वासुदेव कण्व

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:45, 28 जुलाई 2014 का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

वासुदेव कण्व 'कण्व वंश' अथवा 'काण्वायन वंश' (लगभग 73 ई.पू. पूर्व से 28 ई.पू.) का संस्थापक था। वासुदेव 'शुंग वंश' के अन्तिम राजा देवभूति का ब्राह्मण अमात्य था। अन्तिम शुंग राजा देवभूति के विरुद्ध षड़यंत्र कर वासुदेव ने मगध के राजसिंहासन पर अधिकार कर लिया था।

  • अपने स्वामी की हत्या करके वासुदेव ने जिस साम्राज्य को प्राप्त किया था, वह एक विशाल शक्तिशाली साम्राज्य का ध्वंसावशेष ही था।
  • इस समय भारत की पश्चिमोत्तर सीमा को लाँघ कर शक आक्रान्ता बड़े वेग से भारत पर आक्रमण कर रहे थे, जिनके कारण न केवल मगध साम्राज्य के सुदूरवर्ती जनपद ही साम्राज्य से निकल गये थे, बल्कि मगध के समीपवर्ती प्रदेशों में भी अव्यवस्था मच गई।
  • वासुदेव और उसके उत्तराधिकारी केवल स्थानीय राजाओं की हैसियत रखते थे। उनका राज्य पाटलिपुत्र और उसके समीप के प्रदेशों तक ही सीमित था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख