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[[State::उड़ीसा]] / Orissa
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उड़ीसा भारत  का एक प्रान्त है जो भारत के पूर्वी तट पर बसा है। उड़ीसा उत्तर में [[झारखण्ड]], उत्तर पूर्व में [[पश्चिम बंगाल]] दक्षिण में [[आंध्र प्रदेश]] और पश्चिम में [[छत्तीसगढ़]] से घिरा है तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। भौगोलिक लिहाज से इसके उत्तर में छोटा नागपुर का पठार है जो अपेक्षाकत कम उपजाऊ है लेकिन दक्षिण में महानदी, ब्राह्मणी, कालिंदी और वैतरणी नदियों का उपजाऊ मैदान है। यह पूरा क्षेत्र मुख्य रूप से चावल उत्पादक क्षेत्र है्।
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==इतिहास और भूगोल==
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उड़ीसा राज्य प्राचीन समय में '[[कलिंग]]' के नाम से विख्यात था। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी (261 ई.पू.) में [[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] ने [[कलिंग]] विजय करने के लिए एक शक्तिशाली सेना भेजी थी, जिसका कलिंग के निवासियों ने जमकर सामना किया। सम्राट अशोक ने कलिंग तो जीता, परन्तु युद्ध के भीषण संहार से सम्राट का मन में वितृष्णा पैदा हो गई और अशोक की मृत्यु के बाद कलिंग फिर से स्वाधीन हो गया। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में [[खारवेल]] राजा के अधीन कलिंग एक शक्तिशाली साम्राज्य बन गया। खारवेल की मृत्यु के बाद उड़ीसा की ख्याति लुप्त हो गई। चौथी शताब्दी में विजय पर निकले [[समुद्रगुप्त]] ने उड़ीसा पर आक्रमण किया और इस प्रदेश के पांच राजाओं को पराजित किया। सन 610 में उड़ीसा पर शशांक नरेश का अधिकार हो गया। शशांक के निधन के बाद [[हर्षवर्धन]] ने उड़ीसा पर विजय प्राप्त की।
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सातवीं शताब्दी में उड़ीसा पर गंग वंश का शासन रहा। सन 795 मे महाशिवगुप्त यजाति द्वितीय ने उड़ीसा का शासन भार संभाला और उड़ीसा के इतिहास का सबसे गौरवशाली अध्याय शुरू हुआ। उन्होंने कलिंग, कनगोडा, उत्कल और कोशल को मिलाकर खारवेल की भाँति विशाल साम्राज्य की नींव रखी। गंग वंश के शासकों के समय में उड़ीसा राज्य की बहुत उन्नति हुई। इस राजवंश के शासक राजा नरसिंह देव ने कोणार्क का विश्व भर में प्रसिद्ध सूर्य मंदिर बनवाया था। 16 वीं शताब्दी के लगभग मध्य से 1592 तक उड़ीसा  पांच मुस्लिम राजाओं द्वारा शासित रहा। सन 1592 में [[अकबर]] ने उड़ीसा को अपने अधीन कर अपने शासन में शामिल कर लिया। मुग़लों के पतन के पश्चात उड़ीसा पर मराठों का अधिकार रहा। सन 1803 में ब्रिटिश राज से पहले उड़ीसा मराठा शासकों के अधीन रहा।
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1 अप्रैल सन 1936 को उड़ीसा को स्वतंत्र प्रांत बनाया गया। स्वतंत्रता के बाद उड़ीसा तथा इसके आसपास की रियासतों ने भारत सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी। रियासतों (गवर्नर के अधीन प्रांतों) के विलय संबंधी आदेश 1949 के अंतर्गत जनवरी 1949 में उड़ीसा की सभी रियासतों का उड़ीसा राज्य में सम्पूर्ण विलय हो गया। उड़ीसा के कलिंग, उत्कल और उद्र जैसे कई प्राचीन नाम हैं, परन्तु यह प्रदेश मुख्यत: भगवान जगन्नाथ की भूमि के लिए प्रसिद्ध है। भगवान जगन्नाथ उड़ीसा के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन से बहुत गहरे जुडे हुए हैं। विभिन्न समय में उड़ीसा के लोगों पर जैन, ईसाई और इस्लाम धर्मो का प्रभाव पडा।
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उड़ीसा भारत के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित है। इसकी पूर्व दिशा में बंगाल की खाडी, उत्तर-पूर्व दिशा में [[पश्चिम बंगाल]], उत्तर दिशा में [[झारखण्ड]], पश्चिम दिशा में [[छत्तीसगढ़]] और दक्षिण दिशा में [[आंध्र प्रदेश]] है। राज्य को सामान्यत: चार भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा जा सकता है। ये हैं -
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#उत्तरी पठार,
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#मध्य नदी थाला,
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#पूर्वी पहाडियां और
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#तटवर्ती मैदान।
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==कृषि व्यवस्था==
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राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे राज्य के कुल उत्पाद का 28 प्रतिशत प्राप्त होता है और  जनसंख्या का 65 प्रतिशत भाग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य में लगा हुआ है। चावल उड़ीसा की मुख्य फसल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं।
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उच्च फसल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग -अलग फलों की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फसल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड जमीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत  गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे के फूलों की 2,625 प्रदर्शनियां की गईं।  किसानों को  धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए उड़ीसा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल खरीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में  2,413  लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है।
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==सिंचाई और बिजली==
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बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है-  *वर्ष 2004 - 2005  तक  2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है।
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*2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई  की छह  सिंचाई परियोजनाओं को चिन्हित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं।
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*2005 - 2006 में उड़ीसा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की  सिंचाई क्षमता प्राप्त की है।
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*2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी।
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*मार्च 2005 तक राज्य के कुल  46,989  गांवों में  से 37,744 गांवों में बिजली पहुंचा दी गई है।
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==उद्योग==
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उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और उड़ीसा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस्पात, एल्यूमीनियम, तेलशोधन, उर्वरक आदि  विशाल उद्योग लग रहे हैं। राज्य सरकार लघु, ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए छूट देकर वित्तीय मदद दे रही है।  2004 - 2005 वर्ष में  83,075 लघु उद्योग इकाई स्थापित की गयी।
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औद्योगिक विकास करने के लिए रोजगार के अवसर और आर्थिक विकास दर को बढाने के लिए उड़ीसा उद्योग (सुविधा) अधिनियम, 2004 को लागू किया है जिससे निवेश प्रस्तावों के कम समय में निबटारा और निरीक्षण कार्य हो सके। निवेश को सही दिशा में प्रयोग करने के लिए ढांचागत सुविधा में सुधार को  प्राथमिकता दी गई है। सूचना प्रौद्योगिकी में ढांचागत विकास करने के लिए [[भुवनेश्वर]] में एक निर्यात संवर्द्धन औद्योगिक पार्क स्थापित किया गया है। राज्य में लघु और मध्यम उद्योगों को बढाने के लिए  2005 - 2006 में  2,255 लघु उद्योग स्थापित किए गये, इन योजनाओं में 123.23 करोड़ रूपये का निवेश किया गया और लगभग 10,308 व्यक्तियों को काम मिला।
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श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं दी गई हैं। उद्योगों में लगे बाल मजदूरों को मुक्त किया गया और औपचारिक शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना के अंतर्गत प्रवेश दिया गया। राज्य भर में 18 जिलों में 18 बालश्रमिक परियोजनाएं क्रियान्वित हैं। लगभग 33,843 बाल श्रमिकों को राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना द्वारा संचालित स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है और 64,885 बाल श्रमिकों को स्कूली शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा में जोडने का प्रयास किया गया। श्रमिकों को दिया जाने वाला न्यूनतम वेतन बढाया गया।
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==सूचना प्रौद्योगिकी==
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सूचना प्रौद्योगिक  में राज्य  में संतोष जनक प्रगति हो रही है। भुवनेश्वर की इन्फोसिटी में विकास केंद्र खोलने का प्रयास चल रहा है। उड़ीसा सरकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस तथा नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर ने संयुक्त रूप एक पारदर्शी और कुशल प्रणाली शुरू की है। राज्य मुख्यालय को  ज़िला मुख्यालयों, सब डिवीजन मुख्यालयों, ब्लाक मुख्यालयों से जोडने के लिए ई-गवर्नेंस पर आधारित क्षेत्र नेटवर्क से जोडा जा रहा है। उडिया भाषा को कंप्यूटर में लाने के लिए ‘भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास’ कार्यक्रम के अंतर्गत उडिया भाषा का पैकेज तैयार किया जा रहा है।
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==पर्यटन==
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राज्य के आर्थिक विकास में पर्यटन के महत्व को समझते हुए मीडिया प्रबंधन एजेंसियों और पर्व प्रबंधकों को प्रचार एवं प्रसार का कार्य दिया गया है। उड़ीसा को विभिन्न महत्वपूर्ण पर्यटन परिजनाओं - धौली में शांति पार्क, ललितगिरि, उदयगिरि तथा लांगुडी के बौद्ध स्थलों को ढांचागत विकास और पिपिली में पर्यटन विकास का काम किया जाएगा। (पुरी) भुवनेश्वर का एकाग्र उत्सव, कोणार्क का कोणार्क पर्व के मेलों और त्योहारों के विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है। उड़ीसा पर्यटन विभाग ने बैंकाक, मास्को, लंदन, कुआलालंपुर, कोच्चि, कोलकाता, रायपुर आदि के भ्रमण व्यापार के आयोजनों में भाग लिया। पर्यटन क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए 373 मार्गदर्शकों (गाइडों) को प्रशिक्षण दिया गया।
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==मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास==
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राज्य की कृषि नीति में आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए, दूध, मछली और मांस उत्पादन के विकास को विशेष रूप से विकसित करने का प्रयास करके कुल दुग्ध उत्पादन 36 लाख लीटर प्रतिदिन  अर्थात 3 लाख लीटर से अधिक तक पहुँचा दिया गया है। डेयरी उत्पादन के विकास के लिए उड़ीसा दुग्ध फेडरेशनमें राज्य के सभी 30 जिलों को सम्मिलित गया है। फेडरेशन ने दुग्ध संरक्षण को बढाकर 2.70 लाख लीटर प्रतिदिन तक कर दिया है। ‘स्टैप’ कार्यक्रम के तहत फेडरेशन द्वारा 17 जिलों में ‘महिला डेयरी परियोजना’ चल रही है। राज्य में 837 महिला डेयरी सहकारी समितियां हैं, जिनमें 60,287 महिलाएं कार्यरत हैं।
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==परिवहन==
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राज्य में विकास दर बढाने के लिए परिवहन की अनेक योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है-
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==सडकें==
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*2004 - 05 तक राज्य में  सडकों की कुल लंबाई 2,37,332 कि.मी. थी। इसमें राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 3,595 कि.मी., एक्सप्रेस राजमार्गों की कुल लंबाई 29 किलोमीटर, राजकीय राजमार्गों की कुल लंबाई  5,102 कि.मी. ज़िला मुख्य सड़कों की कुल लंबाई 3,189 कि.मी., अन्य ज़िला सड़कों की कुल लंबाई 6,334 कि.मी. और  ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 27,882 कि.मी. है। पंचायत समिति सड़कों  की कुल लंबाई 1,39,942 कि.मी. और 88 कि.मी. ग्रिडको सड़कें हैं।
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==रेलवे==
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31 मार्च 2004 तक  राज्य में  2,287 किलोमीटर लंबी बडी रेल लाइनें और 91 किलोमीटर छोटी लाइनें थी।
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==उड्डयन==
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भुवनेश्वर में हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण का कार्य हो रहा है। यहां से [[दिल्ली]], [[कोलकाता]], [[चेन्नई]], [[नागपुर]] और [[हैदराबाद]] के लिए सीधी उड़ानें हैं। इस समय राज्य भर में 13 हवाई पट्टियां और 16 हेलीपैड की व्यवस्था है।
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==बंदरगाह==
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पारादीप राज्य का एक मात्र मुख्य बंदरगाह है। गोपालपुर को पूरे साल काम करने वाले बंदरगाह के रूप में विकसित करने का कार्य प्रगति पर है।
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==पर्यटन स्थल==
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प्रमुख पर्यटन स्थलों मे
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*सूर्य मंदिर, कोणार्क
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*राज्य की राजधानी भुवनेश्वर लिंगराज मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
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*पुरी का जगन्नाथ मंदिर और
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*सुंदर पुरी तट सुविख्यात हैं।
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*राज्य के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र हैं कोणार्क, नंदनकानन, चिलका झील, धौली बौद्ध मंदिर, उदयगिरि-खंडगिरि की प्राचीन गुफाएं, रत्नगिरि, ललितगिरि और उदयगिरि के बौद्ध भित्तिचित्र और गुफाएं, सप्तसज्या का मनोरम पहाडी दृश्य, सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान तथा बाघ परियोजना, हीराकुंड बांध, दुदुमा जलप्रपात, उषाकोठी वन्य जीव अभयारण्य, गोपानपुर समुद्री तट, हरिशंकर, नृसिंहनाथ, तारातारिणी, तप्तापानी, भितरकणिका, भीमकुंड कपिलाश आदि स्थान प्रसिध्द हैं।
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==अन्य लिंक==
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[[Category:भारत_के_राज्य_और_केन्द्र_शासित_प्रदेश]]
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15:34, 3 अप्रैल 2010 का अवतरण

India-flag.gif
ओडिशा
[[चित्र:|200px|center]]
नाम उडिया
राजधानी भुवनेश्वर
स्थापना 1 अप्रैल 1936
जनसंख्या 36,804,660
· घनत्व 236 /वर्ग किमी
क्षेत्रफल 1,55,707
भौगोलिक निर्देशांक 20°09′N 85°30′E
ज़िले 30
सबसे बड़ा नगर भुवनेश्वर
राज्यपाल मुरलीधर चन्द्रकान्त भंडारे
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक
विधानसभा सदस्य 147
अद्यतन‎ 2010/03/30
Orissa-Logo.gif

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उड़ीसा / Orissa उड़ीसा भारत का एक प्रान्त है जो भारत के पूर्वी तट पर बसा है। उड़ीसा उत्तर में झारखण्ड, उत्तर पूर्व में पश्चिम बंगाल दक्षिण में आंध्र प्रदेश और पश्चिम में छत्तीसगढ़ से घिरा है तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। भौगोलिक लिहाज से इसके उत्तर में छोटा नागपुर का पठार है जो अपेक्षाकत कम उपजाऊ है लेकिन दक्षिण में महानदी, ब्राह्मणी, कालिंदी और वैतरणी नदियों का उपजाऊ मैदान है। यह पूरा क्षेत्र मुख्य रूप से चावल उत्पादक क्षेत्र है्।

इतिहास और भूगोल

उड़ीसा राज्य प्राचीन समय में 'कलिंग' के नाम से विख्यात था। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी (261 ई.पू.) में मौर्य सम्राट अशोक ने कलिंग विजय करने के लिए एक शक्तिशाली सेना भेजी थी, जिसका कलिंग के निवासियों ने जमकर सामना किया। सम्राट अशोक ने कलिंग तो जीता, परन्तु युद्ध के भीषण संहार से सम्राट का मन में वितृष्णा पैदा हो गई और अशोक की मृत्यु के बाद कलिंग फिर से स्वाधीन हो गया। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में खारवेल राजा के अधीन कलिंग एक शक्तिशाली साम्राज्य बन गया। खारवेल की मृत्यु के बाद उड़ीसा की ख्याति लुप्त हो गई। चौथी शताब्दी में विजय पर निकले समुद्रगुप्त ने उड़ीसा पर आक्रमण किया और इस प्रदेश के पांच राजाओं को पराजित किया। सन 610 में उड़ीसा पर शशांक नरेश का अधिकार हो गया। शशांक के निधन के बाद हर्षवर्धन ने उड़ीसा पर विजय प्राप्त की।

सातवीं शताब्दी में उड़ीसा पर गंग वंश का शासन रहा। सन 795 मे महाशिवगुप्त यजाति द्वितीय ने उड़ीसा का शासन भार संभाला और उड़ीसा के इतिहास का सबसे गौरवशाली अध्याय शुरू हुआ। उन्होंने कलिंग, कनगोडा, उत्कल और कोशल को मिलाकर खारवेल की भाँति विशाल साम्राज्य की नींव रखी। गंग वंश के शासकों के समय में उड़ीसा राज्य की बहुत उन्नति हुई। इस राजवंश के शासक राजा नरसिंह देव ने कोणार्क का विश्व भर में प्रसिद्ध सूर्य मंदिर बनवाया था। 16 वीं शताब्दी के लगभग मध्य से 1592 तक उड़ीसा पांच मुस्लिम राजाओं द्वारा शासित रहा। सन 1592 में अकबर ने उड़ीसा को अपने अधीन कर अपने शासन में शामिल कर लिया। मुग़लों के पतन के पश्चात उड़ीसा पर मराठों का अधिकार रहा। सन 1803 में ब्रिटिश राज से पहले उड़ीसा मराठा शासकों के अधीन रहा।

1 अप्रैल सन 1936 को उड़ीसा को स्वतंत्र प्रांत बनाया गया। स्वतंत्रता के बाद उड़ीसा तथा इसके आसपास की रियासतों ने भारत सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी। रियासतों (गवर्नर के अधीन प्रांतों) के विलय संबंधी आदेश 1949 के अंतर्गत जनवरी 1949 में उड़ीसा की सभी रियासतों का उड़ीसा राज्य में सम्पूर्ण विलय हो गया। उड़ीसा के कलिंग, उत्कल और उद्र जैसे कई प्राचीन नाम हैं, परन्तु यह प्रदेश मुख्यत: भगवान जगन्नाथ की भूमि के लिए प्रसिद्ध है। भगवान जगन्नाथ उड़ीसा के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन से बहुत गहरे जुडे हुए हैं। विभिन्न समय में उड़ीसा के लोगों पर जैन, ईसाई और इस्लाम धर्मो का प्रभाव पडा।

उड़ीसा भारत के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित है। इसकी पूर्व दिशा में बंगाल की खाडी, उत्तर-पूर्व दिशा में पश्चिम बंगाल, उत्तर दिशा में झारखण्ड, पश्चिम दिशा में छत्तीसगढ़ और दक्षिण दिशा में आंध्र प्रदेश है। राज्य को सामान्यत: चार भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा जा सकता है। ये हैं -

  1. उत्तरी पठार,
  2. मध्य नदी थाला,
  3. पूर्वी पहाडियां और
  4. तटवर्ती मैदान।

कृषि व्यवस्था

राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे राज्य के कुल उत्पाद का 28 प्रतिशत प्राप्त होता है और जनसंख्या का 65 प्रतिशत भाग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य में लगा हुआ है। चावल उड़ीसा की मुख्य फसल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं।

उच्च फसल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग -अलग फलों की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फसल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड जमीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे के फूलों की 2,625 प्रदर्शनियां की गईं। किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए उड़ीसा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल खरीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 2,413 लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है।

सिंचाई और बिजली

बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है- *वर्ष 2004 - 2005 तक 2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है।

  • 2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई की छह सिंचाई परियोजनाओं को चिन्हित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं।
  • 2005 - 2006 में उड़ीसा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता प्राप्त की है।
  • 2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी।
  • मार्च 2005 तक राज्य के कुल 46,989 गांवों में से 37,744 गांवों में बिजली पहुंचा दी गई है।

उद्योग

उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और उड़ीसा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस्पात, एल्यूमीनियम, तेलशोधन, उर्वरक आदि विशाल उद्योग लग रहे हैं। राज्य सरकार लघु, ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए छूट देकर वित्तीय मदद दे रही है। 2004 - 2005 वर्ष में 83,075 लघु उद्योग इकाई स्थापित की गयी।

औद्योगिक विकास करने के लिए रोजगार के अवसर और आर्थिक विकास दर को बढाने के लिए उड़ीसा उद्योग (सुविधा) अधिनियम, 2004 को लागू किया है जिससे निवेश प्रस्तावों के कम समय में निबटारा और निरीक्षण कार्य हो सके। निवेश को सही दिशा में प्रयोग करने के लिए ढांचागत सुविधा में सुधार को प्राथमिकता दी गई है। सूचना प्रौद्योगिकी में ढांचागत विकास करने के लिए भुवनेश्वर में एक निर्यात संवर्द्धन औद्योगिक पार्क स्थापित किया गया है। राज्य में लघु और मध्यम उद्योगों को बढाने के लिए 2005 - 2006 में 2,255 लघु उद्योग स्थापित किए गये, इन योजनाओं में 123.23 करोड़ रूपये का निवेश किया गया और लगभग 10,308 व्यक्तियों को काम मिला।

श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं दी गई हैं। उद्योगों में लगे बाल मजदूरों को मुक्त किया गया और औपचारिक शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना के अंतर्गत प्रवेश दिया गया। राज्य भर में 18 जिलों में 18 बालश्रमिक परियोजनाएं क्रियान्वित हैं। लगभग 33,843 बाल श्रमिकों को राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना द्वारा संचालित स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है और 64,885 बाल श्रमिकों को स्कूली शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा में जोडने का प्रयास किया गया। श्रमिकों को दिया जाने वाला न्यूनतम वेतन बढाया गया।

सूचना प्रौद्योगिकी

सूचना प्रौद्योगिक में राज्य में संतोष जनक प्रगति हो रही है। भुवनेश्वर की इन्फोसिटी में विकास केंद्र खोलने का प्रयास चल रहा है। उड़ीसा सरकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस तथा नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर ने संयुक्त रूप एक पारदर्शी और कुशल प्रणाली शुरू की है। राज्य मुख्यालय को ज़िला मुख्यालयों, सब डिवीजन मुख्यालयों, ब्लाक मुख्यालयों से जोडने के लिए ई-गवर्नेंस पर आधारित क्षेत्र नेटवर्क से जोडा जा रहा है। उडिया भाषा को कंप्यूटर में लाने के लिए ‘भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास’ कार्यक्रम के अंतर्गत उडिया भाषा का पैकेज तैयार किया जा रहा है।

पर्यटन

राज्य के आर्थिक विकास में पर्यटन के महत्व को समझते हुए मीडिया प्रबंधन एजेंसियों और पर्व प्रबंधकों को प्रचार एवं प्रसार का कार्य दिया गया है। उड़ीसा को विभिन्न महत्वपूर्ण पर्यटन परिजनाओं - धौली में शांति पार्क, ललितगिरि, उदयगिरि तथा लांगुडी के बौद्ध स्थलों को ढांचागत विकास और पिपिली में पर्यटन विकास का काम किया जाएगा। (पुरी) भुवनेश्वर का एकाग्र उत्सव, कोणार्क का कोणार्क पर्व के मेलों और त्योहारों के विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है। उड़ीसा पर्यटन विभाग ने बैंकाक, मास्को, लंदन, कुआलालंपुर, कोच्चि, कोलकाता, रायपुर आदि के भ्रमण व्यापार के आयोजनों में भाग लिया। पर्यटन क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए 373 मार्गदर्शकों (गाइडों) को प्रशिक्षण दिया गया।

मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास

राज्य की कृषि नीति में आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए, दूध, मछली और मांस उत्पादन के विकास को विशेष रूप से विकसित करने का प्रयास करके कुल दुग्ध उत्पादन 36 लाख लीटर प्रतिदिन अर्थात 3 लाख लीटर से अधिक तक पहुँचा दिया गया है। डेयरी उत्पादन के विकास के लिए उड़ीसा दुग्ध फेडरेशनमें राज्य के सभी 30 जिलों को सम्मिलित गया है। फेडरेशन ने दुग्ध संरक्षण को बढाकर 2.70 लाख लीटर प्रतिदिन तक कर दिया है। ‘स्टैप’ कार्यक्रम के तहत फेडरेशन द्वारा 17 जिलों में ‘महिला डेयरी परियोजना’ चल रही है। राज्य में 837 महिला डेयरी सहकारी समितियां हैं, जिनमें 60,287 महिलाएं कार्यरत हैं।

परिवहन

राज्य में विकास दर बढाने के लिए परिवहन की अनेक योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है-

सडकें

  • 2004 - 05 तक राज्य में सडकों की कुल लंबाई 2,37,332 कि.मी. थी। इसमें राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 3,595 कि.मी., एक्सप्रेस राजमार्गों की कुल लंबाई 29 किलोमीटर, राजकीय राजमार्गों की कुल लंबाई 5,102 कि.मी. ज़िला मुख्य सड़कों की कुल लंबाई 3,189 कि.मी., अन्य ज़िला सड़कों की कुल लंबाई 6,334 कि.मी. और ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 27,882 कि.मी. है। पंचायत समिति सड़कों की कुल लंबाई 1,39,942 कि.मी. और 88 कि.मी. ग्रिडको सड़कें हैं।

रेलवे

31 मार्च 2004 तक राज्य में 2,287 किलोमीटर लंबी बडी रेल लाइनें और 91 किलोमीटर छोटी लाइनें थी।

उड्डयन

भुवनेश्वर में हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण का कार्य हो रहा है। यहां से दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, नागपुर और हैदराबाद के लिए सीधी उड़ानें हैं। इस समय राज्य भर में 13 हवाई पट्टियां और 16 हेलीपैड की व्यवस्था है।

बंदरगाह

पारादीप राज्य का एक मात्र मुख्य बंदरगाह है। गोपालपुर को पूरे साल काम करने वाले बंदरगाह के रूप में विकसित करने का कार्य प्रगति पर है।

पर्यटन स्थल

प्रमुख पर्यटन स्थलों मे

  • सूर्य मंदिर, कोणार्क
  • राज्य की राजधानी भुवनेश्वर लिंगराज मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
  • पुरी का जगन्नाथ मंदिर और
  • सुंदर पुरी तट सुविख्यात हैं।
  • राज्य के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र हैं कोणार्क, नंदनकानन, चिलका झील, धौली बौद्ध मंदिर, उदयगिरि-खंडगिरि की प्राचीन गुफाएं, रत्नगिरि, ललितगिरि और उदयगिरि के बौद्ध भित्तिचित्र और गुफाएं, सप्तसज्या का मनोरम पहाडी दृश्य, सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान तथा बाघ परियोजना, हीराकुंड बांध, दुदुमा जलप्रपात, उषाकोठी वन्य जीव अभयारण्य, गोपानपुर समुद्री तट, हरिशंकर, नृसिंहनाथ, तारातारिणी, तप्तापानी, भितरकणिका, भीमकुंड कपिलाश आदि स्थान प्रसिध्द हैं।


अन्य लिंक

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