"कंजा (पुल्लिंग)" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''कंजा''' - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत करंञ्ज)<ref>{{पु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=कंजा|लेख का नाम=कंजा (बहुविकल्पी)}}
 
'''कंजा''' - [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] ([[संस्कृत]] करंञ्ज)<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=720|url=|ISBN=}}</ref>
 
'''कंजा''' - [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] ([[संस्कृत]] करंञ्ज)<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=720|url=|ISBN=}}</ref>
  

10:22, 18 अक्टूबर 2021 के समय का अवतरण

Disamb2.jpg कंजा एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कंजा (बहुविकल्पी)

कंजा - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत करंञ्ज)[1]

1. एक कँटीली झाड़ी।

विशेष - इसकी पत्तियाँ सिरिस की पत्तियों से कुछ मिलती जुलती, कुछ अधिक चौड़ी होती हैं। इसके फूल पीले पीले होते हैं। फूलों के गिर जाने पर कँटीली फलियाँ लगती हैं। इनके ऊपर का छिलका कड़ा और कँटीला होता है। एक एक फली में एक से तीन चार तक बेर के बराबर गोल गोल दाने होते हैं। दानों के छिलके कड़े और गहरे खाकी धुएँ के रंग के होते हैं। लड़के इन दानों से गोली की तरह खेलते हैं। वैद्य लोग इसकी गूदी को औषध के काम में लाते हैं। यह ज्वर और चर्मरोग में बहुत उपयोगी होती है। अंग्रेज़ी दवाइयों में भी इसका प्रयोग होता है। इससे तेल भी निकाला जाता है जो खुजली की दवा है। इसकी फुनगी और जड़ भी काम में आती है। यह हिंदुस्तान और बर्मा में बहुत होता है और पहाड़ों पर 25000 फुट की ऊंचाई तक तथा मैदानों और समुद्र के किनारे पर होता है। इसे लोग खेतों के बाड़ पर भी रूंधने के लिये लगाते हैं।

पर्यायवाची - गटाइन। करंजुवा। कुवेराक्षी। कृकचिका। वारिणी। कंटकिनी।

2. इस वृक्ष का बीज।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 720 |

संबंधित लेख