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*वातापि [[इल्वल]] नामक दैत्य का छोटा भाई था। | *वातापि [[इल्वल]] नामक दैत्य का छोटा भाई था। | ||
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− | *वातापि भी इच्छानुसार रूप धारण करने में समर्थ था! अत: वह क्षणभर में मेंड़ा और बकरा बन जाता था। फिर इल्वल उस भेड़ या बकरे को पकाकर उसका मांस राँधता और किसी [[ब्राह्मण]] को खिला देता था। इसके बाद वह ब्राह्मण को मारने की इच्छा करता था। इल्वल में यह शक्ति थी कि वह जिस किसी भी यमलोक में गये हुए प्राणी को उसका नाम लेकर बुलाता, वह पुन: शरीर धारण करके जीवित दिखायी देने लगता था। | + | *वातापि भी इच्छानुसार रूप धारण करने में समर्थ था! अत: वह क्षणभर में मेंड़ा और बकरा बन जाता था। फिर इल्वल उस भेड़ या बकरे को पकाकर उसका मांस राँधता और किसी [[ब्राह्मण]] को खिला देता था। इसके बाद वह ब्राह्मण को मारने की इच्छा करता था। इल्वल में यह शक्ति थी कि वह जिस किसी भी [[यमलोक]] में गये हुए प्राणी को उसका नाम लेकर बुलाता, वह पुन: शरीर धारण करके जीवित दिखायी देने लगता था। |
*इल्वल वातापि दैत्य को बकरा बनाकर इल्वल उसके मांस का संस्कार करता तत्पश्चात वातापि का माँस ब्राह्मणदेव को खिलाकर पुन: अपने भाई को पुकारता। इल्वल के द्वारा उच्च स्वर से बोली हुई वाणी सुनकर वह अत्यन्त मायावी ब्राह्मणशत्रु बलवान महादैत्य वातापि उस ब्राह्मण की पसली को फाड़कर हँसता हुआ निकल आता। इस प्रकार दुष्टहृदय इल्वल दैत्य बार-बार ब्राह्मणों को भोजन कराकर वातापि द्वारा उनकी हिंसा करा देता था। | *इल्वल वातापि दैत्य को बकरा बनाकर इल्वल उसके मांस का संस्कार करता तत्पश्चात वातापि का माँस ब्राह्मणदेव को खिलाकर पुन: अपने भाई को पुकारता। इल्वल के द्वारा उच्च स्वर से बोली हुई वाणी सुनकर वह अत्यन्त मायावी ब्राह्मणशत्रु बलवान महादैत्य वातापि उस ब्राह्मण की पसली को फाड़कर हँसता हुआ निकल आता। इस प्रकार दुष्टहृदय इल्वल दैत्य बार-बार ब्राह्मणों को भोजन कराकर वातापि द्वारा उनकी हिंसा करा देता था। | ||
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- वातापि इल्वल नामक दैत्य का छोटा भाई था।
- इल्वल मायावी था वह अपने भाई वातापि को माया से बकरा बना देता था।
- वातापि भी इच्छानुसार रूप धारण करने में समर्थ था! अत: वह क्षणभर में मेंड़ा और बकरा बन जाता था। फिर इल्वल उस भेड़ या बकरे को पकाकर उसका मांस राँधता और किसी ब्राह्मण को खिला देता था। इसके बाद वह ब्राह्मण को मारने की इच्छा करता था। इल्वल में यह शक्ति थी कि वह जिस किसी भी यमलोक में गये हुए प्राणी को उसका नाम लेकर बुलाता, वह पुन: शरीर धारण करके जीवित दिखायी देने लगता था।
- इल्वल वातापि दैत्य को बकरा बनाकर इल्वल उसके मांस का संस्कार करता तत्पश्चात वातापि का माँस ब्राह्मणदेव को खिलाकर पुन: अपने भाई को पुकारता। इल्वल के द्वारा उच्च स्वर से बोली हुई वाणी सुनकर वह अत्यन्त मायावी ब्राह्मणशत्रु बलवान महादैत्य वातापि उस ब्राह्मण की पसली को फाड़कर हँसता हुआ निकल आता। इस प्रकार दुष्टहृदय इल्वल दैत्य बार-बार ब्राह्मणों को भोजन कराकर वातापि द्वारा उनकी हिंसा करा देता था।
- वातापि की मृत्यु अगस्त्य ऋषि द्वारा की गयी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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