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15:27, 14 जून 2011 का अवतरण

बुरहानपुर के मोहल्ला क़िला अंडा बाज़ार की ताना गुजरी मस्जिद के उत्तर में मुग़ल युग की प्रसिद्ध यादगार अकबरी सराय है। जिसे अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना ने बनवाया था। उस समय ख़ानख़ाना सूबा ख़ानदेश के सूबेदार थे। बादशाह जहांगीर का शासन था और निर्माण उन्हीं के आदेश से हुआ था। बादशाह जहांगीर के शासन काल में इंग्लैंड के बादशाह जेम्स प्रथम का राजदूत सर टॉमस रॉ यहाँ आया था। वह इसी सराय मे ठहरा था।  उस समय शहज़ादा परवेज़ और उसका पिता जहांगीर शाही क़िले में मौजूद थे।[1]

निर्माण शैली

इस सराय के अतिरिक्त अनेक  सरायों का निर्माण मुग़ल काल में करवाया गया था। इन सरायों में मुसाफिर आकर ठहरते थे। ऐसी ही एक सराय आदिल शाह फ़ारूक़ी ने उतावली नदी के पुल के समीप खंडवा रोड पर बनवाई थी। यह 'सराय गोदाम' अथवा 'उतावली सराय' के नाम से प्रसिद्ध है। इस सराय के पास एक सुंदर मस्जिद भी है, जो अच्छी हालत में नहीं है । मस्जिद को वक्फ बोर्ड मे वक्फ कर लिया गया है। सराय का मुखय द्वार लगभग 80 फुट ऊँचा है। प्रवेश द्वार काले पत्थर से बना है। इसके मध्य भाग मे पेशानी शीर्ष पर एक शिला लेख फ़ारसी भाषा में अंकित है, जिसकी लिखावट से पता चलता है कि, यह सराय 1027  हिजरी मे सूबेदार निर्माण विभाग के प्रबंधक लशकर ख़ाँ की निगरानी में कई वर्षों में बनवाई गई थी। प्रवेश द्वार के भीतरी भाग में दोनों ओर कमरे बनाये गये हैं, जहाँ से सराय की व्यवस्था का संचालन किया जाता था।

सराय के भीतरी भाग में प्रवेश करने के बाद पूर्व पश्चिम की ओर लगभग 400 कमरे  बने हैं, जो आज भी अच्छी स्थिति मे हैं। इन कमरों का उपयोग गोदामों के लिए किया जा रहा है। इन कमरों की छत कुब्बेनुमा है। इस पर लोहे के बड़े- बडे पाइप लगाये गये हैं, जिनका प्रयोग वायु और प्रकाश के लिए किया जाता था। वर्तमान में यह सराय नगर निगम बुरहानपुर के अधीन है। इसी ने कमरों को गोदाम के तौर से किराये पर दे दिया है। पूर्व में सराय के मध्य भाग मे जल की व्यवस्था के लिए और मुसाफिरों की सुविधा के लिए होज बनवाया गया था।[1]

महत्त्व

अंग्रेज़ों के शासन काल में यहाँ एक मदरसा भी स्थापित किया गया था। परंतु आज यहाँ पशु चिकित्सालय है। इसके विशाल मैदान मे कुश्तियों के दंगल आयोजित किये जाते हैं। यह सराय आज भी अच्छी स्थिति में है और अत्यंत ही महत्त्व की है। अतः अति उत्तम होता, जो इस सराय को टेक्निकल कॉलेज अथवा किसी शैक्षणिक  संस्थाके लिए प्रयोग किया जाता। ऐतिहासिक स्थल की सुरक्षा के साथ-साथ शहर के निवासियों के लिए हितकारी शैक्षणिक कार्य होता, जिससे इसका सही उपयोग होता और इसके रख-रखाव की उत्तम व्यवस्था से दर्शनीय स्थान हो जाता। इस ऐतिहासिक यादागार को कायम रखने के लिए और उचित उपयोग किये जाने आवश्यकता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 अकबरी सराय (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 14 मई, 2011।

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