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20:03, 14 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

आचार्य शान्तिवर्णी

  • परीक्षामुख के प्रथम सूत्र पर इन्होंने 'प्रमेयकण्ठिका' नाम की वृत्ति लिखी है।
  • यह एक न्याय-विद्या की लघु रचना है और प्रमाण पर इसमें संक्षेप में प्रकाश डाला गया है।
  • यह वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट, काशी से प्रकाशित हो चुकी है।
  • यह अध्येतव्य है।

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