पश्चिम बंगाल

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पश्चिम बंगाल
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राजधानी कोलकाता
राजभाषा(एँ) बांग्ला भाषा, हिन्दी भाषा, अंग्रेज़ी भाषा
स्थापना 1 नवम्बर, 1956
जनसंख्या 8,01,76,197 [1]
· घनत्व 903[1] /वर्ग किमी
क्षेत्रफल 88,752 वर्ग किमी[1]
भौगोलिक निर्देशांक 22.5697°N 88.3697°E
ज़िले 20[2]
लिंग अनुपात 1000:934 [1] ♂/♀
साक्षरता 68.64 [1]%
· स्त्री 59.61%
· पुरुष 77.20%
राज्यपाल जगदीप धनखड़
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी[1]
राजकीय वृक्ष सप्तपर्ण (Alstonia scholaris)
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट
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पश्चिम बंगाल (बांग्ला: পশ্চিমবঙ্গ पोश्चिम बोंगो) भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है। इसके पड़ोस में नेपाल, सिक्किम, भूटान, असम, बांग्लादेश, उड़ीसा, झारखंड और बिहार हैं। इसकी राजधानी कोलकाता है। पश्चिम बंगाल में 19 ज़िले है। पश्चिम बंगाल की मुख्य भाषा बांग्ला है।

  • क्रिकेट तथा फुटबॉल यहाँ के लोकप्रियतम खेलों में से हैं।
  • मोहन बगान एवं ईस्ट बंगाल जैसी टीम इसी प्रदेश से हैं।
  • नृत्य, संगीत तथा चलचित्रों की यहाँ लम्बी तथा सुव्यवस्थित परम्परा रही है।
  • बंकिम चंद्र, भूदेव मुखोपाध्याय और स्वामी विवेकानंद जैसे मौलिक सामाजिक चिंतकों की भूमि है।
  • पश्चिम बंगाल में भादू बाग्दी नाम की एक वनवासी जाति पायी जाती है।

भूगोल

पश्चिम बंगाल राज्‍य के पूर्व में बांग्लादेश, पश्चिम में नेपाल, उत्तर-पूर्व में भूटान, उत्तर में सिक्किम, पश्चिम में बिहार, झारखंड, दक्षिण-पश्चिम में उड़ीसा तथा दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। पश्चिम बंगाल राज्य में भारत के हुगली नदी पर कोलकाता से 22 मील उत्तर चौबीस परगना ज़िले में नईहाटी नगर स्थित है।

क्षेत्रफल

पश्चिम बंगाल का क्षेत्रफल 88,752 वर्ग किलोमीटर है।

जलवायु

पश्चिम बंगाल में उष्णकटिबंधीय आर्द्र शुष्क जलवायु रहती है। वार्षिक औसत तापमान 26.8° से. रहता है। ग्रीष्म ऋतु गर्म एवं आर्द्र रहती है, जिसमें न्यूनतम तापमान 30° लगभग रहता है। मई और जून माह में यह 40° को भी पार कर जाता है। शीत ऋतु में न्यूनतम तापमान 12° से. तक हो जाता है। दिसंबर से फ़रवरी के बीच यह तापमान रहता है। ग्रीष्मकाल के आरंभ में धूल भरी आंधियां आती हैं और उसके बाद बारिश होती है जो भीषण गरमी से राहत दिलाती है। मानसून में अधिकतम वर्षा अगस्त में होती हैं। कोलकाता की प्रधान समस्या प्रदूषण है। यहाँ का सस्पेन्डेड पर्टिकुलेट मैटर (Suspended Particulate Matter) स्तर भारत के अन्य प्रधान शहरों की अपेक्षा बहुत अधिक है जो धुंध का कारण बनता है।

इतिहास

भारत के प्रागैतिहासिक काल के इतिहास में बंगाल का विशिष्‍ट स्‍थान है। सिकंदर के आक्रमण के समय बंगाल में 'गंगारिदयी' नामक साम्राज्‍य था। गुप्‍त तथा मौर्य सम्राटों का बंगाल पर विशेष प्रभाव नहीं पडा। बाद में 'शशांक' बंगाल प्रदेश का नरेश बना। ऐसा कहा जाता है कि उसने सातवीं शताब्‍दी के पूर्वार्द्ध में उत्तर-पूर्वी भारत में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई।

उसके बाद 'गोपाल' ने सत्‍ता संभाली और पाल राजवंश की स्‍थापना की। पाल शासकों ने विशाल साम्राज्‍य का निर्माण किया और लगभग चार शताब्दियों तक राज्‍य किया। पाल शासकों के बाद बंगाल पर सेन राजवंश का अधिकार हुआ, जिन्हें बाद में दिल्ली के मुस्लिम शासकों ने परास्‍त किया। सोलहवीं शताब्‍दी में मुग़ल काल से पहले ही बंगाल पर अनेक मुस्लिम राजाओं और सुल्तानों ने शासन किया। इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद बंगाल का पहला मुसलमान विजेता था।

मुग़लों के पश्‍चात आधुनिक बंगाल का इतिहास यूरोपीय तथा अंग्रेज़ी व्‍यापारिक कंपनियों के आगमन से आरंभ होता है। सन् 1757 में प्लासी का युद्ध ने इतिहास की धारा को मोड़ दिया जब अंग्रेज़ों ने पहली बार बंगाल और भारत में अपने पांव जमाए। सन् 1905 में राजनीतिक लाभ के लिए अंग्रेज़ों ने बंगाल का विभाजन कर दिया लेकिन कांग्रेस के नेतृत्‍व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए 1911 में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया। इससे स्‍वतंत्रता आंदोलन की ज्‍वाला और तेज़ीसे भड़क उठी, जिसका पटाक्षेप 1947 में देश की आज़ादी और विभाजन के साथ हुआ।

1947 के बाद देशी रियासतों के विलय का काम प्रारम्भ हुआ और राज्‍य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की सिफारिशों के अनुसार पड़ोसी राज्‍यों के कुछ बांग्‍लाभाषी क्षेत्रों का पश्चिम बंगाल में विलय कर दिया गया।

अर्थव्यवस्था

छोटे आकार के बावजूद पश्चिम बंगाल से भारत के सकल घरेलू उत्पादन का लगभग छठा हिस्सा आता है।

कृषि

राज्‍य की आर्थिक व्यवस्था में कृषि की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। राज्‍य के चार में से तीन व्‍यक्ति प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष रूप से कृषि कार्यों में लगे हैं। वर्ष 2006-07 में राज्‍य में कुल खाद्य उत्‍पादन 15820 हज़ार टन था‍ जिसमें से चावल का उत्‍पादन 14745.9 हज़ार टन, गेहूँ और दलहनों का उत्‍पादन क्रमश: 799.9 हज़ार टन और 154.4 हज़ार टन रहा। इसी अवधि में तिलहनों का उत्‍पादन 645.4 हज़ार टन और आलू का 5052 हज़ार टन हुआ। 2006-07 में पटसन का उत्‍पादन 8411.5 हज़ार गांठें रहा। पटसन, कपास और काग़ज़ की मिलों का प्रमुख केंद भाटपारा है।

सुन्दरवन
  • सुंदरवन, भारत तथा बांग्लादेश में स्थित विश्व का सबसे बड़ा नदी डेल्टा है ।
  • यहाँ के नरभक्षी बाघ 'बंगाल टाइगर' के नाम से विश्व भर में प्रसिद्ध हैं
  • पूर्ण सुन्दरवन 102 द्वीपों का समूह हैं जिसमें 48 द्वीपों पर बस्ती है।
  • यह लगभग 9630 वर्ग किलो मीटर क्षेत्रफल तक फैला हुआ हैं ।
  • लगभग 40 लाख लोग सुन्दरवन में रहते हैं ।
  • यहाँ अधिकतर लोग 60 से 120 वर्ष पहले आ कर बसे हैं ।
  • यह लोग पूर्णतयः वनों से मिलने वाले साधनों पर आश्रित हैं । इन लोगों की जीविका- खेती बाडी, मत्स्य पालन, लकड़ी और शहद संग्रहण है।

उद्योग

वर्ष 2007 में, उपलब्‍ध आंकड़ों के अनुसार 3677.51 करोड़ रुपए की निवेश वाली 96 परियोजनाएं शुरू की गईं। इसके अतिरिक्त हलदिया पेट्रो केमिकल्‍स की 34 अधोगामी परियोजनाओं में 160.15 करोड़ रु. का निवेश किया गया है और इस प्रकार कुल निवेश 3837.66 करोड़ रु. हो गया है। यह अपेक्षित है कि 150 यूनिट की कुल संख्‍या के साथ 4014.84 करोड़ रु. का कुल निवेश 2007 के अंत तक राज्‍य में कार्यान्वित किया जाएगा और कार्यान्वित परियोजनाओं की पूरी जानकारी उपलब्‍ध होगी। पश्चिम बंगाल राज्‍य में 2007 के दौरान कार्यान्वित सबसे महत्‍वपूर्ण परियोजना

  • जय बालाजी इंडस्‍ट्री लि. द्वारा 153.73 करोड़ रु. की केप्टिव विद्युत संयंत्र परियोजना है जो समेकित इस्‍पात संयंत्र है।
  • हुगली मेट कोप और विद्युत कंपनी लि., 140 करोड़ रु. की लागत से मैट नर्जिकल कोक एण्‍ड पावर प्‍लांट,
  • अम्बुजा सीमेंट लि.,
  • 165 करोड़ रु. की विशाल विस्‍तार परियोजना, फरक्‍का, मुर्शिदाबाद और आई.ओ.सी.एल. 154.36 करोड़ रु. वाली विस्‍तार परियोजना पूर्वी मेदिनीपुर में की जानी है। छोटे इस्‍पात संयंत्र, स्‍पंज आयरन, ढ़लाई वाला पिग आयरन आदि में भारी निवेश किया गया है।
  • बिजली की आसानी से उपलब्धता, मालभाड़ा साम्‍यता को हटाने, उद्योग के लिए प्राकृतिक संसाधनों के पास स्थित होने तथा श्रमिक बल के पारंपरिक रूप से लौह और इस्‍पात इकाइयों में दक्षता पाए जाने के कारण इस क्षेत्र के निवेश में वृद्धि हुई है। हाल के वर्षों में सीमेंट उद्योग में निवेश भी बढ़ गया है।
  • जनवरी से अगस्‍त 2007 के दौरान 34 हलदिया पेट्रो केमिकल्‍स लि. अधोगामी इ‍काइयों में 160.15 करोड़ रु. का निवेश किया गया है। ये इकाइयां अधिकांशत: निर्माण प्‍लास्टिक मदों में संलग्‍न हैं जैसे- बाल्टियां पात्र, मोल्‍डीड फर्नीचर, बैटरी के पात्र, नायलॉन की जालियां, घरेलू सामान आदि।

पश्चिम बंगाल राज्‍य सरकार ने ऑटो मोबाइल क्षेत्र में भी सशक्‍त अवसर दे रखे हैं। इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए विशिष्‍ट नीतिगत कार्यक्रमों को लागू किया गया है।

पश्चिम बंगाल में किए गए कुल निवेश में से अधिकतम निवेश इस्‍पात और विद्युत क्षेत्र में होगा। राज्‍य में उच्‍च सम्भावना निवेशक सेल ने कुलटी, बनपुर और दुर्गापुर में इस्‍पात उत्‍पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए 20,000 करोड़ रु. के निवेश की योजना घोषित की है। इसके बाद एल एण्‍ड टी पावर डेवलपमेंट का स्‍थान है, जिसमें विद्युत उत्‍पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए हलदिया में 20,000 करोड़ रु. की योजना बनाई है।

राज्‍य सरकार ने औद्योगिक निवेश द्वारा तीव्र आर्थिक विकास की आवश्यता को पहचाना है। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेश और इस क्षेत्र में राष्‍ट्रीय वृद्धि 30 प्रतिशत की तुलना में निर्यात की वृद्धि में 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कोलकाता में लगभग 45000 व्‍यावसायिकों को शामिल करते हुए 250 सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं की कंपनियां कार्यरत थीं। सॉल्‍ट लेक के सेक्‍टर 5 में सूचना प्रौद्योगिकी केन्‍द्र भारत का प्रथमपूर्णत: समेकित इलेक्‍ट्रॉनिक कॉम्‍प्‍लेक्‍स है जो हवाई अड्डे के पास प्रदूषण मुक्‍त 150 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैला हुआ है।

बिजली और सिंचाई

कलकत्ता उच्च न्यायालय, कोलकाता

राज्‍य में बड़ी एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं पर कार्य हो रहा है। राज्‍य में इस समय 'तीस्‍त बैराज परियोजना' और 'सुवर्णरेखा बैराज परियोजना' पर काम चल रहा है। इसके कारण दसवीं परियोजना में 51.475 हज़ार हेक्‍टेयर सिंचाई क्षमता प्राप्त की जा सकी। 11वीं योजना का लक्ष्‍य 210 हज़ार हेक्‍टेयर सिंचाई का सृजन करना है। कुल 1,38,520 हेक्‍टेयर की संचित सिंचाई 2006-07 तक तिस्‍ता बैराज परियोजना में बनाई गई है जो 5,27,000 हेक्‍टेयर है। 'सुबाम रेखा बैराज परियोजना में ख़रीफ की 99248 हेक्‍टेयर तथा रबी की 30,766 हेक्‍टेयर भूमि की सिंचाई की पूर्वी और पश्चिमी मैदनीपुर ज़िलों में योजना है।

पुरुलिया ज़िले में मध्‍यम 32 सिंचाई योजनाओं में से 25 सिंचाई योजनाएं पूरी हो चुकी हैं। राज्‍य में अंतिम लघु सिंचाई 44.34 लाख हेक्‍टेयर आंकी गई है, जिसमें से 31.34 लाख हेक्‍टेयर भूमि भूजल संसाधनों तथा 13.00 लाख हेक्‍टेयर भूमि सतही जल संसाधनों से संचित की जानी है। वर्ष 2006-07 तक 38.64 लाख हेक्‍टेयर लघु सिंचाई की योजना बनायी गयी है, जिसमें से 81.96 प्रतिशत का उपयोग वर्ष के अंतर्गत 31.67 लाख हेक्‍टेयर में किया जा सकेगा।

पश्चिम बंगाल में इस समय 'पश्चिम बंगाल विद्युत विकास निगम लिमिटेड', 'पश्चिम बंगाल राज्‍य बिजली बोर्ड', 'कोलकाता विद्युत आपूर्ति निगम', 'दुर्गापुर परियोजना लि.', 'दिशेरगढ़ विद्युत आपूर्ति निगम' इत्‍यादि द्वारा बिजली का उत्‍पादन किया जाता है। वर्ष 2007-08 के दौरान राज्‍य में (अप्रॅल से नवम्‍बर) तक कुल 21926.2 मिलियन यूनिट बिजली का उत्‍पादन किया गया। वर्ष 2007-08 के अंतर्गत (नवंबर 2007 तक) कुल 36,944 मौजों का विद्युतीकरण किया गया एवं 1,14,516 पंप सेट चलायि गये।

यातायात

सड़क मार्ग

  • 31 मार्च 2002 को पश्चिम बंगाल राज्‍य में सड़कों की कुल लंबाई 91,970 किलोमीटर थी जिसमें 1,898 किलोमीटर लंबे राष्‍ट्रीय राजमार्ग शामिल थे।
  • सड़कों की लंबाई इस प्रकार है :
  1. प्रांतीय राजमार्ग - 3533 किलोमीटर,
  2. लोक निर्माण विभाग सड़कें - 12565 कि.मी. और
  3. ज़िला सड़कें - 42,479 कि.मी.।
पश्चिम बंगाल का मानचित्र

रेल मार्ग

  • राज्य में 1854 में पूर्व भारतीय रेल प्रणाली क उद्घाटन हुआ था।
  • वर्ष 2005-06 में राज्‍य में कुल 4499.82 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग थे।
  • राज्‍य के प्रमुख रेलवे जंक्‍शन हैं: हावड़ा, आसनसोल, सियालदह, बंडिल, वर्दमान, खड़गपुर तथा जलपाईगुडी।
  • विश्व का सबसे लम्बा रेलवे स्टेशन खड़गपुर में स्थित है, जिसकी लम्बाई 833 मी है।
  • वर्तमान में राज्य में दो स्थानीय रेलवे मुख्यालय हैं और यह शेष भारत से दो राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा हुआ है।

हवाई मार्ग

  • कोलकाता वायुसेवा के माध्यम से बैंगलोर, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई सहित सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • कोलकाता के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आधुनिक जेट विमान के पत्तन की सुविधा है। राज्य में आठ अन्य हवाई पट्टियाँ हैं।

बंदरगाह

नदियों में वाष्पचालित जलयानों द्वारा जलपरिवहान की शुरुआत पहली बार 19वीं सदी में कलकत्ता, इलाहाबाद और गुवाहाटी के बीच हुई। डेल्टा वाली नदियों ने स्थानीय नदी जल-परिवहान प्रणाली के विकास के अवसर उपलब्ध कराए। स्वतंत्रता के समय हुए विभाजन और नहरों के क्षय से नदी परिवहन प्रणाली लगभग पूरी तरह से ठप्प पड़ गई।

शिक्षा

  • पश्चिम बंगाल में 10 विश्वविद्यालयों के साथ अभियांत्रिकी एवं चिकित्सा महाविद्यालय हैं।
  • कलकत्ता, जादवपुर और रवींद्र भारती विश्वविद्यालय राजधानी में स्थित हैं।
  • यहाँ कई तकनीकी संस्थान और 5,000 से भी ज़्यादा प्रौढ़ शिक्षा केंद्र हैं।
  • यहाँ कई ज़िला, क्षेत्रीय और ग्रामीण पुस्तकालयों के साथ- साथ एक केंद्रीय पुस्तकालय भी है।
  • साक्षरता दर 69.22 प्रतिशत है और पुरुष- महिला साक्षरता दर के बीच का अंतर राष्ट्रीय औसत से कम है।

जनजीवन

भाषा

पश्चिम बंगाल की मुख्य भाषा बांग्ला है। अंग्रेज़ी और हिन्दी भाषा भी बोली और समझी जाती हैं।

बंगाली भोजन

खानपान

  • पश्चिम बंगाल के लोग मछली-भात बहुत पसंद करते हैं ।
  • पश्चिम बंगाल मिठाईयों के लिये प्रसिद्ध है। रसगुल्ले का आविष्कार भी यहीं हुआ था ।

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल की जनसंख्या 80,176,197 है।

सांस्कृतिक जीवन

बंगालियों ने हमेशा से ही साहित्य, कला, संगीत और रंगमंच (नाटक) को संरक्षण दिया है। बांग्ला साहित्य का आविर्भाव 12वीं सदी से पहले हुआ। हिन्दू धर्म के एक संघन भावनात्मक स्वरूप, चैतन्य आन्दोलन, को मध्यकालीन संत चैतन्य (1485-1533) ने प्रेरित किया, जिसने 19वीं सदी के आरम्भ तक बांग्ला कविता के परवर्ती विकास को आकार दिया। इसके बाद पश्चिम के साथ हुए सम्पर्क ने एक द्रुत बहुमुखी सृजनात्मक युग की शुरुआत की। आधुनक युग में अन्य साहित्यकारों के साथ नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रबीन्द्रनाथ ठाकुर (1861-1941) हुए, जिनका योगदान आज भी भारतीय साहित्यिक परिदृश्य पर छाया हुआ है।

मनोरंजन

रंगमंच यहाँ लोकप्रिय है तथा नए कलाकारों के साथ-साथ पेशेवर कलाकारों द्वारा मंच-प्रस्तुति उच्च कोटि की होती है। जात्रा खुले रंगमंच पर होने वाला पारंपरिक कार्यक्रम है, जिसकी कथावस्तु अब स्पष्ट रूप से पौराणिक एवं ऐतिहासिक विषयों से समकालीन विषय-वस्तु में परिवर्तित हो रही है और यह ग्रामीण और शहरी, दोनों शहरों में लोकप्रिय है। कथाकाता एक धार्मिक जाप है और लोकगीतों पर आधारित ग्रामीण मनोरंजन का एक पारम्परिक स्वरूप है।

लेप्चा प्रजाति के लोग, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल

फ़िल्मोद्योग सुस्थापित मनोरंजन का एक आधुनिक लोकप्रिय साधन है। बांग्ला फ़िल्मों ने भारतीय कथावस्तुओं की उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किए हैं। सत्यजीत राय, तपन सिन्हा, मृणाल सेन और अपर्णा सेन जैसे निर्देशकों के कार्य का विशिष्ट महत्व है।

संगीत

पारम्परिक संगीत भक्ति और सांस्कृतिक गीतों के रूप में है। रबीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखित एवं संयोजित ‘रबीन्द्र संगीत’, जिसे विशुद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ पारम्परिक लोकगीतों में पिरोया गया है, बंगालियों के सांस्कृतिक जीवन पर सशक्त प्रभाव छोड़ता है।

दृश्य कला

दृश्य कला परम्परा के अनुसार, मुख्यत: मिट्टी की मूर्तियों, पक्की ईंटों (टेराकॉटा) की कृतियों और सज्जा-चित्रों पर आधारित हैं। कोलकाता की इंडियन एसोसियेशन फ़ॉर कल्टीवेशन ऑफ़ साइन्स, द बोस रिसर्च इंस्टिट्यूट और कोलकाता विश्वविद्यालय की विज्ञान प्रयोगशालाओं ने विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। 19वीं सदी की सुविख्यात भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान सभा एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल, पश्चिम बंगाल में है। शान्तिनिकेतन में रबीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित विश्वभारती विश्वविद्यालय भारतीयता एवं अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक सम्बन्धों के अध्ययन का विश्वप्रसिद्ध केन्द्र है।

त्‍योहार

दुर्गा पूजा सबसे महत्‍वपूर्ण त्‍योहार है इसके अतिरिक्त काली पूजा, सरस्वती पूजा, दीपावलीबसंत पंचमी, लक्ष्‍मी पूजा, होली, शिवरात्रि, जन्‍माष्‍टमी, ईद, क्रिसमस आदि त्योहार भी मनाये जाते हैं। बंगाल में आयोजित होने वाले मेलों में गंगासागर मेला, केंदोली मेला, जालपेश मेला, राश मेला तथा पौष मेला प्रमुख हैं।

पर्यटन स्‍थल

हावड़ा

पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। पर्यटक स्थलों में हावड़ा ब्रिज पर्यटकों को आकर्षित करता है। हावड़ा ब्रिज के अतिरिक्त पर्यटक यहाँ पर हावड़ा स्टेशन, महान् बरगद का पेड़, बेलूर मठ, गारचूमुक, पानीतरास-सम्ताबेर और विद्यासागर सेतु आदि देख सकते हैं, जो बहुत ख़ूबसूरत हैं। यह अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।

जलपाईगुडी

नदियों और पहाड़ियों से घिरा जलपाईगुडी पश्चिम बंगाल में है। यहाँ पर चाय के बागानों और जंगल बहुत सुंदर हैं। यहाँ रहने वाले निवासी बड़े मिलनसार और हंसमुख हैं। वह जलपाईगुड़ी में आने वाले पर्यटकों का स्वागत बड़े आदर और उत्साह के साथ करते हैं।

पुरूलिया

पुरूलिया पश्चिम बंगाल का आभूषण नाम से जाना जाता है। यहाँ पर प्राकृतिक सुन्‍दरता के साथ-साथ अटचला और चारचला शैली में बने मंदिर भी प्रसिद्ध हैं। इन मन्दिरों के अतिरिक्त बगमुंडी, बिरंचीनाथ, बुद्धपुर, चार्रा और गनपुर पर्यटक स्थल हैं।

वर्द्धमान

वर्द्धमान पश्चिम बंगाल में स्थित है। धान के खेतों के अतिरिक्त यह विश्वप्रसिद्ध पर्यटक स्थलों कर्ज़न गेट, कंचननगर, एक सौ आठ शिव मन्दिर, मंकर और कल्याणोश्वरी मन्दिर के लिए जाना जाता हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 मुखपृष्ठ पश्चिम बंगाल (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) पश्चिम बंगाल की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 13 मई, 2012।
  2. आधिकारिक वेबसाइट

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