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परमात्मा ने आत्मा बख़्शी है श्रीमान ।
 
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करे आत्महत्या उसे समझो मूर्ख महान
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करे आत्महत्या उसे समझो मूर्ख महान्
  
     समझो मूर्ख महान बुरे दिन वापस जाएँ ।
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     समझो मूर्ख महान् बुरे दिन वापस जाएँ ।
 
     अटल नियम है दु:ख के बाद सुखानन्द आएँ ॥
 
     अटल नियम है दु:ख के बाद सुखानन्द आएँ ॥
  
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14:09, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

आत्महत्या -काका हाथरसी
काका हाथरसी
कवि काका हाथरसी
जन्म 18 सितंबर, 1906
जन्म स्थान हाथरस, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 18 सितंबर, 1995
मुख्य रचनाएँ काका की फुलझड़ियाँ, काका के प्रहसन, लूटनीति मंथन करि, खिलखिलाहट आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
काका हाथरसी की रचनाएँ

परमात्मा ने आत्मा बख़्शी है श्रीमान ।
करे आत्महत्या उसे समझो मूर्ख महान् ॥

     समझो मूर्ख महान् बुरे दिन वापस जाएँ ।
     अटल नियम है दु:ख के बाद सुखानन्द आएँ ॥

मिली आत्मा, प्रभु की समझो इसे अमानत ।
लानत उन्हें अमानत में जो करें खयानत ॥

     ईश्वर ने जीवन दिया, किया उसे स्वीकार।
     भाग्यहीन कुछ सरफिरे, करें मौत से प्यार॥

करें मौत से प्यार, जवाँ लड़के आते हैं।
उग्रवाद आतंकवाद में घुस जाते हैं॥

     करें देश से द्रोह, विदेशी राह पर भटकें।
     कोई जेल में सड़ें, कोई फाँसी पर लटकें।।