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'''रामदरश मिश्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ramdarash Mishra'', जन्म: 15 अगस्त, 1924) [[हिन्दी]] के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। ये जितने समर्थ [[कवि]] हैं उतने ही समर्थ [[उपन्यासकार]] और कहानीकार भी हैं। रामदरश मिश्र की लंबी साहित्य-यात्रा समय के कई मोड़ों से गुजरी है और नित्य नूतनता की छवि को प्राप्त होती गई है। कविता की कई शैलियों जैसे [[गीत]], नई कविता, छोटी कविता, लंबी [[कविता]] में उनकी सर्जनात्मक प्रतिभा ने अपनी प्रभावशाली अभिव्यक्ति के साथ-साथ [[ग़ज़ल]] में भी उन्होंने अपनी सार्थक उपस्थिति रेखांकित की। इसके अतिरक्त [[उपन्यास]], [[कहानी]], [[संस्मरण]], यात्रावृत्तांत, डायरी, [[निबंध]] आदि सभी विधाओं में उनका साहित्यिक योगदान बहुमूल्य है।
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'''रामदरश मिश्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ramdarash Mishra'', जन्म: 15 अगस्त, 1924) [[हिन्दी]] के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। ये जितने समर्थ [[कवि]] हैं उतने ही समर्थ [[उपन्यासकार]] और कहानीकार भी हैं। रामदरश मिश्र की लंबी साहित्य-यात्रा समय के कई मोड़ों से गुजरी है और नित्य नूतनता की छवि को प्राप्त होती गई है। कविता की कई शैलियों जैसे [[गीत]], नई कविता, छोटी कविता, लंबी [[कविता]] में उनकी सर्जनात्मक प्रतिभा ने अपनी प्रभावशाली अभिव्यक्ति के साथ-साथ [[ग़ज़ल]] में भी उन्होंने अपनी सार्थक उपस्थिति रेखांकित की। इसके अतिरिक्त [[उपन्यास]], [[कहानी]], [[संस्मरण]], यात्रावृत्तांत, डायरी, [[निबंध]] आदि सभी विधाओं में उनका साहित्यिक योगदान बहुमूल्य है।
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
रामदरश मिश्र का जन्म [[15 अगस्त]], [[1924]] को [[गोरखपुर ज़िला|गोरखपुर जिले]] के कछार अंचल के गाँव डुमरी में हुआ। इनकी शिक्षा [[हिन्दी]] में स्नातक, स्नातकोत्तर तथा डॉक्टरेट रही। सन् [[1956]] में सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय, [[बड़ौदा]] में प्राध्यापक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। सन् [[1958]] में ये गुजरात विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो गये और आठ वर्ष तक [[गुजरात]] में रहने के पश्चात [[1964]] में [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] में आ गये। वहाँ से [[1970]] में प्रोफेसर के रूप में सेवामुक्त हुए।<ref>{{cite web |url=http://www.abhivyakti-hindi.org/lekhak/r/ramdarsh_mishra.htm |title=रामदरश मिश्र |accessmonthday=9 मार्च |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=अभिव्यक्ति|language=हिन्दी }}</ref>
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==बहुआयामी प्रतिभा के धनी==
 
==बहुआयामी प्रतिभा के धनी==
रामदरश मिश्र की साहित्यिक प्रतिभा बहुआयामी है। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना और निबंध जैसी प्रमुख विधाओं में तो लिखा ही है, आत्मकथा- सहचर है समय, यात्रा वृत्त तथा संस्मरण भी लिखे हैं। यात्राओं के अनुभव ‘तना हुआ इन्द्रधनुष, ‘भोर का सपना’ तथा ‘पड़ोस की खुशबू’ में अभिव्यक्त हुए हैं। उन्होंने अपनी संस्मरण पुस्तक ‘स्मृतियों के छन्द’ में उन अनेक वरिष्ठ लेखकों, गुरुओं और मित्रों के संस्मरण दिये हैं जिनसे उन्हें अपनी जीवन-यात्रा तथा साहित्य-यात्रा में काफी कुछ प्राप्त हुआ है। रामदरश मिश्र रचना-कर्म के साथ-साथ आलोचना कर्म से भी जुड़े रहे हैं। उन्होंने [[आलोचना (साहित्य)|आलोचना]], [[कविता]] और कथा के विकास और उनके महत्वपूर्ण पड़ावों की बहुत गहरी और साफ पहचान की है। ‘हिन्दी उपन्यास : एक अंतयात्रा, ‘हिन्दी कहानी : अंतरंग पहचान’, ‘हिन्दी कविता : आधुनिक आयाम’, ‘छायावाद का रचनालोक’ उनकी महत्त्वपूर्ण समीक्षा-पुस्तकें हैं। रामदरश मिश्र अपनी लंबी रचना-यात्रा में किसी वाद, किसी आन्दोलन के झंडे के नीचे नहीं आये किन्तु वे अपने समय और समाज की वास्तविकताओं तथा चेतना से लगातार जुड़े रहे हैं। समय-यात्रा में बदलाता हुआ यथार्थ उनके अनुभव और दृष्टि में समाकर उनकी रचनाओं में उतरता रहा है। परिवर्तनशील समय का सत्य उनकी सर्जना को सतत कथ्य की नयी आभा और शिल्प की सहज नवीनता प्रदान करना रहा है किन्तु उनकी बुनियाद उनका गांव रहा है। गांव को भी वे लगातार उसके परिवर्तनशील रूप में पकड़ने की कोशिश करते रहे हैं। समग्रत: उनके सारे सर्जनात्मक लेखन में अपने कछार अंचल की धरती की पकड़ है। मूल्य-दृष्टि की जड़ें उनके गांव में ही हैं जिसे उन्होंने अपने जीवन के प्रारंभिक काल में भरपूर जिया था।
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रामदरश मिश्र की साहित्यिक प्रतिभा बहुआयामी है। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना और निबंध जैसी प्रमुख विधाओं में तो लिखा ही है, आत्मकथा- सहचर है समय, यात्रा वृत्त तथा संस्मरण भी लिखे हैं। यात्राओं के अनुभव ‘तना हुआ इन्द्रधनुष, ‘भोर का सपना’ तथा ‘पड़ोस की खुशबू’ में अभिव्यक्त हुए हैं। उन्होंने अपनी संस्मरण पुस्तक ‘स्मृतियों के छन्द’ में उन अनेक वरिष्ठ लेखकों, गुरुओं और मित्रों के संस्मरण दिये हैं जिनसे उन्हें अपनी जीवन-यात्रा तथा साहित्य-यात्रा में काफ़ी कुछ प्राप्त हुआ है। रामदरश मिश्र रचना-कर्म के साथ-साथ आलोचना कर्म से भी जुड़े रहे हैं। उन्होंने [[आलोचना (साहित्य)|आलोचना]], [[कविता]] और कथा के विकास और उनके महत्वपूर्ण पड़ावों की बहुत गहरी और साफ़ पहचान की है। ‘हिन्दी उपन्यास : एक अंतर्यात्रा, ‘हिन्दी कहानी : अंतरंग पहचान’, ‘हिन्दी कविता : आधुनिक आयाम’, ‘छायावाद का रचनालोक’ उनकी महत्त्वपूर्ण समीक्षा-पुस्तकें हैं। रामदरश मिश्र अपनी लंबी रचना-यात्रा में किसी वाद, किसी आन्दोलन के झंडे के नीचे नहीं आये किन्तु वे अपने समय और समाज की वास्तविकताओं तथा चेतना से लगातार जुड़े रहे हैं। समय-यात्रा में बदलता हुआ यथार्थ उनके अनुभव और दृष्टि में समाकर उनकी रचनाओं में उतरता रहा है। परिवर्तनशील समय का सत्य उनकी सर्जना को सतत कथ्य की नयी आभा और शिल्प की सहज नवीनता प्रदान करना रहा है किन्तु उनकी बुनियाद उनका गांव रहा है। गांव को भी वे लगातार उसके परिवर्तनशील रूप में पकड़ने की कोशिश करते रहे हैं। समग्रत: उनके सारे सर्जनात्मक लेखन में अपने कछार अंचल की धरती की पकड़ है। मूल्य-दृष्टि की जड़ें उनके गांव में ही हैं जिसे उन्होंने अपने जीवन के प्रारंभिक काल में भरपूर जिया था।
 
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रामदरश मिश्र
रामदरश मिश्र
पूरा नाम डॉ. रामदरश मिश्र
जन्म 15 अगस्त, 1924
जन्म भूमि डुमरी गाँव, गोरखपुर ज़िला, उत्तर प्रदेश
कर्म-क्षेत्र अध्यापक, कवि, साहित्यकार
मुख्य रचनाएँ उपन्यास- पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ; कहानी संग्रह- ख़ाली घर, एक वह; काव्य संग्रह- पक गई है धूप, कंधे पर सूरज, बारिश में भीगते बच्चे आदि
भाषा हिन्दी
शिक्षा स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट
पुरस्कार-उपाधि साहित्य अकादमी पुरस्कार (2015), उदयराज सिंह स्मृति पुरस्कार, व्यास सम्मान (2011)
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी रामदरश मिश्र ने कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना और निबंध जैसी प्रमुख विधाओं में तो लिखा ही है, आत्मकथा- 'सहचर है समय', यात्रा वृत्त तथा संस्मरण भी लिखे हैं।
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इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

रामदरश मिश्र (अंग्रेज़ी: Ramdarash Mishra, जन्म: 15 अगस्त, 1924) हिन्दी के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। ये जितने समर्थ कवि हैं उतने ही समर्थ उपन्यासकार और कहानीकार भी हैं। रामदरश मिश्र की लंबी साहित्य-यात्रा समय के कई मोड़ों से गुजरी है और नित्य नूतनता की छवि को प्राप्त होती गई है। कविता की कई शैलियों जैसे गीत, नई कविता, छोटी कविता, लंबी कविता में उनकी सर्जनात्मक प्रतिभा ने अपनी प्रभावशाली अभिव्यक्ति के साथ-साथ ग़ज़ल में भी उन्होंने अपनी सार्थक उपस्थिति रेखांकित की। इसके अतिरिक्त उपन्यास, कहानी, संस्मरण, यात्रावृत्तांत, डायरी, निबंध आदि सभी विधाओं में उनका साहित्यिक योगदान बहुमूल्य है।

जीवन परिचय

रामदरश मिश्र का जन्म 15 अगस्त, 1924 को गोरखपुर जिले के कछार अंचल के गाँव डुमरी में हुआ। इनकी शिक्षा हिन्दी में स्नातक, स्नातकोत्तर तथा डॉक्टरेट रही। सन् 1956 में सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय, बड़ौदा में प्राध्यापक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। सन् 1958 में ये गुजरात विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो गये और आठ वर्ष तक गुजरात में रहने के पश्चात् 1964 में दिल्ली विश्वविद्यालय में आ गये। वहाँ से 1970 में प्रोफेसर के रूप में सेवामुक्त हुए।[1]

बहुआयामी प्रतिभा के धनी

रामदरश मिश्र की साहित्यिक प्रतिभा बहुआयामी है। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना और निबंध जैसी प्रमुख विधाओं में तो लिखा ही है, आत्मकथा- सहचर है समय, यात्रा वृत्त तथा संस्मरण भी लिखे हैं। यात्राओं के अनुभव ‘तना हुआ इन्द्रधनुष, ‘भोर का सपना’ तथा ‘पड़ोस की खुशबू’ में अभिव्यक्त हुए हैं। उन्होंने अपनी संस्मरण पुस्तक ‘स्मृतियों के छन्द’ में उन अनेक वरिष्ठ लेखकों, गुरुओं और मित्रों के संस्मरण दिये हैं जिनसे उन्हें अपनी जीवन-यात्रा तथा साहित्य-यात्रा में काफ़ी कुछ प्राप्त हुआ है। रामदरश मिश्र रचना-कर्म के साथ-साथ आलोचना कर्म से भी जुड़े रहे हैं। उन्होंने आलोचना, कविता और कथा के विकास और उनके महत्वपूर्ण पड़ावों की बहुत गहरी और साफ़ पहचान की है। ‘हिन्दी उपन्यास : एक अंतर्यात्रा, ‘हिन्दी कहानी : अंतरंग पहचान’, ‘हिन्दी कविता : आधुनिक आयाम’, ‘छायावाद का रचनालोक’ उनकी महत्त्वपूर्ण समीक्षा-पुस्तकें हैं। रामदरश मिश्र अपनी लंबी रचना-यात्रा में किसी वाद, किसी आन्दोलन के झंडे के नीचे नहीं आये किन्तु वे अपने समय और समाज की वास्तविकताओं तथा चेतना से लगातार जुड़े रहे हैं। समय-यात्रा में बदलता हुआ यथार्थ उनके अनुभव और दृष्टि में समाकर उनकी रचनाओं में उतरता रहा है। परिवर्तनशील समय का सत्य उनकी सर्जना को सतत कथ्य की नयी आभा और शिल्प की सहज नवीनता प्रदान करना रहा है किन्तु उनकी बुनियाद उनका गांव रहा है। गांव को भी वे लगातार उसके परिवर्तनशील रूप में पकड़ने की कोशिश करते रहे हैं। समग्रत: उनके सारे सर्जनात्मक लेखन में अपने कछार अंचल की धरती की पकड़ है। मूल्य-दृष्टि की जड़ें उनके गांव में ही हैं जिसे उन्होंने अपने जीवन के प्रारंभिक काल में भरपूर जिया था।

मुख्य कृतियाँ

रामदरश मिश्र की कृतियाँ[2]
उपन्यास कहानी संग्रह कविता संग्रह संस्मरण
  • पानी के प्राचीर
  • जल टूटता हुआ
  • बीच का समय
  • सूखता हुआ तालाब
  • अपने लोग
  • रात का सफर
  • आकाश की छत
  • आदिम राग
  • बिना दरवाजे का मकान
  • दूसरा घर
  • थकी हुई सुबह
  • बीस बरस
  • परिवार
  • ख़ाली घर
  • एक वह
  • दिनचर्या
  • सर्पदंश
  • वसंत का एक दिन
  • अपने लिए
  • आज का दिन भी
  • फिर कब आएँगे?
  • एक कहानी लगातार
  • विदूषक
  • दिन के साथ
  • विरासत
आत्मकथा
  • सहचर है समय
  • फुरसत के दिन
  • पथ के गीत
  • बैरंग-बेनाम चिट्ठियाँ
  • पक गई है धूप
  • कंधे पर सूरज
  • जुलूस कहाँ जा रहा है
  • रामदरश मिश्र की प्रतिनिधि कविताएँ
  • आग कुछ नहीं बोलती
  • शब्द सेतु
  • बारिश में भीगते बच्चें।
ग़ज़ल संग्रह
  • हँसी ओठ पर आँखें नम हैं
  • बाज़ार को निकलते हैं लोग
  • तू ही बता ऐ जिंदगी
  • स्मृतियों के छंद
  • अपने अपने रास्ते
  • एक दुनिया अपनी और चुनी हुई रचनाएँ
  • बूँद-बूँद नदी
  • दर्द की हँसी
  • नदी बहती है
  • कच्चे रास्तों का सफर
निबंध संग्रह
  • कितने बजे हैं
  • बबूल और कैक्टस
  • घर-परिवेश
  • छोटे-छोटे सुख

सम्मान और पुरस्कार


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प्रारम्भिक
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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रामदरश मिश्र (हिन्दी) अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 9 मार्च, 2015।
  2. रामदरश मिश्र (हिन्दी) हिन्दी समय डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 9 मार्च, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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