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  • परमेश्वर वर्मा के प्रताप और पराक्रम से पल्लवों की शक्ति इतनी बढ़ गई थी, कि जब सातवीं सदी के अन्त में उसकी मृत्यु के बाद नरसिंहवर्मा द्वितीय काञ्जी के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ, तो उसे किसी बड़े युद्ध में जुझने की आवश्यकता नहीं हुई।
  • नरसिंहवर्मा द्वितीय का शासन काल शान्ति और व्यवस्था का काल था, और इसीलिए वह अपनी शक्ति को निश्चिन्तता पूर्वक मन्दिरों के निर्माण में लगा सका।
  • काञ्जी (काञ्जीवरम्) के कैलाशनाथ और ऐरावतेश्वर के विशाल मन्दिर और महाबलिपुरम के अनेक प्रसिद्ध मन्दिर राजा नरसिंहवर्मा द्वितीय के ही बनवाये हुए हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ