आज का दिन - 29 अप्रैल 2024
- राष्ट्रीय शाके 1946, 09 गते 17, वैशाख, सोमवार
- विक्रम सम्वत् 2081, वैशाख, कृष्ण पक्ष, पंचमी, सोमवार, पूर्वाषाढ़ा
- इस्लामी हिजरी 1445, 19, शव्वाल, पीर, नआइम
- राजा रवि वर्मा (जन्म), अल्ला रक्खा ख़ाँ (जन्म), ज़ुबिन मेहता (जन्म), भामाशाह (जन्म), अजीत जोगी (जन्म), ई. अहमद (जन्म), दीपिका चिखालिया (जन्म), बालकृष्ण शर्मा नवीन (मृत्यु), राजा महेन्द्र प्रताप (मृत्यु), गोपबन्धु चौधरी (मृत्यु), केदार शर्मा (मृत्यु), आर. एन. मल्होत्रा (मृत्यु), इरफ़ान ख़ान (मृत्यु), चिन्तामणी पानिग्रही (मृत्यु), अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस
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विशेष आलेख
- वाराणसी के व्यापारी समुद्री व्यापार भी करते थे। काशी से समुद्र यात्रा के लिए नावें छूटती थीं।
- इस नगर के धनी व्यापारियों का व्यापार के उद्देश्य से समुद्र पार जाने का उल्लेख है। जातकों में भी व्यापार के उद्देश्य से बाहर जाने का उल्लेख मिलता है। एक जातक में उल्लेख है कि बनारस के व्यापारी दिशाकाक लेकर समुद्र यात्रा को गए थे। ... और पढ़ें
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एक पर्यटन स्थल
- खजुराहो की मूर्तियों की सबसे अहम और महत्त्वपूर्ण ख़ूबी यह है कि इनमें गति है, देखते रहिए तो लगता है कि शायद चल रही है या बस हिलने ही वाली है, या फिर लगता है कि शायद अभी कुछ बोलेगी, मस्कुराएगी, शर्माएगी या रूठ जाएगी।
- कमाल की बात तो यह है कि ये चेहरे के भाव और शरीर की भंगिमाऐं केवल स्त्री पुरुषों में ही नहीं बल्कि जानवरों में भी दिखाई देती हैं। ... और पढ़ें
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ऐसा भी हुआ !
- 20 हज़ार आबादी वाले एक नगर के लोगों ने दो हज़ार साल पहले स्वयं अपने नगर में आग लगा दी और अपनी स्त्रियों और बच्चों के साथ जलकर मर गए .... और पढ़ें
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सूक्ति और कहावत
- जिस समय जो कार्य करना उचित हो, उसे उसी समय शंकारहित होकर शीघ्र करना चाहिए, क्योंकि समय पर हुई वर्षा फ़सल की पोषक होती है, असमय की वर्षा विनाशिनी होती है। -शक्रनीति (1|286-287)
- अनेक विद्याओं का अध्ययन करके भी जो समाज के साथ मिलकर आचरण्युक्त जीवन व्यतीत करना नहीं जानते, वे अज्ञानी ही समझे जायेंगे। - तिरुवल्लुवर (तिरुक्कुरल, 140) .... और पढ़ें
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सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
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समाचार
- हमारे महान संस्कृत ग्रंथ ताड़पत्रों पर लिखे गये। क्या थे ये 'ताड़पत्र' ? ... और पढ़ें
- 'ओखली' पहले हर घर में होती थी पर आज शायद ही किसी घर में हो ... और पढ़ें
- 'किमखाब' के कारीगरों की क़द्र हो न हो लेकिन उनका काम बेमिसाल हुआ करता था ... और पढ़ें
- 'चौंसठ कलाएँ' कभी हमारी दिनचर्या का अभिन्न अंग थीं। क्या थीं ये? ... और पढ़ें
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एक व्यक्तित्व
- सत्यजित राय मानद ऑस्कर अवॉर्ड, भारत रत्न के अतिरिक्त पद्म श्री (1958), पद्म भूषण (1965), पद्म विभूषण (1976) और रमन मैगसेसे पुरस्कार (1967) से सम्मानित हैं।
- विश्व सिनेमा के पितामह माने जाने वाले महान निर्देशक अकीरा कुरोसावा ने राय के लिए कहा था "सत्यजित राय के बिना सिनेमा जगत वैसा ही है जैसे सूरज-चाँद के बिना आसमान" ... और पढ़ें
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