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'''रूकनुद्दीन फ़ीरोज़शाह'''<br />
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*[[इल्तुतमिश]] ने अपनी पुत्री [[रज़िया सुल्तान]] को अपना उत्तराधिकारी बनाया था।
 
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*लेकिन इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद, इल्तुतमिश के बड़े पुत्र '''रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह''' (1236 ई.) को [[दिल्ली]] की गद्दी पर बैठाया गया।
*रूकनुद्दीन में सुल्तान बनने के गुणों का सर्वथा अभाव था।  
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*सुल्तान बनने से पहले वह [[बदायूँ]] और [[लाहौर]] की सरकार का प्रबन्ध संभाल चुका था।
*वह बहुत ही विलासी और अकर्मणय था। वह दूरदर्शी न था।  
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*वह विलासी प्रवृत्ति का होने के कारण शासन के कार्यो में रुचि नहीं लेता था। इसलिए उसे विलास-प्रेमी जीव कहा गया है।
*वह शासन करने में अयोग्य था।  
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*रूकनुद्दीन में सुल्तान बनने के गुणों का सर्वथा अभाव था।
*उसकी माँ शाह तुर्कान ने शासन की बागड़ोर अपने हातथ में ले ली।
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*यद्यपी रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह शासक था, फिर भी शासन की बागडोर उसकी माँ शाहतुर्कान के हाथों में थी, जो मूलतः एक तुर्की दासी थी।
*शाह तुर्कान एक निम्नवंशीय नारी थी, जो दासी से रानी और फिर राजमाता के गौरवशाली पद तक पहुँच गयी थी।  
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*रूकनुद्दीन एवं उसकी माँ शाहतुर्कान के अत्याचारों से चारों ओर विद्रोह फूट पड़ा।
*वह विवेकशुन्य और निर्दयी औरत थी। 1236 में 6 मास 7 दिनों के शासन के बाद रूकनुद्दीन की हत्या कर दी गयी और [[रज़िया सुल्तान|रज़िया]] [[दिल्ली]] की सुल्ताना बना दी गयी।
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*इस विद्रोह को दबाने के लिए जैसे ही रूकनुद्दीन राजधानी से बाहर गया, [[रज़िया सुल्तान]] ने लाल वस्त्र धारण कर (लाल वस्त्र पहन कर ही न्याय की माँग की जाती थी) जनता के सामने उपस्थित होकर शाहतुर्कान के विरुद्ध सहायता मांगी।
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*जनता ने उत्साह के साथ रज़िया सुल्तान को रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह के [[दिल्ली]] में घुसने के पूर्व ही दिल्ली के तख्त पर बैठा दिया।
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14:00, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

  • इल्तुतमिश ने अपनी पुत्री रज़िया सुल्तान को अपना उत्तराधिकारी बनाया था।
  • लेकिन इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद, इल्तुतमिश के बड़े पुत्र रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह (1236 ई.) को दिल्ली की गद्दी पर बैठाया गया।
  • सुल्तान बनने से पहले वह बदायूँ और लाहौर की सरकार का प्रबन्ध संभाल चुका था।
  • वह विलासी प्रवृत्ति का होने के कारण शासन के कार्यो में रुचि नहीं लेता था। इसलिए उसे विलास-प्रेमी जीव कहा गया है।
  • रूकनुद्दीन में सुल्तान बनने के गुणों का सर्वथा अभाव था।
  • यद्यपी रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह शासक था, फिर भी शासन की बागडोर उसकी माँ शाहतुर्कान के हाथों में थी, जो मूलतः एक तुर्की दासी थी।
  • रूकनुद्दीन एवं उसकी माँ शाहतुर्कान के अत्याचारों से चारों ओर विद्रोह फूट पड़ा।
  • इस विद्रोह को दबाने के लिए जैसे ही रूकनुद्दीन राजधानी से बाहर गया, रज़िया सुल्तान ने लाल वस्त्र धारण कर (लाल वस्त्र पहन कर ही न्याय की माँग की जाती थी) जनता के सामने उपस्थित होकर शाहतुर्कान के विरुद्ध सहायता मांगी।
  • जनता ने उत्साह के साथ रज़िया सुल्तान को रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह के दिल्ली में घुसने के पूर्व ही दिल्ली के तख्त पर बैठा दिया।
  • बाद में रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह को क़ैद कर लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई।

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