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*लगभग 350 ई.पू. से दूसरी शताब्दी ई.पू. के बीच जदेरूआ में आबादी के साक्ष्य मिले हैं।  
 
*लगभग 350 ई.पू. से दूसरी शताब्दी ई.पू. के बीच जदेरूआ में आबादी के साक्ष्य मिले हैं।  
 
*जदेरूआ [[लोहा|लोहे]] के हथियारों से समृद्ध है और यहाँ लोहे गलाने के अनेक स्थल मिले हैं।  
 
*जदेरूआ [[लोहा|लोहे]] के हथियारों से समृद्ध है और यहाँ लोहे गलाने के अनेक स्थल मिले हैं।  
*शुंगकालीन मृण्मय वस्तुएँ, [[नाग|नागों]] के सिक्के तथा [[तांबा|तांबे]] के अन्य सिक्के प्राप्त हुए हैं। ऐसा ज्ञात होता है कि ई.पू. दूसरी शताब्दी के पश्चात यह स्थान वीरान हो गया और लगभग ईसा की नवीं शताब्दी में फिर आबाद हुआ।  
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*शुंगकालीन मृण्मय वस्तुएँ, [[नाग|नागों]] के सिक्के तथा [[तांबा|तांबे]] के अन्य सिक्के प्राप्त हुए हैं। ऐसा ज्ञात होता है कि दूसरी शताब्दी के पश्चात यह स्थान वीरान हो गया और लगभग ईसा की नवीं शताब्दी में फिर आबाद हुआ।  
  
 
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  • जदेरूआ एक ऐतिहासिक स्थान यह स्थान मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले में स्थित है।
  • लगभग 350 ई.पू. से दूसरी शताब्दी ई.पू. के बीच जदेरूआ में आबादी के साक्ष्य मिले हैं।
  • जदेरूआ लोहे के हथियारों से समृद्ध है और यहाँ लोहे गलाने के अनेक स्थल मिले हैं।
  • शुंगकालीन मृण्मय वस्तुएँ, नागों के सिक्के तथा तांबे के अन्य सिक्के प्राप्त हुए हैं। ऐसा ज्ञात होता है कि दूसरी शताब्दी के पश्चात यह स्थान वीरान हो गया और लगभग ईसा की नवीं शताब्दी में फिर आबाद हुआ।


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