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बिहार

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बिहार

इतिहास और भूगोल

बिहार का उल्‍लेख वेदों, पुराणों और प्राचीन महाकाव्‍यों में मिलता है। यह राज्‍य महात्‍मा बुद्ध और 24 जैन तीर्थकरों की कर्मभूमि रहा हैं। ईसा पूर्व काल में इस क्षेत्र पर बिम्‍बसार, पाटलिपुत्र की स्‍थापना करने वाले उदयन, चंद्रगुप्‍त मौर्य और सम्राट अशोक सहित मौर्य, शुंग तथा कण्‍व राजवंश के नरेशों ने राज किया इसके पश्‍चात कुषाण शासकों का समय आया और बाद में गुप्‍त वंश के चंद्रगुप्‍त विक्रमादित्‍य ने बिहार पर राज किया। मध्‍यकाल में मुस्लिम शासकों का इस क्षेत्र पर अधिकार रहा। बिहार पर सबसे पहले विजय पाने वाला मुस्लिम शासक 'मोहम्‍मद बिन बख्तियार ख़िलजी' था। ख़िलजी वंश के बाद तुग़लक वंश तथा मुगल वंश का आधिपत्‍य रहा था। बिहार भारत के प्रमुख राज्‍यों में से एक है। इसके उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश तथा दक्षिण में झारखंड राज्‍य हैं । यहां अनेक नदियां बहती हैं जिनमें गंगा प्रमुख है। अन्‍य नदियां हैं- सोन, पुपुन, फल्‍गु, कर्मनाशा, दुर्गावती, कोसी, गंडक, घाघरा आदि। बिहार गंगा तथा उसकी सहायक नदियों के मैदान में बसा है । झारखंड के अलग होने के बाद बिहार की भूमि मुख्यतः नदियों के मैदान और समतल भूभाग है। बिहार गंगा के पूर्वी मैदान में है। गंगा नदी प्रदेश के लगभग बीचों बीच होकर बहती है । उत्तरी बिहार बागमती, कोसी, गंडक, सोन और उनकी सहायक नदियों का समतल मैदान है । बिहार के उत्तर में हिमालय पर्वत श्रेणी है और दक्षिण में छोटा नागपुर पठार है जिसका हिस्सा अब झारखंड है। उत्तर से कई नदियां बिहार से होकर बहती हैं और गंगा में मिल जाती हैं। इन नदियों में, वर्षा ॠतु में बाढ़ बहुत बड़ी समस्या है ।

भाषा

बिहार की आधिकारिक भाषाएं हिन्दी और उर्दू हैं, परन्तु अधिकांश लोग बोलचाल में बिहारी भाषा ( मागधी, मैथिली, भोजपुरी और अंगिका) का प्रयोग करते हैं।

शिक्षा

प्राचीन काल में बिहार शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। शिक्षा का प्रमुख केन्द्र नालन्दा विश्‍वविद्यालय , विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय, वर्जासन विश्‍वविद्यालय एवं ओदन्तपुरी विश्‍वविद्यालय थे।

  • बिहार में शिक्षा मध्यकाल से प्रारम्भ हुई थी। इस समय अधिकांशत: मुस्लिम ही उच्च शिक्षा ग्रहण करते थे। शिक्षा का माध्यम फारसी था किंतु कहीं संस्कृत के भी शिक्षण संस्थान थे।
  • अजीमाबाद (पटना) बिहार में फारसी का सबसे बड़ा केन्द्र था। बिहार के प्रसिद्ध विद्वानों में क़ाज़ी गुलाम मुज़फ्फर थे।
  • आधुनिक शिक्षा का प्रारम्भ 1835 ई. में लॉर्ड विलियम बैंटिक द्वारा किया गया। शिक्षा का माध्यम संस्कृत-फारसी के साथ अंग्रेजी भी था लेकिन अंग्रेजी भाषा की सर्व प्रमुखता थी।
  • पूर्णिया के बिहार शरीफ तथा छपरा में एक अंग्रेजी शिक्षा केन्द्र की स्थापना की गई।

प्राचीन शिक्षा केन्द्र

प्राचीन काल से बिहार शिक्षा का प्रमुख केन्द्र रहा है। जो निम्न हैं-
नालन्दा विश्‍वविद्यालय

  • गुप्तकालीन सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने 415-454 ई.पू. नालन्दा विश्‍वविद्यालय की स्थापना की थी।
  • नालन्दा विश्‍वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए जावा, चीन, तिब्बत, श्रीलंका व कोरिया आदि के छात्र आते थे।
  • जब ह्वेनसांग भारत आया था उस समय नालन्दा विश्‍वविद्यालय में 8500 छात्र एवं 1510 अध्यापक थे। इसके प्रख्यात अध्यापकों शीलभद्र ,धर्मपाल, चन्द्रपाल, गुणमति, स्थिरमति, प्रभामित्र, जिनमित्र, दिकनाग, ज्ञानचन्द्र, नागार्जुन, वसुबन्धु, असंग, धर्मकीर्ति आदि थे।
  • इस विश्‍वविद्यालय में पालि भाषा में शिक्षण कार्य होता था। 12वीं शती में बख़्तियार ख़िलजी के आक्रमण से यह विश्वविद्यालय नष्ट हो गया था।

विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय

  • पालवंशीय शासक ने 770-810 ई. में विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय की स्थापना की थी।
  • विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा का प्रमुख केन्द्र था। यहां न्याय, तत्वज्ञान एवं व्याकरण की शिक्षा दी जाती थी।
  • विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय के विद्वानों में रक्षित विरोचन, ज्ञानभद्र, बुद्ध जेतरित, रत्‍नाकर, शान्तिज्ञान, श्रीमित्र, अभयंकर थे।
  • इस विश्वविद्यालय में तिब्बत के छात्रों की संख्या सर्वाधिक थी।

ओदन्तपुरी विश्‍वविद्यालय
पाल वंश के प्रथम शासक गोपाल ने ओदन्तपुरी विश्‍वविद्यालय की स्थापना की थी। यह विश्‍वविद्यालय बिहार शरीफ नगर के समीप है। यह विश्‍वविद्यालय तन्त्र विद्या का केन्द्र था। महारक्षित और शीलरक्षित नामक प्रसिद्ध विद्वान थे।
तिलक महाविद्यालय

  • मगध में शिक्षा का केन्द्र तिलक महाविद्यालय था। इसका उल्लेख चीनी यात्रियों (ह्वेनसांग एवं इत्सिंग) ने अपने यात्रा संस्मरणों में किया है।
  • हर्यक वंश के शासकों ने इस विद्यालय की स्थापना की थी। यह विद्यालय महायान सम्प्रदाय का केन्द्र था।इस केंद्र में प्रज्ञानभद्र नाम के विद्वान थे।
  • तिलक महाविद्यालय की पचान नालन्दा के पास के तिल्लास गांव के रूप में की गयी है।

फूलहारी शिक्षण संस्थान

  • फूलहारी शिक्षण संस्थान नालन्दा के पास था।
  • यहां बौद्ध आचार्यों और तिब्बती विद्वानों का निवास रहा है।

कृषि

बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है।बिहार का कुल भौगोलिक क्षेत्र लगभग 93.60 लाख हेक्‍टेयर है जिसमें से केवल 56.03 लाख हेक्‍टेयर पर ही खेती होती है। राज्‍य में लगभग 79.46 लाख हेक्‍टेयर भूमि कृषि योग्‍य है। विभिन्‍न साधनों द्वारा कुल 43.86 लाख हेक्‍टेयर भूमि पर ही सिंचाई सुविधाएं उपलब्‍ध हैं जबकि लगभग 33.51 लाख हेक्‍टेयर भूमि की सिंचाई होती है।

बिहार की प्रमुख खाद्य फसलें हैं- धान, गेहूं, मक्‍का और दालें। मुख्‍य नकदी फसलें हैं- गन्‍ना, आलू, तंबाकू, तिलहन, प्‍याज, मिर्च, पटसन। लगभग 6,764.14 वर्ग कि. मी. क्षेत्र में वन फैले हैं जो राज्‍य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 7.1 प्रतिशत हैं।

उद्योग

राज्‍य के मुख्‍य उद्योग हैं -

  1. मुजफ्फरपुर और मोकामा में 'भारत वैगन लिमिटेड' का रेलवे वैगन संयंत्र,
  2. बरौनी में भारतीय तेल निगम का तेलशोधक कारखाना है।
  3. बरौनी का एच.पी.सी.एल. और अमझोर का पाइराइट्स फॉस्‍फेट एंड कैमिकल्‍स लिमिटेड (पी.पी.सी.एल.) राज्‍य के उर्वरक संयंत्र हैं।
  4. सीवान, भागलपुर, पंडौल, मोकामा और गया में पांच बड़ी सूत कताई मिलें हैं।
  5. उत्तर व दक्षिण बिहार में 13 चीनी मिलें हैं, जो निजी क्षेत्र की हैं तथा 15 चीनी मिलें सार्वजनिक क्षेत्र की हैं जिनकी कुल पेराई क्षमता 45,00 टी.पी.ड़ी. है।
  6. इसके अलावा गोपालगंज, पश्चिमी चंपारन, भागलपुर और रीगा (सीतामढ़ी जिला) में शराब बनाने के कारखाने हैं। #पश्चिमी चंपारन, मुजफ्फरपुर और बरौनी में चमड़ा प्रसंस्‍करण के उद्योग है।
  7. कटिहार और समस्‍तीपुर में तीन बड़े पटसन के कारखाने हैं।
  8. हाजीपुर में दवाएं बनाने का कारखाना, औरंगाबाद और पटना में खाद्य प्रसंस्‍करण और वनस्‍पति बनाने के कारखाने हैं। #इसके अलावा बंजारी में कल्‍याणपुर सीमेंट लिमिटेड नामक सीमेंट कारखाने का बिहार के औद्योगिक नक्‍शे में महत्‍वपूर्ण स्‍थान है।

सिंचाई

बिहार में कुल सिंचाई क्षमता 28.63 लाख हेक्‍टेयर है। यह क्षमता बड़ी तथा मंझोली सिंचाई परियोजनाओं से जुटाई जाती है। यहां बड़ी और मध्‍यम सिंचाई परियोजनाओं का सृजन किया गया है और 48.97 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई प्रमुख सिंचाई योजनाओं के माध्‍यम से की जाती है।

परिवहन

सड़कें- मार्च, 2008 तक बिहार में 45,721.059 किलोमीटर पक्‍की सड़कें थीं। इनमें 3,734.38 किलोमीटर राष्‍ट्रीय राजमार्ग, 3,766.029 किलोमीटर प्रांतीय राजमार्ग, 7,992.65 प्रमुख जिला सड़कें, 2,828 किलोमीटर अन्‍य जिला सड़कें तथा 27,400 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें शामिल थीं।
रेलवे- बिहार में रेल लाइनों का अच्‍छा जाल बिछा हुआ है। मोकामा में एकमात्र रेलवे पुल होने के कारण उत्तरी बिहार के लिए परिवहन व्‍यवस्‍था में थोड़ी परेशानी है। कुछ महत्‍वपूर्ण स्‍थानों को जोड़ने वाले रेलमार्गो, जैसे- मुजफ्फरपुर-समस्‍तीपुर-बरौनी-कटिहार और समस्‍तीपुर राज्‍य के मुख्‍य रेलवे जंक्‍शन हैं।
उड्डयन- राज्‍य में सभी बड़े ज़िलों में हवाई पट्टियों के अलावा पटना में अंतरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डा है।
परिवहन के द्वारा राज्य की आर्थिक प्रगति तथा विकास होता है। परिवहन की समुचित व्यवस्था से औद्योगीकरण, कृषि और सामाजिक जीवन का विकास होता है।

बिहार की परिवहन व्यवस्था शुरू से ही नदियों से प्रभावित रही है। नौका द्वारा नदियों के किनारों पर परिवहन की व्यवस्था रहती है। राज्य की परिवहन व्यवस्था गंगा नदी पर विशेष रुप से निर्भर है। गंगा नदी के उत्तर तथा दक्षिणी मैदानी भागों में रेल तथा सड़कों द्वारा परिवहन की व्यवस्था बाढ़ आदि से प्रभावित होती है, इसलिए नदी के किनारों पर सुदृढ़ तटबंधों का निर्माण कराया गया है।

बिहार से उत्तर भारत के अनेक राज्य सड़क मार्ग से जुड़े हैं। शेरशाह ने पेशावर तक सड़क मार्ग का निर्माण कराया था। यह मार्ग उस समय 'सड़क-ए-आज़म' कहलाता था, आजकल इस सड़क को 'The Grand Trunk Road / ग्रैंड ट्रंक रोड / जी॰ टी॰ रोड' के नाम से जाना जाता है। शेरशाह ने 1542 ई. में इसका निर्माण कराया था। यह सड़क पेशावर से कोलकाता तक जाती है। बिहार की परिवहन व्यवस्था में सड़क और रेलमार्ग बहुत महत्वपूर्ण है किंतु जल परिवहन का विकास सीमित ही हुआ है। बिहार में यातायात के मुख्यतः चार साधन हैं-
सड़क
पुराने समय से ही बिहार उत्तर भारत के अन्य भागों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। प्राचीन शासकों की प्रशासनिक और आर्थिक व्यवस्था स्थल मार्गों पर ही आधारित थी। सम्राट अशोक ने वैभवशाली मगध को राजधानी बनाया था, और राजगौर और पाटलिपुत्र के बीच राज्य मार्ग का निर्माण कराया था। मध्यकाल में मुग़ल शासकों और शेरशाह सूरी ने सड़क का निर्माण किया था।

  • 1947 ई. में बिहार में कुल सड़कों की लम्बाई 1315 किमी. थी। आजकल सड़कों की लम्बाई 67116 किलोमीटर है। राष्ट्रीय मार्ग राज्य की प्राथमिक सड़क व्यवस्था है। इसके रखरखाव की व्यवस्था केन्द्रीय सरकार पर है। राज्य में 4717 किमी. लम्बे सड़क मार्ग का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त 26092 कि॰मी॰ लम्बी सड़कों को दो लेन का किया जा रहा है।
नाम लम्‍बाई (कि.मी)
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 392 किमी.
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-6 बिहार में लम्बाई 22 किमी.
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 23 250 किमी. लम्बाई
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-28 259 किमी. लम्बाई
राष्ट्रीय राजमार्ग-30 230 किमी. लम्बाई
राष्ट्रीय राजमार्ग-31 437 किमी. लम्बाई
  • प्रान्तीय राजमार्ग, जो ज़िला मुख्यालयों और प्रदेश की राजधानी को जोड़ते हैं। बिहार के मैदानी भाग में सड़कें बरसात में पानी में डूब जाती हैं।
  • स्थानीय सड़कें, जो ज़िला मुख्यालय को कस्बों और गाँवों को आपस में जोड़ती हैं। ये कच्ची और पक्‍की दोनों तरह की होती हैं। यह ईंटों से बनीं हैं और वर्षा से इनमें टूट-फूट हो जाती है।

पर्यटन स्‍थल

बिहार पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक धरोहरों, धर्म, अध्यात्म और संस्कृति का केन्द्र रहा है। यहां की परम्पराएं, संस्कृति, रीति-रिवाज और जीवन-पद्धतियां, मेले, पर्व, त्यौहार हमेशा से पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं।

  • राज्‍य के प्रमुख पर्यटन केंद्र हैं- राजगीर, नालंदा, वैशाली, पावापुरी जहां भगवान महावीर ने अंतिम सांस ली और निर्वाण को प्राप्‍त हुए, बोधगया, विक्रमशिला उच्‍च शिक्षा के बौद्ध विश्‍वविद्यालय के अवशेष, पटना पाटलीपुत्र का प्राचीन नगर और सासाराम शेरशाह सूरी का मक़बरा और मधुबनी
  • अन्‍य महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थल हैं : मुंडेश्‍वरी मंदिर, कैमूर, रोहतासगढ़ किला, रोहतास, जैन तीर्थ स्‍थल, कुंडलपुर, नालंदा, बिहार योग केंद्र, मुंगेर, मनेर शरीफ, पटना, ग्रामीण पर्यटन स्‍थल नेपुरा, नालंदा, केसरिया स्‍तूप, पूर्वी चंपारन।

पटना
यह बिहार प्रदेश की राजधानी है। अजातशत्रु के पुत्र उदयभद्र ने 444 - 460 ई. पू. में पाटलिपुत्र की स्थापना की थीऔर उसे अपनी राजधानी बनाया था। पटना में ऐतिहासिक स्थल, सिखों के दसवें गुरु का जन्म स्थल प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
राजगीर
राजगीर गर्म झरनों के लिए जाना जाता है। शीतकाल में भ्रमण और स्वास्थ्य के लिए उत्तम है। यहां प्रथम विश्‍व बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था। यहां जैन व हिन्दुओं के अनेक पवित्र धार्मिक स्थल हैं।
नालन्दा
प्राचीनकाल में नालन्दा विश्‍वविद्यालय था, जहां देश-विदेश के छात्र शिक्षा के लिए आते थे। आजकल इसके अवशेष दिखलाई देते हैं।
गया
गया हिन्दुओं का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहां पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए पिण्डदान किया जाता है। भगवान श्री रामचन्द्र ने अपने पिता दशरथ का पिण्डदान यहाँ किया था।
बक्सर
बक्सर में गुरु विश्‍वामित्र का आश्रम था। यहीं पर राम और लक्ष्मण का प्रारम्भिक शिक्षण-प्रशिक्षण हुआ। प्रसिद्ध ताड़का राक्षसी का वध राम द्वारा यहीं पा किया गया था। 1764 ई. का 'बक्सर युद्ध' भी इतिहास प्रसिद्ध है।
मनेर
मनेर बिहार प्रदेश की राजधानी पटना से 29 किमी. की दूरी पर है। यहां शाहदौलत और शेख याहिया मनेरी के मक़बरे हैं।
मधुबनी मधुबनी नगर मधुबनी चित्रकला के लिए प्रख्यात है। 2003 ई. में लन्दन में आयोजित कला प्रदर्शनी में मधुबनी पेंटिंग्स को बहुत प्रशंसा मिली थी। मुंगेर
मुंगेर में ऐतिहासिक क़िला है। यहीं पर प्रसिद्ध योग विश्‍वविद्यालय भी है। प्राचीन अंग साम्राज्य का मुंगेर प्रमुख केन्द्र था।
सोनपुर
सोनपुर में कार्तिक माह में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है। सोनपुर में प्रसिद्ध ऐतिहासिक हरिहरनाथ जी का मन्दिर है।
वैशाली
छठी सदी ई. पू. में वैशाली नगर गणतन्त्र था। वैशाली विश्‍व के प्राचीनतम गणतन्त्र के लिए प्रसिद्ध है। प्रसिद्ध जैन तीर्थंकर महावीर का जन्म स्थल है।
बाल्मीकि नगर
यह स्थान बाल्मीकि ॠषि के जन्म स्थल के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीन काल में वाल्मीकि ॠषि का आश्रम यहाँ था। बाल्मीकि नगर में एक प्रसिद्ध अभयारण्य भी है।
विक्रमशिला
विक्रमशिला भागलपुर ज़िले में गंगा के तट पर स्थित है। प्राचीन समय में विख्यात विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय था। उसके ऐतिहासिक अवशेष अब भी यहाँ हैं।
जीरादेयू
जीरादेयू भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म स्थल है।
सासाराम
सूर वंश के संस्थापक अफग़ान शासक शेरशाह सूरी का मकबरा सासाराम में है और देश का प्रसिद्ध 'ग्रांड ट्रंक रोड' भी इसी शहर से होकर गुजरता है।
सीतामढ़ी
सीतामढ़ी हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है। सीतामढ़ी के पूनौरा नामक स्थान पर जब राजा जनक ने खेत में हल जोता था, उस समय धरती से सीता का जन्म हुआ था। सीता जी के जन्म के कारण इस नगर का नाम सीतामढ़ी पड़ा।
विसपी
यह स्थान मधुबनी / दरभंगा ज़िले में है। विसपी में मैथिली कवि विद्यापति का जन्म हुआ था।
पावापुरी
पावापुरी पटना से 104 किमी. और नालन्दा से 25 किमी दूरी पर स्थित है। यहीं जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर जी ने निर्वाण प्राप्त किया था। यहां का जल मन्दिर, मनियार मठ तथा वेनुवन दर्शनीय स्थल हैं।
बरौनी
बरौनी उत्तरी बिहार का प्रमुख औद्योगिक नगर है। यहां तेल शोधन कारखाना, गंगा पर सड़क और रेल पुल है।
भागलपुर
भागलपुर बिहार के ऐतिहासिक नगरों में से एक है। भागलपुर विश्‍वविद्यालय यहाँ का प्रमुख शिक्षा केन्द्र हैं। बरारी की गुफाएं दर्शनीय हैं। विष्णु मन्दिर, शिव मन्दिर प्रसिद्ध है । यहां 'टसर रेशम' का उत्पादन होता है।
आरा
आरा पटना से 32 मील की दूरी पर है। आरा के दर्शनीय स्थलों में आरण्य देवी, मढ़िया का राम मन्दिर प्रसिद्ध है।
कटिहार
कटिहार ज़िले में बरारी गुरु बाजार का गुरुद्वारा प्रसिद्ध है। सिखों के नवें गुरु तेगबहादुर द्वारा लंगर का आयोजन किया गया था। सालमारी स्टेशन के पास शिव जी का गोरखनाथ मन्दिर, रानी इन्द्रावती की राजधानी सौरिया प्रसिद्ध हैं।
बिहार शरीफ
बिहार शरीफ पटना से 85 किमी. की दूर दक्षिण-पूर्व में है। यह मुस्लिम संस्कृति का प्रमुख केन्द्र है । यहां मख़दूम साहब की दरग़ाह तथा मलिक इब्राहिम वयां का मकबरा है।
पूर्णिया
पूर्णिया महाभारत कालीन धर्म-स्थल था। यह उत्तर-पूर्वी बिहार में है। यहां से नेपाल जाने का रास्ता है। बनभाखी के सिकलीगढ़ प्राचीन गरिमापूर्ण स्थल है।