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'''चंद्रही''' [[रीवा ज़िला]], [[मध्य प्रदेश]] का [[ऐतिहासिक स्थान]] है। प्राचीन शैव विहार या मठ के [[अवशेष|अवशेषों]] के लिए यह स्थान उल्लेखनीय है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=320|url=}}</ref>
 
'''चंद्रही''' [[रीवा ज़िला]], [[मध्य प्रदेश]] का [[ऐतिहासिक स्थान]] है। प्राचीन शैव विहार या मठ के [[अवशेष|अवशेषों]] के लिए यह स्थान उल्लेखनीय है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=320|url=}}</ref>
  
*यहाँ निर्मित मंदिर छोटे वर्गाकार पत्थरों से बनाया गया था।
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*यहाँ निर्मित मंदिर छोटे वर्गाकार पत्थरों से बनाया गया था।  
 
*मंदिर की ऊपरी सतह के प्रस्तरखंड कोनों पर से तड़क गए हैं, क्योंकि निर्माताओं ने पत्थरों को जोड़ते समय चिनाई के स्वाभाविक विस्तरण के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ा था।<ref>प्रोग्रेस रिपोर्ट आर्क्योलॉजिकल सर्वे, वेस्टर्न सर्किल, 31 मार्च 1921, पृ. 83-84-85.</ref>
 
*मंदिर की ऊपरी सतह के प्रस्तरखंड कोनों पर से तड़क गए हैं, क्योंकि निर्माताओं ने पत्थरों को जोड़ते समय चिनाई के स्वाभाविक विस्तरण के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ा था।<ref>प्रोग्रेस रिपोर्ट आर्क्योलॉजिकल सर्वे, वेस्टर्न सर्किल, 31 मार्च 1921, पृ. 83-84-85.</ref>
  

08:24, 4 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण

चंद्रही रीवा ज़िला, मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक स्थान है। प्राचीन शैव विहार या मठ के अवशेषों के लिए यह स्थान उल्लेखनीय है।[1]

  • यहाँ निर्मित मंदिर छोटे वर्गाकार पत्थरों से बनाया गया था।
  • मंदिर की ऊपरी सतह के प्रस्तरखंड कोनों पर से तड़क गए हैं, क्योंकि निर्माताओं ने पत्थरों को जोड़ते समय चिनाई के स्वाभाविक विस्तरण के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ा था।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 320 |
  2. प्रोग्रेस रिपोर्ट आर्क्योलॉजिकल सर्वे, वेस्टर्न सर्किल, 31 मार्च 1921, पृ. 83-84-85.

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