"इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद" के अवतरणों में अंतर

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[[बख़्तियार खिलजी]] का लड़का तथा [[बंगाल]] का पहला मुसलमान विजेता। वह इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी के नाम से भी जाना जाता है।
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*'''इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद''' [[बख़्तियार ख़िलजी]] का लड़का तथा [[बंगाल]] का पहला [[मुसलमान]] विजेता था।
====साहसी व्यक्तित्व====
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*वह 'इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार ख़िलजी' के नाम से भी जाना जाता है।
उसका व्यक्तित्व बाहर से देखने में अधिक प्रभावशाली नहीं था, परन्तु वह बड़ा साहसी और महत्वकांक्षी था। उसने [[बिहार]] पर हमला करके उसकी राजधानी उड्यन्तपुर पर अधिकार कर लिया और वहाँ के महाविहार में रहने वाले सभी बौद्ध भिक्षुओं का वध कर डाला। उसने 1192 ई. में बिहार को जीत लिया। इसके बाद ही, सम्भवत: 1193 ई. में, किंवा निश्चित रूप से 1202 ई. से पहले, उसने अचानक [[नदिया]] पर हमला बोल दिया, जो उस समय अन्तिम सेन राजा [[लक्ष्मण सेन]] की राजधानी था। लक्ष्मण सेन [[पूर्वी बंगाल]] की ओर भाग गया। बख़्तियार खिलजी, [[मुहम्मद ग़ोरी]] की ओर से बंगाल का सूबेदार बनकर [[गौड़]] में रहने लगा।
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*उसका व्यक्तित्व बाहर से देखने में अधिक प्रभावशाली नहीं था, परन्तु वह बड़ा साहसी और महत्त्वकांक्षी था।
====हार तथा क्षति====
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*उसने [[बिहार]] पर हमला करके उसकी राजधानी 'उड्यन्तपुर' पर अधिकार कर लिया और वहाँ के 'महाविहार' में रहने वाले सभी [[बौद्ध]] भिक्षुओं का वध कर डाला।
इस सफलता से इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद की महत्वाकांक्षा और भी बढ़ गई और उसने एक बड़ी मुसलमानी फ़ौज लेकर कामरूप (आसाम) और [[तिब्बत]] की ओर क़ूच किया। बंगाल से निकलकर उसकी फ़ौज किस दिशा में आगे बढ़ी, उसका निश्चित लक्ष्य क्या था, यह संदिग्ध है। पन्द्रह दिन क़ूच करने के बाद उसने जिस राज्य पर हमला किया था, उसकी सेना से मुक़ाबला हुआ। युद्ध में उसकी हार हुई और उसे भारी क्षति भी उठानी पड़ी।
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*इसके बाद ही इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद ने 1192 ई. में बिहार को भी जीत लिया।
====मृत्यु====
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*सम्भवत: 1193 ई. में, किन्तु निश्चित रूप से 1202 ई. से पहले, उसने अचानक 'नदिया' पर हमला बोल दिया, जो उस समय अन्तिम सेन राजा [[लक्ष्मण सेन]] की राजधानी था।
वापस लौटते समय उसकी फ़ौज नष्ट हो गई। इख़्तियारुद्दीन अपने साथ दस हज़ार घुड़सवार ले गया था, जब वह वापस लौटा तो उसके पास सिर्फ़ सौ घुड़सवार ही बचे थे। इस हार ने उसको भीतर से तोड़ दिया और उसका साहस भी भंग कर दिया। वह शोक लांछना से पीड़ित होकर 1206 ई. में मर गया।
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*इस आक्रमण से घबराकर लक्ष्मण सेन पूर्वी बंगाल की ओर भाग गया।
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*बख़्तियार ख़िलजी, [[मुहम्मद ग़ोरी]] की ओर से बंगाल का सूबेदार बनकर [[गौड़]] में रहने लगा।
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*अपनी इस सफलता से इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद की महत्त्वाकांक्षा और भी बढ़ गई और उसने एक बड़ी मुसलमानी फ़ौज लेकर कामरूप ([[आसाम]]) और [[तिब्बत]] की ओर क़ूच किया।
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*बंगाल से निकलकर उसकी फ़ौज किस दिशा में आगे बढ़ी, उसका निश्चित लक्ष्य क्या था, यह संदिग्ध है।
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08:01, 23 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

  • इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद बख़्तियार ख़िलजी का लड़का तथा बंगाल का पहला मुसलमान विजेता था।
  • वह 'इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार ख़िलजी' के नाम से भी जाना जाता है।
  • उसका व्यक्तित्व बाहर से देखने में अधिक प्रभावशाली नहीं था, परन्तु वह बड़ा साहसी और महत्त्वकांक्षी था।
  • उसने बिहार पर हमला करके उसकी राजधानी 'उड्यन्तपुर' पर अधिकार कर लिया और वहाँ के 'महाविहार' में रहने वाले सभी बौद्ध भिक्षुओं का वध कर डाला।
  • इसके बाद ही इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद ने 1192 ई. में बिहार को भी जीत लिया।
  • सम्भवत: 1193 ई. में, किन्तु निश्चित रूप से 1202 ई. से पहले, उसने अचानक 'नदिया' पर हमला बोल दिया, जो उस समय अन्तिम सेन राजा लक्ष्मण सेन की राजधानी था।
  • इस आक्रमण से घबराकर लक्ष्मण सेन पूर्वी बंगाल की ओर भाग गया।
  • बख़्तियार ख़िलजी, मुहम्मद ग़ोरी की ओर से बंगाल का सूबेदार बनकर गौड़ में रहने लगा।
  • अपनी इस सफलता से इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद की महत्त्वाकांक्षा और भी बढ़ गई और उसने एक बड़ी मुसलमानी फ़ौज लेकर कामरूप (आसाम) और तिब्बत की ओर क़ूच किया।
  • बंगाल से निकलकर उसकी फ़ौज किस दिशा में आगे बढ़ी, उसका निश्चित लक्ष्य क्या था, यह संदिग्ध है।
  • पन्द्रह दिन क़ूच करने के बाद उसने जिस राज्य पर हमला किया था, उसकी सेना से मुक़ाबला हुआ। युद्ध में उसकी हार हुई और उसे भारी क्षति भी उठानी पड़ी।
  • वापस लौटते समय उसकी फ़ौज नष्ट हो गई। इख़्तियारुद्दीन अपने साथ दस हज़ार घुड़सवार लेकर गया था, जब वह वापस लौटा तो उसके पास सिर्फ़ सौ घुड़सवार ही बचे थे।
  • इस हार ने उसको भीतर से तोड़ दिया और उसके साहस को भी अन्दर से भंग कर दिया।
  • शोक लांछना से पीड़ित होकर इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद की 1206 ई. में मृत्यु हो गई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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