"जशोदा मैया मै नही दधी खायो -मीरां" के अवतरणों में अंतर

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जशोदा मैया मै नही दधी खायो॥ध्रु०॥
 
जशोदा मैया मै नही दधी खायो॥ध्रु०॥
प्रात समये गौबनके पांछे। मधुबन मोहे पठायो॥१॥
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प्रात समये गौबनके पांछे। मधुबन मोहे पठायो॥1॥
सारे दिन बन्सी बन भटके। तोरे आगे आयो॥२॥
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सारे दिन बन्सी बन भटके। तोरे आगे आयो॥2॥
ले ले अपनी लकुटी कमलिया। बहुतही नाच नचायो॥३॥
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ले ले अपनी लकुटी कमलिया। बहुतही नाच नचायो॥3॥
तुम तो धोठा पावनको छोटा। ये बीज कैसो पायो॥४॥
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तुम तो धोठा पावनको छोटा। ये बीज कैसो पायो॥4॥
ग्वाल बाल सब द्वारे ठाडे है। माखन मुख लपटायो॥५॥
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ग्वाल बाल सब द्वारे ठाडे है। माखन मुख लपटायो॥5॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। जशोमती कंठ लगायो॥६॥
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मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। जशोमती कंठ लगायो॥6॥
  
 
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जशोदा मैया मै नही दधी खायो -मीरां
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

जशोदा मैया मै नही दधी खायो॥ध्रु०॥
प्रात समये गौबनके पांछे। मधुबन मोहे पठायो॥1॥
सारे दिन बन्सी बन भटके। तोरे आगे आयो॥2॥
ले ले अपनी लकुटी कमलिया। बहुतही नाच नचायो॥3॥
तुम तो धोठा पावनको छोटा। ये बीज कैसो पायो॥4॥
ग्वाल बाल सब द्वारे ठाडे है। माखन मुख लपटायो॥5॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। जशोमती कंठ लगायो॥6॥

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