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*इस बस्ती की उत्खनिज सामग्री से मध्यपाषाण तथा प्रारम्भिक [[पाषाण काल|नवपाषाण काल]] में आदि मानव की जीवन प्रणाली पर प्रकाश पड़ता है। | *इस बस्ती की उत्खनिज सामग्री से मध्यपाषाण तथा प्रारम्भिक [[पाषाण काल|नवपाषाण काल]] में आदि मानव की जीवन प्रणाली पर प्रकाश पड़ता है। | ||
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*पुरातत्त्वज्ञों ने लंघनाज के [[इतिहास]] को दो पृथक् कालों में विभक्त किया है। | *पुरातत्त्वज्ञों ने लंघनाज के [[इतिहास]] को दो पृथक् कालों में विभक्त किया है। | ||
*पहले काल के मृद्भाण्ड हस्तनिर्मित हैं, जबकि दूसरे काल के पूर्व-नवपाषाण कालीन मृद्भाण्ड चाक पर बनाये गये हैं और अलंकृत हैं। | *पहले काल के मृद्भाण्ड हस्तनिर्मित हैं, जबकि दूसरे काल के पूर्व-नवपाषाण कालीन मृद्भाण्ड चाक पर बनाये गये हैं और अलंकृत हैं। |
09:37, 3 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
- भारत में मध्य पाषाण युग (25000 ई.पू. से 5000 ई.पू.) की सबसे प्रसिद्ध स्थली गुजरात में लंघनाज स्थित है।
- इस बस्ती की उत्खनिज सामग्री से मध्यपाषाण तथा प्रारम्भिक नवपाषाण काल में आदि मानव की जीवन प्रणाली पर प्रकाश पड़ता है।
- उत्खननों ने यह दिखलाया है कि उस समय प्रयुक्त मुख्य उपकरण पत्थर के फलक और नियमित ज्यामितीय आकार के सूक्ष्माश्म थे, जिनका बाणाग्रों की तरह प्रयोग किया जाता था।
- पुरातत्त्वज्ञों ने लंघनाज के इतिहास को दो पृथक् कालों में विभक्त किया है।
- पहले काल के मृद्भाण्ड हस्तनिर्मित हैं, जबकि दूसरे काल के पूर्व-नवपाषाण कालीन मृद्भाण्ड चाक पर बनाये गये हैं और अलंकृत हैं।
- पहले काल में शिकार और मछली पकड़ना लोगों के मुख्य उद्यम थे, जबकि दूसरे काल की विशेषता कृषि में संक्रमण थी।
- लंघनाज क्षेत्र में हरिणों, बारहसिंगों, गैण्डों, जंगली सुअरों और बैलों की हड्डियाँ मिली हैं। वे सम्भवतः इनका शिकार कर उन्हें खाते थे।
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