राम कहो राम कहो, राम कहो बावरे। अवसर न चूक भोंदू, पायो भला दाँवरे॥1॥ जिन तोकों तन दीन्हों, ताकौ न भजन कीन्हों। जनम सिरानो जात, लोहे कैसो ताव रे॥2॥ रामजीको गाय, गाय रामजीको रिझाव रे। रामजीके चरन-कमल, चित्तमाहिं लाव रे॥3॥ कहत मलूकदास, छोड़ दे तैं झूठी आस। आनँद मगन होइके, हरिगुन गाव रे॥4॥