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'''थेरीगाथा''' खुद्दक निकाय के 15 ग्रंथों में से एक है। इसमें परमपद प्राप्त 73 विद्वान भिक्षुणियों के उदान अर्थात् उद्गार 522 गाथाओं में संगृहीत हैं। यह ग्रंथ 16 'निपातों' अर्थात् वर्गों में विभाजित है, जो कि गाथाओं की संख्या के अनुसार क्रमबद्ध हैं।
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* [[गौतमी]] ([[बुद्ध]] की विमाता) जिन्होंने बुद्ध को पाला था तथा अन्य भिक्षुओं के वार्तालाप इस ग्रंथ में संग्रहित हैं। प्रोफ़ेसर कौशांबी के मतानुसार भिक्षुणी संघ का पूर्ण ह्रास ईसवी सन की चौथी शताब्दी में हुआ था।<ref>पुस्तक- पौराणिक कोश | लेखक- राणा प्रसाद शर्मा |पृष्ठ संख्या- 559</ref>
 
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09:59, 11 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

थेरीगाथा खुद्दक निकाय के 15 ग्रंथों में से एक है। इसमें परमपद प्राप्त 73 विद्वान भिक्षुणियों के उदान अर्थात् उद्गार 522 गाथाओं में संगृहीत हैं। यह ग्रंथ 16 'निपातों' अर्थात् वर्गों में विभाजित है, जो कि गाथाओं की संख्या के अनुसार क्रमबद्ध हैं।

  • गौतमी (बुद्ध की विमाता) जिन्होंने बुद्ध को पाला था तथा अन्य भिक्षुओं के वार्तालाप इस ग्रंथ में संग्रहित हैं। प्रोफ़ेसर कौशांबी के मतानुसार भिक्षुणी संघ का पूर्ण ह्रास ईसवी सन की चौथी शताब्दी में हुआ था।[1]
  • जिस प्रकार थेरगाथाओं में भिक्षुओं के अनुभव लिपिबद्ध हैं उसी प्रकार थेरी गाथाओं में भिक्षुणियों के अनुभव अंकित हैं।
  • इनमें जिन भिक्षुणियों का उल्लेख आया हे वे अधिकतर गौतम बुद्ध की समकालीन थीं।
  • इन गाथाओं में भिक्षुणियों के आध्यात्मिक जीवन के साथ-साथ उनके पारिवारिक और सामाजिक जीवन का भी उल्लेख मिलता है।
  • थेरीगाथा से तत्कालीन समाज में महिलाओं की स्थिति का भी बोध होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक- पौराणिक कोश | लेखक- राणा प्रसाद शर्मा |पृष्ठ संख्या- 559

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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बौद्ध धर्म शब्दावली

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