"गंगैकोंडचोलपुरम" के अवतरणों में अंतर

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*गंगैकोंडचोलपुरम [[तमिलनाडु]] के त्रिचिनापल्ली ज़िले में अवस्थित है।  
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[[चित्र:Brihadeeshwarar-Temple-Gangaikondacholapuram.jpg|thumb|250px|[[बृहदेश्वर मन्दिर]], गंगैकोंडचोलपुरम]]
*यह चोल वंश के प्रतापी राजा राजेन्द्र चोल (1014-44ई.) की राजधानी थी।
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'''गंगैकोंडचोलपुरम''' [[तमिलनाडु]] के [[तिरुचिरापल्ली ज़िला|त्रिचिनापल्ली ज़िले]] में स्थित है।  
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*गंगैकोंडचोलपुरम [[चोल वंश]] के प्रतापी राजा राजेन्द्र चोल (1014-44ई.) की राजधानी थी।
 
*उसकी सेनाएँ [[कलिंग]] को पार करके ओड्र [[उड़ीसा]] दक्षिण [[कौशल]] [[बंगाल]] और [[मगध]] होती हुई [[गंगा]] तक पहुँची थीं।  
 
*उसकी सेनाएँ [[कलिंग]] को पार करके ओड्र [[उड़ीसा]] दक्षिण [[कौशल]] [[बंगाल]] और [[मगध]] होती हुई [[गंगा]] तक पहुँची थीं।  
*इस विजय के उपलक्ष्य में उसने '''गंगैकोण्ड''' की उपाधि धारण की और गंगैकोण्डचोलपुरम '''गंगा विजयी चोल का नगर''' नामक नगर बसाया।
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*इस विजय के उपलक्ष्य में उसने 'गंगैकोण्ड' की उपाधि धारण की और गंगैकोण्डचोलपुरम 'गंगा विजयी चोल का नगर' नामक नगर बसाया।
*यह नगर चोल राजाओं के शासन काल में बहुत उन्नत और समृद्ध था।  
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*गंगैकोंडचोलपुरम नगर चोल राजाओं के शासन काल में बहुत उन्नत और समृद्ध था।  
*यहाँ पर राजेन्द्र चोल ने 1025 ई. में मन्दिर बनवाया। मन्दिर का शिखर भूमि से 150 फुट ऊँचा है।  
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*गंगैकोंडचोलपुरम पर राजेन्द्र चोल ने 1025 ई. में मन्दिर बनवाया। मन्दिर का शिखर भूमि से 150 फुट ऊँचा है।  
 
*मन्दिर की शैली [[तंजौर]] मन्दिर की शैली के ही समान है। अंतर मुख्यतः अधिक विस्तृत अलंकरण का है।  
 
*मन्दिर की शैली [[तंजौर]] मन्दिर की शैली के ही समान है। अंतर मुख्यतः अधिक विस्तृत अलंकरण का है।  
 
*इसका मण्डप कम ऊँचा है, किन्तु इसमें 150 स्तम्भ हैं। इस मन्दिर में मार्दव, सौन्दर्य और विलास अधिक है।
 
*इसका मण्डप कम ऊँचा है, किन्तु इसमें 150 स्तम्भ हैं। इस मन्दिर में मार्दव, सौन्दर्य और विलास अधिक है।
*कहा जाता है, कि राजेन्द्र चोल ने विभिन्न पराजित राज्यों के शासकों को गंगा से एक-एक कलश स्वयं ढोते हुये लाकर नये नगर में निर्मित जलाशयों में उड़ेलने का आदेश दिया। इस तरह जो जल धारा बनी उसे '''राजेन्द्र चोल का जलीय विजय- स्तम्भ''' कहा गया।  
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*कहा जाता है, कि राजेन्द्र चोल ने विभिन्न पराजित राज्यों के शासकों को गंगा से एक-एक कलश स्वयं ढोते हुये लाकर नये नगर में निर्मित जलाशयों में उड़ेलने का आदेश दिया। इस तरह जो जल धारा बनी उसे 'राजेन्द्र चोल का जलीय विजय- स्तम्भ' कहा गया।  
  
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12:00, 28 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

बृहदेश्वर मन्दिर, गंगैकोंडचोलपुरम

गंगैकोंडचोलपुरम तमिलनाडु के त्रिचिनापल्ली ज़िले में स्थित है।

  • गंगैकोंडचोलपुरम चोल वंश के प्रतापी राजा राजेन्द्र चोल (1014-44ई.) की राजधानी थी।
  • उसकी सेनाएँ कलिंग को पार करके ओड्र उड़ीसा दक्षिण कौशल बंगाल और मगध होती हुई गंगा तक पहुँची थीं।
  • इस विजय के उपलक्ष्य में उसने 'गंगैकोण्ड' की उपाधि धारण की और गंगैकोण्डचोलपुरम 'गंगा विजयी चोल का नगर' नामक नगर बसाया।
  • गंगैकोंडचोलपुरम नगर चोल राजाओं के शासन काल में बहुत उन्नत और समृद्ध था।
  • गंगैकोंडचोलपुरम पर राजेन्द्र चोल ने 1025 ई. में मन्दिर बनवाया। मन्दिर का शिखर भूमि से 150 फुट ऊँचा है।
  • मन्दिर की शैली तंजौर मन्दिर की शैली के ही समान है। अंतर मुख्यतः अधिक विस्तृत अलंकरण का है।
  • इसका मण्डप कम ऊँचा है, किन्तु इसमें 150 स्तम्भ हैं। इस मन्दिर में मार्दव, सौन्दर्य और विलास अधिक है।
  • कहा जाता है, कि राजेन्द्र चोल ने विभिन्न पराजित राज्यों के शासकों को गंगा से एक-एक कलश स्वयं ढोते हुये लाकर नये नगर में निर्मित जलाशयों में उड़ेलने का आदेश दिया। इस तरह जो जल धारा बनी उसे 'राजेन्द्र चोल का जलीय विजय- स्तम्भ' कहा गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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