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'''शिवदीन राम जोशी''' (जन्म- [[10 जून]], [[1921]] ई., खंडेला, [[सीकर ज़िला|सीकर]], [[राजस्थान]]; मृत्यु- [[27 जुलाई]], [[2006]]) अपने समय के जाने-माने [[कवि]] थे। इनके द्वारा रची गईं सभी रचनाएँ पद्यात्मक हैं। इनकी रचनाओं का मुख्य विषय ज्ञान, वैराग्य, प्रकृति चित्रण, प्रेम, हितोपदेश, [[भक्ति]], भारतीय त्यौहार, देश चिंतन, पाखण्ड एवं समाज में व्याप्त कुरीतियों पर प्रहार आदि रहा है। शिवदीन राम जोशी की साहित्यिक भाषा [[ब्रज भाषा|ब्रज]] मिश्रित [[हिन्दी]] थी। उनका [[साहित्य]] [[कविता]] के रूप में उपलब्ध है।
 
'''शिवदीन राम जोशी''' (जन्म- [[10 जून]], [[1921]] ई., खंडेला, [[सीकर ज़िला|सीकर]], [[राजस्थान]]; मृत्यु- [[27 जुलाई]], [[2006]]) अपने समय के जाने-माने [[कवि]] थे। इनके द्वारा रची गईं सभी रचनाएँ पद्यात्मक हैं। इनकी रचनाओं का मुख्य विषय ज्ञान, वैराग्य, प्रकृति चित्रण, प्रेम, हितोपदेश, [[भक्ति]], भारतीय त्यौहार, देश चिंतन, पाखण्ड एवं समाज में व्याप्त कुरीतियों पर प्रहार आदि रहा है। शिवदीन राम जोशी की साहित्यिक भाषा [[ब्रज भाषा|ब्रज]] मिश्रित [[हिन्दी]] थी। उनका [[साहित्य]] [[कविता]] के रूप में उपलब्ध है।
 
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शिवदीन राम जोशी का जन्म 10 जून, 1921 ई. को [[राजस्थान]] के [[सीकर ज़िला|सीकर ज़िले]] में खंडेला नामक स्थान पर हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम सूरजभान तथा [[माता]] का नाम लक्ष्मी था। शिवदीन राम जोशी ने अपनी अल्प अवस्था दस वर्ष की उम्र से ही लेखन कार्य शुरू कर दिया था।
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इनके [[साहित्य]] में [[सवैया]], मनहर, मतगयंद, कुंडली, [[छंद]] ओर कवित्त का प्रयोग तथा धमाल, भजन ओर [[ग़ज़ल|ग़ज़लों]] का समावेश है। पद्यात्मक रचनाओं का विषय ज्ञान, वैराग्य, प्रेम, प्रकृति चित्रण, प्रार्थना और उपदेश के साथ-साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों, पाखंड, भ्रष्टाचार एवं काल चिंतन उनके साहित्य का मुख्य केंद्र रहे हैं। शिवदीन राम जोशी का 90 प्रतिशत [[साहित्य]] अप्रकाशित है।
 
इनके [[साहित्य]] में [[सवैया]], मनहर, मतगयंद, कुंडली, [[छंद]] ओर कवित्त का प्रयोग तथा धमाल, भजन ओर [[ग़ज़ल|ग़ज़लों]] का समावेश है। पद्यात्मक रचनाओं का विषय ज्ञान, वैराग्य, प्रेम, प्रकृति चित्रण, प्रार्थना और उपदेश के साथ-साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों, पाखंड, भ्रष्टाचार एवं काल चिंतन उनके साहित्य का मुख्य केंद्र रहे हैं। शिवदीन राम जोशी का 90 प्रतिशत [[साहित्य]] अप्रकाशित है।
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इनकी [[भाषा]] [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]] और [[ब्रज भाषा|ब्रज]] मिश्रित [[खड़ी बोली]] रही थी। कहीं-कहीं पर [[उर्दू भाषा|उर्दू]] तथा [[फ़ारसी भाषा]] के शब्द और 'फ़ेल', 'टेम' जैसे [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] शब्दों का प्रयोग भी हुआ है। आकाशवाणी [[अजमेर]] और [[जयपुर]] से भी उनकी रचनाओं का प्रसारण कई बार हुआ था। [[राजस्थानी भाषा]] के साहित्यकार गोरधन सिंह शेखावत द्वारा संपादित 'शेखावाटी के साहित्यकार' व रघुनाथ प्रसाद तिवारी 'उमंग' के ग्रंथ 'खंडेला क्षेत्र का सांस्कृतिक वैभव' में भी शिवदीन राम जोशी जी का वर्णन है।
 
इनकी [[भाषा]] [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]] और [[ब्रज भाषा|ब्रज]] मिश्रित [[खड़ी बोली]] रही थी। कहीं-कहीं पर [[उर्दू भाषा|उर्दू]] तथा [[फ़ारसी भाषा]] के शब्द और 'फ़ेल', 'टेम' जैसे [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] शब्दों का प्रयोग भी हुआ है। आकाशवाणी [[अजमेर]] और [[जयपुर]] से भी उनकी रचनाओं का प्रसारण कई बार हुआ था। [[राजस्थानी भाषा]] के साहित्यकार गोरधन सिंह शेखावत द्वारा संपादित 'शेखावाटी के साहित्यकार' व रघुनाथ प्रसाद तिवारी 'उमंग' के ग्रंथ 'खंडेला क्षेत्र का सांस्कृतिक वैभव' में भी शिवदीन राम जोशी जी का वर्णन है।
 
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शिवदीन राम जोशी का निधन [[27 जुलाई]], [[2006]] में हुआ।
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शिवदीन राम जोशी का निधन [[27 जुलाई]], [[2006]] में हुआ। समय-समय पर संतों ने अपने अगाध अनुभव, ज्ञान, ह्रदयस्पर्शी वचनों एवं लेखन के द्वारा समाज व व्यक्ति में व्याप्त बुराईयों को दूर करके एक नई दिशा प्रदान की है। भक्ति मार्ग का अनुसरण करते हुए लोगों की जीवन धरा को सही मार्ग की ओर मोड़ने का कार्य किया है। शिवदीन राम जोशी का कार्य भी मानव को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर करना ही रहा था।
  
 
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06:32, 12 जून 2013 का अवतरण

शिवदीन राम जोशी (जन्म- 10 जून, 1921 ई., खंडेला, सीकर, राजस्थान; मृत्यु- 27 जुलाई, 2006) अपने समय के जाने-माने कवि थे। इनके द्वारा रची गईं सभी रचनाएँ पद्यात्मक हैं। इनकी रचनाओं का मुख्य विषय ज्ञान, वैराग्य, प्रकृति चित्रण, प्रेम, हितोपदेश, भक्ति, भारतीय त्यौहार, देश चिंतन, पाखण्ड एवं समाज में व्याप्त कुरीतियों पर प्रहार आदि रहा है। शिवदीन राम जोशी की साहित्यिक भाषा ब्रज मिश्रित हिन्दी थी। उनका साहित्य कविता के रूप में उपलब्ध है।

जन्म

शिवदीन राम जोशी का जन्म 10 जून, 1921 ई. को राजस्थान के सीकर ज़िले में खंडेला नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम सूरजभान तथा माता का नाम लक्ष्मी था। शिवदीन राम जोशी ने अपनी अल्प अवस्था दस वर्ष की उम्र से ही लेखन कार्य शुरू कर दिया था। उनका यह लेखन कार्य जीवन पर्यंत चलता ही रहा।

साहित्य

इनके साहित्य में सवैया, मनहर, मतगयंद, कुंडली, छंद ओर कवित्त का प्रयोग तथा धमाल, भजन ओर ग़ज़लों का समावेश है। पद्यात्मक रचनाओं का विषय ज्ञान, वैराग्य, प्रेम, प्रकृति चित्रण, प्रार्थना और उपदेश के साथ-साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों, पाखंड, भ्रष्टाचार एवं काल चिंतन उनके साहित्य का मुख्य केंद्र रहे हैं। शिवदीन राम जोशी का 90 प्रतिशत साहित्य अप्रकाशित है।

रचनाएँ

शिवदीन राम जोशी की रचनाओं में कवित्त, सवैया, कुंडली, भजन, ग़ज़ल, विभिन्न प्रकार के छंद और पद आदि सम्मिलित हैं। इनकी प्रकाशित कुछ प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. छंद तरंग
  2. अनुभव लहर
  3. कृष्ण सुदामा चरित्र

कई प्रमुख लघु पुस्तिकाएँ आदि भी इनकी प्रकाशित हो चुकी हैं।

भाषा

इनकी भाषा राजस्थानी और ब्रज मिश्रित खड़ी बोली रही थी। कहीं-कहीं पर उर्दू तथा फ़ारसी भाषा के शब्द और 'फ़ेल', 'टेम' जैसे अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग भी हुआ है। आकाशवाणी अजमेर और जयपुर से भी उनकी रचनाओं का प्रसारण कई बार हुआ था। राजस्थानी भाषा के साहित्यकार गोरधन सिंह शेखावत द्वारा संपादित 'शेखावाटी के साहित्यकार' व रघुनाथ प्रसाद तिवारी 'उमंग' के ग्रंथ 'खंडेला क्षेत्र का सांस्कृतिक वैभव' में भी शिवदीन राम जोशी जी का वर्णन है।

निधन

शिवदीन राम जोशी का निधन 27 जुलाई, 2006 में हुआ। समय-समय पर संतों ने अपने अगाध अनुभव, ज्ञान, ह्रदयस्पर्शी वचनों एवं लेखन के द्वारा समाज व व्यक्ति में व्याप्त बुराईयों को दूर करके एक नई दिशा प्रदान की है। भक्ति मार्ग का अनुसरण करते हुए लोगों की जीवन धरा को सही मार्ग की ओर मोड़ने का कार्य किया है। शिवदीन राम जोशी का कार्य भी मानव को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर करना ही रहा था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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