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'''सुदर्शन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sudarshan'' ) का वास्तविक नाम पंडित बद्रीनाथ भट्ट था। वे [[हिंदी]]-[[उर्दू]] के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। इनका जन्म [[सियालकोट]] (वर्तमान [[पाकिस्तान]]) में 1896 में हुआ था।
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'''सुदर्शन''' ([[अंग्रेज़ी]]: Sudarshan; जन्म- [[1896]] ई., [[सियालकोट]], वर्तमान [[पाकिस्तान]]) [[हिन्दी]] और [[उर्दू]] के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उनका वास्तविक नाम 'पण्डित बद्रीनाथ भट्ट' था। सुदर्शन प्रेमचन्द परम्परा के कहानीकार थे। [[मुंशी प्रेमचंद]] और [[उपेन्द्रनाथ अश्क]] के समान ही वे हिन्दी और उर्दू में लिखते रहे। उन्होंने अपनी प्राय: सभी प्रसिद्ध कहानियों में समस्याओं का आदर्शवादी समाधान प्रस्तुत किया है। उनकी [[भाषा]] सरल, स्वाभाविक, प्रभावोत्पादक और मुहावरेदार थी। सुदर्शन जी को गद्य और पद्य दोनों ही में महारत प्राप्त थी। साहित्य-सृजन के अतिरिक्त पंडित सुदर्शन ने अनेकों फ़िल्मों की पटकथा और [[गीत]] भी लिखे थे।
 
==परिचय==
 
==परिचय==
सुदर्शन की कहानियों का मुख्य लक्ष्य समाज व राष्ट्र को स्वच्छ व सुदृढ़ बनाना रहा है। [[प्रेमचन्द]] की भांति आप भी मूलत: [[उर्दू]] में लेखन करते थे व उर्दू से हिन्दी में आये थे। सुदर्शन की भाषा सहज, स्वाभाविक, प्रभावी और मुहावरेदार है। सुदर्शन,  प्रेमचन्द परम्परा के कहानीकार हैं। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी है।  आपकी प्रायः सभी प्रसिद्ध कहानियों में  समस्यायों का समाधान आदशर्वाद से किया गया है। 'हार की जीत' जैसी कालजयी रचना के इस लेखक के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। मुंशी प्रेमचंद और [[उपेन्द्रनाथ अश्क]] की तरह पंडित सुदर्शन हिन्दी और उर्दू में लिखते रहे। उनकी गणना प्रेमचंद संस्थान के लेखकों में विश्वम्भरनाथ कौशिक, राजा राधिकारमणप्रसाद सिंह, भगवतीप्रसाद वाजपेयी आदि के साथ की जाती है।
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सुदर्शन का जन्म [[वर्ष]] [[1896]] ई. में [[सियालकोट]] (वर्तमान [[पाकिस्तान]]) में हुआ था। उनकी [[कहानी|कहानियों]] का मुख्य लक्ष्य समाज व राष्ट्र को स्वच्छ व सुदृढ़ बनाना रहा था। [[भारत]] के ख्याति प्राप्त साहित्यकार और कहानी सम्राट [[प्रेमचन्द]] की भांति आप भी मूलत: उर्दू में ही लेखन कार्य किया करते थे। ये उर्दू से हिन्दी में आये थे। सुदर्शन की भाषा सहज, स्वाभाविक, प्रभावी और मुहावरेदार थी। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी था। 'हार की जीत' जैसी कालजयी रचना के इस लेखक के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। उनकी गणना प्रेमचंद संस्थान के लेखकों में विश्वम्भरनाथ कौशिक, राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह, भगवतीप्रसाद वाजपेयी आदि के साथ की जाती है।
 
==कृतियाँ==
 
==कृतियाँ==
'हार की जीत' पंडित जी की पहली कहानी है जो1920 में [[सरस्वती (पत्रिका)|सरस्वती]] में प्रकाशित हुई थी। [[लाहौर]] की उर्दू [[पत्रिका]], 'हज़ार दास्तां' में उनकी अनेक कहानियां प्रकाशित हुईं। उनकी पुस्तकें [[मुम्बई]] के 'हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर' कार्यालय द्वारा भी प्रकाशित हुईं। सुदर्शन को गद्य और पद्य दोनों में महारत हासिल थी। उनकी रचनाओं में हार की जीत, सच का सौदा, अठन्नी का चोर, साईकिल की सवारी, तीर्थ-यात्रा, पत्थरों का सौदागर, पृथ्वी-वल्लभ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
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'हार की जीत' पंडित बद्रीनाथ भट्ट की पहली [[कहानी]] थी, जो [[1920]] में '[[सरस्वती (पत्रिका)|सरस्वती]]' में प्रकाशित हुई थी। [[लाहौर]] की उर्दू [[पत्रिका]] 'हज़ार दास्तां' में उनकी अनेक कहानियाँ प्रकाशित हुईं। उनकी पुस्तकें [[मुम्बई]] के 'हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर' कार्यालय द्वारा भी प्रकाशित हुई थीं। सुदर्शन को गद्य और पद्य दोनों में महारत हासिल थी। उनकी रचनाओं में निम्न कृतियाँ उल्लेखनीय हैं-
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#हार की जीत
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==फ़िल्मी पटकथा और गीत==
 
==फ़िल्मी पटकथा और गीत==
मुख्यधारा विषयक साहित्य-सृजन के अतिरिक्त पंडित सुदर्शन ने अनेकों फ़िल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे। [[सोहराब मोदी]] की सिकंदर (1941) सहित अनेक फ़िल्मों की सफलता का श्रेय उनके पटकथा लेखन को जाता है। सन 1935 में उन्होंने 'कुंवारी या विधवा' फ़िल्म का निर्देशन भी किया। आप 1950 में बने फ़िल्म लेखक संघ के प्रथम उपाध्यक्ष थे। सुदर्शन 1945 में [[महात्मा गांधी]] द्वारा प्रस्तावित अखिल भारतीय हिन्दुस्तानी प्रचार सभा वर्धा की साहित्य परिषद् के सम्मानित सदस्यों में थे। पंडित सुदर्शन ने फ़िल्म धूप-छाँव (1935) के प्रसिद्ध गीत 'बाबा मन की आँखें खोल' व एक अन्य गीत 'तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफ़िर जाग ज़रा' जो शायद किसी फ़िल्म का गीत न होते हुए भी बहुत लोकप्रिय हुआ जैसे गीत लिखे हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.bharatdarshan.co.nz/stories/sudershan-biography-hindi-writers.html |title=सुदर्शन का जीवन-परिचय |accessmonthday=14 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=भारत दर्शन |language=हिंदी }}</ref>
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मुख्यधारा विषयक साहित्य-सृजन के अतिरिक्त पंडित सुदर्शन ने अनेकों फ़िल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे थे। प्रसिद्ध अभिनेता [[सोहराब मोदी]] की 'सिकंदर' ([[1941]]) सहित अनेक फ़िल्मों की सफलता का श्रेय उनके पटकथा लेखन को जाता है। सन [[1935]] में उन्होंने 'कुंवारी या विधवा' फ़िल्म का निर्देशन भी किया। आप [[1950]] में बने 'फ़िल्म लेखक संघ' के प्रथम उपाध्यक्ष नियुक्त किये गए थे। सुदर्शन 1945 में [[महात्मा गांधी]] द्वारा प्रस्तावित 'अखिल भारतीय हिन्दुस्तानी प्रचार सभा', [[वर्धा ज़िला|वर्धा]] की साहित्य परिषद् के सम्मानित सदस्यों में से एक थे। पंडित सुदर्शन ने फ़िल्म 'धूप-छाँव' (1935) के प्रसिद्ध गीत 'बाबा मन की आँखें खोल' व एक अन्य गीत 'तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफ़िर जाग ज़रा' जो शायद किसी फ़िल्म का गीत न होते हुए भी बहुत लोकप्रिय हुआ, जैसे गीत लिखे थे।<ref>{{cite web |url=http://www.bharatdarshan.co.nz/stories/sudershan-biography-hindi-writers.html |title=सुदर्शन का जीवन-परिचय |accessmonthday=14 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=भारत दर्शन |language=हिंदी }}</ref>
  
  
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Disamb2.jpg सुदर्शन एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सुदर्शन (बहुविकल्पी)
सुदर्शन (साहित्यकार)
Blankimage.png
जन्म 1896 ई.
जन्म भूमि सियालकोट (वर्तमान पाकिस्तान)
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र साहित्यकार, पटकथा लेखक
मुख्य रचनाएँ 'हार की जीत', 'सच का सौदा', 'साईकिल की सवारी', 'पत्थरों का सौदागर' आदि।
भाषा हिन्दी, उर्दू
प्रसिद्धि साहित्यकार
नागरिकता भारतीय
विशेष मुंशी प्रेमचंद और उपेन्द्रनाथ अश्क के समान ही सुदर्शन जी हिन्दी और उर्दू में लिखते थे।
अन्य जानकारी 'हार की जीत' पंडित बद्रीनाथ भट्ट की पहली कहानी थी, जो 1920 में 'सरस्वती' में प्रकाशित हुई थी।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

सुदर्शन (अंग्रेज़ी: Sudarshan; जन्म- 1896 ई., सियालकोट, वर्तमान पाकिस्तान) हिन्दी और उर्दू के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उनका वास्तविक नाम 'पण्डित बद्रीनाथ भट्ट' था। सुदर्शन प्रेमचन्द परम्परा के कहानीकार थे। मुंशी प्रेमचंद और उपेन्द्रनाथ अश्क के समान ही वे हिन्दी और उर्दू में लिखते रहे। उन्होंने अपनी प्राय: सभी प्रसिद्ध कहानियों में समस्याओं का आदर्शवादी समाधान प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा सरल, स्वाभाविक, प्रभावोत्पादक और मुहावरेदार थी। सुदर्शन जी को गद्य और पद्य दोनों ही में महारत प्राप्त थी। साहित्य-सृजन के अतिरिक्त पंडित सुदर्शन ने अनेकों फ़िल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे थे।

परिचय

सुदर्शन का जन्म वर्ष 1896 ई. में सियालकोट (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। उनकी कहानियों का मुख्य लक्ष्य समाज व राष्ट्र को स्वच्छ व सुदृढ़ बनाना रहा था। भारत के ख्याति प्राप्त साहित्यकार और कहानी सम्राट प्रेमचन्द की भांति आप भी मूलत: उर्दू में ही लेखन कार्य किया करते थे। ये उर्दू से हिन्दी में आये थे। सुदर्शन की भाषा सहज, स्वाभाविक, प्रभावी और मुहावरेदार थी। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी था। 'हार की जीत' जैसी कालजयी रचना के इस लेखक के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। उनकी गणना प्रेमचंद संस्थान के लेखकों में विश्वम्भरनाथ कौशिक, राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह, भगवतीप्रसाद वाजपेयी आदि के साथ की जाती है।

कृतियाँ

'हार की जीत' पंडित बद्रीनाथ भट्ट की पहली कहानी थी, जो 1920 में 'सरस्वती' में प्रकाशित हुई थी। लाहौर की उर्दू पत्रिका 'हज़ार दास्तां' में उनकी अनेक कहानियाँ प्रकाशित हुईं। उनकी पुस्तकें मुम्बई के 'हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर' कार्यालय द्वारा भी प्रकाशित हुई थीं। सुदर्शन को गद्य और पद्य दोनों में महारत हासिल थी। उनकी रचनाओं में निम्न कृतियाँ उल्लेखनीय हैं-

  1. हार की जीत
  2. सच का सौदा
  3. अठन्नी का चोर
  4. साईकिल की सवारी
  5. तीर्थ-यात्रा
  6. पत्थरों का सौदागर
  7. पृथ्वी-वल्लभ

फ़िल्मी पटकथा और गीत

मुख्यधारा विषयक साहित्य-सृजन के अतिरिक्त पंडित सुदर्शन ने अनेकों फ़िल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे थे। प्रसिद्ध अभिनेता सोहराब मोदी की 'सिकंदर' (1941) सहित अनेक फ़िल्मों की सफलता का श्रेय उनके पटकथा लेखन को जाता है। सन 1935 में उन्होंने 'कुंवारी या विधवा' फ़िल्म का निर्देशन भी किया। आप 1950 में बने 'फ़िल्म लेखक संघ' के प्रथम उपाध्यक्ष नियुक्त किये गए थे। सुदर्शन 1945 में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित 'अखिल भारतीय हिन्दुस्तानी प्रचार सभा', वर्धा की साहित्य परिषद् के सम्मानित सदस्यों में से एक थे। पंडित सुदर्शन ने फ़िल्म 'धूप-छाँव' (1935) के प्रसिद्ध गीत 'बाबा मन की आँखें खोल' व एक अन्य गीत 'तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफ़िर जाग ज़रा' जो शायद किसी फ़िल्म का गीत न होते हुए भी बहुत लोकप्रिय हुआ, जैसे गीत लिखे थे।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सुदर्शन का जीवन-परिचय (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) भारत दर्शन। अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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