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*इसका उल्लेख [[रामायण]] तथा [[महाभारत]] में भी मिलता है । यह वंश [[पुराण|पुराणों]] में प्रसिद्ध [[हैहय वंश|हैहयवंशी]] कार्तवीर्य अर्जुन की परंपरा में माना जाता है ।  
 
*इसका उल्लेख [[रामायण]] तथा [[महाभारत]] में भी मिलता है । यह वंश [[पुराण|पुराणों]] में प्रसिद्ध [[हैहय वंश|हैहयवंशी]] कार्तवीर्य अर्जुन की परंपरा में माना जाता है ।  
 
*इसके संस्थापक महाराज कोक्कल ने (जबलपुर के पास) त्रिपुरी को अपनी राजधानी बनाया, इसलिए यह वंश त्रिपुरी के कलचुरियों के नाम से विख्यात है ।  
 
*इसके संस्थापक महाराज कोक्कल ने (जबलपुर के पास) त्रिपुरी को अपनी राजधानी बनाया, इसलिए यह वंश त्रिपुरी के कलचुरियों के नाम से विख्यात है ।  
*कलचुरियों ने लक्ष्‍मणदेव, गंगेयदेव, कर्ण, गयाकर्ण, नरसिंह, जयसिंह आदि का शासनकाल समृद्धिपूर्ण माना जाता है । इन्होंने 500 वर्ष तक शासन किया जिसे सन 1200 के आसपास देवगढ़ के राजा ने समाप्त कर दिया और फिर चंदेलों के अधीन आया ।  
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*कलचुरियों ने लक्ष्‍मणदेव, गंगेयदेव, कर्ण, गयाकर्ण, नरसिंह, जयसिंह आदि का शासनकाल समृद्धिपूर्ण माना जाता है । इन्होंने 500 वर्ष तक शासन किया जिसे सन् 1200 के आसपास देवगढ़ के राजा ने समाप्त कर दिया और फिर चंदेलों के अधीन आया ।  
 
*[[हर्षवर्धन]] के समय [[चन्देल वंश|चंदेल]] राज्य एक छोटी सी इकाई थी परंतु उसके बाद यह विस्तार पाकर दसवीं शताब्दी तक एक शक्तिशाली राज्य बन गया ।
 
*[[हर्षवर्धन]] के समय [[चन्देल वंश|चंदेल]] राज्य एक छोटी सी इकाई थी परंतु उसके बाद यह विस्तार पाकर दसवीं शताब्दी तक एक शक्तिशाली राज्य बन गया ।
  

14:04, 6 मार्च 2012 का अवतरण

  • इतिहास प्रसिद्ध सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन की प्राचीन राजधानी महिष्मति ही आधुनिक महेश्वर है ।
  • इसका उल्लेख रामायण तथा महाभारत में भी मिलता है । यह वंश पुराणों में प्रसिद्ध हैहयवंशी कार्तवीर्य अर्जुन की परंपरा में माना जाता है ।
  • इसके संस्थापक महाराज कोक्कल ने (जबलपुर के पास) त्रिपुरी को अपनी राजधानी बनाया, इसलिए यह वंश त्रिपुरी के कलचुरियों के नाम से विख्यात है ।
  • कलचुरियों ने लक्ष्‍मणदेव, गंगेयदेव, कर्ण, गयाकर्ण, नरसिंह, जयसिंह आदि का शासनकाल समृद्धिपूर्ण माना जाता है । इन्होंने 500 वर्ष तक शासन किया जिसे सन् 1200 के आसपास देवगढ़ के राजा ने समाप्त कर दिया और फिर चंदेलों के अधीन आया ।
  • हर्षवर्धन के समय चंदेल राज्य एक छोटी सी इकाई थी परंतु उसके बाद यह विस्तार पाकर दसवीं शताब्दी तक एक शक्तिशाली राज्य बन गया ।


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