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+ | *रंभा अपने रूप और सौन्दर्य के लिए तीनों लोकों में प्रसिद्ध थी। | ||
+ | *रंभा कुबेर के पुत्र नलकुबर के साथ पत्नी की तरह रहती थी। | ||
+ | *इस सम्बन्ध को लेकर [[रावण]] ने एक बार दोनों का उपहास किया था। | ||
+ | *रावण द्वारा इस प्रकार उपहास किए जाने पर नलकुबर ने उसे शाप दिया था कि, तुझे न चाहने वाली स्त्री से तू बलात्कार करेगा, तब तुझे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ेगा। | ||
+ | *इसी शाप के भय से रावण [[सीता]] पर अपने बल का प्रयोग न कर सका। | ||
+ | *अन्यत्र विवरण मिलता है कि, रावण ने रंभा के साथ बल का प्रयोग करना चाहा था, जिस पर उसने भी उसे शाप दिया था। | ||
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− | * | + | *[[विश्वामित्र]] की घोर तपस्या से विचलित होकर इंद्र ने रंभा को बुलाकर विश्वामित्र का तप भंग करने के लिए भेजा था। |
− | + | *ऋषि इन्द्र का षड्यंत्र समझ गए और उन्होंने रंभा को हज़ार वर्षों तक शिला बनकर रहने का शाप दे डाला। | |
− | + | *[[वाल्मीकि]] [[रामायण]] के अनुसार एक [[ब्राह्मण]] द्वारा यह [[ऋषि]] के शाप से मुक्त हुई। | |
− | * | + | *[[स्कन्दपुराण]] में इसके उद्धारक 'श्वेतमुनि' बताए गए हैं, जिनके छोड़े बाण से यह शिलारूप में कंमितीर्थ में गिरकर मुक्त हुई। |
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10:08, 17 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
- पुराणों में रंभा का चित्रण एक प्रसिद्ध अप्सरा के रूप में माना जाता है, जो कि कुबेर की सभा में थी।
- यह कश्यप और प्राधा की पुत्री थी।
- रंभा अपने रूप और सौन्दर्य के लिए तीनों लोकों में प्रसिद्ध थी।
- रंभा कुबेर के पुत्र नलकुबर के साथ पत्नी की तरह रहती थी।
- इस सम्बन्ध को लेकर रावण ने एक बार दोनों का उपहास किया था।
- रावण द्वारा इस प्रकार उपहास किए जाने पर नलकुबर ने उसे शाप दिया था कि, तुझे न चाहने वाली स्त्री से तू बलात्कार करेगा, तब तुझे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ेगा।
- इसी शाप के भय से रावण सीता पर अपने बल का प्रयोग न कर सका।
- अन्यत्र विवरण मिलता है कि, रावण ने रंभा के साथ बल का प्रयोग करना चाहा था, जिस पर उसने भी उसे शाप दिया था।
- इन्द्र ने देवताओं से रंभा को अपनी राजसभा के लिए प्राप्त किया था।
- स्वर्ग में अर्जुन के स्वागत के लिए रंभा ने नृत्य किया था।
- विश्वामित्र की घोर तपस्या से विचलित होकर इंद्र ने रंभा को बुलाकर विश्वामित्र का तप भंग करने के लिए भेजा था।
- ऋषि इन्द्र का षड्यंत्र समझ गए और उन्होंने रंभा को हज़ार वर्षों तक शिला बनकर रहने का शाप दे डाला।
- वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक ब्राह्मण द्वारा यह ऋषि के शाप से मुक्त हुई।
- स्कन्दपुराण में इसके उद्धारक 'श्वेतमुनि' बताए गए हैं, जिनके छोड़े बाण से यह शिलारूप में कंमितीर्थ में गिरकर मुक्त हुई।
- महाभारत में इसे तुरुंब नाम के गंधर्व की पत्नी बताया गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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