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'''अनिल कुमार दास''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anil Kumar Das'', जन्म- [[1 फ़रवरी]], [[1902]]; मृत्यु- [[18 फ़रवरी]], [[1961]]) भारतीय वैज्ञानिक तथा खगोलशास्त्री थे। वह कोडाइकनाल वेधशाला के निदेशक रहे थे। [[चंद्रमा]] के सुदूर भाग पर स्थित क्रेटर 'दास' का नाम अनिल कुमार दास के नाम पर ही रखा गया है।
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*डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद वह गौटिंगेन में थे, जहां उन्होंने मैक्स बोर्न के साथ 'इंस्टीट्यूट फ़ॉर थियोरेटिस फिज़िक' में काम किया और उसके बाद जियोफिजिकलिस्चेस इंस्टीट्यूट में गुस्ताव ऑगेनहिस्टर के साथ और कैम्ब्रिज में सोलर फिजिक्स ऑब्ज़र्वेटरी में थोड़े समय के लिए काम किया।
 
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11:56, 8 मार्च 2024 के समय का अवतरण

अनिल कुमार दास
अनिल कुमार दास
पूरा नाम अनिल कुमार दास
जन्म 1 फ़रवरी, 1902
जन्म भूमि हुगली, पश्चिम बंगाल
मृत्यु 18 फ़रवरी, 1961
मृत्यु स्थान हैदराबाद, तेलंगाना
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भौतिक विज्ञान, खगोलशास्त्र
शिक्षा मास्टर ऑफ साइंस
विद्यालय कोलकाता विश्वविद्यालय
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 1960
प्रसिद्धि भौतिक विज्ञानी तथा खगोलशास्त्री
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी अनिल कुमार दास का अधिकांश वैज्ञानिक योगदान सौर भौतिकी के क्षेत्र में था। मुख्य रूप से सनस्पॉट और क्रोमोस्फीयर के स्पेक्ट्रोफोटोमेट्रिक अध्ययन में एक प्रयोगकर्ता के रूप में।

अनिल कुमार दास (अंग्रेज़ी: Anil Kumar Das, जन्म- 1 फ़रवरी, 1902; मृत्यु- 18 फ़रवरी, 1961) भारतीय वैज्ञानिक तथा खगोलशास्त्री थे। वह कोडाइकनाल वेधशाला के निदेशक रहे थे। चंद्रमा के सुदूर भाग पर स्थित क्रेटर 'दास' का नाम अनिल कुमार दास के नाम पर ही रखा गया है।

  • कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक (मास्टर ऑफ साइंस) करने के बाद अनिल कुमार दास ने पेरिस के सोरबोन में चार्ल्स फैब्री के साथ स्पेक्ट्रोस्कोपी का अध्ययन किया।
  • डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद वह गौटिंगेन में थे, जहां उन्होंने मैक्स बोर्न के साथ 'इंस्टीट्यूट फ़ॉर थियोरेटिस फिज़िक' में काम किया और उसके बाद जियोफिजिकलिस्चेस इंस्टीट्यूट में गुस्ताव ऑगेनहिस्टर के साथ और कैम्ब्रिज में सोलर फिजिक्स ऑब्ज़र्वेटरी में थोड़े समय के लिए काम किया।
  • बाद में उन्होंने सन 1930 में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग में काम किया और फिर 1937 में कोडाइकनाल वेधशाला में सहायक निदेशक और 1946 से निदेशक के रूप में चले गए। सन 1960 में अपनी सेवानिवृत्ति तक वहीं रहे।
  • अनिल कुमार दास का अधिकांश वैज्ञानिक योगदान सौर भौतिकी के क्षेत्र में था। मुख्य रूप से सनस्पॉट और क्रोमोस्फीयर के स्पेक्ट्रोफोटोमेट्रिक अध्ययन में एक प्रयोगकर्ता के रूप में।
  • उन्होंने कोडईकनाल वेधशाला में मौजूद उपकरणों के विकास और कई युवा शोधकर्ताओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • सन 1935 में अनिल कुमार दास को रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी का फेलो चुना गया था।
  • वह भारत के राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान के फेलो भी रहे।
  • चन्द्रमा के एक क्रेटर का नाम अनिल कुमार दास के नाम पर 'दास क्रेटर' रखा गया है।
  • भारत सरकार द्वारा सन 1960 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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