कंकाली - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कङ्काल + हिन्दी ई प्रत्यय) (स्त्रीलिंग कंकालिन)[1]
एक पिछड़ी जाति जो गाँव-गाँव किंगरी बजाकर भीख माँगती फिरती है।
- उदाहरण
यश कारण हरिचंद नीच घर नारि समप्यों। यश कारण जगदेव सीस कंकालिहि अप्यों।[2]
कंकाली - संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत कङ्कालिनी)
दुर्गा का एक रूप।
- उदाहरण
कर गहि कपाल पीवै रुधिर कंकाली कौतुक करै।[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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