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'''अप्सरा''' भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, ट्रांबे (बंबई) में स्थापित भारतवर्ष की प्रथम परमाणु भट्टी (रिऐक्टर) का नाम है। इसकी रूपरेखा, डिजाइन आदि डा. भाभा एवं उनके सहयोगी वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों ने 1955 ई. में तैयार की थी । यह सर्वप्रथम 5 अगस्त, 1956 ई. को प्रात: 3 बजकर 45 मिनट पर क्रांतिक (क्रटिकल)अवस्था मे पहुँचा। इसका उद्घाटन 20 जनवरी, सन, 1957 ई. को प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
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अप्सरा रिऐक्टर भवन का आकार 30.,515.2,18.3 मीटर और रिऐक्टर कुंड (पूल) का आकार 8.5३0,.2 मीटर है। अप्सरा की ऊर्जा उत्पादन की अधिकतम शक्ति 1000 किलोवाट है, लेकिन इसका प्रचालन सामान्यत: 400 किलोवाट शक्ति तक ही किया जाता है।
 
अप्सरा रिऐक्टर भवन का आकार 30.,515.2,18.3 मीटर और रिऐक्टर कुंड (पूल) का आकार 8.5३0,.2 मीटर है। अप्सरा की ऊर्जा उत्पादन की अधिकतम शक्ति 1000 किलोवाट है, लेकिन इसका प्रचालन सामान्यत: 400 किलोवाट शक्ति तक ही किया जाता है।
  
पिछले 16 वर्षों के अंतर्गत अप्सरा में बहुत से महत्वपूर्ण परीक्षण किए जाए चुके हैं और प्रति वर्ष लाखों रुपए की लागत के रेडियो समस्थानिकों का निर्माण किया जाता है। यह रिएक्टर भौतिकी, रसायन और जैविकी आदि के क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए बहुत लाभदायक है। अनुसंधान प्रयोगों के अतिरिक्त इस रिऐक्टर में रेडियो समस्थानिकों का निर्माण भी काफी मात्रा में किया जाता है। इन रेडियो समस्थानिकों का उपयोग बड़े बड़े उद्योगों और अस्पतालों में किया जाता है। अप्सरा रिऐक्टर का निर्माण और प्रचालन से प्राप्त हुए अनुभवों के आधार पर ही भारत परमाणु शक्ति के क्षेत्र में इनता विकास कर सका है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=149,150 |url=}}</ref>  
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पिछले 16 वर्षों के अंतर्गत अप्सरा में बहुत से महत्वपूर्ण परीक्षण किए जाए चुके हैं और प्रति वर्ष लाखों रुपए की लागत के रेडियो समस्थानिकों का निर्माण किया जाता है। यह रिएक्टर भौतिकी, रसायन और जैविकी आदि के क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए बहुत लाभदायक है। अनुसंधान प्रयोगों के अतिरिक्त इस रिऐक्टर में रेडियो समस्थानिकों का निर्माण भी काफी मात्रा में किया जाता है। इन रेडियो समस्थानिकों का उपयोग बड़े बड़े उद्योगों और अस्पतालों में किया जाता है। अप्सरा रिऐक्टर का निर्माण और प्रचालन से प्राप्त हुए अनुभवों के आधार पर ही भारत परमाणु शक्ति के क्षेत्र में इनता विकास कर सका है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=149,150 |url=}}</ref>
 
 
  
  
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Disamb2.jpg अप्सरा एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अप्सरा (बहुविकल्पी)

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अप्सरा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, ट्रांबे (बंबई) में स्थापित भारतवर्ष की प्रथम परमाणु भट्टी (रिऐक्टर) का नाम है। इसकी रूपरेखा, डिजाइन आदि डॉ. भाभा एवं उनके सहयोगी वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों ने 1955 ई. में तैयार की थी । यह सर्वप्रथम 5 अगस्त, 1956 ई. को प्रात: 3 बजकर 45 मिनट पर क्रांतिक (क्रटिकल) अवस्था में पहुँचा। इसका उद्घाटन 20 जनवरी, सन 1957 ई. को प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था।

अप्सरा रिऐक्टर भवन का आकार 30.,515.2,18.3 मीटर और रिऐक्टर कुंड (पूल) का आकार 8.5३0,.2 मीटर है। अप्सरा की ऊर्जा उत्पादन की अधिकतम शक्ति 1000 किलोवाट है, लेकिन इसका प्रचालन सामान्यत: 400 किलोवाट शक्ति तक ही किया जाता है।

पिछले 16 वर्षों के अंतर्गत अप्सरा में बहुत से महत्वपूर्ण परीक्षण किए जाए चुके हैं और प्रति वर्ष लाखों रुपए की लागत के रेडियो समस्थानिकों का निर्माण किया जाता है। यह रिएक्टर भौतिकी, रसायन और जैविकी आदि के क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए बहुत लाभदायक है। अनुसंधान प्रयोगों के अतिरिक्त इस रिऐक्टर में रेडियो समस्थानिकों का निर्माण भी काफी मात्रा में किया जाता है। इन रेडियो समस्थानिकों का उपयोग बड़े बड़े उद्योगों और अस्पतालों में किया जाता है। अप्सरा रिऐक्टर का निर्माण और प्रचालन से प्राप्त हुए अनुभवों के आधार पर ही भारत परमाणु शक्ति के क्षेत्र में इनता विकास कर सका है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 149,150 |

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