श्रीमुख संवत्सर
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श्रीमुख हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में सातवाँ है। इस संवत्सर के आने पर विश्व में दूध देने वाली गौओं की वृद्धि तथा वर्षा उत्तम होती है और जनसंख्या में अधिक वृद्धि होती है। इस संवत्सर के स्वामी पितर हैं।
- श्रीमुख संवत्सर में जन्म लेने वाला शिशु श्रीमान, प्रतापी और बहुशास्त्र ज्ञाता होता है।
- ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से किया था, अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है।
- हिन्दू परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है।
- संवत्सर 60 हैं। जब 60 संवत पूरे हो जाते हैं तो फिर पहले से संवत्सर का प्रारंभ हो जाता है।
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