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'''पालिवई भानुमति रामकृष्ण''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bhanumathi Ramakrishna'', जन्म- [[7 सितंबर]], [[1925]]; मृत्यु- [[24 दिसंबर]], [[2005]]) एक भारतीय अभिनेत्री, फ़िल्म निर्देशक, संगीत निर्देशक, गायिका, निर्माता, [[उपन्यासकार]] और गीतकार थीं। तेलुगु सिनेमा की पहली महिला सुपर स्टार के रूप में व्यापक रूप से जानी जाने वाली पी. भानुमति मुख्य रूप से तेलुगु और तमिल भाषाओं में 100 से अधिक फिल्मों में दिखाई दीं। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें साल [[2001]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था। उन्हें [[भारत]] के 30वें 'अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह' में सम्मानित किया गया। [[साहित्य]] के क्षेत्र में श्रेष्ठ [[कहानीकार]] के रूप में पी. भानुमति की बड़ी प्रतिष्ठा है।
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==परिचय==
 
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पी. भानुमति का जन्म 7 सितंबर, 1925 को [[आंध्र प्रदेश]] के ओंगोल के पास प्रकाशम जिले के डोड्डावरम गांव में हुआ था । वह बोम्माराजू सरस्वथम्मा, वेंकट सुब्बैया की तीसरी संतान थीं। वह अपने [[पिता]] को विभिन्न स्टेज शो में प्रदर्शन करते हुए देखकर बड़ी हुईं। पी. भानुमति के पिता वेंकट सुब्बैया [[शास्त्रीय संगीत]] के प्रेमी थे और उन्होंने उन्हें कम उम्र से ही संगीत की शिक्षा दी थी।  
 
पी. भानुमति का जन्म 7 सितंबर, 1925 को [[आंध्र प्रदेश]] के ओंगोल के पास प्रकाशम जिले के डोड्डावरम गांव में हुआ था । वह बोम्माराजू सरस्वथम्मा, वेंकट सुब्बैया की तीसरी संतान थीं। वह अपने [[पिता]] को विभिन्न स्टेज शो में प्रदर्शन करते हुए देखकर बड़ी हुईं। पी. भानुमति के पिता वेंकट सुब्बैया [[शास्त्रीय संगीत]] के प्रेमी थे और उन्होंने उन्हें कम उम्र से ही संगीत की शिक्षा दी थी।  
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साल [[1947]] में अपने प्रोडक्शन हाउस के लॉन्च के साथ इस पति-पत्नी की जोड़ी ने कुल 15 फिल्में बनाईं, जिनमें 'लैला मजनू' ([[1949]]) और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 'विप्रनारायण'  ([[1954]]) जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल थीं। इसके बाद पी. भानुमति ने निर्देशन से लेकर लेखन तक, कैमरे के पीछे अन्य भूमिकाएँ तलाशना शुरू कर दिया।
 
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==संन्यास लेने का फैसला==
 
==संन्यास लेने का फैसला==
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06:54, 5 मार्च 2024 के समय का अवतरण

पी. भानुमति
पालिवई भानुमति रामकृष्ण
पूरा नाम पालिवई भानुमति रामकृष्ण
प्रसिद्ध नाम पी. भानुमति
जन्म 7 सितंबर, 1925
जन्म भूमि ग्राम डोड्डावरम, ज़िला प्रकाशम, आंध्र प्रदेश
मृत्यु 24 दिसंबर, 2005
मृत्यु स्थान चैन्नई, तमिलनाडु
अभिभावक पिता- बोम्माराजू सरस्वथम्मा वेंकट सुब्बैया
पति/पत्नी पी. एस. रामकृष्ण राव
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र अभिनेत्री, फ़िल्म निर्देशक, संगीत निर्देशक, गायिका, निर्माता, उपन्यासकार और गीतकार
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण (2001)

पद्म श्री (1966)

नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी 1947 में अपने प्रोडक्शन हाउस के साथ पति के मिलकर पी. भानुमति ने कुल 15 फिल्में बनाईं, जिनमें 'लैला मजनू' (1949) और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 'विप्रनारायण' (1954) जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल थीं।

पालिवई भानुमति रामकृष्ण (अंग्रेज़ी: Palivai Bhanumathi Ramakrishna, जन्म- 7 सितंबर, 1925; मृत्यु- 24 दिसंबर, 2005) एक भारतीय अभिनेत्री, फ़िल्म निर्देशक, संगीत निर्देशक, गायिका, निर्माता, उपन्यासकार और गीतकार थीं। तेलुगु सिनेमा की पहली महिला सुपर स्टार के रूप में व्यापक रूप से जानी जाने वाली पी. भानुमति मुख्य रूप से तेलुगु और तमिल भाषाओं में 100 से अधिक फिल्मों में दिखाई दीं। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें साल 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें भारत के 30वें 'अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह' में सम्मानित किया गया। साहित्य के क्षेत्र में श्रेष्ठ कहानीकार के रूप में पी. भानुमति की बड़ी प्रतिष्ठा है।

परिचय

पी. भानुमति का जन्म 7 सितंबर, 1925 को आंध्र प्रदेश के ओंगोल के पास प्रकाशम जिले के डोड्डावरम गांव में हुआ था । वह बोम्माराजू सरस्वथम्मा, वेंकट सुब्बैया की तीसरी संतान थीं। वह अपने पिता को विभिन्न स्टेज शो में प्रदर्शन करते हुए देखकर बड़ी हुईं। पी. भानुमति के पिता वेंकट सुब्बैया शास्त्रीय संगीत के प्रेमी थे और उन्होंने उन्हें कम उम्र से ही संगीत की शिक्षा दी थी।

अष्टवदनी

तेलुगु सिनेमा और दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग की पहली महिला सुपरस्टार मानी जाने वाली पी. भानुमति रामकृष्ण एक बहुमुखी अभिनेत्री, संगीतकार, निर्देशक, गायिका और लेखिका थीं, जो अपनी परोपकारिता के लिए भी जानी जाती थीं। उन्हें 'अष्टवदनी' कहा जाता था, जो एक साथ आठ कार्य कर सकती थीं। उन्होंने 13 साल की उम्र में 'वारा विक्रंकटम' (1939) में अपनी पहली फिल्म से लेकर 1998 में अपनी आखिरी फिल्म 'पेली कनुका तक', सौ से अधिक तमिल और तेलुगु फिल्मों में अभिनय किया।[1]

कॅरियर

सी. पुलय्या द्वारा निर्देशित 'वर विक्रमायम' में अपनी पहली भूमिका में पी. भानुमति ने एक किशोरी की भूमिका निभाई, जिसे एक बूढ़े व्यक्ति से शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है। अंत में पात्र आत्महत्या करके मर जाता है। फिल्म के निर्देशक एक ऐसी अभिनेत्री की तलाश में थे जो गा सके और युवा भानुमति रामकृष्ण आदर्श विकल्प के रूप में उभरीं। एक गायिका के रूप में उनके कौशल ने उन्हें 'मलाथी माधवम' (1940) और 'धर्म पत्नी' (1941) जैसी फिल्मों में मुख्य भूमिकाएँ दीं।

18 साल की उम्र तक भानुमति ने खुद को एक अभिनेता के रूप में स्थापित कर लिया था। यह उनकी पांचवीं फिल्म 'कृष्णा प्रेमा' (1943) के सेट पर थी, जब उनकी मुलाकात अपने भावी पति सहायक निर्देशक पी.एस. रामकृष्ण राव से हुई। अपने पिता की आपत्तियों के बावजूद उन्होंने राव को प्रस्ताव दिया और उसी वर्ष उनसे शादी कर ली। बाद में उन्होंने अपने बेटे के नाम पर अपने प्रोडक्शन हाउस का नाम 'भरणी पिक्चर्स' रखा।

जब पी. भानुमति ने तमिल फिल्म उद्योग में प्रवेश किया था, तो वह प्रति फिल्म 25,000 रुपये तक कमाती थीं। यह उस समय की उत्पादन लागत का लगभग आधा था। उनकी सबसे प्रसिद्ध भूमिकाओं में से एक 1951 की म्यूजिकल हिट और तेलुगु क्लासिक 'मल्लीस्वरी' में थी, जिसमें उन्होंने नंदामुरी तारक रामाराव या एन.टी.आर. के साथ अभिनय किया था, जो आगे चलकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।[1]

फ़िल्में

साल 1947 में अपने प्रोडक्शन हाउस के लॉन्च के साथ इस पति-पत्नी की जोड़ी ने कुल 15 फिल्में बनाईं, जिनमें 'लैला मजनू' (1949) और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 'विप्रनारायण' (1954) जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल थीं। इसके बाद पी. भानुमति ने निर्देशन से लेकर लेखन तक, कैमरे के पीछे अन्य भूमिकाएँ तलाशना शुरू कर दिया।

संन्यास लेने का फैसला

पी. भानुमति पर डाक टिकट

पी. भानुमति ने अपनी शादी के बाद अभिनय से संन्यास लेने का फैसला किया था, लेकिन वह निर्देशक बी.एन. रेड्डी ही थे जिन्होंने उन्हें इसके लिए मना लिया। अभिनेता ने 1943 की फिल्म 'स्वर्ग सीमा' के साथ वापसी की, जो आयरिश नाटककार जॉर्ज बर्नार्ड शा के पाइग्मेलियन का एक ढीला रूपांतरण था। यह फिल्म भारत और विदेशों में सफल रही और इसने सिनेमा आइकनों के बीच पी. भानुमति की स्थिति को मजबूत किया।

मजबूत व्यक्तित्व

उन चीजों में से एक जो पी. भानुमति को उस समय उद्योग में अपने साथियों से अलग करती थी, वह थी फिल्मों में भूमिकाओं की उनकी विविध पसंद। वह स्क्रीन पर सिर्फ रोमांटिक, मौज-मस्ती पसंद करने वाली महिला नहीं थीं। उन्होंने ऐसी महिला की भूमिका भी निभाई जो चालाकी कर सकती थी और जो व्यभिचार में लिप्त थी। पी. भानुमति ने चाहे कोई भी किरदार निभाया हो, उनका मजबूत व्यक्तित्व और हास्य की भावना बरकरार रही। प्रसिद्ध तेलुगु निर्देशक चक्रपाणि ने एक साक्षात्कार में कहा था, "दर्शक भानुमति को रोते हुए नहीं देखेंगे, बल्कि वे यह देखना पसंद करेंगे कि क्या वह दूसरों को रुलाती है"।[1]

मृत्यु

पी. भानुमति की मृत्यु 24 दिसंबर, 2005 को चैन्नई, तमिलनाडु में हुई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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