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भोलानाथ दिंगबर ये दुःख मेरा हरोरे॥ध्रु०॥
 
भोलानाथ दिंगबर ये दुःख मेरा हरोरे॥ध्रु०॥
शीतल चंदन बेल पतरवा मस्तक गंगा धरीरे॥१॥
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शीतल चंदन बेल पतरवा मस्तक गंगा धरीरे॥1॥
अर्धांगी गौरी पुत्र गजानन चंद्रकी रेख धरीरे॥२॥
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अर्धांगी गौरी पुत्र गजानन चंद्रकी रेख धरीरे॥2॥
शिव शंकरके तीन नेत्र है अद्‌भूत रूप धरोरे॥३॥
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शिव शंकरके तीन नेत्र है अद्‌भूत रूप धरोरे॥3॥
आसन मार सिंहासन बैठे शांत समाधी धरोरे॥४॥
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आसन मार सिंहासन बैठे शांत समाधी धरोरे॥4॥
मीरा कहे प्रभुका जस गांवत शिवजीके पैयां परोरे॥५॥
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मीरा कहे प्रभुका जस गांवत शिवजीके पैयां परोरे॥5॥
 
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भोलानाथ दिंगबर ये दुःख मेरा हरोरे -मीरां
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

भोलानाथ दिंगबर ये दुःख मेरा हरोरे॥ध्रु०॥
शीतल चंदन बेल पतरवा मस्तक गंगा धरीरे॥1॥
अर्धांगी गौरी पुत्र गजानन चंद्रकी रेख धरीरे॥2॥
शिव शंकरके तीन नेत्र है अद्‌भूत रूप धरोरे॥3॥
आसन मार सिंहासन बैठे शांत समाधी धरोरे॥4॥
मीरा कहे प्रभुका जस गांवत शिवजीके पैयां परोरे॥5॥

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