('*पुराने समय में काशी पर शासन करने वाले शासक को 'काशी...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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'काशीराज के बाद उसका पुत्र काशीराज बना और [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] से बदला लेने का निश्चय किया। वह श्रीकृष्ण की शक्ति जानता था। इसलिए उसने कठिन तपस्या कर भगवान [[शिव]] को प्रसन्न किया और उन्हें समाप्त करने का वर माँगा। भगवान शिव ने उसे कोई अन्य वर माँगने को कहा। किंतु वह अपनी माँग पर अड़ा रहा।'<ref>{{cite web |url=http://kahanilifeline.blogspot.com/2010/06/blog-post.html |title=वाराणसी की नाम कहानी|accessmonthday=30 मार्च|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | 'काशीराज के बाद उसका पुत्र काशीराज बना और [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] से बदला लेने का निश्चय किया। वह श्रीकृष्ण की शक्ति जानता था। इसलिए उसने कठिन तपस्या कर भगवान [[शिव]] को प्रसन्न किया और उन्हें समाप्त करने का वर माँगा। भगवान शिव ने उसे कोई अन्य वर माँगने को कहा। किंतु वह अपनी माँग पर अड़ा रहा।'<ref>{{cite web |url=http://kahanilifeline.blogspot.com/2010/06/blog-post.html |title=वाराणसी की नाम कहानी|accessmonthday=30 मार्च|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
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08:28, 22 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
प्राचीन समय में काशी पर शासन करने वाले शासक को 'काशीराज' कहा जाता था।
- उदाहरणार्थ-
'काशीराज के बाद उसका पुत्र काशीराज बना और श्रीकृष्ण से बदला लेने का निश्चय किया। वह श्रीकृष्ण की शक्ति जानता था। इसलिए उसने कठिन तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें समाप्त करने का वर माँगा। भगवान शिव ने उसे कोई अन्य वर माँगने को कहा। किंतु वह अपनी माँग पर अड़ा रहा।'[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वाराणसी की नाम कहानी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 30 मार्च, 2011।