  • विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ ग़लत हैं; यह पूरी तरह ठीक है। ये (ग़लत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं।
  • हम किसी भी चीज़ को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते। अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं। ~ रिचर्ड फ़ेनिमैन

शांत, चुप, ख़ामोश (Silent)

  • प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं।
  • वाणी का वर्चस्व रजत है किंतु मौन का मूल्य स्वर्ण के समान है।
  • कभी-कभी मौन रह जाना, सबसे तीखी आलोचना होती है। ~ अज्ञात
  • धनुष से छूटा हुआ तीर ओर मुख से निकला हुआ शब्द कभी वापस नहीं लौटता। ~ अज्ञात
  • इसका खेद अनेक बार हुआ कि में बोल क्यों पड़ा। ~ पाइथोगोरस
  • बोलने में समझदारी से काम लेना, वाक्पटुता से अच्छा है। ~ बेकन
  • थोड़ा पढ़ना और अधिक सोचना, कम बोलना और अधिक सुनना, यही बुद्धिमान बनने का उपाय है।
  • जो झुकना जानता है, दुनिया उसे उठाती है, जो केवल अकड़ना जानता है, दुनिया उसे उखाड़ फेंकती है।
  • खामोश रहो या ऐसी बात कहो जो ख़ामोशी से बेहतर हो। ~ पाइथोगोरस
  • मौन बातचीत की एक महान् कला है। ~ हैजलिट
  • तुम्हे प्रत्येक का उपदेश सुनना चाहिए जबकि अपना उपदेश कुछ ही व्यक्तियों को दो।
  • जितना दिखाते हो उससे ज़्यादा तुम्हारे पास होना चाहिए, जितना जानते हो उससे कम तुम्हें बोलना चाहिए।

मुसकान, मुसकुराहट (Smile)

  • मुस्कान प्रेम की भाषा है। ~ हेवर
  • मुस्कान एक शक्तिशाली हथियार हैं आप इस से फोलाद भी तोड़ सकते हैं।
  • हंसी प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत है। ~ डॉ. लक्ष्मणपति वार्ष्णेय
  • हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है। ~ महात्मा गांधी

आत्मा, रूह (Soul)

  • सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए। ~ अवतार सिंह पाश
  • अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व मित्र की भांति चेतावनी देती है। ~ अज्ञात
  • आवेश कोई भावनात्मक ऊर्जा नहीं, बल्कि आत्मा और बाहरी दुनिया का टकराव है। ~ आंद्रेई तारकोव्स्की
  • हमेशा अपनी आत्मा की आवाज़ सुनो।
  • शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के संदर्भ में आंसू का है। ~ यहूदी कहावत
  • जो अवगुण तुम्हे दूसरों में दृष्टिगत होते हैं, उसे अपने भीतर न रहने दो। ~ स्प्रैट
  • कोई अभियोक्ता इतना शक्तिशाली नहीं है, जितना कि अपना अन्तःकरण। ~ सोफोक्लीज
  • अन्तःकरण आत्मा की वाणी है। ~ जे. जे. रूसो
  • सबसे उत्तम तीर्थ निश्चल मन है। ~ शंकराचार्य
  • हमें लोहे के पुट्ठे और इस्पात के स्नायु चाहिए, जिनमें वज्र सा मन निवास करे। ~ स्वामी विवेकानंद
  • आत्मा को न शाश्त्र काट सकता है, न आग जला सकती है, न जल भिगो सकता है और न हवा सुखा सकती है। ~ भगवत गीता
  • क्या तुम नहीं जानते ही तुम ही ईश्वर का मंदिर हो और ईश्वर की आत्मा तुममे रहती है। ~ इंजील
  • अगर मेरे पास दो रोटियां हो तो मैं एक के फूल ख़रीदूंगा ताकि रूह को गिज़ा मिल सके। ~ हजरत मोहम्मद
  • सबकी आत्मा एक जैसी है, सबकी आत्मा की शक्ति एक सामान है। कुछ की शक्ति प्रकट हो गयी है और दूसरों की प्रकट होनी बाकी है। ~ महात्मा गाँधी
  • आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है। ~ उमर खैयाम
  • आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। ~ गेटे
  • अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित स्वरूप को आत्मा प्रकाशित करता है। ~ टैगोर

अध्ययन, पढ़ना (Study)

  • दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही ज़रूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि। ~ जोसफ एडिसन
  • इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है। ~ बेकन
  • चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं। ~ सत्य साईंबाबा
  • अध्ययन से सरल कोई मनोरंजन नहीं, न कोई आनन्द इतना चिरस्थायी है। ~ लेडी मौण्टेग्यू
  • सरस्वती से बढ़कर कोई वैध नहीं और उसकी साधना से बढ़कर कोई औषध नहीं। ~ अज्ञात
  • वस्तुएं बल से छीनी या धन से ख़रीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है।
  • जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है। ~ स्वामी विवेकानंद
  • प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान् बने हैं। ~ सिसरो
  • भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो। ~ कन्फ्यूशियस
  • सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है।
  • हम जितना अध्ययन करते हैं उतना हमे अज्ञान का आभास होता है।

सफलता, विजय, जीत (Success)

  • जीतता वह है जिसमें शौर्य, धैर्य, साहस, सत्व और धर्म होता है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
  • समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं। ~ एंथनी रॉबिन्स
  • जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ गौत्तम बुद्ध
  • जो अकले चलते हैं, वे शीघ्रता से बढ़ते हैं। ~ नेपोलियन
  • सफलता का कोई रहस्य नहीं है, वह केवल अत्यधिक परिश्रम चाहती है। ~ हेनरी
  • जिस व्यक्ति में सफलता के लिए आशा और आत्मविश्वास है, वही व्यक्ति उच्च शिखर पर पहुंचते हैं।
  • लगातार प्रयत्न करने वाले लोगों की गोद में सफलता स्वयं आकर बैठ जाती हैं। ~ भारवि
  • कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं। ~ महात्मा गांधी
  • सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता। ~ विल्सन
  • वही सफल होता है, जिसका काम उसे निरन्तर आनन्द देता है। ~ थोरो
  • ध्येय की सफलता के लिए पूर्ण एकाग्रता और समर्पण आवश्यक है। ~ ब्राउन
  • सफलता में दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है। ~ प्रेमचन्द
  • अपने ऊपर विजय प्राप्त करना, सबसे बड़ी विजय है। ~ अज्ञात
  • एक सफ़ल मनुष्य होने के लिये सुदृढ़ व्यक्तित्व की आवश्यकता है। ~ अज्ञात
  • असफलता का मतलब यह नहीं कि आप असफल हैं, इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आप अब तक सफल नहीं हो पाए हैं। ~ रॉबर्ट शुलर
  • हमें अपनी असफलताओं पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज़्यादा अच्छा होता है। लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है। ~ बोमन ईरानी
  • ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है।
  • महान् संकल्प ही महान् फल का जनक होता है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
  • एकाग्रता से ही विजय मिलती है।
  • सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है।
  • जीवन में सफलता का रहस्य, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है। ~ डिजरायली
  • आत्मविश्वास सफलता का प्रमुख रहस्य है। ~ इमर्सन
  • असफलता केवल यह सिद्ध करती है कि प्रयत्न पूरे मन से नहीं हुआ। ~ श्रीराम शर्मा आचार्य
  • जो पढ़ते हो, उसे अमल में लाना सीखो, यही उन्नति का मार्ग है। ~ स्वामी रामतीर्थ
  • सिर्फ सपनों से कुछ नहीं होता, सफलता प्रयासों से हासिल होती है। ~ अज्ञात
  • पारस्परिक व्यवहार प्रगति का सार है। ~ बक्टन
  • यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो अपना ध्यान समस्या खोजने में नहीं समाधान खोजने में लगाइए।
  • सफलता कर्म करने से मिलती है।
  • अपनी असफलताओं को खुद पर हावी मत होने दो, बल्कि असफलताओं को ही अपनी सफलता की सीढी के रूप में इस्तेमाल करो।
  • दुनिया आपको मुफ़्त में कुछ नहीं देती। सफलता जैसी बेशकीमती चीज़ तो बिलकुल नहीं। अतः सफलता का पकवान चखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
  • सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है।
  • सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता, साहस और कोशिश।
  • मैं नहीं जानता कि सफलता की सीढी क्या है; असफला की सीढी है, हर किसी को प्रसन्न करने की चाह। ~ बिल कोस्बी
  • सफलता के लिये कोई लिफ्‍ट नहीं जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा।
  • हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नहीं। ~ हेनरी डेविड
  • मैं सफलता के लिए इंतज़ार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला। ~ जोनाथन विंटर्स
  • सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता। क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो। ~ किन हबार्ड
  • प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं। ~ जान मैकनरो
  • किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो। ~ हरिशंकर परसाई
  • सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं।
  • एकाग्र रहने वाला सदा सफलता का वरण करता है। ~ अत्रि मुनि
  • कोई भी काम एक दिन में नहीं सफल होता। काम एक पेड़ की तरह होता है। पहले उसकी आत्मा में एक बीज बोया जाता है, हिम्मत की खाद से उसे पोषित किया जाता है और मेहनत के पानी से उसे सींचा जाता है, तब जाकर सालों बाद वह फल देने के लायक़ होता है। ~ स्टीवन स्पीलबर्ग
  • सफलता के लिए इन्तजार करना आना चाहिए। पौधे से फल की इच्छा रखना मूर्खता से अधिक कुछ भी नहीं है। ~ स्टीवन स्पीलबर्ग
  • असफलता सफलता प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
  • अपने मस्तिष्क को अपना रास्ता स्वयं खोजने की शक्ति दीजिये।
  • मेहनत कीजिये लेकिन बिना योजना के नहीं। एक-एक क़दम उठाइए। जब एक क़दम उठा चुके हों तब तैयारी करें।
  • आकांक्षा क्षणिक नहीं होती, न ही उन्मादी होती है।
  • आवेग कहता है,- रुको मत, चलते रहो। ढ्लो मत, निखरते रहो।
  • हर सुबह मैं अपनी आँखे खोलता हूँ उस भविष्य को सँवारने के लिए जो मेरे लिए ख़ास है। हर रात मैं अपनी आँखे बंद कर लेता हूँ और देखता हूँ कि मेरा लक्ष्य थोड़ा और मेरे पास है।
  • प्रयासरत रहिये, सुख संजोइए
  • सफल लोग अपने मस्तिष्क को इस तरह का बना लेते हैं कि उन्हें हर चीज़ सकारात्मक व ख़ूबसूरत लगती है।
  • असल में सफल लोग अपने निरंतर विश्वास से जीतते हैं लेकिन वे असफलताओं का मुकाबला भी उसी विश्वास से करते हैं।
  • सफलता के लिए विश्वास पैदा कीजिये। असफल होने पर भी उस विश्वास को क़ायम रखिये।
  • सफलता सार्वजनिक उत्सव है, जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक। -थामस जेफरसन
  • सफल व्यक्ति सकारात्मक ढंग से प्रशंसा करते हैं और हँसी मजाक पर बुरा नहीं मानते। वे उत्साह फैलाते हैं। उनकी सकारात्मकता चारो तरफ़ फैलती है और उसकी खुशबु हर जगह बिखरती रहती है।
  • सफल लोग सबकी परवाह करते हैं। उनका यह लिहाज़ भी उन्हें दूसरों से अलग बनाता है।
  • प्रयासों को प्रोत्साहित कीजिये।
  • तुम मुझे प्रोत्साहित करो, में तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा। ~ विलियम आर्थर बार्ड
  • अपनी सृजनात्मकता को तराशते रहिये।
  • बदलती मनः स्थिति ही एक स्वस्थ व रचनाशील व्यक्तित्त्व की निशानी है।
  • नकल नहीं, सृजन करिए।
  • प्रयास करें अपनी आत्मा के छिद्रों को पहचान कर उन्हें सिलने का।
  • सोचें और लिखें : मेरी विशेषताएँ, बदलाव की आवश्यकता, मैं कैसे बदलाव करना चाहता हूँ।
  • हम जो भी हैं, जो कुछ भी करते हैं, वह तभी होता है जब हम उसे वास्तव में करना चाहते हैं। ~ पाओले कोएले
  • जहाज़ समंदर के किनारे सर्वाधिक सुरक्षित रहता है। मगर क्या आप नहीं जानते कि उसे किनारे के लिए नहीं, बल्कि समंदर के बीच में जाने के लिए बनाया गया है?
  • हमारी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम अपने जीवन का प्रतिक्षन, प्रतिघंटा और प्रतिदिन कैसे बिताते हैं।

प्रतिभा, योग्यता, कौशल (Talent)

  • जब जादू के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह कला बन जाता हैं। ~ बेन ओकरी
  • एश्वर्य उपाधि में नहीं वरन् इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं। ~ अरस्तू
  • वास्तव में बड़ा वह है जो, उदार है।

लक्ष्य, ध्येय, योजना, गंतव्य (Target)

  • लक्ष्य प्राप्ति के लिये सहज प्रव‌्त्तियों को होम कर देना होता है। ~ सम्पूर्णानन्द
  • सब मनुष्यों के कर्मों का लक्ष्य उन्नति कि चरम सीमा को प्राप्त करना है। ~ सत्य साईं बाबा
  • अपने लक्ष्यों को पूरा होते देखने का सिद्धान्त जीवन के सभी क्षेत्रों में काम करता है।
  • जब भी लक्ष्य तय करो, उसके लिए जुनूनी होना होगा। नाकामियों का आप पर नकारात्मक असर नहीं होना चाहिए। लक्ष्य को हासिल करने में कितना समय लग रहा है, उससे विचलित होने की जरुरत नहीं है।
  • सार्थकता हासिल करने के लिए स्पष्ट तस्वीर बिल्कुल अनिवार्य है।
  • जहां संकल्प बड़ा होता हैं, वहां विपदा और संकट बड़े नहीं हो सकते। ~ मैकियावेली
  • लक्ष्य जितना बड़ा होता है, उसका रास्ता भी उतना ही लंबा और बीहड़ होता है। ~ साने गुरुजी
  • सबकी सुनने और मानने वाला किसी नतीजे पर नहीं पहुंचता।
  • अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है।
  • हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो।
  • ध्येय जितना महान् होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता है।
  • यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो। ~ तिरुवल्लुवर
  • अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे। ~ बर्नार्ड शा
  • लक्ष्य रखना काफ़ी नहीं है उसे प्राप्त करना चाहिए। ~ इतालियन कहावत
  • अपने जीवन का लक्ष्य बनाओ और अपनी साडी शारीरिक और मानसिक शक्ति उसे पाने में लगा दो। ~ कार्लाइल

शिक्षक, अध्यापक, उस्ताद, गुरु (Teacher)

  • माता-पिता जीवन देते हैं, लेकिन जीने की कला तो शिक्षक ही सिखाते हैं। ~ अरस्तु
  • गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है। ~ शेख सादी
  • अपने विवेक को अपना शिक्षक बनाओ।
  • शिष्य के ज्ञान पर सही करना यही गुरु का काम है, बाकी के लिए शिष्य स्वावलंबी है। ~ विनोबा
  • सच्चा गुरु अनुभव है। ~ स्वामी विवेकानंद
  • कबीरा ते नर अंध हैं, गुरु को मानत और हरी रुठै गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर। ~ कबीर

सोच, ख़याल, विचार, मत (Thinking)

  • उस विचार को रोक पाना नामुमकिन है, जिसका वक्त आ गया हो। ~ विक्टर ह्यूगो
  • संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है न शत्रु। तुम्हारा अपना विचार ही, इसके लिए उत्तरदायी है। ~ चाणक्य
  • व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतने ही कम शब्दों में वह उनको अभिव्यक्त कर देता है।
  • अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है। ~ स्वामी रामतीर्थ
  • मनुष्य अपने हृदय में जैसा विचारता है, वैसा ही बन जाता है। ~ बाइबिल
  • महान् विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान् कृतियां बन जाते हैं। ~ हेजलिट
  • अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है।
  • कंजूस : वह व्यक्ति जो ज़िंदगी भर ग़रीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके।
  • अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो ग़लती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे।
  • अनुभव : भूतकाल में की गई ग़लतियों का दूसरा नाम।
  • कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं।
  • दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय।
  • मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी ख़ूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है।
  • नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है।
  • आशावादी : वह शख़्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले।
  • राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और ग़रीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा।
  • आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके।
  • सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना।
  • ज्ञानी : वह शख़्स जिसे प्रभावी ढंग से, सीधी बात को उलझाना आता है।
  • मनोचिकित्सक : जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूं ही पूछती रहती है।
  • समिति : वह व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, लेकिन यह निर्णय मिलकर करते है की साथ-साथ कुछ नहीं किया जा सकता।
  • ईमानदार नेता : वह जिसे एक बार ख़रीद लिया जाए तो फिर जाए तो फिर वह ख़रीदा हुआ ही रहे।
  • जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता। ~ स्वामी विवेकानंद
  • हम दुनिया को नहीं बदल सकते, मगर दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण तो बदल सकते हैं। ~ स्वामी रामदास

समय, काल, वक़्त (Time)

  • समय पर कार्य नहीं करने से व्यक्ति लाभ और उन्नति से कोसों दूर हो जाता है। ~ बाबा फरीद
  • भविष्य वर्तमान के द्वारा क्रय किया जाता है। ~ जॉनसन
  • जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है। ~ महात्मा गांधी
  • जो समय का ज़्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज़्यादा शिकायत करते हैं। ~ ब्रूयर
  • समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य उपकारी होता है। ~ योगवशिष्ठ
  • बिता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते। ~ कहावत
  • जो अपने समय का सबसे ज़्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज़्यादा शिकायत करते हैं। - ब्रूयर
  • जीवन छोटा ही क्यों न हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है। ~ जॉनसन
  • वर्तमान परिस्थिति में हम क्या करते, सोचते और विश्वास करते हैं, उसी से हमारा भविष्य तय होता है।
  • सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं हैं।
  • सोने का प्रत्येक धागा मूल्यवान होता है, इसी प्रकार समय का प्रत्येक क्षण भी मूल्यवान होता है। - मेसन
  • समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता।
  • बीता हुआ समय और कहे हुए शब्द कदापि वापस नहीं आ सकते। - कहावत
  • प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है।
  • समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। - बेकन
  • समय महान् चिकित्सक है।
  • एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। - सेनेका
  • हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है।
  • राजा: कुछ ऐसा लिखो जिसे पढ़ कर ख़ुशी में गम हो और गम में पढ़ो तो ख़ुशी हो? वजीर: यह समय बीत जायेगा।
  • दौड़ना काफ़ी नहीं है, समय पर चल पड़ना चाहिए। ~ फ़्रान्सीसी कहावत
  • समय पर थोड़ा सा प्रयत्न भी आगे की बहुत-से परेशानियों को बचाता है। - कहावत
  • बुद्धिमान लोग अतीत की घटनाओं पर नहीं पछताते, वे भविष्य की चिन्ता नहीं करते, केवल वर्तमान जगत् में पूर्णतया कर्म करते हैं।
  • सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता हैं। – मार्टिन लूथर किंग जूनीयर
  • जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी प्रकार रात और दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। – महाभारत
  • मैंने समय को नष्ट किया है। अब समय मुझको नष्ट कर रहा है। - शेक्सपीयर
  • समय फिरने पर मित्र भी शत्रु हो जाते हैं। - गोस्वामी तुलसीदास
  • हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य। ~ ऑस्कर वाइल्ड
  • सही टाइमिंग पर लगभग हर बात सकारात्मक तरीके से कही जा सकती है।
  • हम आज अच्छे हैं, ये भी एक किस्म का पागलपन है। ~ एडवर्ड यंग
  • वक्त को बर्बाद न् करो, क्योंकि ज़िन्दगी इसी से बनी है। ~ फ्रेंकलिन
  • आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः । स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥
  • करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता।
  • वह (क्षण) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है, ऐसे नर-पशु को नमस्कार।
  • समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज़ है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है। ~ बेन्जामिन फ्रैंकलिन
  • समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतज़ार नहीं करतीं। ~ अज्ञात्
  • किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा। यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा।
  • क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत। (क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये)
  • काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब । पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥ ~ कबीरदास
  • समय-लाभ सम लाभ नहिं, समय-चूक सम चूक । चतुरन चित रहिमन लगी, समय-चूक की हूक ॥
  • अपने काम पर मै सदा समय से 15 मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है।
  • हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये। यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है।
  • दीर्घसूत्री विनश्यति। (काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है)
  • समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है। ~ एनॉन
  • ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे। ~ प्रेमचन्द

विश्वास, यक़ीन, भरोसा (Trust)

  • विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है।
  • विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है। ~ महात्मा गांधी
  • असन्तोष अपने ऊपर अविश्वास का फल है, यह कमज़ोर इच्छा का रूप है। ~ एमर्सन
  • वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता। ~ स्वामी विवेकानंद
  • वे ही विजयी हो सकते है, जिन्हें विश्वास है कि वे विजयी होंगे। ~ वर्जिल
  • विश्वास का अभाव अज्ञान है। ~ स्वामी रामतीर्थ
  • विश्वास जीवन कि शक्ति है। ~ टालस्टाय

सच, सत्य, साँच (Truth)

  • अगर आप सच बोलते हैं, तो आपको ज़्यादा कुछ याद रखने की जरुरत नहीं है। ~ मार्क ट्वेन
  • सत्य स्वयं सिद्ध नहीं है, उसे सिद्ध करना पड़ता है।
  • वस्तुगत यथार्थ वास्तव में स्वप्न के भीतर एक और स्वप्न की तरह है। ~ एडगर एलन पो
  • डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है। ~ प्रेमचंद
  • असत् का अस्तित्व नहीं है और सत् का नाश नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण

समझना, सुबोध (Understanding)

  • ईश्वर ने समझ की कोई सीमा नहीं रखी है। - बेकन
  • संघर्ष और उथल-पुथल के बिना जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। इसलिए जीवन में आने वाली विषमताओं को सह लेना ही समझदारी है। – विनोबा भावे
  • समझ मस्तिष्क का प्रकाश है। – विल्स

एकता, योग, मेल (Unity)

  • एकता से हमारा अस्तित्व क़ायम रहता है, विभाजन से हमारा पतन होता है। ~ जॉन डिकिन्सन
  • एकता चापलूसी से क़ायम नहीं की जा सकती। ~ महात्मा गाँधी
  • यदि चिड़ियाँ एकता कर लें तो शेर की खल खींच सकती हैं। ~ शेख सादी
  • एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। ~ अज्ञात
  • संघे शक्तिः (एकता में शक्ति है)

अक़्लमंद, चतुर, होशियार (Wise)

  • सतर्कता तभी सार्थक होती है, जब सदैव बरती जाए।
  • उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर
  • दुसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है। ~ जवाहरलाल नेहरू
  • रोग, शत्रु और कर्ज़ अपने आप बढ़ते हैं। इन्हें तुंरत जड़ से ख़त्म कर देना चाहिए।
  • आदत को अगर नहीं रोका जाय तो शीघ्र ही वे लत बन जाती हैं।
  • प्रतिष्ठा बनाने में कई वर्ष लग जाते हैं, कलंक एक क्षण में लग जाता है। ~ अज्ञात
  • गुस्सा आपको छोटा बनाता है, क्षमा आपको विस्तार देती है।
  • परामर्श तो अनेक प्राप्त करते है,किन्तु उससे लाभ उठाना बुद्धिमानों को ही आता है। ~ साइरस
  • सावधानी बुद्धिमानी की सबसे बड़ी संतान है। ~ विक्टर ह्यूगो
  • निन्दा से बचने का अचूक एवं शीघ्र उपचार स्वयं को सुधार लेना ही है। ~ डिमास्थनीज
  • किसी मित्र को अपना ऐसा भेद मत बताओ, जिसके ज़ाहिर हो जाने पर बदनामी हो। ~ थेल्स
  • नीतिसम्मत है कि स्वार्थवश भी दुर्जन व्यक्ति को साथ नहीं लेना चाहिए। ~ अज्ञात
  • चतुर मनुष्य अपना ज्ञान छिपाकर रखता है, पर मूर्ख अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करता है। ~ बाइबिल
  • ना तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे और ना ही इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये। ~ टॉल्स्टॉय
  • प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, बुरा किसी का मत करो।

महिला, नारी, औरत, स्त्री (Woman)

  • जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है।
  • स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है। ~ अरस्तू
  • सुयोग्य स्त्री परिवार की शोभा तथा गृह की लक्ष्मी है। ~ मनु
  • स्त्रियों की मान-हानि साक्षात् लक्ष्मी और सरस्वती की मान हानि है। ~ सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
  • किसी स्त्री के सलाह लीजिये और जो कुछ भी वह कहे उसका उल्टा कीजिये निश्चित रूप से आप बुद्धिमान बन जायेंगे। ~ टॉमस मूर
  • औरत के बाल आमतौर पर लम्बे होते हैं पर उसकी जुबान और भी ज़्यादा लम्बी होती है। ~ शेक्सपियर
  • जब लड़की शरमाना बंद कर देती है तो वह अपनी सुन्दरता का सबसे शक्तिशाली आकर्षण खो देती है। ~ ग्रेगरी
  • एक आकर्षक स्त्री रत्नजडित आभूषण है एवं एक अच्छी स्त्री कोषाध्यक्ष। ~ अज्ञात
  • स्त्री अवं संगीत को कभी समय से सम्बंधित नहीं करना चाहिए। ~ अज्ञात
  • सुन्दर नारी या तो मूर्ख होती नहीं या अभिमानी। ~ स्पेनी कहावत
  • पुरुष का नारी के सामान कोई बंधू नहीं। ~ महाभारत
  • यह लौकिक पुरुष के अत्याचार का बहुत निर्बल बहाना है कि नारी का सद्गुण सच्चरित्रता और आज्ञाकारिता है। ~ राधाकृष्णन
  • नारी की उन्नति पर ही रास्ट्र की उन्नति या अवनति निर्धारित है। ~ अरस्तु
  • बदला लेने और प्रेम करने में नारी पुरुष से आगे होती है। ~ नित्शे
  • सौन्दर्य से नारी अभिमानी बनती है, उत्तम गुणों से उसकी प्रशंसा होती है और लज्जाशील होकर वह देवी बन जाती है। ~ शेक्सपियर
  • नारी को अबला कहाँ उसका अपमान है। ~ महात्मा गाँधी
  • नारी सब कुछ सह सकती है पर अपने इच्छा के विरुद्ध प्रेम नहीं कर सकती। ~ सुदर्शन
  • नारी सब कुछ सह सकती है, दारुण से दारुण दुःख, बड़े से बड़ा संकट, नहीं सह सकती तो अपनी उमंगो का कुचलाजाना। ~ प्रेमचंद

काम, कार्य, कर्म, कृत्य (Work)

  • परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाज़ा खोल देती है। ~ चाणक्य
  • किसी कार्य को ख़ूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए। ~ नेपोलियन
  • ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
  • मनुष्य जन्म से नहीं बल्कि कर्म से शूद्र या ब्राह्मण होता है। ~ गौतम बुद्ध
  • जो श्रम से लजाता है, वह सदैव परतंत्र रहता है। ~ शरण
  • कार्य की अधिकता से उकताने वाला व्यक्ति, कभी कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता। ~ अब्राहम लिंकन
  • अपने से हो सके, वह काम दूसरे से न कराना। ~ महात्मा गांधी
  • सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता। ~ स्वामी रामतीर्थ
  • काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है। ~ महात्मा गांधी
  • महान् कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं। ~ जॉनसन
  • पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है। ~ अज्ञात
  • कमज़ोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण। ~ मदनमोहन मालवीय
  • प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत श्रम है। ~ एडीसन
  • अच्छे कार्य करने के लिए कभी शुभ मुहूर्त मत पूछो। ~ अज्ञात
  • बड़े कार्य, छोटे कार्यों से आरम्भ करना चाहिए। ~ शेक्सपियर
  • स्वतंत्र वही है, जो अपना काम स्वयं कर लेता है। ~ विनोबा भावे
  • योग्यता से बिताए हुए जीवन को,हमें वर्षों से नहीं बल्कि कर्मों के पैमाने से तौलना चाहिए। ~ शेरिडेन
  • जागरण का अर्थ है कर्म में अवतीर्ण करना। ~ जयशंकर प्रसाद
  • जो काम आ पड़े, साधना समझ कर पूरा करो। ~ स्वामी रामदास
  • कहने की प्रकृति छोडो, करने का अभ्यास करो। ~ अज्ञात
  • प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है।
  • जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है। ~ ब्राह्मण ग्रन्थ
  • कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही।
  • ग़लत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं।
  • जीवन में सबसे ज़्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो।
  • आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है।
  • कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है।
  • जीवन में ऐसा काम करो कि परिवार, गुरु और परमात्मा तीनों तुमसे खुश रहें। ~ स्वामी ज्योतिनंद
  • कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही।
  • कर्म सरल है, विचार कठिन।
  • अपने काम में सुन्दरता तलाशो| उससे सुंदर और कुछ हों ही नहीं सकता। ~ रूमी
  • हमारे लिए चींटी से बढ़कर और कोई उपदेशक नहीं है। वह काम करती है और खामोश रहती है।
  • अगर कुछ महत्व रखता है तो वह है कर्म और प्रेम। ~ सिगमंड फ्रोयड
  • दौड़ना काफ़ी नहीं है समय पर चल पड़ना चाहिए। ~ फ़्रांसिसी कहावत
  • जिसने निश्चय कर लिया उसके लिए बस करना बाकि रह जाता है। ~ इटैलियन कहावत
  • वाही काम करना ठीक है जिसके लिए बाद में पछताना ना पड़े, और जिसके फल को प्रसन्ना मन से भोग सके। ~ बुद्ध
  • यदि कोई काम नहीं करता तो उसे खाना भी नहीं चाहिए। ~ बाइबल
  • किसी भी काम को ख़ूबसूरती से करने के लिए उसे मन से करना चाहिए। ~ नेपोलियन
  • बिना काम के सिधांत दिमागी एय्याशी है, बिना सिधांत के कार्य अंधे की टटोल हैं। ~ जवाहरलाल नेहरु
  • कर्म तो कामधेनु है, उसे दुहना आएं तो आनंदरूप दूध मिलेगा। ~ श्री वल्लभाचार्य
  • रूप या जन्म गौरव के कारण नहीं बनाते, इन्सान अपने कर्म से ही शोभा बढ़ा सकता है। ~ पंचतंत्र
  • जिसकी जीभ (ज़बान) छोटी, उसका कार्य बड़ा; जिसकी जीभ बड़ी, उसका कार्य छोटा। ~ गुजराती कहावत
  • कर्म का ध्वनी शब्द से भी ऊंचा है। ~ जापानी कहावत
  • कर्म के स्वरूप का विचार करने से नम्रता आती है और धर्म का विचार करने से निर्भयता आती है। ~ हितोपदेश

चिंता, आकुलता (Worry)

  • कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है। ~ स्वेट मार्डेन
  • अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। ~ शेख सादी
  • चिंताएं, परेशानियां, दुःख और तकलीफें परिस्थितियों से लड़ने से नहीं दूर हो सकतीं, वे दूर होंगी अपनी अंदरूनी कमज़ोरी दूर करने से जिसके कारण ही वे सचमुच पैदा हुईं है। ~ स्वामी रामतीर्थ
  • प्राणियों के लिए चिंता ही ज्वर है। ~ शंकराचार्य
  • बिस्तर पर चिंताओं को ले जाना, पीठ पर गट्ठर बाँध कर सोना है। ~ हैली बर्टन
  • चिंता रोग का मूल है। ~ प्रेमचंद
  • चिंता करता हूँ मैं जितनी उस अतीत की, उस सुख की, उतनी ही अनंत में बनती जातीं रेखाएं दुःख की। ~ जयशंकर प्रसाद
  • चिंता एक काली दिवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती। ~ प्रेमचंद
  • चिंता चिता सामान है। ~ अज्ञात
  • निश्चंत मन, भरी थैली से अच्छा है। ~ अरबी कहावत
  • कुटुंब कि चिंता से परेशां व्यक्ति कि कुलीनता, शील और गुण कच्चे घड़े में रखे पानी की तरह है। ~ संस्कृत सूक्ति
  • चिंता वहां तक तो वांछनीय है जहाँ तक वह रचनात्मक ध्येय की पूर्ति के लिए विविध उपायों का मनन करने तक सीमित हो, परन्तु जब चिंता इतनी बढ़ जाये कि वह शरीर को खाने लगे तो वह अवांछनीय हो जाती है क्योंकि फिर तो वह अपने ध्येय को ही हरा बैठती है। ~ महात्मा गाँधी

युवा, जवानी (Youth)

  • युवा होने का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि भावनाओं का पुंज और उत्साह का स्त्रोत हो | ~ गणेश शंकर

Other Quotes

  • स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। ~ गुरु गोविन्द सिंह
  • स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद
  • ग़रीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। ~ सरदार वल्लभभाई पटेल
  • महान् वह है जो दृढतम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है। ~ सेनेका
  • महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो। ~ थॉमसन
  • जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है।
  • क्षमा से बढ़कर ओर किसी बात में पाप को पुण्य बनाने की शक्ति नहीं है। ~ जयशंकर प्रसाद
  • ईर्ष्या अपनी हीनता के बोध से जन्म लेती है। वह उसे दूर नहीं करती, सिर्फ दबाती है। ~ जैनेन्द्र
  • अपराध करने के बाद भय उत्पन्न होता है ओर यही उसका दण्ड है। ~ वाल्टेयर
  • किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ। शांतिपूर्वक जियो ओर दूसरों को भी जीने दो। ~ महावीर स्वामी
  • आपके पास जो है, उसके लिए कृतज्ञ रहने का विकल्प चुने……… आज ही, अभी।
  • दुर्भाग्य घोड़े पर सवार होकर आता है और पैदल वापस जाता है। ~ फ़्रांसीसी लोकोक्ति
  • आवश्यकता आविष्कार की जननी है। ~ कहावत
  • संतुलित व्यक्ति दूसरों के गुणों को स्वीकार करते हैं, परंतु अपने महत्व को भी कम नहीं आंकते।
  • संकल्प और सकारात्मक आत्म-चर्चा तभी तक उपयोगी है, जब तक कि हम अपनी अराधना ही न करने लगें।
  • पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने के बजाय तारीफ़ करना ज़्यादा अच्छा होता है।
  • सच तो यह है कि आशावाद और अपेक्षा के एहसास से भरे लोग शायद ही कभी निराश होते हैं।
  • हमारी रुचि हमारे जीवन कि परख और हमारे मनुष्यत्व की पहचान है। ~ रस्किन
  • अधिकारों का उपयोग नहीं करना, खुद के शोषण को आमंत्रण देना है। ~ विलियम पिट
  • उपहार और विरोध तो सुधारक के पुरस्कार हैं। ~ प्रेमचंद
  • प्रेम के बाद सहानुभूति मानव हृदय की पवित्रतम भावना है। ~ बर्क
  • पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने की बजाए तारीफ करना ज़्यादा अच्छा होता है।
  • जो दान अपनी कीर्ति-गाथा गाने को उतावला हो उठता है, वह अहंकार एवं आडम्बर मात्र रह जाता है। ~ हुट्टन
  • उड़ान भरने की अपेक्षा, जब हम झुकते हैं, तब विवेक के अधिक निकट होते हैं। ~ वर्ड्सवर्थ
  • बातचीत प्रिय हो, पर ओछी न हो, आश्चर्यजनक हो, पर असत्य न हो। ~ शेक्सपियर
  • विश्व, रेखागणित के लिए भारत का ऋणी है, यूनान का नहीं। ~ डॉ. थिवो
  • स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है। ~ हर्बर्ट स्पेन्सर
  • विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को। ~ कालिदास
  • महान् लेखक, अपने पाठक का मित्र और शुभचिन्तक होता है। ~ मेकाले
  • सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं। ~ एनन
  • शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए। ~ अज्ञात
  • शब्द की शक्ति, हमारी सारी उन्नति का आधार है। ~ जैनेन्द्र कुमार
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