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====धृतराष्ट्र का जन्म====
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*हिन्दू विश्वासों में उनका स्थान शिव से कुछ ही घट कर है, किन्तु अर्धनारीश्वर रूप में हम उन्हें शिव की समानता के पद पर पाते हैं।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
*देवी, [[उमा]], [[पार्वती देवी|पार्वती]], [[गौरी]], [[दुर्गा]], [[भवानी]], [[काली]], [[कपालिनी]], [[चामुण्डा]] आदि उनके विविध गुणों के नाम हैं । इनका 'कुमारी' नाम कुमारियों का प्रतिनिधित्व करता है। वैसे ही इनका 'अम्बिका'(छोटी माता )नाम भी प्रतिनिधित्वसूचक ही है।
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==महाभारत से==
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==संबंधित लेख==
*काशीराज इन्द्रद्युम्न की कन्या अम्बिका थीं।
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*[[सत्यवती]] के पुत्र विचित्रवीर्य इनके पति थे।
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[[Category:पौराणिक चरित्र]]
*अम्बिका [[विचित्रवीर्य]] की पत्नी, [[अम्बा]] और [[अम्बालिका]] की बहिन थी।
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Disamb2.jpg अम्बिका एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अम्बिका (बहुविकल्पी)

अम्बिका महाभारत में काशी के महाराज इन्द्रद्युम्न की पुत्री थी। इसका विवाह शांतनु और माता सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य के साथ सम्पन्न हुआ था। अम्बा और अम्बालिका, ये दोनों अम्बिका की सगी बहिनें थीं।

भीष्म द्वारा हरण

गंगापुत्र भीष्म ने विचित्रवीर्य को हस्तिनापुर का राजा बना दिया था। उसे राज्य सौंपने के बाद भीष्म को विचित्रवीर्य के विवाह की चिन्ता हुई। उसी समय काशीराज की तीन कन्याओं, अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर होने वाला था। इस स्वयंवर में हस्तिनापुर को निमंत्रण नहीं भेजा गया था। इस अपमान को भीष्म सहन नहीं कर सकते थे। उन्होंने स्वयंवर में जाकर अकेले ही सभी राजाओं को हरा दिया और तीनों कन्याओं का हरण करके हस्तिनापुर ले आये। बड़ी कन्या अम्बा ने भीष्म को बताया कि वह राजा शाल्व को प्रेम करती है। यह सुन कर भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भिजवाया और अम्बिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य के साथ करवा दिया।

धृतराष्ट्र का जन्म

विवाह के कुछ समय बाद ही विचित्रवीर्य की मृत्यु हो गई। इस पर माता सत्यवती हस्तिनापुर के उत्तराधिकारी को लेकर चिंतित रहने लगीं। माता सत्यवती की भावी उत्तराधिकारी की कामना और उनके कहने पर एक वर्ष व्यतीत हो जाने पर वेदव्यास सबसे पहले बड़ी रानी अम्बिका के पास गये। अम्बिका ने उनके तेज़ से डरकर अपने नेत्र बन्द कर लिये। वेदव्यास लौट कर माता से बोले, 'अम्बिका का पुत्र बड़ा ही तेजस्वी होगा, किन्तु नेत्र बन्द करने के दोष के कारण वह अंधा होगा। सत्यवती को यह सुन कर अत्यन्त दुःख हुआ। अम्बिका का यही पुत्र आगे चलकर हस्तिनापुर का राजा धृतराष्ट्र बना।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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