लाज के निगड़ गड़दार अड़दार चँहु, चौँकि चितवन चरखीन चमकारे हैँ । बरुनी अरुन लीक पलक झलक फूल , झूमत सघन घन घूमत घुमारे हैँ । रँजित रजोगुन सिँगार पुंञ कुँजरत , अंञन सोहन मनमोहन दतारे हैँ । देव दु:ख मोचन सकोच न सकत चलि , लोचन अचल ये मतँग मतवारे हैँ ।