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[[मेवाड़]] राज्य या उदयपुर रियासत ब्रिटिश शासन काल में [[भारत]] की एक [[रियासत]] थी। इस रियासत की स्थापना 530 ई. के आसपास हुई थी। इसकी प्रथम राजधानी [[चित्तौड़गढ़]] थी। बाद में [[उदयपुर]] इसकी राजधानी हो गयी और धीरे-धीरे इसे उदयपुर राज्य कहा जाने लगा। सन [[1949]] में भारत के स्वतन्त्र होने पर इस रियासत को भारत में विलीन कर लिया गया।
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[[मेवाड़]] राज्य या उदयपुर रियासत ब्रिटिश शासन काल में [[भारत]] की एक [[रियासत]] थी। इस रियासत की स्थापना 530 ई. के आसपास हुई थी। इसकी प्रथम राजधानी [[चित्तौड़गढ़]] थी। बाद में [[उदयपुर]] इसकी राजधानी हो गयी और धीरे-धीरे इसे '''उदयपुर राज्य''' कहा जाने लगा। सन [[1949]] में भारत के स्वतन्त्र होने पर इस रियासत को भारत में विलीन कर लिया गया।
  
*उदयपुर राज्य में आधुनिक भारत के उदयपुर, [[भीलवाड़ा]], [[राजसमन्द ज़िला|राजसमंद]] तथा [[चित्तौरगढ़ ज़िला|चित्तौरगढ़ ज़िले]] थे। सैकड़ों सालों तक यहाँ [[राजपूत|राजपूतों]] का शासन रहा और इस पर गहलौत तथा सिसोदिया राजाओं ने 1200 साल तक राज किया। बाद में यह अंग्रेज़ों द्वारा शासित राज बना।
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*उदयपुर राज्य में आधुनिक भारत के उदयपुर, [[भीलवाड़ा]], [[राजसमन्द ज़िला|राजसमंद]] तथा [[चित्तौरगढ़ ज़िला|चित्तौरगढ़ ज़िले]] थे। सैकड़ों सालों तक यहाँ [[राजपूत|राजपूतों]] का शासन रहा और इस पर गहलौत तथा सिसोदिया राजाओं ने 1200 साल तक राज किया। बाद में यह [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] द्वारा शासित राज बना।
*सन 1150 के आसपास मेवाड़ की राजधानी थी [[चित्तौड़]]। राणा प्रताप सिंह यहीं के राजा थे। [[अकबर]] की भारत विजय में केवल मेवाड़ के [[राणा प्रताप]] बाधक बने रहे।
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*सन 1150 के आसपास [[मेवाड़]] की राजधानी थी [[चित्तौड़]]। [[राणा प्रताप|राणा प्रताप सिंह]] यहीं के राजा थे। [[अकबर]] की भारत विजय में केवल मेवाड़ के [[राणा प्रताप]] बाधक बने रहे।
 
*अकबर ने सन् 1576 से 1586 तक पूरी शक्ति के साथ मेवाड़ पर कई आक्रमण किए, पर उसका राणा प्रताप को अधीन करने का मनोरथ सिद्ध नहीं हुआ। स्वयं अकबर, प्रताप की देश-भक्ति और दिलेरी से इतना प्रभावित हुआ कि प्रताप के मरने पर उसकी आँखों में आंसू भर आये। उसने स्वीकार किया कि विजय निश्चय ही राणा की हुई।
 
*अकबर ने सन् 1576 से 1586 तक पूरी शक्ति के साथ मेवाड़ पर कई आक्रमण किए, पर उसका राणा प्रताप को अधीन करने का मनोरथ सिद्ध नहीं हुआ। स्वयं अकबर, प्रताप की देश-भक्ति और दिलेरी से इतना प्रभावित हुआ कि प्रताप के मरने पर उसकी आँखों में आंसू भर आये। उसने स्वीकार किया कि विजय निश्चय ही राणा की हुई।
 
*महाराणा प्रताप की मृत्यु पर उनके उत्तराधिकारी अमर सिंह ने [[मुग़ल]] सम्राट [[जहांगीर]] से संधि कर ली। उसने अपने पाटवी पुत्र को मुग़ल दरबार में भेजना स्वीकार कर लिया। इस प्रकार 100 वर्ष बाद [[मेवाड़]] की स्वतंत्रता का भी अन्त हुआ।
 
*महाराणा प्रताप की मृत्यु पर उनके उत्तराधिकारी अमर सिंह ने [[मुग़ल]] सम्राट [[जहांगीर]] से संधि कर ली। उसने अपने पाटवी पुत्र को मुग़ल दरबार में भेजना स्वीकार कर लिया। इस प्रकार 100 वर्ष बाद [[मेवाड़]] की स्वतंत्रता का भी अन्त हुआ।

11:21, 6 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

मेवाड़ राज्य या उदयपुर रियासत ब्रिटिश शासन काल में भारत की एक रियासत थी। इस रियासत की स्थापना 530 ई. के आसपास हुई थी। इसकी प्रथम राजधानी चित्तौड़गढ़ थी। बाद में उदयपुर इसकी राजधानी हो गयी और धीरे-धीरे इसे उदयपुर राज्य कहा जाने लगा। सन 1949 में भारत के स्वतन्त्र होने पर इस रियासत को भारत में विलीन कर लिया गया।

  • उदयपुर राज्य में आधुनिक भारत के उदयपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद तथा चित्तौरगढ़ ज़िले थे। सैकड़ों सालों तक यहाँ राजपूतों का शासन रहा और इस पर गहलौत तथा सिसोदिया राजाओं ने 1200 साल तक राज किया। बाद में यह अंग्रेज़ों द्वारा शासित राज बना।
  • सन 1150 के आसपास मेवाड़ की राजधानी थी चित्तौड़राणा प्रताप सिंह यहीं के राजा थे। अकबर की भारत विजय में केवल मेवाड़ के राणा प्रताप बाधक बने रहे।
  • अकबर ने सन् 1576 से 1586 तक पूरी शक्ति के साथ मेवाड़ पर कई आक्रमण किए, पर उसका राणा प्रताप को अधीन करने का मनोरथ सिद्ध नहीं हुआ। स्वयं अकबर, प्रताप की देश-भक्ति और दिलेरी से इतना प्रभावित हुआ कि प्रताप के मरने पर उसकी आँखों में आंसू भर आये। उसने स्वीकार किया कि विजय निश्चय ही राणा की हुई।
  • महाराणा प्रताप की मृत्यु पर उनके उत्तराधिकारी अमर सिंह ने मुग़ल सम्राट जहांगीर से संधि कर ली। उसने अपने पाटवी पुत्र को मुग़ल दरबार में भेजना स्वीकार कर लिया। इस प्रकार 100 वर्ष बाद मेवाड़ की स्वतंत्रता का भी अन्त हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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