"जीवन-मृतक का अंग -कबीर" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Kabirdas-2.jpg |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
पंक्ति 34: | पंक्ति 34: | ||
तब पैंडे लागा हरि फिरै, कहत कबीर ,कबीर ॥1॥ | तब पैंडे लागा हरि फिरै, कहत कबीर ,कबीर ॥1॥ | ||
− | जीवन | + | जीवन तै मरिबो भलौ, जो मरि जानैं कोइ । |
मरनैं पहली जे मरै, तो कलि अजरावर होइ ॥2॥ | मरनैं पहली जे मरै, तो कलि अजरावर होइ ॥2॥ | ||
11:23, 8 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||||||||
|
`कबीर मन मृतक भया, दुर्बल भया सरीर । |
संबंधित लेख