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05:15, 14 नवम्बर 2010 का अवतरण
आचार्य देवसेन
- आचार्य देवसेन ने प्राकृत में नयचक्र लिखा है।
- संभव है इसी का उल्लेख आचार्य विद्यानन्द ने अपने तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक[1] में किया हो और उससे ही नयों को विशेष जानने की सूचना की हो।
- इनका अस्तित्व समय वि0 सं0 9वीं शती माना जाता है।
- यह नय-मर्मज्ञ मनीषी थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक,पृ0 276