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*इनके इस नाम से ही ज्ञात होता है कि ये वादि रूप हाथियों को पराजित करने के लिए सिंह के समान थे।  
 
*इनके इस नाम से ही ज्ञात होता है कि ये वादि रूप हाथियों को पराजित करने के लिए सिंह के समान थे।  
*इनका [[जैन दर्शन]] और [[जैन न्याय]] पर लिखा ग्रन्थ 'स्याद्वादसिद्धि' है।  
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*इनका [[जैन दर्शन]] और जैन न्याय पर लिखा ग्रन्थ 'स्याद्वादसिद्धि' है।  
 
*इसमें स्याद्वाद पर प्रतिवादियों द्वारा दिये गये दूषणों का परिहार करके उसकी युक्तियों से प्रतिष्ठा की है।  
 
*इसमें स्याद्वाद पर प्रतिवादियों द्वारा दिये गये दूषणों का परिहार करके उसकी युक्तियों से प्रतिष्ठा की है।  
 
*इनका समय विक्रम की 9वीं शती है।  
 
*इनका समय विक्रम की 9वीं शती है।  

12:15, 25 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

आचार्य वादीभसिंह

  • इनके इस नाम से ही ज्ञात होता है कि ये वादि रूप हाथियों को पराजित करने के लिए सिंह के समान थे।
  • इनका जैन दर्शन और जैन न्याय पर लिखा ग्रन्थ 'स्याद्वादसिद्धि' है।
  • इसमें स्याद्वाद पर प्रतिवादियों द्वारा दिये गये दूषणों का परिहार करके उसकी युक्तियों से प्रतिष्ठा की है।
  • इनका समय विक्रम की 9वीं शती है।
  • इनके रचे 'क्षत्रचूड़ामणि' (पद्य) और 'गद्यचिन्तामणि' (गद्य) ये दो काव्यग्रन्थ भी हैं, जिनमें भगवान महावीर के काल में हुए क्षत्रिय मुकुट जीवन्धर कुमार का पावन चरित्र निबद्ध है।
  • गद्य चिन्तामणि नामक ग्रन्थ तो संस्कृत गद्य साहित्य का बेजोड़ ग्रन्थ है।

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